गुरुवार, 27 दिसंबर 2007

बिहारी बाबु से देहाती बाबू बनने का कारण

अरे का बतायें भैया हमरे नहीं मालूम था कि इहाँ इतना मारामारी मचल है कि हम ढंग से बिहारी भी नहीं बन सकते हैं। ओइसे त जन्मजात बिहारी हैं आ रहबे करेंगे मुदा हाल फिलहाल में हमरे पता चला कि एगो बडका भैया हमसे पहले से ही इहाँ बिहारी बाबू बन के बैठे हैं।
आ ऊ त हमका बता भी दिए कि रे बुर्बक्वा हमका तो बहुत पहले से ही बडका बिहारी का कौउनो पुरूस्कार भी मिला हुआ है । हम कहे कि अछा कमाल है भैया हमरे त आज तक ई बिहारी का लोग तोंत्वे मरा है आज तक कौउनो ईनाम फीनाम नहीं मिला है हो।


भैया कहे कि रे इहाँ तो एक बिहारी से ओइसन सब परेशान है आ तू आउउर आ के कंफुजन कर राहा है त ऐसन कर कुछ और सोच ले ।


हम कहे कि ठीक है भैया चलिए आज से ई बिहारी बाबू आब देहाती बाबू बन जायेंगे।

मुदा एगो बात जान लीजिए कि लिखेंगे वही अपना बिहारी पन में । कहिये काऊउनो गलत बात ता न न कहे ?

2 टिप्‍पणियां:

  1. सहीं कहा भाई, लिखें अपने ही पन में । जो हैं वो रहेंगें चाहें कितनो किरीम लगा लें पउडर चुपरि लैं ।

    क्‍या है छ.ग.के पुलिस प्रमुख का पत्र

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  2. sanjeev bhaae,

    saadar abhivaadan aap theek kahe aadmi kahion chalaa jaaye apnaa pehchaan nahin naa badal saktaa hai . aa oise bhee uu ta hum ego bdkaa bhiyaa ke khaatir khali blog kaa namwa badal diye hain.

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..