शनिवार, 18 जून 2011

"जनलोकपाल" नहीं "धनलोकपाल" बिल लाएगी सरकार ..झा जी कहिन



तस्वीर , गूगल से साभार 





सरकार ने आम जनता को भरपूर आश्वासन देते हुए आश्वस्त किया है कि वो सिर्फ़ लट्ठ नहीं चला रही है और काबिल मंत्री (सरकार के काबिल मंत्री वो हैं जो खूब बोलते हैं , उनका म्यूट बटन का सॉफ़्टवेयर फ़ुंक गया है ., और ज्यादा काबिल वो हैं , जो तब भी नहीं बोलते जब उन्हें बोलना होता है ) सिर्फ़ बोल बक ही नहीं रहे बल्कि ड्राफ़्ट तैयार कर रहे हैं । ओफ़्फ़ो चेक ड्राफ़्ट वाला ड्राफ़्ट नहीं जी , अब बेचारी सरकार के पास पैसे ही नहीं बचे । अब तो मजबूर होकर सरकार को अपने खाए -पीए -अघाए और अब जेल में सुस्ताए अपने सूरमाओं की जनौती संपत्ति ( जैसे बाप की बपौती होती है , जनता के जनौती होती है ) को कुर्क ज़ब्त करके अपने खर्चे के लिए सफ़ेद धन का जुगाड कर रही है , बांकी जो सारा धन था वो तो काला हो गया । अब तो वैज्ञानिक भी मन रहे हैं कि हो न हो हाल ही में जो चांद को छिपा कर रात काली हो गई थी वो भी इसके कारण ही हुई थी । तो सरकार ये कह रही है कि अब जब जनता इत्ती लाठियां खाने के बाद भी चाहती है कि सरकार कुछ और भी पेश करे तो सरकार भी अब ड्राफ़्ट तैयार करके कुछ न कुछ तो लेकर आएगी ही ।


सरकार ने थोडी तब्दीली की मंशा ज़ाहिर की है । सरकार बोले तो कुल एक जमा एक = दो मंत्री जी ने यार दी है कि चूंकि जनता ने अपने ढंग से सोचा विचारा है और इसलिए इसका नाम "जनलोकपाल " बिल रख कर सोच रही है लेकिन सरकार का सारा ध्यान इन दिनों धन पर लगा हुआ है इसलिए सरकार जल्दी ही एक "धनलोकपाल " बिल लेकर आएगी । इस बिल से सरकार धन के लिए एक ऐसा "धनलोकपाल" नियुक्त करेगी जो धन के साथ साध धनियों को एक तरह तिहाड जाने से बचने के उपाय बताए और दूसरी तरफ़ बाबा, अन्ना जैसी तेज़ नज़रों से भी उन्हें बचाने के लिए बीस सूत्री योजना बनाए । सरकार की नज़र में तो एक "धनलोकपालिका " का नाम है भी । "धनलोकपालिका जी " ठीक "नगरपालिका" की तरह ही काम करेंगीं । न "नगरपालिका" का काम दिखाई देता है और न" धनलोकपालिका" का खाता दिखाई देगा ।


धनलोकपालिका का चयन उसी योग्यता के आधार पर किया गया है जिस आधार पर बचपन में क्रिकेट टीम के कप्तान का चयन होता था , यानि जिसका बल्ला वही कप्तान और उसी हिसाब से जिसके पास सबसे ज्यादा धन वही धनलोकपाल नियुक्त हो सकेगा ..तो आइए स्वागत करिए ..देश के नए धनपालकों का  .


12 टिप्‍पणियां:

  1. अरे कुछ ला ही रही है ना …………ले लो अजय जी वैसे भी इस सरकार के हाथ से कुछ निकलता नही है एक बार हाथ मे आने दो फिर उसके बाद इसके खिलाफ़ एक और मोर्चा निकाल देंगे और हम कर भी क्या सकते हैं ये उसे भी पता है…………बेचारी कुछ दे तो शरीफ़ जनता को ले लेना चाहिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. और जो लुत्पल विधेयक आना था उसका क्या हुआ ??

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया व्यंग .. जिसके पास जो होता है उसी के बारे में सोचेगा न ..अब सरकार के पास जन कहाँ ? तो जन लोकपाल बिल कैसे लाएगी ...

    जवाब देंहटाएं
  4. सही है भाई साहब ... यह सरकार जो ना करे कम ही है ..!!

    जवाब देंहटाएं
  5. धन बचाने के लिए इनको धनलोकपाल बिल की ही जरुरत है, जहाँ बिल में छिप कर अपना धन बचा सकें।

    करारा व्यंग्य है झा जी।

    आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. देखते जाइए ऊँट किस करवट बैठता है? हम आजादी के बाद पैदा हुए तो पता नहीं लगा कि अंग्रेजों ने कैसे अत्‍याचार किए थे लेकिन वर्तमान सरकार ने वो दिन भी हमें दिखा ही दिए।

    जवाब देंहटाएं
  7. निरंकुश और निकम्मी सरकार के दुर्दिन आ गये हैं

    जवाब देंहटाएं
  8. आप विश्वास रखिएय़
    अपने अनुकूल बना कर जरूर लाएगी।
    --
    पितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  9. पहले तो यह स्पष्ट कर लें कि यह धनपाल बिल है या जोकपाल बिल है :)

    जवाब देंहटाएं
  10. संभावना है कि कालेधन का ज्यादातर पैसा सत्ता में बैठे लोगों का ही है। भला सरकार और कौन सा विधेयक लाएगी ऐसे में!

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..