आज रविवार था सो आपको ब्लोग जगत की हलचलों से रूबरू करना जरूरी था , इसलिए हम हाज़िर हो गए हैं लेकर कुछ पोस्टों की झलकियां । वैसे तो इन दिनों सिर्फ़ सानिया की ही धूम है , मगर बहुत लोग इसके अलावा भी पढ लिख रहे हैं जी ,,,,देखिए आज कौन क्या कह रहा है अपने ब्लोग पोस्ट में
बीबीसी हिंदी रेडियो सेवा के संपादक श्री अमित बरूआ देखिए अपने ब्लोग में क्या कहते हैं
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भारत-चीनः उतार-चढ़ाव के साठ वर्ष
अमित बरुआ | गुरुवार, 01 अप्रैल 2010, 00:54
पहली अप्रैल भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ है. एक अप्रैल, 1950 को भारत चीन के साथ कूटनयिक रिश्ते क़ायम करने वाला दूसरा गैर-कम्युनिस्ट राष्ट्र बना.
हिंदी-चीनी भाई-भाई के उन्माद भरे दिनों के बाद, 1962 में हुई लड़ाई ने इन दोनों देशों के बीच के भाईचारे का अंत कर दिया.
अगस्त 1976 में दोनों देशों ने पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल किए और बेइजिंग और नई दिल्ली में राजदूतों की नियुक्ति की. यह दुनिया के लिए एक संकेत था कि दोनों देशों के संबंध धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रहे हैं.
जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी फ़रवरी, 1979 में बेइजिंग गए जबकि उनके समकक्ष हुआंग हुआ जून, 1981 में भारत आए.
भारत और चीन के जटिल और तनावपूर्ण संबंधों में एक मोड़ दिसंबर, 1988 में आया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन की यात्रा पर गए. सीमा विवाद पर बातचीत के लिए एक संयुक्त कार्यगुट की स्थापना हुई-यानी, दोनों देशों के बीच के मतभेद सुलझाने के लिए एक कार्यप्रणाली विकसित की गई.
नवभारत टाईम्स पत्र से जुडे सभी लोग नवभारत टाईम्स के ब्लोग मंच पर अपनी बात कहते है ..आज दिलबर गोठी कुछ कह रहे हैं आप खुद देखिए
दिल में है दिल्ली
राइट टु एडमिशन ही दे दो
दिलबर गोठी Sunday April 04, 2010देखने- सुनने में कितना भला लगता है कि 14 साल तक के बच्चों के लिए अब शिक्षा एक अधिकार की तरह होगी। यह सरकार की जिम्मेदारी होगी कि 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराए। हर बच्चे को स्कूल में एडमिशन मिले और ऐसे हालात न बनें कि उसे स्कूल छोड़ना पड़े।
इन दिनों राजधानी में एडमिशन के लिए जितनी आपाधापी मचती रही है और अब भी मच रही है, उसे देखते हुए राइट टु एजुकेशन ऐक्ट वास्तव में सुखद स्वप्न जैसा ही महसूस होता है। कम से कम दिल्ली में एजुकेशन नहीं बल्कि केवल राइट टु एडमिशन मिल जाए तो लोग सरकार के शुक्रगुजार होंगे।
रविवार, ४ अप्रैल २०१०
एक पागल का प्रलाप
