बुधवार, 3 अगस्त 2022

सिर्फ चड्ढा ही अकेला लाल नहीं होगा :सनातन विरोधी बॉलीवुड को रसातल में पहुँचाएगी जनता





एक के बाद एक लगातार , बड़े बैनर और बड़े नामों की पिक्चरों का हाल कबाड़ी बाज़ार में रखे रद्दी के ढेर जैसा होता हुआ देख कर एक तरफ जहां लोगों के कलेजे को ठंडक मिल रही है और वे एक एक सिनेमा को , वो कहता हैं न चुन चुन कर मारूंगा , वैसे ही चुन चुन कर तलाश तलाश और इतना है नहीं खुलेआम पहले ही बता कर चेता दे रहे हैं कि , सड़क टू आई तो सड़क पर धुल चाटेगी और शेरा बकरी भी न बन सकेगा।  हालात ऐसे हैं तो फिर आमिर खान -जैसे दोहरे चरित्र और निजी जीवन में बेहद ही निम्न स्तरीय व्यवहार वाले -के उस फिल्म के लिए जिसे वो अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बता रहा हो लोगों ने यदि बहिष्कार की मुनादी कर दी है और जनाब पर्फेक्शिनस्ट मिमियते घूम रहें हैं तो ये दर्द अच्छा लगता है।  

आमिर खान जैसे अभिनेता जिन्होंने इस देश में रहकर यहाँ के लोगों के प्यार और पैसे से , मिली शोहरत ऐशो आराम मिलने का एहसान इस तरह से चुकाया की दो दो शादियॉँ और तलाक के बाद तीसरे की तयारी में लगे इस खान को सार्वजनिक रूप से यह कहना पड़ता है कि भारत में बढ़ती असहिष्णुता के कारण ये देश रहने के लिए असुरक्षित लगता है।  लानत है ऐसी निर्लज्जता पर।  जाने फिर किस हिम्मत से किस मुँह से यही सत्यमेव जयते जैसा टेलीविजन धारावाहिक लाते हैं और फिर वही किसी के दर्द , किसी की मेहनत , किसी की सफलता सबको सिनेमा में डाल कर अपना एजेंडा घोल घाल के , फिर चाहे इसके लिए किसी का अपमान करना पड़े या इससे भी नीचे की कोई हरकत , करके पाँच सात सौ करोड़ कमा पर इसी देश के लोगों को भला बुरा कहना ही असली कल्ट है।  बताइये भला , सीधा सा सरल सा ही तो फंडा है।  

और अब तो कह भी रहे हैं कि भाई चड्डे को ऐसे मत लाल करो -इंडिया से तो बहुत प्यार है।  हो भी क्यों न , ऐसा और कौन सा देश होगा भला जहां एक मज़लिम कला के नाम पर कभी माँ सरस्वती की नग्न पेंटिंग बना कर भी महफूज़ रहता है तो दूसरा खुलेआम भगवान् शंकर सहित मंदिर पुजारी सबका अपमान करना मजाक बनाता है और यही सब बकवास दिखाते हुए करोड़ों कमाता है -ऐसे में किसी का भी मानसिक रूप दम्भी  होना समझ में आता है।  लेकिन पिछले पांच सात वर्षों में देश और दुनिया में हाल और हालात दोनों बहुत तेज़ी से बदले हैं।  

सिनेमा , धारावाहिक , वेब सीरीज़ , स्टैंड अप - एक को , किसी एक को भी नहीं बख्शा लोगों ने , हालाँकि अमन के पैगाम वाले मजहब के शांतिप्रिय लोगों की तरह -दूसरों का गला काटने जैसे हैवानियत की अपेक्षा हिन्दू समाज से कभी की भी नहीं जानी चाहिए लेकिन -कला और अभिव्यक्ति के नाम पर बार बार साजिशन हिन्दू और सनातन का अपमान , मंदिरों , पुजारीयों की गलत छवि का चित्रण आदि की सारी कलई लोगों के सामने धीरे धीरे खुल जाने से स्थिति आर पार जैसी हो गई।  

तो अब ये तय है अक्षय कुमार की फिल्म हो या आमिर खान की , या किसी भी अन्ने बन्ने की , हिन्दू विरोधी , देश विरोधी , सेना विरोधी , राम विरोधी - सत्य सनातन विरोधी हुई तो उसका भी हश्र यही और सिर्फ और सिर्फ यही होने वाला है जो पिछले दो सालों से बॉलीवुड सिनेमा की पिक्चरों का हो रहा है यानि -डब्बा गोल।  


रविवार, 17 अप्रैल 2022

गर्मियों में गमलों के पौधों के लिए बरती जाने वाली विशेष बातें : बागवानी मन्त्र

 





पूरी दुनिया में धीरे धीरे धीरे बढ़ती जंग और उनमें , धरती की छाती पर और पूरे वायुमंडल में दिन रात ज़हर घोलते बम बारूद , तेल , पेट्रोल , गैस , धुआँ , कचरा जो नास पीट रहा है वो अलग।  ऐसे में फिर यदि मार्च के अंतिम सप्ताह में सबको जून वाली तपिश और भयंकर लू का एहसास और नज़ारा देखने को मिल रहा है तो हैरानी भी आखिरकार क्यों हो ?? 

