इन दिनों ,
पसंद की घंटी,
के चक्कर में,
बहुत लोगन का,
घंटा,
बजा हुआ है॥
कौन , कब,
चढा ,
कितना ऊपर,
कौन ,धंसा,
कब,
कितना नीचे,
ये टेंसन, कितना,
बढ़ा हुआ है ॥
कोई खोले,
लिस्ट,
एलेक्सा की,
कोई वाणी,
की पसंद ,
की घंटी,
कोई चिट्ठाजगत की,
रैंकिंग के फेर में,
पडा हुआ है..
वैसे तो ,
टाईम पास को,
ठीक ये ,
धंधा ये भी,
फ़िर हर कोई,
किसी न किसी,
तरह से ,
इस धंधे में ही,
लगा हुआ है ....
तो भैया लगे रहो , हम लोगन को कौनो टेंसन नहीं है हम लोग त जहाँ हैं वहीं ठीक हैं , एकदम फिट हैं जी.....
शनिवार, 8 मार्च 2008
गुरुवार, 6 मार्च 2008
अबके कईसन है ई फाग बबुआ ?
कहीं छाई है उमंग,
तो कहीं मचा हुडदंग,
अबके आया गजब है ,
ई फाग बबुआ॥
पिच्करिया सब फेल हुआ,
रंग हुए बेरंग,
पेट्रोल पीके, बाबा ठाकरे , देखो,
उगले हैं कतना आग बबुआ॥
मुम्बई बुन गया पाकिस्तान,
काफिर बन गए बिहारी,
शिवसेना का फतवा निकला,
मुम्बई से निकल , भाग बबुआ॥
कहाँ गया , प्रेम मोहब्बत,
खेल-खेल रही सियासत,
जात, धर्म और भाषा भी,
अब बन गए हैं नाग बबुआ॥
बाबा ठाकरे हो गए बीमार,
चढ़ गया दिमागी बुखार,
कुढ़-कुढ़ बाबा कुछ कर न बैठें,
अईसन जतन में तू लाग बबुआ॥
यूं भी बढ़ रहे हैं पाप,
नित नए लग रहे हैं घाव,
फ़िर समाज को काहे , दे रहे हो,
एक नया और दाग बबुआ॥
चलो माना की हम लौट जायेंगे,
आपका,अपना , सब सौंप जायेंगे,
का मुम्बई बन जायेगा मल्येसिया, काहे मराठियों को,
दिखा रहे हो सब्जबाग बबुआ॥
मुंह से बहुते गंद निकाला,
सबकुछ तहस-नहस कर डाला,
फगुआ में त दिल मिला लो,
छोडो अब ई खटराग बबुआ॥
अरे ओ बाबा , और कौनो काम नहीं है का, अरे होलिया में त खुश रहा हो ..
तो कहीं मचा हुडदंग,
अबके आया गजब है ,
ई फाग बबुआ॥
पिच्करिया सब फेल हुआ,
रंग हुए बेरंग,
पेट्रोल पीके, बाबा ठाकरे , देखो,
उगले हैं कतना आग बबुआ॥
मुम्बई बुन गया पाकिस्तान,
काफिर बन गए बिहारी,
शिवसेना का फतवा निकला,
मुम्बई से निकल , भाग बबुआ॥
कहाँ गया , प्रेम मोहब्बत,
खेल-खेल रही सियासत,
जात, धर्म और भाषा भी,
अब बन गए हैं नाग बबुआ॥
बाबा ठाकरे हो गए बीमार,
चढ़ गया दिमागी बुखार,
कुढ़-कुढ़ बाबा कुछ कर न बैठें,
अईसन जतन में तू लाग बबुआ॥
यूं भी बढ़ रहे हैं पाप,
नित नए लग रहे हैं घाव,
फ़िर समाज को काहे , दे रहे हो,
एक नया और दाग बबुआ॥
चलो माना की हम लौट जायेंगे,
आपका,अपना , सब सौंप जायेंगे,
का मुम्बई बन जायेगा मल्येसिया, काहे मराठियों को,
दिखा रहे हो सब्जबाग बबुआ॥
मुंह से बहुते गंद निकाला,
सबकुछ तहस-नहस कर डाला,
फगुआ में त दिल मिला लो,
छोडो अब ई खटराग बबुआ॥
अरे ओ बाबा , और कौनो काम नहीं है का, अरे होलिया में त खुश रहा हो ..
रविवार, 2 मार्च 2008
लालू जी इतना आउउर कर देते .