मेरे दोस्त फ़रीद ख़ान ने दो नई कविताएं लिखी हैं, उर्दू में लिखते तो कहा जाता कि कही हैं, लेकिन हिन्दी में हैं इसलिए लिेखी ही हैं।
हिन्दी में कविता मुख्य विधा है फिर भी ऐसी कविताएं विरल हैं।
मुलाहिज़ा फ़र्माएं:
एक पागल का प्रलाप
कम्बल ओढ़ कर वह और भी पगला गया,
कहने लगा मेरा ईश्वर लंगड़ा है.... काना है, लूला है, गूंगा है।
'निराकार' बड़ा निराकार होता है, नीरस, बेरंग, बेस्वाद होता है।
कट्टर और निरंकुश होता है।
SATURDAY, 3 APRIL 2010
गर्म हवा
अभी-अभी फिर से अपनी सबसे पसंदीदा फ़िल्म देख कर उठा हूं। गर्म हवा। मास्टरपीस है। ऐसी फ़िल्म नहीं बनी कोई। न जाने कितनी बार देख चुका हूं। आज जब देख रहा था तो फिर से वही देखा कि कैसे सलीम मिर्ज़ा बने बलराज साहनी के बड़े भाई हलीम मिर्ज़ा हिंदु्स्तान के गुण गाते-गाते पाकिस्तान चले जाते हैं। और छोड़ जाते हैं सलीम मिर्ज़ा को हिंदुस्तान में ताने सुनने के लिए। म्वाफ़ कीजिएगा लेकिन पिछले दिनों जो एम एफ़ हुसैन और सानिया ने किया है, मैं उसे हलीम मिर्ज़ा के दर्जे का ही मानता हूं। नहीं, मुझे परेशानी सानिया की शादी से नहीं। वो उसका निजी मामला है। लेकिन इस मौक़े पर उसका अप्रैल 2005 का इंटरव्यू जब पाकिस्तान के जियो टीवी पर देखा तो बहुत अफ़सोस हुआ। इंटरव्यू में सानिया सलवार कमीज़ में थी। सवाल पूछा गया टेनिस कोर्ट पर स्कर्ट पहनने पर उठे बवाल पर।
घर और महानगर
Posted on अप्रैल 4, 2010 by aradhana
घर
(१.)
शाम ढलते ही
पंछी लौटते हैं अपने नीड़
लोग अपने घरों को,
बसों और ट्रेनों में बढ़ जाती है भीड़
पर वो क्या करें ?
जिनके घर
हर साल ही बसते-उजड़ते हैं,
यमुना की बाढ़ के साथ.
SUNDAY, APRIL 4, 2010
अपनी पोस्ट पर खुद टिप्पणी करते रहना कितना जायज़...खुशदीप
रवींद्र प्रभात जी की पोस्ट से पता चला कि परिकल्पना ब्लॉग उत्सव 2010, 15 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है...रवींद्र जी के मुताबिक उत्सव के दौरान सारगर्भित टिप्पणी करने वाले टिप्पणीकार को भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा...इसी से पता चल जाता है कि ब्लॉगिंग में सारगर्भित टिप्पणियों का कितना महत्व होता है...
मैं इस पोस्ट में ये नहीं लिखने जा रहा कि ब्लॉगिंग टिप्पणियों के लालच में नहीं की जानी चाहिए...मैं ये भी नहीं लिखने जा रहा कि गंभीर और अच्छे लेखों पर टिप्पणियों का अकाल पड़ा रहता है...मैं ये भी नहीं लिखने जा रहा कि टिप्पणी का स्वरूप कैसा होना चाहिए...क्या सिर्फ वाह-वाह कर ही अपने पाठक धर्म की इतिश्री कर लेनी चाहिए...ये सब वो सवाल हैं जिन पर अनगिनत पोस्ट लिखी जा चुकी हैं...
