शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

दो लाईनों का खेल है, चर्चा है या रेल है.(चिट्ठी चर्चा )



मुझ से किसी ने पूछा ....कि आपको हमेशा ही ब्लोग्स पढ के सिर्फ़ दो ही लाईनें ही क्यों सूझती हैं....आगे पीछे ..
कुछ नहीं....मैनें छूटते ही कहा....भैया अपनी काबिलियत सिर्फ़ दो लाईन तक ही है...दो लाईन को जोड जोड के चाहे जितनी लंबी ट्रेन बनवा लो....हम बना देंगे.....तो लिजीये...चढ जाईये आप भी इस रेल पर ......


हिंदी ब्लोग्गिंग की दुनिया नित हो रही आबाद,



शुकल जी के बाद इन्होंने भी कर दिया कमाल..



फ़ौरन जा कर देख ले जिसने अब तक नही है देखा..



आज नहीं चलेगा जी ये सब, आज मनेगा जश्न..



सबकी रोज़ सुनते हैं न , आज हमारी भी सुनते जाइये,



आप खुद ही झांकिये, उसने किसको डराया..



राज भाई का ये लेख , बता जाता है..



हिंदी में लिखना है, चिंता क्यों करते हो यार,



सार्थक है मुद्दा, भाग लिजीये आप भी, दे कर अपनी टीप



विनोद जी कहते हैं, अजी जो होते, तो मर जाते


अल्पना जी की पोस्ट ये, है बहुत ही खास


देखिये किन किन अंको को सता रहा है रोग


रावण और लाउडस्पीकर, क्या है ये माजरा,



आप खुद ही देखिये कमाल इस कलम का...



आपको पता चला कि नहीं, पप्पू हो गया पास...



जो भी जैसा भी हो , चेली को जरूर बताना..



साथ में, बजते हैं गाने, गुनगुना लिजीये..



अदा की हर अदा निराली, कभी पानी, कभी आग.


आईये अब कुछ नये लोगों से आपको मिलवाते हैं,
कौन कौन आया इस कुनबे में, चलिये देख के आते हैं.........



बहुत चख ली तीखी अब इस मीठी मिर्ची का बताईये स्वाद,
अरे इतनी जल्दी नहीं है, बताना , पोस्ट पढने के बाद..


देखते हैं अभी इसमें, कैसे खुलते हैं राज़



अच्छा जी अब आज के लिये राम राम....

24 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया रेल दौड़ाये जी..छुक छुक...नहीं बोले. :)

    मस्त चर्चा.

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  2. बहुत सुंदर चर्चा की .. मेरे पोस्‍टों को नियमित रूप से शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद !!

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  3. ye apne achha kiya...kaam ki sari post yahi pe dekh li...time bacha diya apne...

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  4. Shukriya Ajay ji,'simple & compact chittha charcha aur blogs ke link ke liye.

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  5. दो लाईन को जोड जोड के चाहे जितनी लंबी ट्रेन बनवा लो....
    हम बना देंगे...

    हमें तो यही दो लाईनें भाईं :-)

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  6. अरे आप की रेल तो बहुत सुंदर है भाई, किराया भी नही लगता ओर दिल भी खुब बहलता है , ओर कई स्टेशनो पर रुक रुक कर चलती है, समचार सुनाती है
    धन्यवाद आज के सफ़र का

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  7. अरे आप की रेल तो बहुत सुंदर है भाई, किराया भी नही लगता ओर दिल भी खुब बहलता है , ओर कई स्टेशनो पर रुक रुक कर चलती है, समचार सुनाती है
    धन्यवाद आज के सफ़र का

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  8. आप की रेल का सफर मजेदार है और इस के सवारों का तो क्या कहना!

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  9. ऐसी ही करते रहे दो लाइना
    तो क्या हो सुकुलजी की एक लाइना???:)

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  10. वाह ये तो चली रेलमपेल...ये थी दो लाइन की रेल। बहुत खूब।

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  11. बेहतर चिट्ठा चर्चा । आभार ।

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  12. झा जी का ये देखो कमाल,
    हम ब्लॉगर्स को कर रखा निहाल

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  13. झा जी दो लाइनों में ही है बड़ा दम
    फेल हो जाते-जाते हैं बड़े-बड़े बम

    नया लेआउट ज्यादा सुंदर है, बधाई

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  14. वाह बहुत लाजवाब रेल है आपकी. ईश्वर करे ये राजधानी एक्सप्रेस की तरह दौडे.

    रामराम.

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  15. ये लेल गाड़ी तो सवारी वाली है - मालगाड़ी के डब्बे नहीं इसमें?! :)

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  16. आप ने एकदम दुरुस्त फ़रमाया है,आप ने रचना के साथ-साथ महत्वपूर्ण ,मजेदार रेल गाङी चलाई....अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...

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  17. ज़रा यहाँ भी निगाह डाले :- "बुरा भला" ने जागरण की ख़बर में अपनी जगह बनाई है |

    http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_5767315.html

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..