tag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post8752253418028307381..comments2023-12-10T13:50:00.089+05:30Comments on झा जी कहिन: रविवार की छुट्टी, चर्चा खट्टी-मिट्ठीअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-1906957997793358122009-07-20T20:34:34.364+05:302009-07-20T20:34:34.364+05:30ए ल्यो..खोदा चुहिया और निकला पहाड...अरे..रे..ससुरी...ए ल्यो..खोदा चुहिया और निकला पहाड...अरे..रे..ससुरी जबान फ़िसल गई..हां तो खोदा पहाड और निकली चूहिया..<br /><br />अगर छुट्टि ही चाहिये थी तो सीधे से ताऊ के पास अर्जी भिजवा देते ह, मंजूर करवा देते..अब खामखा चढने टंकी पर काहे चढ गये? चलो बचुआ..अब इतनी देर से टंकी पर चढे हो..जरा तनिक कुछ खा पीलो..और छुट्टी खुशी खुशी जाकर आवो.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-7305955330001580632009-07-20T20:20:13.374+05:302009-07-20T20:20:13.374+05:30चलिए, हमने इस ब्लॉग से आपका अध्ययन अवकाश स्वीकृत क...चलिए, हमने इस ब्लॉग से आपका अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया :-)<br /><br />ज़ल्दी दर्शन दीजियेगाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-11548891104413757872009-07-20T20:15:17.703+05:302009-07-20T20:15:17.703+05:30आप सब बहुते खराब हैं..दोनों हाथों में लड्डू रखते ह...आप सब बहुते खराब हैं..दोनों हाथों में लड्डू रखते हैं..न आदमी को जीने देते हैं न मरने ..बताइये तो हमरे जैसे झा जी को तो एकदम पाजी बना कर रख दिए..ऊपर से पाबला जी ..सर काहे धर्मसंकट में फस रहे हैं..बस ऐसा समझिये न थोड़े दिन की छुट्टी ले रहे हैं..तब तो ठीक है ...और निशांत भाई..यार आपने तो खामख्वाह में टिप्प्न्नी हटाई..अमा ऐसा क्या कह दिया था आपने..भाई मैं ढीठ किस्म का प्राणी हूँ..इत्ती जल्दी बुरा नहीं मानता...और फिर बुरा मान कर जाऊँगा कहाँ..मगर अभी तो कुछ दिनों की छुट्टी दे ही दीजिये..बड़ी कृपा होगी...अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-81545162687157931382009-07-20T19:14:02.251+05:302009-07-20T19:14:02.251+05:30ise band mat kariyega....ise band mat kariyega....शेफाली पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14124428213096352833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-45038968428069780692009-07-20T17:45:33.807+05:302009-07-20T17:45:33.807+05:30ठीक है जो कर सकते है करे.........शुभकामनाये .........ठीक है जो कर सकते है करे.........शुभकामनाये .......अतिसुन्दरओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-55112903036562474682009-07-20T17:43:59.737+05:302009-07-20T17:43:59.737+05:30भई आप जो ठीक लगे वही करिये . आप जो भी लिखते हैं वह...भई आप जो ठीक लगे वही करिये . आप जो भी लिखते हैं वह मज़ेदार होता ही है, हाँ कोई पाठक यदि आपसे अधिकारपूर्वक कोई आग्रह करता हो तो विचार तो होना चाहिए उसकी बात पर, बेशक अन्तिम निर्णय आपका ही होना चाहिए .<br /><br />हमने तो कल ही लिखा था कि दुकान चल निकली,<br /><br />पर आप तो आज ही दुकान बढ़ाने पर आमादा हैं,<br /><br />यह सब मेरे ही कारण हुआ है, मेरी ही नज़र लग गई शायद आपकी चिट्ठी चर्चा को , आपसे हमें जबरिया लिखने की उम्मीद रहती है अनूप जी की तरह :)विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-74729930492636961762009-07-20T15:37:02.736+05:302009-07-20T15:37:02.736+05:30क्या हुआ .. बात इतनी कैसे बढ गयी .. आखिर क्या लि...क्या हुआ .. बात इतनी कैसे बढ गयी .. आखिर क्या लिखा था निशांत जी ने .. उन्होने तो मिटा भी दिया है .. अब क्या दिक्कत आ पडी .. अविनाश वाचस्पति जी सही कह रहे हैं .. किसी कल को चिट्ठा चर्चा न करें .. पर हर आज को चिट्ठा चर्चा जरूर करें .. करना ही पडेगा .. पाबला जी भी तो अनशन पर बैठ गए हैं .. सब संभाल लेंगे आप .. शुभकामनाएं।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-82387544728352734372009-07-20T14:49:17.292+05:302009-07-20T14:49:17.292+05:30आपके निर्णय पर आपको विचार करना चाहिये । हम सबको तो...