tag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post167241161603298934..comments2023-12-10T13:50:00.089+05:30Comments on झा जी कहिन: तो आखिर क्या हो पैमाना चिट्ठा चर्चा के लिए ???अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-42219167789937677402010-01-18T12:31:30.479+05:302010-01-18T12:31:30.479+05:30मैं तो एक बात ही जानता हूँ, जो काम करता है, उसी की...मैं तो एक बात ही जानता हूँ, जो काम करता है, उसी की आलोचना होती है।<br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">खाने पीने में रूचि है, तो फिर यहाँ क्लिकयाइए न।</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">भातीय सेना में भी है दम, देखिए कितना सही कहते हैं हम।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-8938650020175179502010-01-17T21:35:58.361+05:302010-01-17T21:35:58.361+05:30आप नि:शुल्क और नि:स्वार्थ भाव से चिट्ठा चर्चा करते...आप नि:शुल्क और नि:स्वार्थ भाव से चिट्ठा चर्चा करते हैं । किसी की तरफदारी करके आप को क्या फायदा होगा , अगर किसी को आपत्ति है तो वो अपनी चिट्ठा चर्चा करने को स्वतंत्र है । आप अपना समय लगा कर विभिन्न चिट्ठों को पढ़ते हैं और चर्चा करते हैं , मैं तो आभार व्यक्त करता हूं सभी चिट्ठाकारों का जो चिट्ठा चर्चा करते हैं ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-4196454859531807962010-01-17T17:04:56.845+05:302010-01-17T17:04:56.845+05:30चर्चा का सिर्फ एक पैमाना हो
जो कहा जाए सबने माना ह...चर्चा का सिर्फ एक पैमाना हो<br />जो कहा जाए सबने माना हो<br />जो माना जाएगा वही पहचाना जाएगा<br />ब्लॉगर चर्चा करके सिर्फ गाना गाएगा।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-10798746103765595152010-01-17T14:24:56.772+05:302010-01-17T14:24:56.772+05:30अजय जी, जहाँ चार बर्तन होते हैं वहाँ आवाज तो हो ही...अजय जी, जहाँ चार बर्तन होते हैं वहाँ आवाज तो हो ही जाती है। हम सभी मिलकर एक परिवार हैं और परिवार में कभी कभी गलतफ़हमियाँ हो ही जाती हैं किन्तु उनके दूर हो जाने पर फिर कुछ अच्छा हो जाता है। आपसे आग्रह है कि आप अपनी चर्चा जारी रखें। मिथिलेश जी भी आपके अनुज ही हैं और अपनी टिप्पणी में उन्होंने भी आपसे चर्चा जारी रखने का अनुग्रह किया है।<br /><br />एक बात हम सभी को याद रखना आवश्यक है कि कभी भी एक साथ सभी को खुश नहीं किया जा सकता, इसलिये किसी बात पर असंतोष करना व्यर्थ है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-88314957257739551252010-01-17T11:57:21.982+05:302010-01-17T11:57:21.982+05:30जहां तक मैंने आपकी चर्चा मे पाया है कि यहां ना तो ...जहां तक मैंने आपकी चर्चा मे पाया है कि यहां ना तो कभी किसी का मखोल उडाया गया और ना ही कभी किसी की बेइज्जती करने की कोशीश की गई.<br /><br />आपकी चर्चा क्युं कि एक बिल्कुल ही अलग और मौलिक स्वरुप मे थी. अत: वो जल्द ही लोगों के बीच अपनी पहचान बना बैठी.<br /><br />झा जी, आपको जो रुचिकर लगता हो वही किजिये पर एक बात का खयाल रखिये कि जैसे तपस्वियों की तपस्या भंग करने के लिये इंद्र अप्सराएं भेजता था उसी तरह यहां भी कुछ विघ्न संतोषी तत्व हैं जो फ़ूफ़े बनकर उत्पात करते हैं.<br /><br />आप इस पर ना जाये और आपमे एक जो नैसर्गिक प्रतिभा मौजूद है उसको पनपने दें.<br /><br />शेष जैसी आपकी इच्छा सर्वोपरी रहनी चाहिये!<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-52655674707437252882010-01-17T11:03:52.955+05:302010-01-17T11:03:52.955+05:30अपना तो भई एक ही फंडा है