Sunday 4 April 2010
भिलाई के युवकों द्वारा निर्मित विश्व रिकॉर्ड की रजत जयंती: विशेष लेख-माला
वैसे तो हर क्षेत्र में भिलाई अपने उद्भव के समय से ही विश्व कीर्तिमान बनाते आया है। कईकीर्तिमान टूट गए, कई कीर्तिमान आज भी अपने स्थान पर अटल हैं। इन्हीं कीर्तिमानों में सेएक है भिलाई के दो युवकों द्वारा बनाया गया वह रोमांचकारी विश्व कीर्तिमान, जिसेइस अप्रैल माह में 25 वर्ष होने जा रहे हैं। सिल्वर जुबली मनाने जा रहा, भिलाई को गौरान्वितकरने वाला यह विश्व कीर्तिमान था 'मोटर साइकिल पर विश्व भ्रमण'।
Sunday, April 04, 2010
दो बजिया वैराग्य पार्ट टू
घर से कई किताबें लाया हूँ जिनमे अधिकतरफणीश्वरनाथ रेणु जी कि हैं.. उनकी कहानियों का एक संकलन आज ही पढ़ कर खत्म किया हूँ, 'अच्छे आदमी'.. पूरी किताब खत्म करने के बाद फुरसत में बैठा चेन्नई सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन पर अपने मित्र के ट्रेन के आने का इंतजार कर रहा था, तो उस किताब कि बाकी चीजों पर भी गौर करना शुरू किया.. उसके पहले पन्ने पर पापाजी कुछ लिख रखे थे, जिसमे उस किताब के ख़रीदे जाने के समय वह कहाँ पदस्थापित थे और वह उनके द्वारा ख़रीदे जाने वाली कौन से नंबर का उपन्यास है.. "चकबंदी, बाजपट्टी".. उस समय पापाजी वही पदस्थापित थे.. इससे मैंने अंदाजा लगाया कि यह किताब सन १९८२ से १९८६ के बीच कभी खरीदी गई होगी.. मगर किताब के ऊपरी भाग को देखने से कहीं से भी यह किताब उतनी पुरानी नहीं लगती है, हाँ अंदर झाँकने पर पृष्ठ कुछ भूरे रंग के हो चले हैं और पुरानी किताबों जैसी सौंधी सौंधी सी खुशबू भी आती है.. एक जिम्मेदारी का एहसास होता है कि जिस तरह उन्होंने इसे संभाल कर अभी तक इन किताबों को रखा है, मुझे भी ऐसा ही व्यवहार इन किताबों के साथ करना चाहिए..
Saturday, April 3, 2010
नफरत का नाश्ता
लगता है गलत चुना
पर चुनने को कुछ था नहीं
होता तो प्यार चुनता
नफरत क्यों चुनता
जो कोलतार की तरह
सदा चिपटी ही रह जाती है
कोई चांस नहीं था
जहां तक दिखा नफरत ही देखी
उसी का कुनबा उसी का गांव
उसी का देश और उसी की दुनिया
SUNDAY, 4 APRIL 2010
मेरी हर सोच मे तुम क्यों हो????
मेरी हर सोच मे तुम क्यों हो?
मेरी हर साँस मे तुम क्यों हो?
मेरा तुम्हारा तो कोई रिश्ता भी नही
फ़िर मेरे दिन और रात मे तुम ही क्यों हो?
मैंने तुम्हें चाहा तो क्या हुआ ..
मैंने तुम्हें पूजा तो क्या हुआ ..
मेरे हर लम्हात पर तुम्हारा हक़ क्यों है?
मैं चाहे हक़ न भी देना चाहू , तो ऐसा क्यों है?
परस्पर संवादात्मक ब्लॉगिंग
मेरे बारे मेंअनूप शुक्लका पुराना कथन है कि मैं मात्र विषय प्रवर्तन करता हूं, लोग टिप्पणी से उसकी कीमत बढ़ाते हैं। यह कीमत बढ़ाना का खेला मैने बज़ पर देखा। एक सज्जन ने कहा कि यह सामुहिक चैटिंग सा लग रहा है। परस्पर संवाद। पोस्ट नेपथ्य में चली जाती है, लोगों का योगदान विषय उभारता है। ब्लॉग पर यह उभारने वाला टूल चाहिये।
आजकल बजबजाने का काम जोरों शोरों पर है अभी हाल में उडन जी ने एक कुकुर को खोजने के लिए वहां इश्तहारे शोरे गागा चस्पा कर दिया ..हमारे सहित कुल साठ सत्तर लोग अब तक पिले पडे हैं उनका ई काम पर और बजबजाए जा रहे हैं ..देखिए कैसे ??
Sameer Lal - Buzz - सार्वजनिक
सुना है नेट के माध्यम से बहुत से बिछड़े मिल गये अपनो से. अतः एक महत्वपूर्ण सूचना:
यह कुत्ता जिस किसी का हो या यदि कोई इसके मालिक को जानता हो तो कृप्या इसे जाकर ले आये.