आपके निर्णय पर आपको विचार करना चाहिये । हम सबको तो संतोष की एक चाबी अविनाश जी थमा गये - कल कब आया है । सूफियाना टिप्पणी है उनकी । आखिर ऐसी टिप्पणियाँ भी तो मिलती हैं झा जी की चर्चा में ही । <br /><br />आप लिखते रहें ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-69866928512997674672009-07-20T13:41:35.530+05:302009-07-20T13:41:35.530+05:30एक चर्चा होती है और एक काव्यमय चर्चा होती है. मैं ...एक चर्चा होती है और एक काव्यमय चर्चा होती है. मैं समझता हूं आपकी चर्चा लिंक के साथ एक मौलिक काव्य का सृजन करती है. लोग समझते हैं कि चर्चा करना आसान है..बस लिंक ऊठाये और लगा दिये..तो ऐसा समझने वाले एक बार चर्चा करके देखें..चर्चा करने मे भी उतनी ही सूझबूझ और दिमाग लगता है जितना एक साधारण ब्लाग पोस्ट लिखने मे. बल्कि कुछ ज्यादा ही लगता है. <br /><br />हमारी उम्मीद और सलाह है कि आप इसे चालू रखेंगे. शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-69135387223078168522009-07-20T13:38:02.385+05:302009-07-20T13:38:02.385+05:30एक बात और कहना चाहूँगा कि इस मौलिक अंदाज में की गई...एक बात और कहना चाहूँगा कि इस मौलिक अंदाज में की गई चिट्ठाचर्चा पर मिली टिप्पणियों को इकट्ठा कीजिये। जिन्हें आप पसंद नहीं करते उसे एक पलड़े में रखिए, जो पसंद आती हैं उन्हे दूसरे पलड़े में रखिए। देखिए झुकाव किधर ज़्यादा है। यदि फिर भी संशय हो तो सभी टिप्पणियों की भावनायों को पासंग के स्थान में लगा दीजिए। जो भी परिणाम आयेगा, निश्चित तौर पर आप अपना निर्णय बदलने के बारे में पुनर्विचार करेंगे।<br /><br />अगली चर्चा मंगलवार को हो जानी चाहिए वरना हम भी अपना 'प्रिंट मीडिया पर ब्लॉग चर्चा' वाला ब्लॉग बंद कर देंगे :-) और अपने मूल ब्लॉग पर लिखेंगे :-DAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-68249767917807308082009-07-20T12:48:12.676+05:302009-07-20T12:48:12.676+05:30अजय जी ने जो कह दिया सो कह दिया
कल से बंद
तो समझ...अजय जी ने जो कह दिया सो कह दिया<br /><br />कल से बंद <br />तो समझ लीजिए <br />कल से बंद<br /><br />पर <br />कल कब आया है<br /><br />इसलिए हमें चर्चा बंद होने का<br /><br />नहीं डर सताया है।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-32043156041939848102009-07-20T11:06:40.473+05:302009-07-20T11:06:40.473+05:30झा जी, आपको रोका किसी ने नहीं है, मैंने भी नहीं. ल...झा जी, आपको रोका किसी ने नहीं है, मैंने भी नहीं. लेकिन जितने मनोयोग और समय का उपयोग करके आप चिथ्थीचर्चा करते हैं उतने में तो आप न जाने कितनी यादगार पोस्टें लिख सकते हैं. <br />यह कोई बहस थोड़े ही है. ब्लौग आपका है, आप जो चाहे करें. हम आपके चाहनेवाले हैं इसलिए छोटी सी बात भी नहीं कह सकते क्या? दिनेशराय जी की टिपण्णी पढें, आपके मौलिक और अनूठे लेखन की ही हमें दरकार है.<br />यह भी कहूँगा की अपना ध्यान एक्का-दुक्का ब्लौगों पर ही केन्द्रित करना ही बेहतर होगा. मैंने भी शुरुआत में दसियों ब्लौग बना डाले थे लेकिन वह सब बहुत बेतुका था.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-89911878716102064652009-07-20T09:57:40.298+05:302009-07-20T09:57:40.298+05:30अजय जी, आप तो ऐसे ना थे.. चिट्ठों की चर्चा करने वा...अजय जी, आप तो ऐसे ना थे.. चिट्ठों की चर्चा करने वाले चिट्ठों में आपका चिट्ठा अलग ही स्थान रखता है। इसलिए इस सत्कर्म को आगे बढ़ाते रहिए। इस हफ्ते आपके निराले अंदाज का इंतज़ार सभी ब्लॉगर साथियों को है..Ashish Khandelwalhttps://www.blogger.com/profile/09509723253252348001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-35642052843059748922009-07-20T08:09:53.290+05:302009-07-20T08:09:53.290+05:30अरे नहीं नहीं विवेक भाई मैं उन लोगों में से नहीं ह...अरे नहीं नहीं विवेक भाई मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो आलोचना से बौखला जाते हैं और आलोचकों को विलेन समझते हैं..दरअसल इससे पहले भी कुछ ऐसा सा ही कहा था किसी ने ..तो सोच रहा हूँ कि फिलहाल तो मैं इसे बंद ही कर रहा हूँ....कभी भविष्य में ...सोचूंगा ..की क्या करना है ..अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-27730447155622674452009-07-20T07:32:33.734+05:302009-07-20T07:32:33.734+05:30अरे साहब आप नाहक ही परेशान न हों हम आपकी लेखनी के ...