"कुछ बी दिल पे नईं ल...अपना तो भई एक ही फंडा है<br />"कुछ बी दिल पे नईं लेने का, बाॅस्स"Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-3056939801001888782010-01-17T08:40:44.365+05:302010-01-17T08:40:44.365+05:30इन्द्रपुरी में जश्न हो रहा है ......और हम दूर से ...इन्द्रपुरी में जश्न हो रहा है ......और हम दूर से देख रहे हैं ....<br />अगर छोड़ना ही है तो हम चर्चा करे ही क्यूं ?<br />मिथिलेश भाई क्या पहले ही यह अनुमान नहीं था की यह बहुत जिम्मेदारी का और<br />कठिन काम है -इसी जुडी बहुत सी बाते भी हैं ...<br />निन्दन्ति नीति निपुण यदि व स्तवन्तु<br />अद्येव मरणमस्तु युगान्तरे वा ....<br />लक्ष्मी समाविशतु गच्छत व यथेष्टं<br />न्यायत पथम प्रविचलन्ति पदम् न धीरा<br />(आज का होमवर्क है आपका अर्थ अगर पहले से न जानते हों तो आस पास से अता पता करके काम पर लौटिये }Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-43659060987361666622010-01-17T04:55:00.170+05:302010-01-17T04:55:00.170+05:30Ajay bhaia ab main nipat kya aapko samjhaaun... ya...Ajay bhaia ab main nipat kya aapko samjhaaun... yahi kahoonga ki-<br />'karmandeywadhikariste mafaleshu kadachanam'<br />ya kuchh to log kahenge.... kogon ka kaam hai kahna<br />Jai Hind...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-16097295445535616212010-01-17T04:05:22.906+05:302010-01-17T04:05:22.906+05:30पहले आप नीचे तो उतरिये,
बसँती आपकी थी और आपही की र...<i><br />पहले आप नीचे तो उतरिये,<br />बसँती आपकी थी और आपही की रहेगी ।<br />आप ऊपर चढ़े हैं, तो अकेला वीरू क्या कर लेगा ?<br />ब्लॉगगढ़ वालों को अमज़द से कौन बचायेगा, जो बीच नींद में भी जम्हाई लेते हुये पूछता है," कितने ब्लॉगर हैं रे ?"<br />इस प्रकरण को इन्टरवल समझ कर हम मूँगफली खा कर निकाल लेंगे । आप नीचे उतरो, अभी पूरी फ़िल्म मय क्लाईमेक्स बाकी है !<br /></i>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-90879875594480064012010-01-17T01:18:50.670+05:302010-01-17T01:18:50.670+05:30राजीव तनेजा जी ने अच्छा सुझाव दिया है
वैसे एक जिज...राजीव तनेजा जी ने अच्छा सुझाव दिया है <br />वैसे एक जिज्ञासा है , क्या ऐसी ब्लॉग चर्चा अन्य भाषाओं में भी होती हैडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-34545346556040064222010-01-17T01:08:05.453+05:302010-01-17T01:08:05.453+05:30अजय भाई यह चिट्ठा चर्चा आप अपनी मर्जी से करते है, ...अजय भाई यह चिट्ठा चर्चा आप अपनी मर्जी से करते है, जेसे हम अपना लेख अपनी मर्जी से करते है फ़िर यह सब क्यो ??मस्त रहे ओर आंईदा भी मस्ती से लिखेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-9554626173662510462010-01-17T00:28:35.969+05:302010-01-17T00:28:35.969+05:30पैमाना चर्चाकार का अपना होना चाहिए। सबकी पसंद एक स...पैमाना चर्चाकार का अपना होना चाहिए। सबकी पसंद एक सी नहीं हो सकती। और यदि सबके पसंद का ही लिखा तो चर्चा क्या हुआ? आप लिखें और ज़रूर लिखें।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-18657609909069037982010-01-17T00:17:33.088+05:302010-01-17T00:17:33.088+05:30यदि आप समझते हैं कि आप ने जो चर्चा की है वह सम्यक ...