पिछले साल याने सन २००९ जनवरी में इसे जबलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म नं. ३ के बाहर देखा था तभी का फोटो है. अभी भी वहीं होगा. लगता है कहीं से भटक कर आ गया है वरना सुना है कुत्ते जल्दी इलाका नहीं बदलते.
11 लोगों ने इसे पसंद किया - डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक", सिद्धार्थ sidharth जोशी joshi, Manish Yadav और 8 अन्य
Ratan singh shekhawat - हा हा हा ......बज्ज को बढ़िया बजा रहे हो गुरुदेव !3 अप्रैल
Gyan Dutt Pandey - @ वरना सुना है कुत्ते जल्दी इलाका नहीं बदलते.
सही है। यह मनई ही है जो कहां कहां चला जाता है!3 अप्रैल
Swapna Shail - हा हा हा...
ab iho bata dijiye ki kaun gali ka hai..??3 अप्रैल
Sameer Lal - गली मालूम करने ही तो बज़्ज़ किये हैं जी!!3 अप्रैल
Kulwant Happy - हाँ देख था, श्रीमान समीर जी, इसके गुम होने के दो साल पहले, जब यह इंदौर रेलवे स्टेशन से लापता हुआ था।3 अप्रैल
Sameer Lal - मिल गये....जाओ, जबलपुर से ले आओ!! :) यही तो फायदा है बज़ का..सिद्ध हो गया!!3 अप्रैल
manju mahesh - Galt baat , Iss kutte ko mayavati ne apni putla sena me bharti kar liya hai .3 अप्रैल
Sunday, April 4, 2010
जनगणना मे यह जानकारी भी ली जानी चाहिये थी…
जैसा कि सभी जानते है कि देश में जनगणना का काम एकअप्रैल से शुरु हो चुका है। इस बार इस जनगणना मे भरे जानेवाले फ़ार्म मे एक आम नागरिक के जीवन से समबन्धित बहुतसी बातों की जानकारी लेने का प्रयासकिया जा रहा है। साथ हीमगर मेरा यह भी मानना था कि क्या ही अच्छा होता किसरकार यह भी इस जन गणना के माध्यम से जानने का प्रयासकरती कि दूसरों को बडे-बडे उपदेश देने वाले हमारे इन भ्रष्ठप्रजाति के प्राणि की मलीन बस्तियों से देश रक्षा का जज्बालेकर राजनीतिक नेतावों के कितने बच्चे पिछले दस सालों मेसेना मे गए?
देख तमासा बुकनू का (2)
पोस्टेड ओन: April,3 2010 जनरल डब्बा में
छह फरवरी, 1988 का प्रसंग है। दद्दा की बरात बिदा हो के आई। छाबड़ा टूरिस्ट बस सर्विस की खटारा घरघरा के रुकी, तीन बार पों-पों-पों। अगल-बगल के छज्जों-छतों पर दर्शनाभिलाषियों का जमावड़ा। घर में चारो तरफ चहल पहल। एक-एक करके बराती बस से उतरे। मध्य प्रदेशस्थ उदरीय अधैर्य के शिकार छिद्दू बस की खिड़की से फांदे और चौतरा फलांग कर आंगन से होते हुए नारा मुक्त पाजामे को थामे धच्च से पाकिस्तान में दाखिल (शौचालय, जिसे हम लोग यूं तो आमतौर पर टट्टी किंतु मजाक में पाकिस्तान कहते।) । सरहद-ए-सदा यानी गलियारे से गुजरते कई लोगों ने पाकिस्तान के भीतर से सस्ती आतिशबाजी वाले बरसाती राकेट के छोड़ते ही उभरने वाली तरह-तरह की आवाजें महसूस कीं, बीच-बीच में बादल भी गड़गड़ाये। आंदोलित उदर और व्यग्र किंतु आड़ोलित प्रस्थान बिंदु (शरीर के इस भूभाग के बारे में अंदाजा लगाएं) के चलते छिद्दू मग्घे (प्लास्टिक का मग) में पानी भरे बगैर निष्पादन प्रक्रिया में