अरे साहब आप नाहक ही परेशान न हों हम आपकी लेखनी के कायल हैं आप जारी रखिये, और ऐसे हतोत्साहित होने की जरुरत नहीं है लेखक को आलोचक मिलना बहुत जरुरी है तभी तो लेखक को बोध होता है कि ओर कहां सुधार की जरुरत है, ऐसे आलोचक बहुत ही कम हैं अपने ब्लोग जगत में और जो हैं उन्हें विलेन मान लिया जाता है। जारी रखें..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-26258257995770538082009-07-20T06:45:44.893+05:302009-07-20T06:45:44.893+05:30मैं पहले ही लिख चूका हूँ की अविनाश भाई से सीख कर च...मैं पहले ही लिख चूका हूँ की अविनाश भाई से सीख कर चिट्ठाचर्चा के लिए मैंने हाथ आजमाने की सोची थी, लिखने के बाद लगा की आप सबको ये पसंद आ रहा है ..शायद झा जी कहिन पर लिखी गयी किसी भी अन्य पोस्ट से अधिक .दरअसल मुझे ऐसा आप सबकी तिप्प्न्नियों से लगा , अब आप ही बताइये इसमें क्या कसूर है मेरा...रही बात मेरे मौलिक लेखन की तो भाई नौकरी, पढाई और अन्य कामों से जो समय बचता है ..उसमें फिलहाल मैं कम से कम दस हिंदी और तीन अंग्रेजी के ब्लोग्स पर लिख रहा हूँ ...और यकीन मानिए उन सब पर आपको मेरी सक्रिय उपस्थिति मिल जायेगी..यहाँ चर्चा लगातार करने का सिर्फ एक ही कारण था ..वो थी लगातार मिल रही तिप्प्न्नियाँ..यदि शुर में ही ऐसा कहते तो मैं इतना आगे भी नहीं आता....और निशांत जी आप मेरे भ्राता सामान हैं सो बुरा मानने का प्रश् ही नहीं उठता...मगर इतना तो तय है की अब चर्चा नहीं कर पाउँगा....और महाराज ये तुकबंदी ..मुझे भी लगता था आसान होती है..मगर उतना नहीं होता है ..ब्लोग्गेर्स शीर्षक इतने अलग अलग चुनते हैं...मैं तो ये सोच कर लिख रहा था की शायद चर्चा दो या तीन जगह हो तो लोगों को और अच्छा लगे...वैसे चर्चा के लिए तो अपना चिट्ठाचर्चा है ही ..अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-60413575547682167442009-07-20T06:27:26.721+05:302009-07-20T06:27:26.721+05:30आपका पिरोब्लेम हम समझ रहे हैं
इसीलिए तो बाकी चिट...आपका पिरोब्लेम हम समझ रहे हैं <br />इसीलिए तो बाकी चिटठा<br />हम चिटठा चर्चा से पढ़ रहे हैं <br />बहुते बढ़िया...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-21326962381792278042009-07-20T00:39:33.845+05:302009-07-20T00:39:33.845+05:30चर्चा महत्वपूर्ण है। लेकिन लोग आप के मौलिक लेखन का...चर्चा महत्वपूर्ण है। लेकिन लोग आप के मौलिक लेखन का भी आनंद लेना चाहते हैं जो उन्हें कम मिल रहा है। आप दोनों में सामंजस्य बिठाएं। <br />सुंदर अंदाज में की गई चर्चा के लिए बधाई!दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-82563807684922912602009-07-20T00:27:30.280+05:302009-07-20T00:27:30.280+05:30ये भी बढ़िया!
लेकिन यह क्या?
ब्लॉग की अवधारणा ध्...ये भी बढ़िया!<br /><br />लेकिन यह क्या? <br />ब्लॉग की अवधारणा ध्वस्त?? <br />अब पाठक के हिसाब से लिखा जायेगा ब्लॉग या लेखक को पढ़ेगा पाठक???<br /><br />आप जारी रखिये जी, अपनी अपनी रूचि हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-10124292288660012712009-07-20T00:01:24.296+05:302009-07-20T00:01:24.296+05:30झा जी, मुझे अपनी टिपण्णी पर खेद है इसलिए मैंने उसे...झा जी, मुझे अपनी टिपण्णी पर खेद है इसलिए मैंने उसे निकाल दिया है. मैंने आपसे चिठ्ठे चर्चा बंद करने के लिए नहीं कहा है... लेकिन मैं यह मानता हूँ की आपमें अधिक उपयोगी, विचारोत्तेजक, और मनोरंजक पोस्ट लिखने की प्रतिभा है जो मैं हमेशा पढ़ना चाहता हूँ. मेरी टिपण्णी से आपको हतौत्साहित करने का कोई इरादा न था. ऐसा हुआ हो तो कृपया भाई जानकर माफ़ कर दें.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-4175505357012484892009-07-19T23:23:17.054+05:302009-07-19T23:23:17.054+05:30yadi aisa hai to sir theek hai kal se charchaa ban...yadi aisa hai to sir theek hai kal se charchaa band ..अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-13918965060566562332009-07-19T23:21:35.964+05:302009-07-19T23:21:35.964+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.com