सोमवार, 5 नवंबर 2007

लूट मचल है भाई

दिव्लाई के रेलमपेल जयीसे ही बढ़त है बस पूछिये मत चारों तरफ भागम-भाग लग जावत है। हमरो बीच में एगो दोस फुनिया दिहिस , कहिस कि झोल्तान्मा भैया का कर रहे हो जाओ हात बाज़ार पहुँचो आ देखो मज़ा। हमहूँ तन्तना गए आ पहुंचे सीधा बडका बाज़ार। बाप रे बाप, पूछिये नहीं जी, इतना भीड़, खाली मुन्डी मुडी नज़र आ रहा था। अऊर सबको फेल कर रहा था , बालिका सबका नया फैशोन । महाराज एकदम लग रहा था कि मुन्ब चाहे कैसनो हो मुदा , कम कपडा पहिनने के कारण सब के सब खांटी हेरोइन लग रही थी। बुझा नहीं रहा था कि ई सब बाज़ार देखने आईल है कि ई बालिका सबन को देखे खातिर ई बाज़ार लगावल गया है।

ऐतना में आगो बोर्ड्वा पर नज़र गया। देखे त लिखल था "लूट लो "। हम कहे ई का घोटाला है भी । पहुंच गए आ वहीं खडे एगो बालिका से पूछे ए जी, ई का लिखे हैं , लूट लो , ऐसे ई सब लिखा जाता है ।"

हाँ , सर , ऐसा मौका नहीं मिलेगा , दिवाली ऑफर है , ले जाइए, सब लूट रहे हैं। एक के सात दो फ्री है । एक के पैसे में कुल तीन हो जायेंगे सर ।"



अरे ,अरे, ई का अनाप-शनाप बतिया रही हैं आप, एक के साथ दो फ्री। अऊर एक का पैसा भी काहे दें । जब लूट्बे करना है त। ई आप लोग का लूट का मतबल कुछ अऊर है का? हमरे इहाँ त लूट, डकैती ,खून,अपहरण, सबका उहे मतबल होता है जो असली में होता है । आ ई "लूट लो "बोर्ड्वा के नीचे से खुद हट ना जाइए ,शरीफ आदमी सब कंफुज़ होता है ना जी॥

मूडवा खराब हो गया त वापस लॉट आये । अब काल्हे जायेंगे तब बताएँगे।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुते अच्छा भाई, अच्छा बतियाबत हो...लूट का मतबल तो लूट ही होए के चाहीं...बिना लूटने लौटल ठीक ना रहल....मजा त लूटबे कइलअ...का.......गलती कहतानी..

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  2. बहुते जोरदार लिखत हो बाबू...हमरा ओर से भी

    ढेढ सौ ग्राम बधाई ले लो...

    और एक ठौ सीक्रेट बात...

    तनिक फुरसत से कोने में तो आवा तो बताईल भई..दर असल...हमको ई तुम्हार भाषा नाहीं आत है ना इस खातिर हम तुक्का बाजी से काम चलाने की सोच रहा हूँ और सबसे जरूरी बात के

    हमरा मन भी ई सब छोकरियन को लूटल बा का चाही...

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  3. are sarkaarlogni, hamein kaa pataa tha ki hamaar gawnaar baat aap logan kaa man mein etnaa bhaa jayega.
    bahut badhiyan bhaiyaa.

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..