संलग्न हो गए थे। जब उन्होंने अंदर से मिमियाती आवाजों में पानी का आह्वान किया तो चच्चू बड़बड़ाये, मना कर रहै रहन लेकिन सार जौन पाएस धांसत गा, धांसत गा, का बालूसाही औ का सिन्नी, अब झ्यालैं सरऊ। मैदा की लुचुई की तरह लचकीय काया के साथ छिद्दू पाकिस्तान से हांफते हुए बाहर आए। चाची ने अपने लाड़ले के हाथ-पांव धोआए, ऊपर ले गईं और उन्हें गुनगुने पानी के साथ बुकनू फंकाई गई। मध्य प्रदेश की अनियंत्रित हो चुकी कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई बल (रैपिड एक्शन फोर्स) के रूप में बुकनू तो मौजूद ही थी।
रविवार, ४ अप्रैल २०१०
मोरनी के पैर - लवली कुमारी
बदसूरत सी मोरनी, सुन्दर सा मोर
मोरनी को रिझाने की कोशिश में
नाच नाच कर कलाबाजियाँ दिखाता है मोर
तब उसे उसकी बदरंग देह नही दिखती
न ही बदसूरत पैर दिखते हैं
जैविक उद्धेश्य सर्वोपरी होता है
जैसे प्यास लगाने पर नही होता फर्क
कुवें और गंदे नाले के जल में
खत्म होती है प्यास
तब उत्पन होती है घृणा उस जल से
Sunday, April 4, 2010
koi sheershak nahin........... भूतनाथ
पता नहीं अच्छाई का रास्ता इत्ता लंबा क्यूँ होता है...!!
पता नहीं अच्छाई को इतना इम्तहान क्यूँ देना पड़ता है !!
पता नहीं सच के रस्ते पर हम रोज क्यूँ हार जाया करते हैं !!
पता नहीं कि बेईमानी इतना इठला कर कैसे चला करती है !!
पता नहीं अच्छाई की पीठ हमेशा झूकी क्यूँ रहा करती है !!
उलटा कान पकड़ने वाले इस जमाने में माहिर क्यूँ हैं !!
बात-बात में ताकत की बात क्यूँ चला करती है !!
तरीके की बातों पर मुहं क्यूँ बिचकाए जाते हैं !!
सभी जमानों में ऐसा ही देखा गया है,
कौए को तो खाने को मोती मिला करता है,
और हंस की बात तो छोड़ ही दें ना....!!
शुक्रवार, २ अप्रैल २०१०
परिकल्पना ब्लॉग उत्सव का आगाज १५ अप्रैल से
जी हाँ, मातृभाषा हिंदी को मृत अथवा मात्र भाषा कहने वालों की बोलती बंद करने का समय आ गया है। हिंदी चिट्ठाकारिता के इतिहास में पहलीवार ब्लॉग पर उत्सव की परिकल्पना की गयी है । यह उत्सव १५ अप्रैल २०१० से शुरू किया जा रहा है, जो दो माह तक निर्वाध गति से परिकल्पना पर जारी रहेगा । इसका समापन हम विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देनेवाले चिट्ठाकारों के सारस्वत सम्मान से करेंगे । उत्सव के दौरान सारगर्भित टिपण्णी देने वाले श्रेष्ठ टिप्पणीकार को भी इस अवसर पर सम्मानित किये जाने की योजना है ।
कहा गया है कि उत्सव पारस्परिक प्रेम काप्रस्तुतिकरण है । इसीलिए हमारे इस सामूहिक उत्सव का मुख्या उद्देश्य है - " प्यार बाँटते चलो ...पञ्च लाईन है - अनेक ब्लॉग नेक हृदय .....आईए हिंदी को एक नया आयाम दिलाएं , हम सब मिलकर ब्लॉग उत्सव मनाएं ...... ।"
Saturday, April 3, 2010
कब्रिस्तान में फंक्शन ``
यह रचना किसने लिखी है मुझे नहीं पता. यह मुझे ईमेल से प्राप्त हुई है. मै इसे यथावत रख रहा हूँ. किसी को रचनाकार का नाम पता चले तो मुझे भी सूचित करने का कष्ट करें.
