प्रभाष जी का चले जाना...बहुत ही दुखदायी रहा ..मुझे खुशी है कि बेशक हमारे समाचार जगत ने ..अपेक्षित नहीं दिया ( हालांकि अब तो उनसे अपेक्षा भी नहीं रहती अब ) . मगर हमारे ब्लोग जगत ने कलम के सिपाही को सच्चे मन से याद किया और श्रद्धांजलि दी । ...आज की चर्चा आपके हवाले ..
आज इस चर्चा की होगी इस पोस्ट से पहल,
अशोक जी कर रहे हैं यहां सत्य की खोज,
इंटरनेट पर आप भी खोजिये अपनी मुमताज॥
आप कर क्या लेंगे पूछ रही मनीषा आज सवाल,
लालू जी की भैंस ने कर दिया दूध देना बंद,
अदा ने दिखलाई जाने कितनी ,कैसी अदा ,
रुमाल की गुलाबी गांठ और पप्पू की याद,
फ़्री है जी बिल्कुल वकील साहब नहीं ले रहे फ़ीस॥
पंडित सुरेश कह रहे प्रयोग कर के दिखा दिया,
आज पहेली बूझ के तबियत हो गई टाईट॥
मिश्रा जी ने राव जी का चेहरा पहली बार दिखाया ॥
इस चर्चा में सारी रितुएं , शिशिर और बसंत,
कौन कहता है जी लौटता नहीं गुजरा हुआ जमाना ,
राज भाई ने एक पंक्ति में पूछा एक सवाल ,
अजी ऐसे खडे रहे तो आप हो जाएंगे लेट ॥
जब ज्ञान जी विविधता लाएं तो पोस्ट बने अनुपम,
विपत्ति जब आती है , कायर का दिल दहलाती है,
प्रभाष जी को हिंदी ब्लोग जगत ने दी जो श्रद्धांजलि,
पूछे है मन की पाखी, कौन जगाएगा अलख ,
अपने चिर परिचित अंदाज में फ़िर बोले श्री गोदियाल,
कितना कुछ होना बचा रह जाता है ,एक बेदखल,
आज की चिट्ठा चर्चा में इसी का हुआ जतन ॥
तो आज के लिये इतना ही ....
"फ़्री है जी बिल्कुल वकील साहब नहीं ले रहे फ़ीस" ..इस चक्कर में न रहियो बबुआ...फ़ीस का बिल तो पीछू आता है :) चर्चा का अच्छा जतन किया॥
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा की है आपने .. कई अच्छे लिंक्स मिले .. धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंAshok ji ki post ki taraf dhyan dilane ke liye bahut bahut shukriya Ajai bhai ji....
जवाब देंहटाएंsundar charcha...
Jai Hind...
मस्त चर्चा।
जवाब देंहटाएंअब ब्लाग डायरेक्ट्री बन ही रही है, शायद बिल सही जगह पहुँचने लगें। इधर अदालतें तो खराब एटीएम मशीन हो गई हैं मुकदमा अंदर डालो तो फैसला निकलता ही नहीं। मुकदमा अंदर फँस जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा किये है भाई आ तो, मुजे तो भेंस की फ़िक्र हो रही है जब लालू सारा चारा चर गये तो भुखी भेंस का दुध देवे
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और मस्त चर्चा रही.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंसुन्दर संक्षिप्ति !
जवाब देंहटाएं@ अदालतें तो खराब एटीएम मशीन हो गई हैं मुकदमा अंदर डालो तो फैसला निकलता ही नहीं। मुकदमा अंदर फँस जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! ये मशीनें सबकुछ ठीक रखने के लिए बनीं। यही खराब हो गईं! संकट है।
इन लाइनों से एक व्यंग्य लिखने का सामान बनता है। दिनेश जी लिखिए न। झा जी से सोर्स लगा कर नम्बर एक पर रखवा देंगे ;)
दो लायना भी है कमाल ...मिला बहुत से चिट्ठों का हाल...!!
जवाब देंहटाएंझा जी का उत्साहवर्धन टॉनिक लीजिए
जवाब देंहटाएंकाम (अपनी-अपनी पोस्ट) पर चलिए...
जय हिंद...
दू लाइन में चर्चा कमाल कर दिया
जवाब देंहटाएंबैठे-बिठाये आपने बवाल कर दिया...
जय होवे तोर झा जी-बने कहिन,सुंदर चर्चा दु-दु लैन के -बधाई-रात के हम नही देख पाए सुत गये थे अभी देखे।
जवाब देंहटाएंझा जी चर्चा करने में रहते हैं व्यस्त
जवाब देंहटाएंउनकी चर्चा पढ़कर सब हो जाते हैं मस्त
एक लाइना की चर्चा बहुत बढ़िया रही!
जवाब देंहटाएंकृपा तो है राम की पर सिंह न बन सका रामकृपाल सिंह।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह मज़ेदार
जवाब देंहटाएंबी एस पाबला
Bahut sundar charchaa !
जवाब देंहटाएंबहुते बढिया रही चर्चा....
जवाब देंहटाएंबढ़िया है जी, लगे रहिये !
जवाब देंहटाएंहमने पढ़ने में कर दी है देर
जवाब देंहटाएंटिप्पणी देने में हो गई है देर
कविता रूप में चर्चा बढ़िया है
इस हेतु धन्यवाद के पात्र है..
बढिया है कम जगह मे ज़्यादा लोग ..।
जवाब देंहटाएंमजा आना था , मजा आ गया..
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंI agree with you, you are right. also read
जवाब देंहटाएंchidiya ki kahani