रविवार, 31 मई 2009

यूँ ना बुझेगा धुंआ ....










तम्बाकू निषेध दिवस पर हरेक वर्ष की तरह कुछ नया पुराना तो होगा ही. इस बार सरकार ने नए कानून के अनुसार सभी तम्बाकू पदार्थों के ऊपर खतरे के निशाँ युक्त चिन्ह को अनिवार्य कर दिया है. तो क्या इससे सचमुच इससे कुछ फर्क पड़ जायेगा... वैधानिक चेतावनी , कि तम्बाकू का सेवन आपके स्वास्थय के लिए हानिकारक है , तो न जाने कब से छापा दिख रहा है. अभी पिछले वर्षों में सरकार ने सभी सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था, तो क्या उससे कोई बड़ा परिवर्तन आया....नहीं कदापि नहीं....

दरअसल सरकार अपनी मजबूरी , जो कि इन दिवसों पर उसे निभानी पड़ती है, के अनुरूप हर साल कुछ औपचारिक रूप से करती ही है और फिर उसे हर दुसरे प्रयासों की तरह भूल जाती है. न ही समस्या के प्रति गंभीर है न ही संजीदा. आगे बढ़ने से पहले कुछ बातें कहना चाहूँगा जो शायद यहाँ समीचीन हों. कुछ वर्षों पहले जापान में ऐसे ही धूम्रपान निषेध को लागू किया गया. आप शायद यकीन न करें, मगर सच यही है कि सिर्फ पचास दिनों के भीतर , धुम्रपान करने वाले कुल लोगों में से लगभग चौसंठ प्रतिशत लोगों पर सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने के लिए जुरमाना लगा दिया गया. आज वहाँ ऐसी व्यवस्था है कि जगह जगह पर एक मोबाईल वें घूमती है, या उपलब्ध रहती है. जिनमें बैठ कर ही लोग धूम्रपान कर सकते हैं...चलिए एक और जगह की बात करते हैं. भूटान विश्व का वो पहला देश था जहां पर राष्ट्रीय स्तर पर धुम्रपान निषेध लागू कर दिया गया. मगर वहाँ अपने देश की तरह रातों रात कुछ नहीं किया गया . पहले दों वर्षों तक धुम्रपान से सम्बंधित सभी पहलुओं पर विचार किया गया , उन उद्योगों में लगे लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार की व्यस्था की गए तब जाकर इसे लागू किया गया...इस तरह सफल होते हैं ये निषेध.....

चलते चलते एक बात और, मेरा एक मित्र जो खुद भी धूम्रपान करता था, ने मुझे बताया कि एक निर्दोष नामक सिगरेट आती है.. जो न सिर्फ कम हानिकारक है , बल्कि यदि उसका ही सेवन किया जाए तो धुम्रपान की आदत धीरे धीरे छोट जाती है.............वैसे मेरे ख्याल से तो आज के दिन जम कर उन लोगों पर जुरमाना lagayaa जाए जो धुम्रपान करते हैं ...ताकि उन्हें कुछ तो दंड मिले....

1 टिप्पणी:

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..