Saturday, April 3, 2010
सोचो तो असर होता
जीने की ललक जबतक साँसों का सफर होता
हर पल है आखिरी पल सोचो तो असर होता
इक आशियां बनाना कितना कठिन है यारो
जलतीं हैं बस्तियाँ फिर मजहब में जहर होता
बस जी आज एतने से काम चलाईये बांकी देखिए कब ठेलाता है …..
good links sir !
जवाब देंहटाएंभैया यह केवल चर्चा नही है यह महाचर्चा है..हर रचनाओं का इतना विस्तृत वर्णन किया आपने की आधा तो यही पढ़ लिया बाकी आधे के लिए रचनाकार के ब्लॉग पर जाना होता है.....सुंदर चयन...और सुंदर प्रस्तुति....बधाई
जवाब देंहटाएंक्या बात है जी आज तो बज चर्चा भी होने लगी है।
जवाब देंहटाएंwow acha collection kiya he aap ne
जवाब देंहटाएंaap ko thenx
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंकाफी लिंक मिले!
सुंदर प्रस्तुति....बधाई....
जवाब देंहटाएंजय हो झा जी
जवाब देंहटाएंआदमी से कुकुर तक सारे लिंक समेट लिए
कुछ भी नही बचाए हमारे लिए
बहुत बढिया
आभार
सन्डे चर्चा के लिए
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंaapkaa andaaz hee alag hai !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया । अच्छे लिंक्स दिए हैं आपने । आभार ।
जवाब देंहटाएंएक साथ कित्ते ब्लॉगों की चर्चा...ढेर सारी जानकारी..मजा आ गया. पर बच्चों के ब्लाग की कोई जानकारी नहीं, यह सजा दे गया.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा! पर जरा लंबी नहीं हो गई?
जवाब देंहटाएंप्रिय पाखी , इस बार चाचू को माफ़ कर दो आगे से पक्का ध्यान रहेगा ...पक्का ..मदर प्रौमिस .....
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
पुरुषों के बारे में जानकारी जान बूझ के छोड़ी गयी
जवाब देंहटाएंमहिलाएँ ध्यान दें
कोलाइडर के महाप्रयोग की तरह ही महासफ़ल है ये महाचर्चा...
जवाब देंहटाएंलंबाई का जहां तक सवाल है राजीव तनेजा भाई की सोहबत का असर आने में कोई बुराई भी नहीं...
जय हिंद...
bahut badhiya jha saheb, lekin ek baat samajh me nahi aai ki aap to blogcharcha kar rahe the is bich ye buzz charchaa kaha se bich me tapkaa diye...sameerlal ji wali....
जवाब देंहटाएंblog aur buzz dono alag hain na, kam se kam charcha ke liye to alag hi aisa mai sochta hu baki aap gyaani log jaisa kahein, mere bheje me baat samajh me nahi aai isliye kahaa, baki shandar, jamaye rahiye.....
सुंदर चर्चा है। अच्छे लिंक दिए गए हैं।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास।
जवाब देंहटाएंमेहनत से की गई इस विस्तृत चर्चा के लिये धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं@संजीत
जवाब देंहटाएंब्लॉग और बज का एकतरफ़ा रिस्ता है . ब्लॉग तो बज में बजबजा रहा है . बज ब्लॉग में नहीं बजबजाता .(one sided integration)
बहुते सुंदर चर्चा. बिल्कुल सजी धजी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
gazab ki charcha karte hain...........bahut hi sundar.
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कह रही है ये चर्चा.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा..
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास - अच्छे लींक
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
हमेशा की तरह लाजबाव जी, बह्जुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत अच्छे झा साहब, बिल्कुल अलग अन्दाज है आपका.
जवाब देंहटाएंआपका तरीका कुछ हटकर है पढ़ते जाओ
जवाब देंहटाएंहटने का दिल नही करता
मै कुछ लिखने की कोशिश कर रहा हूं
आपकी तरह तेज नही मगर गिनती मे शामिल होना चाहता
हूं
और उम्मीद करता हूं की आपका ब्लोग और अच्छा बनता
जाएगा
Worldfriend641.blogspot.in
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जवाब देंहटाएंDesktop Computer in Hindi
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