यदि आप समझते हैं कि आप ने जो चर्चा की है वह सम्यक है। तो लोगों को कहने दीजिए। आप तो चर्चा कीजिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-73975270954909622732010-01-17T00:11:57.194+05:302010-01-17T00:11:57.194+05:30अभी तो नहीं उठी किन्तु ऐसे कार्यों में कभी यदा कदा...अभी तो नहीं उठी किन्तु ऐसे कार्यों में कभी यदा कदा हल्की फुल्की शिकायतें सीधे भी उठ सकती हैं. कोई शायद नियत पर प्रश्न नहीं उठाना चाहता पर उसका उद्देश्य अपनी तरफ ध्यान दिलाना होता है. <br /><br />पैमाना तो चर्चाकार को ही तय करना होता हैऔर नित एक ही पैमाने पर चले, यह भी जरुरी नहीं. बदलाव अच्छा लगता है.<br /><br />देखना बस यह है कि चर्चाकार निष्पक्ष रहे. <br /><br />ऐसे मंच से, जो सब ध्यान से पढ़ते हैं-किसी की बेईज्जती न करे, किसी का बेवजह मजाक न उठाये और विवाद मचवाने का उद्देश्य न हो. बस!!! <br /><br />शालीनता से चर्चा की जाये. कभी बिना उद्देश्य किसी का दिल दुख जाये तो गल्ती मान ली जाये-फिर किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? सभी समझदार है, बात समझते हैं और सीमाएँ भी-किन्तु साथ ही, अगर मंच का इस्तेमाल व्यक्तिगत हितों और स्वार्थवश किसी को नीचा दिखाने या नजर अंदाज करने के लिए किया जा रहा है, तो वो भी तो लोग समझ ही जाते हैं.<br /><br />खैर, आज तक आपकी चर्चा देखते रहे. आदत सी बन गई. अब नहीं दिखेगी तो थोड़ी तकलीफ होना भी स्वभाविक है.<br /><br />आपने निर्णय लिया है. सोच समझ कर लिया होगा. फैसला निश्चित ही आपका है. हम पहले भी आपके साथ थे, आज भी हैं. शुभकामनाएँ तो साथ हैं ही.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-15591950694422063972010-01-17T00:10:16.259+05:302010-01-17T00:10:16.259+05:30हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है.हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है.विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-45197389499292911602010-01-17T00:08:41.431+05:302010-01-17T00:08:41.431+05:30अरे अजय भाई, बात किसी और संदर्भ में की गई थी और बा...अरे अजय भाई, बात किसी और संदर्भ में की गई थी और बात किसी ओर ही संदर्भ में ली जा रही है या समझी जा रही है। <br /><br />खैर,<br /><br />अब मैं कुछ नहीं बोलूँगा...<br />क्योंकि<br />हम बोलेगा तो बोलेगे कि बोलता है..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-12833784144369136632010-01-17T00:06:30.271+05:302010-01-17T00:06:30.271+05:30अजय भाई,
आप क्यों इतना दिल पर लगाए हैं...आप से बड़...अजय भाई,<br />आप क्यों इतना दिल पर लगाए हैं...आप से बड़ा दिल वाला मुझे तो इस ब्लॉगवुड में और कोई नज़र नहीं आया..आप जो काम करते है साफ़ दिल से करते हैं, डंके की चोट पर करते हैं...ये इसलिए कह रहा हूं कि मैं आपसे दो बार रू-ब-रू होकर घंटों बात कर चुका हूं...इसलिए जो आपसे बिना मिले ही आपके बारे में कुछ लिख रहे हैं, उनके बारे में क्या कहा जा सकता है...आप भी जानते हैं, ललित भाई भी जानते हैं, मैं भी जानता हूं कि हमारे बीच आपस में निर्मल हास्य की तरह चुटकियों का आदान-प्रदान होता रहता है...इस सेंस ऑफ ह्यूमर को कोई नहीं पकड़ सकता तो ये उसकी नादानी है...मैंने आज आपसे फोन पर भी संपर्क करने की कोशिश की लेकिन स्विच ऑफ आ रहा था...