इसका सीधा असर सबसे पहले धरती की वनस्पति पर ही पड़ना शुरू होता है।  आसपास , सब्जियों , फलों और साग पात के आसमान छूते भाव से इसका अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है।  ऐसे में , इन शहरों और कस्बों में रह रहे हम जैसे लोग जो , गमलों में मिटटी डाल कर कभी छत तो कभी बालकनी में साग सब्जियों फूलों पत्तों को उगाने लगाने का जूनून पाले हैं उनके लिए कोई भी मौसम अपने चरम पर पहुँचते ही उनके पौधों के लिए दुरूह हो उठता है।  चलिए गर्मियों में बात करते हैं -पौधों को गर्मियों और तेज़ धूप से बचाने की।  मैं आपके साथ वो साझा करूँगा जो मैं करता हूँ।  



गमलों का स्थान बदलना /कम धूप वाली जगह पर : गर्मियों के आते ही मेरा सबसे काम होता है , गमलों को पूरे दिन तेज़ धूप पड़ने वाले स्थान से हटा कर कम धूप वाले स्थानों पर रखना।  यदि ये संभव नहीं हो तो फिर कोशिश ये रहती है कि सभी गमलों को , या कहा जाए की पौधों की जड़ों को आसपास बिलकुल चिपका चिपका कर रखा जाए।  गर्मियों में अधिक वाष्पीकरण होने के कारण गमलों की मिट्टी सूखने लगती है जबकि एक साथ रखने पर जड़ों में नमी काफी समय तक बनी रहती है।  मैं बड़े पौधों की जड़ों में छोटे छोटे पौधे रख देता हूँ।  



जड़ों में सूखे पत्ते , सूखी घास आदि रखना : गर्मियों में , पौधों की जड़ों और मिट्टी में नमी बनाए रखना , इसके लिए उपलब्ध बहुत सारे उपायों में से एक भी सरल और कारगर उपाय होता है।  पौधे के सूखे पत्तों ,घास को अच्छी तरह से तह बना कर पौधे की जड़ में मिटटी के ऊपर बिछा दें।  ये गीले पत्ते जड़ों की नमी को बहुत समय तक बनाए रखेंगे।  


पानी ज्यादा देना : गर्मियों में अन्य जीवों की तरह वनस्पति को पानी की अधिक जरूरत पड़ती है , विशेषकर गमलों में तो और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है।  पानी कितना कब ,कितनी बार देना ये है सब पौधे , ,मिटटी , स्थान पर की जा रही बागवानी पर निर्भर करता है , मैं कई बार दिन में चार बार और रात को सोने से पहले भी पौधों को पानी देता हूँ।  किसी भी , खाद , दवाई , देखभाल से अधिक जरूरी और कारगर पौधों को नियमित पानी देना होता है। गर्मियों में तो ये अनिवार्य हो जाता है।  

हरी शीट /जाल आदि से ढकना :यदि पौधों के ऊपर तेज़ तीखी धूप पूरे दिन पड़ती है तो निश्चित रूप से , साग , धनिया ,पुदीना के अतिरिक्त नरम स्वभाव वाले सभी फूल पौधों के लिए मुशिकल बात है।  इससे पौधों को बचाने के लिए या धूप की जलन को कम या नियंत्रित करने के लिए ,हरी शीट , जाल , त्रिपाल का प्रयोग किया जा सकता है।  मेरे बगीचे के दोनों ही हैं।  



ड्रिपिंग प्रणाली का प्रयोग करना : शीतल पेय पदार्थ तथा पानी की बोतलों को गमलों में पौधों की जड़ के पास फिक्स करके ड्रॉपिंग प्रणाली वाली तकनीक से भी जड़ों में पानी और नमी को बचाए रखने में अचूक उपाय साबित होता है।  बोतल में छिद्र के सहारे , धीरे धीरे जड़ो में रिसता पानी , पौधों को हर समय तरोताजा बनाए रखता है।  



गर्मियों में खाद दवा आदि के प्रयोग से यथा संभव बचना चाहिए और सिर्फ और सिर्फ घर के बने खाद को ही जड़ों में डाला जाना चाहिए। 

जड़ों के साथ साथ , पत्तों टहनियों और पौधे के शीर्ष पर भी पानी का छिड़काव करना चाहिए , किन्तु कलियों फ़ूलों पर पानी  डालते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।  

गर्मियों में पौधों की काट छाँट और निराई गुड़ाई का काम जरूरत के अनुसार ही करना ठीक रहता है।