बुधवार, 2 जनवरी 2019

साल ये भी कुछ तो नया होगा .....





इस जीवन में यूं तो हर पल नया होता है और ये इस मायने में भी होता है कि हमारे आसपास कुछ कुछ न भी हो तो भी जो बीत जाता है वो स्वयमेव पुराना हो जाता है और स्वतः ही सब कुछ नवीन यानि नया हो जाता है | और ये उसी तरह से जरूरी भी है जिस तरह से कुछ नया याद रखने के लिए पुराना भूलना बहुत जरूरी होता है | 

यहाँ एक दिलचस्प बात भी उल्लेखनीय है कि , साल के 365 दिनों में से क्या हमें हर दिन हूबहू याद रहता है ? शायद नहीं ? यकीनन नहीं ? मानव मन अधिकांशतः अपने ज़ेहन में सिर्फ या तो बहुत अच्छी या बहुत बुरी स्मृतियाँ ही सहेज पाता है जो स्वाभाविक भी है | और ऐसा सबके साथ शायद पूरी उम्र होता है | 


नव वर्ष मनाने की परम्परा कब शुरू हुई , कैसे शुरू हुई इसकी भी बहुत सारी कहानियाँ हैं | और अलग अलग सभ्यताओं , समाजों , देशों , क्षेत्रों , ने इस रवायत को अपनी अपनी तरह से मनाना निभाना शुरू किया होगा | हालांकि पूरा विश्व जिस तारीख को नव वर्ष के रूप में मनाता है और मनाता चला आ रहा है वो अंग्रेजी कैलेण्डर के पहले महीने की पहली तारीख होता है | 

इस हिसाब से हम आप अब वर्ष 2019 में प्रवेश कर चुके हैं और बहुत से मायनों में ये साल भी हमारे आपके लिए बहुत सारे ख़ुशी,गम, साधारण , असाधारण , उत्सव , घटनाओं का समावेश लिए होगा | राजनीति , धर्म , सरकार ,प्रशासन , न्यायालय , समाज , लगभग हर क्षेत्र में बहुत सारी नवीन बातों के लिए खुद को तैयार किए रहिये और हाँ खुद को क्यूँ अछूता रखें | हमारे आपके जीवन में भी बहुत कुछ नया होगा इन आने वाले 365 दिनों में | 


तो तैयार हैं न आप इस नए साल में बहुत सारे नए के लिए ......





7 टिप्‍पणियां:

  1. बुलेटिन टीम का आभार और शुक्रिया , पोस्ट को मान व स्थान देने के लिए

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (04-01-2019) को "वक़्त पर वार" (चर्चा अंक-3206) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. चर्चा मंच का आभार और शुक्रिया पोस्ट को मान व स्थान देने के लिए

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  3. जी बहुत सहज और सार्थक सी पोस्ट।

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..