रविवार, 10 नवंबर 2013

बी.टेक और एम.बी.ए पर भारी बी.एड ..अथ मगन लाल उवाच


ये मगनलाल जी नहीं हैं , गूगल खोज इंजन से लिया गया चित्र




मगनलाल जी के किस्से आप पहले यहां पढ चुके हैं , जिसमें मगन लाल जी ये कहते पाए गए थे कि , देश में भ्रष्टाचार और बेइमानी की असली वजह है देश के राजे ही बेइमान और भ्रष्ट हैं । अगले दिन जब मैं मगन लाल जी रेहडी के पास पहुंचे तो वे अपने साथ रोज़ खडे होने वाले आइसक्रीम वाले राजू से बातचीत में मगन मिले ।

मैं चुपचाप खडा उनकी बातें सुनने लगा ।

राजू ने शायद उनसे उनके परिवार और बाल बच्चों का हाल चाल संभवत: उनकी पढाई लिखाई के बारे में पूछा था , जिस पर तल्ख होकर मगन लाल जी कह रहे थे ।

"अरे क्या बताऊं दोनों ही बेटों को नए कोर्सों में डाला , एक बी टेक करके है और दूसरा वो मैनेजमेंट वाला होता है न "

मैंने कहा "बी.बी.ए या एम .बी.ए ..........."

"हां वही वही एम बी ए में , गांव की सारी जमीन बेच बेच के उनकी फ़ीस जमा करी है । बडे वाले का कोर्स तो पूरा भी हो गया मगर अब तक ढंग की नौकरी नहीं लगी , पता नहीं करना भी चाहता है नहीं , ये आजकल के बच्चों को चाहिए भी तो सीधा ही अफ़सर वाली नौकरी , मुलाज़िम तो कोई बनना ही नहीं चाहता । ये समझते ही नहीं हैं सीढियां नीचे से ऊपर चढने के लिए बनाई जाती हैं , कोई ऊपर से नीचे आने के लिए सीढियां नहीं बनाता , कहो तो मुंह फ़ुला लेते हैं , बार बार मंदी मंदी कटौती कटौती की बात कह देते हैं , खाली बैठा रहता है नहीं तो घूमता फ़िरता रहता है । "


इस बीच राजू टोकते हुए कहता है ," तुम्हें रुकना चाहिए था न मगन जी , पहले एक को कोर्स कराते फ़िर उसकी नौकरी लग जाने देते फ़िर दूसरे को कोई दूसरा कराते , सब देख दाख कर "


"अरे कैसी बात करते हो राजू यार , देख क्या लेते , हमें कौन सी समझ है इन बडी पढाइयों की और फ़िर क्या उम्र रुकी रहती है किसी , एक की पढाई खतम होने और उसके सैट होने तक क्या दूसरे को रोक कर रखता , उसने कहा मेरे दोस्तों ने मैनेजमेंट की पढाई में नाम लिखाया है , मैं भी वही कर लेता हूं । कहता तो है कि पास होते ही नौकरी तो लग ही जाएगी , मगर जी घबराता है । "


"वो तो खुदा का शुक्र है कि संगीता ने बी.एड कर ली और टाईम से उसकी नौकरी भी लग गई । पहले दो साल तो वो प्राइवेट में ही पढा रही थी और कुछ न कुछ घर ले ही आती थी , जबसे उसकी सरकारी नौकरी लग गई है तबसे थोडी सांस में सांस है भाई । वर्ना इन रेहडी , खोमचे से घर कितनी देर चलेगा । साल छ : महीने में उसके हाथ पीले कर दूंगा अपने घर चली जाएगी फ़िर मुझे चिंता नहीं । ये ससुरे करते रहें जो करना है , मैं तो साफ़ कह दूंगा कि नौकरी मिलती है तो करो , नहीं तो लगाओ , केले , सेब , अमरूद या अंडे की रेहडी " ।


मगनलाल जी केलों को मेरे थैले में डालते हैं और मैं उन्हें उठा कर मुड जाता हूं ....................