बस शेर की तरह ऐसे ही दहाड़ते रहिए कि आप की भलमनसाहत को कमज़ोरी समझने वाले फिर ये पूछने की ज़ुर्रत न करें....हम झा जी से चर्चा की क्लोरोमिंट क्यों खाते हैं...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-213070865800125102010-01-17T00:01:50.527+05:302010-01-17T00:01:50.527+05:30अजय जी...आपका यूँ अचानक चिट्ठाचर्चा से मुँह मोड ले...अजय जी...आपका यूँ अचानक चिट्ठाचर्चा से मुँह मोड लेना दुखद है लेकिन मैं आपके मन की व्यथा भी समझ रहा हूँ...इसलिए आपके निर्णय को सम्मान देते हुए मैं बस इतना ही कहूँगा कि हमें आपकी वापसी...एक ज़ोरदार वापसी का इंतज़ार रहेगा ...वैसे एक सुझाव भी है मेरे पास कि क्यों न 'जुगलबंदी' या किसी अन्य उचित नाम से एक सांझा ब्लॉग शुरू किया जाए...जिसमें सभी ब्लॉगर साझेदार हों...जिसको जो पोस्ट अच्छी लगे...वो उसका लिंक उसमें खुद जोड़ सके.. यहाँ ये उसके विवेक पर निर्भर करेगा कि वो खुद अपनी पोस्ट को उसमें ना जोड़ेराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-42377389616752039942010-01-17T00:00:26.348+05:302010-01-17T00:00:26.348+05:30मैं तो यही कहूंगी कि चिट्ठा चर्चा करना बहुत कठिन क...मैं तो यही कहूंगी कि चिट्ठा चर्चा करना बहुत कठिन काम है .. पर उतना कठिन भी नहीं .. जितना एक ज्योतिष का ब्लॉग चलाना .. मुझे मालूम है .. आप जल्द ही चिट्ठा चर्चा अवश्य शुरू करेंगे !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-24961165063791002862010-01-16T23:52:55.968+05:302010-01-16T23:52:55.968+05:30अजय भईया''''''''&#...अजय भईया''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''<br /><br />मेरा ये तनीक भी ना कहना था कि आप कमजोत ब्लोगर हैं ये उसकी श्रेणी में आते है, मेरा उससे तात्पर्य बस ये था कि आप संवेदनशील व्यक्ति है , शायद आपने मेरा पूरा लेख पढा नहीं , अगर आप पढंगे तो पायेंगे कि मैंने कमजोर क्यों और कैसे कहा । फिर भी मैं आपसे उम्मीद करता हूँ कि आप जल्द से जल्द ब्लोगिंग चर्चा करेंगे , और आप खुद निर्णय करेंगे कि आप किसे ज्यादा महत्व देते है, वे जो आपसे बहुत प्यार करते हैं या वे जो आपकी खिलाफत करते है । और आप ध्यान रखियेगा कि आप के साथ-साथ और बहुत से चोट्ठा चर्चा करने वाले दांव पर लगे है।।।<br /><br />और क्या होगा पैमाना, मुझे नहीं लगता कि आप लोगो से बेहतर कोई जानता हो इसके बारे में ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3955011151035556321.post-82138519822968935502010-01-16T23:46:13.726+05:302010-01-16T23:46:13.726+05:30पहली बात तो मैं आप के साथ साथ सभी लोगों का धन्यवाद...पहली बात तो मैं आप के साथ साथ सभी लोगों का धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होने चिट्ठा चर्चा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई..अब रही बात चर्चा की तो निसंदेह यह किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर ना होकर पूरे ब्लॉगर्स के हित में हो..महत्वपूर्ण पोस्ट के साथ साथ नये रचनाकारों का उत्साह वर्धन भी करना एक सराहनीय कार्य है ताकि रचनाकारों एवं ब्लॉगर्स का सही मार्गदर्शन हो और उन्हे एक शक्ति भी मिले अपनी बात को सभी तक पहुँचाने में..अजय जी आप की चर्चा निश्चित रूप से इन सब बातों पर फोकस करेगी और अभी तक जैसा मैं पढ़ते आता हूँ ऐसा पाया भी है...बढ़िया प्रसंग उठाया आपने..आप के इस बात से हम सब सहमत है..धन्यवाद अजय जी!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com