अपने बेबाक बयानों के लिए विख्यात पाकिस्तान के लिए क्रिकेट खेलने वाले एकमात्र पाकिस्तानी हिन्दू खिलाड़ी दानिश कनेरिया ने एक बार फिर से पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को आड़े हाथों लेते हुए खूब खरी खोटी सुनाई है।
इतना ही नहीं दानिश ने इन खिलाड़ियों को नसीहत और फटकार लगाते हुए कहा है कि अपने देश अपने राष्ट्र के लिए खेलने का जज्बा किसी भी पैसे और मौके से बहुत बड़ा होता है ये सीखने के लिए पाकिस्तानी खिलाड़ियों को भारतीय खिलाडियों से सबक और सीख लेनी चाहिए।
असल में पूरा मामला ये है कि , पाकिस्तान की क्रिकेट टीम और उसके खिलाड़ी इन दिनों भयंकर मुफलिसी और बेकारी के दौर से गुजर रहे हैं। भारत के साथ क्रिकेट संबंधों पर पूरी तरह से रोक लग जाने के कारण इन खिलाडियों को इस बार इंडियन प्रीमियर लीग में भी नहीं खिलाया गया ,जिससे दुखी होकर शाहिद अफरीदी ने उन्हें खिलाने की गुहार भी लगाई थी।
अब पाकिस्तानी खिलाड़ी अपने घर परिवार को चलाने के लिए विवश होकर दूसरे देशों की क्रिकेट टीम के लिए खेलने के अनुबंध और करार कर रहे हैं। हाल ही में एक पाकिस्तानी खिलाड़ी सामी असलम ने अमेरिका की क्रिकेट टीम से खेलने के लिए घरेलु क्रिकेट को अलविदा कह दिया। यही बात दानिश को नागवार गुजरी और उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों का नाम और उदाहरण देते हुए पाकिस्तानियों को खूब करी खोटी सुनाई।
यही तो विशेषता है हमारी. कहीं न कहीं आज भी देशप्रेम का जज़्बा ज़िंदा है तभी तो दानिश ने भारतीय क्रिकेटर्स का उदाहरण दिया. बड़प्पन दानिश का भी कम नही.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया और आभार इंदु माँ।
हटाएं"जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये.."
जवाब देंहटाएंबिल्कुल देखा और परिणाम भी देखे. जाने क्यों लोग बड़े गर्व के साथ कहते हैं ' मैं तो मुँह पर कह देता/देती हूँ" मैं मानती हूँ अच्छी बात है तो उसे तुरंत सामने भी कहिए और चुगलखोर लोगों के सामने भी कहिए किंतु बुरी, कड़वी बात को बोलने से पहले धैर्य के साथ बहुत जरूरी हो तो कहिए. जरूरत पड़ने पर धड़ल्ले से भी बोलने में हर्ज़ नही. बेशक शब्द दोस्त बनाते हैं, शब्द ही शत्रु भी.
अरे बबुआ, एहि शब्दों के कारण तो इंदु माँ तुम्हारी फेन भी है और तुम्हे प्यार भी करती है. हाँ इस लिस्ट में कुछ नाम और भी है 😊
आज तक इस छोटी सी बात पर किसी ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी , और इतनी प्यारी तो कोई कह भी नहीं सकता सिवा एक माँ के। स्नेह बनाए रखियेगा माँ।
हटाएंसियासी खेलों के कारण यह दुर्दशा है।
जवाब देंहटाएंजी सच कहा है आपने
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