अचानक लालू जी का फोन आ गया , कहे लगे का झा जी , अब तो खुश हैं ना, देखिये काटना बढियां बजट पेश कर दिए है ऊ भी लगाता पांचवी बार, अरे हमका तो मौके नहीं देगा लोग न त हम त पचास्वी बार भी इसने बजट पेश कर देखा देंगे। आप त जानते हैं की जाऊँ चीज़ हम ठान लेते हैं कर के रहते हैं , देखे नहीं सोच लिए थे कि पिछ्ला पन्द्रह बरस में बिहार का टस से मस नहीं होने देंगे । नहीं न होने दिए वहीं का वहीं खडा है । चलिए छोडिये ऊ बात सब आप त बस बजट का बात किजीये।
हम कहे कि लालू जी बांकी सब त ठीक रहा मुदा कुछ और बात सब कर देते ना त आउउर भाधियाँ रहता। मतबल बजटवा त ससुर हिट हो जाता । देखिये हम बताते हैं।
जब इतना सारा ट्रेन सब आप अपना बिहार के लिए चला रहे हैं त इतना और कर देते कि किसी भी जगह का ट्रेन बिना पटना होए नहीं जायेगा। चाहे मद्रास जाओ चाहो आसाम , चाहे जम्मू कश्मीर मुदा बीच में पटना स्टेशन पड़ना ही चाहिए। उससे जानते हैं का होता ई सब लोग जो अपना बिहारी भाई सब को अपना स्टेट से भगा रहा ना , डर के मारे कौनो कुछ नहीं बोलता और जे कोई बदमाशी करता तो पकड़ लेते वहीं पटना में। आ वैसे त यदि एगो मेट्रो भी चल जाता सब जगह से अपने पटना के लिए.... । खैर छोडिये , ई ज्यादा हो जाता। सब हंगामा करे लगता ।
ई आपका कुल्हड़ वाला आईडिया नहीं चला, त हमरे हिसाब से आपको अब ई करना चाहिए था कि लोग सब को पीने का पानी लोटा में मिलेगा। आ ऊ लोटा सब अपने बिहार में बना हुआ होता। अरे आप कहे चिंता करते हैं रामविलास जी से कह के स्टील का दाम सब एडजस्ट करवा लेते। इससे लोग सब जैसे ही पानी पीता उनका सबके अपना बिहार जरूर याद आता।
बस करिये झा जी, प्रोग्रम्वा सब ठीक है अभी लीक नहीं किजीएये अगला इलेक्शन जीतेंगी त करेंगे ई सब लागू । आप आउउर सोच कर रखिये॥
त भइया लोग आप लोगन के पास भी कौनो आईडिया है त बता दीजिये.
हम कहे कि लालू जी बांकी सब त ठीक रहा मुदा कुछ और बात सब कर देते ना त आउउर भाधियाँ रहता। मतबल बजटवा त ससुर हिट हो जाता । देखिये हम बताते हैं।
जब इतना सारा ट्रेन सब आप अपना बिहार के लिए चला रहे हैं त इतना और कर देते कि किसी भी जगह का ट्रेन बिना पटना होए नहीं जायेगा। चाहे मद्रास जाओ चाहो आसाम , चाहे जम्मू कश्मीर मुदा बीच में पटना स्टेशन पड़ना ही चाहिए। उससे जानते हैं का होता ई सब लोग जो अपना बिहारी भाई सब को अपना स्टेट से भगा रहा ना , डर के मारे कौनो कुछ नहीं बोलता और जे कोई बदमाशी करता तो पकड़ लेते वहीं पटना में। आ वैसे त यदि एगो मेट्रो भी चल जाता सब जगह से अपने पटना के लिए.... । खैर छोडिये , ई ज्यादा हो जाता। सब हंगामा करे लगता ।
ई आपका कुल्हड़ वाला आईडिया नहीं चला, त हमरे हिसाब से आपको अब ई करना चाहिए था कि लोग सब को पीने का पानी लोटा में मिलेगा। आ ऊ लोटा सब अपने बिहार में बना हुआ होता। अरे आप कहे चिंता करते हैं रामविलास जी से कह के स्टील का दाम सब एडजस्ट करवा लेते। इससे लोग सब जैसे ही पानी पीता उनका सबके अपना बिहार जरूर याद आता।
बस करिये झा जी, प्रोग्रम्वा सब ठीक है अभी लीक नहीं किजीएये अगला इलेक्शन जीतेंगी त करेंगे ई सब लागू । आप आउउर सोच कर रखिये॥
त भइया लोग आप लोगन के पास भी कौनो आईडिया है त बता दीजिये.