शनिवार, 3 नवंबर 2007

हमहूँ हैं मैदान में

सोच रहे थे कि अपना बिहारी स्टाइल में भी कुछ लिखेंगे और सबको पढ़वायेंगे काहे से कि फिर हमारी मौलिकता का पता भी तो चलना ना चाहिए । तो बंधू लोगों को हमारा प्रणाम और स्नेह भी ।


नहीं नहीं यदि आप लोग सोच रहे हैं कि हम आप लोगों को कुछ भी अंट-शंट पढ़ने के लिए कहेंगे तो ई तो आप लोगों का भ्रम है कहे से कि उसके लिए और भी बहुत जगह है । यहाँ तो हम आपको सब कुछ विस्तार से बताएँगे ।

देखिए आगे आगे होता है क्या...............

1 टिप्पणी:

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..