शनिवार, 2 नवंबर 2013

राजा बेइमान है , अथ मगन लाल जी उवाच


ये मगन लाल जी नहीं हैं , चित्र गूगल के खोज परिणाम से और मूल फ़ोटोग्राफ़र से आभार सहित


हमारे मुहल्ले के करीब वाली सडक पर ही मगनलाल जी अक्सर खडे होते हैं , अपनी केले की रेहडी के साथ । वे हमेशा केले नहीं बेचते हैं , मौसम के अनुसार फ़ल रखते हैं बेचने के लिए । कभी चीकू , कभी सिंहाडे , अमरूद लेकिन ज्यादा साथ केला ही देता है । बकौल मगन लाल जी , गरीब अमीर सबका फ़ल है बाबूजी , दो से लेकर दर्ज़न तक ,बडी ही सहूलियत से खरीदा जाता है और कुदरत ने इस तरह से बनाया है इसको कि बेचने में भी उतनी ही सहूलियत । 


लेकिन मगन लाल जी सिर्फ़ केलों पर ही नहीं कहते । मैं शाम की कसरत के बाद अक्सर जा पहुंचता हूं उनकी रेहडी के पास , मेरे साथ ही दोनों बच्चों को भी बेहद पसंद है केला । और इसी कारण एक जान पहचान सी हो गई है उनसे और उनसे ज्यादा उनकी बातों से ।


" उस सामने खडे कांस्टेबल को देख रहे हैं बाबूजी , राजस्थान का है रहने वाला , ये और इसका एक और साथी दशहरे के बंदोबस्त के पहले से लगे हुए हैं यहां , और उस दिन से आज तक शायद ही कोई दिन बीता हो जब इसने आसपास खडी सभी रेहडियों से , किसी से अंडा , आमलेट , किसी से भल्ले पापडी , किसी से सेब तो किसी से और कुछ , रोज़ाना दो तीन सा सामान न खाया हो और मजाल है जो आज तक किसी से ये भी पूछा हो कि कितना हुआ " " इतना ही नहीं आसपास से गुजरने वाले अपने साथियों को भी बुला लेता है , खिलाने पिलाने के लिए , इनका तो इतना बुरा होना चाहिए न साहब कि क्या कहूं "

" क्यों सिर्फ़ गोरमेंट को ही गालियां पडें , जब हम सब आपस में ही एक दूसरे को लूट रहे हैं साहब , इस पुलिस वाले को क्या ये नहीं पता कि हम गरीब लोग कैसे जी रहे हैं , वो भी इस शहर में "

मैं अवाक सुन रहा था , " हां मगन लाल जी ये एक हकीकत है आज अपने समाज की , लेकिन अब बदल तो रहा ही है धीरे धीरे सबकुछ "

"अरे कुछ नहीं बदल रहा है साब । पचास रुपए की जेब काटने वाले को भी वही जेल की सज़ा और अरबों खरबों रुपए दबा लेने वाले को भी , आज तक किसी घपले घोटाले वाले के पैसे पकडे हैं सरकार ने कोर्ट ने , वो हम गरीबों का ही तो पैसा है साब , और जब राजा ही बेइमान है तो प्रजा से क्या उम्मीद की जा सकती है । एक पते की बात बताऊं साब अगर बडे लोग बेइमान न हों तो मजाल है छोटों की इतना कर सकें । ये कौन सा न्याय हुआ साब कि अरबों खरबों लूट के अपनी सात पुश्तों के लिए रख जाओ और पकडे जाने पर जेल की सज़ा ले लो , वो भी आधा अस्पताल में और आधा कोर्ट में " " इनका तो सारा रुपया पैसा लेकर सरकारी खजाने में रख देना चाहिए , ताकि उसे देश के काम में लगाया जाए " ।


 रेहडी के साथ खडे मगन लाल जी कहते जाते हैं , धारा प्रवाह ..और मेरे कानों में सायं सायं होने लगती है .."हां अगर बडों को ये एहसास हो जाए तो ही स्थिति बदल सकती है .............................सोचते हुए
मैं हाथ में पकडे हुए केलों को स्कूटर की डिक्की में रखता हूं , और किक मार देता हूं ।



अगले दिन मगनलाल जी ने मुझे समझाया कि किस तरह से एमबीए और बीटेक पर भारी पड गई बी.एड ....आप चक्कर लगाते रहिएगा