शनिवार, 13 जून 2009

अफज़ल की पेंशन तय...कसाब ने भी मांग की



मुझे तो पहले ही पता था की इस बार जय हो जय हो ..करके सरकार बनी है तो कुछ न जय तो जरूर ही करेगी ..भाई लोगों जो भी अफज़ल और कसाब की सजा और फाँसी को लेकर चिंता में थे .उन्हें अब दुबले होने की जरूरत बिलकुल भी नहीं है..वे अगले पच्चीस सालों तक मज़े में इस मुद्दे पर ब्लॉग पोस्ट ठेल सकते हैं..
चलिए पहले ये बताता हूँ की माजरा क्या है..आज प्रकाशित खबर के अनुसार..नए कानून मंत्री (वीरप्पा ,यार ये नाम कुछ सुना सुना सा लगता है ..अरे नहीं उसमें तो न लगा था ) ने मजबूरी जाहिर करते हुए बताया है की जब तक राष्ट्रपति के पास अफज़ल की दया याचिका लंबित है ....तब तक उसे फांसी पर नहीं चढाया जा सकता. ..और अब लंबित याचिकाओं की भी सुन लीजिये...राष्ट्रपती के पास अभी कुल अट्ठाईस याचिकाएं लंबित हैं....जिनका निस्तारण होने में कम से कम पच्चीस साल लग सकते हैं...कम से कम है ये समय....तो इस हिसाब से अपने अफज़ल miyan तो yaheen buddhe हो जायेंगे ....ऐसे में bhaarteey परम्परा के अनुरूप उनके लिए पेंशन की भी व्यवस्था होनी ही चाहिए..देखिये देखिये ....अब इसका विरोध तो नहीं ही करिए..आखिर उसने आपना पूरा जीवन देश में लगा दिया जी....इतना तो उसका हक़ बनता है...हाँ एमाउंट कितना होगा ये अभी तय नहीं हुआ है....मगर सब कुछ मंदी के ऊपर निर्भर करता है..

इस सारे मुद्दे को देखते और समझते हुए कसाब (क्या समझ रहे हैं आप...अजी कसाब सब कुछ ठीक से समझे इसीलिए तो सरकार ने उसे एक काबिल वकील भी मुहैया कराया है ...और वो अब पहले से ज्यादा समझदार है ) ने भी अविलम्ब ही अपने लिए भी सरकार से कुछ सोचने की मांग की है. उसका कहना है की अफज़ल भैया के लिए तो बुजुर्गी पेंशन तय ही की जा चुकी है..लगभग ..का क्या मतलब है जी..पक्का ही समझें....मगर वो तो अभी बच्चा है ..सो उसके बालिग़ होने तक बच्चों की कोई इंश्योरेंस पालिसी ही करवा दो..और बालिग़ होने पर जीपीईफ़ ..पीपीईफ़ वैगेरह का इंतजाम कर दिया जाए..किसी भी तरह के बोंड से उसने साफ़ मन किया है..मंदी के दौर को देखते हुए उसकी चिंता स्वाभाविक ही लगती है...मौजूदा समय में मुझे तो उसकी मांगें बिलकुल जायज़ लगी...हालांकि मेरा तो विचार था की सरकार को नया वेतन आयोग लागू करते समय ही इन अफज़ल ..कसाब ..और बहुत से ..जो अभी आने वाले हैं ..उनके कल्याण के लिए कोई ठोस नीती बनानी चाहिए थी..

सुना है की इस खबर का अन्तराष्ट्रीय फांसी वेटिंग मुजरिम्स असोसीयेशन ने स्वागत किया है..और मांग की है की उन्हें पूरे विश्व में भारत की न्याय व्यवस्था पर सबसे ज्यादा भरोसा हो गया है ..विशेषकर सबने एक ख़ास आग्रह किया है की उन सबकी अंतिम याचिका भारत के राष्ट्रपति के पास ही भेजी जाए..इसके लिए वे अपने अपने देश से एक एक राष्ट्रपति भी भेज सकते हैं...(यहाँ राष्ट्रपति के पास ज्यादा पेंडिंग न बढ़ जाए इसलिए. )

13 टिप्‍पणियां:

  1. ham to ab isi abhishap me jeene ko majboor hain....

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  2. शेम शेम| भारतीय कानून व्यवस्था, भारतीय तंत्र व भारत सरकार पर धिक्कार है..

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  3. बहुत सुंदर व्यंग्य है। जरा राहुल को भी खबर कर दो कि उस की नानी का हत्यारा भी अभी तक माफी दर्ख्वास्त का फैसला होने के इंतजार में है।

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  4. अभी तो एक महीना भी नही गुजरा बाबू, पुरे पांच साल काटने है .... ओर इस पांच साल मै देखो क्या क्या नये गुल खिलते है ना इन नेताओ के पास ओर ना ही देश के राष्ट्रपति के पास समय है इन को सजा दे, आखिर उस कुर्सी पर बिठाया भी तो इन्ही लोगो ने है, तो मोहर भी इन्ही की मर्जी से लगेगी ना.....
    नारायण नारायण

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  5. राज जी सही कह रहे हैं....अब जब जनता ने बहुत जोरदार फैसला दिया है तो काम भी तो ऐसे ही जोरदार होगें .....यही तो सेवा है जनता की सच्ची।

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  6. अरे भाई बेचारे को घर ही भेज दो...जब फांसी फूंसी देनी हो तो वापिस बुलवा लेना....बिना फांसी बंद रखना क्या मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं है...शेम ...टु शें

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  7. आज से जय हो जय हो करते हुए ज्यादा कमाना शुरू कर दो, ताकि ज्यादा टेक्स भर सको और हमारे देशवासियों के हत्यारों की खातीरदारी में कोई कमी न रहे.

    जय हो.

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  8. हम अफ़ज़ल को फ़ाँसी की माँग इसलिये नहीं कर रहे कि उसने संसद पर हमला किया, बल्कि इसलिये कर रहे हैं कि कैसा निकम्मा है जो अपने काम को ठीक से अंजाम न दे सका। यदि अपना काम ठीक से कर जाता, तो कम से कम इस देश की छाती का कुछ तो बोझ हल्का होता… इसलिये अफ़ज़ल को फ़ाँसी मिलनी ही चाहिये, ताकि उससे सबक लेकर अगली बार जब संसद पर हमला हो तो वह ठीक से हो…। सुरक्षाकर्मियों से भी अनुरोध रहेगा कि भाई ऐसे लोगों को सीधे संसद के अन्दर जाने दिया करो, वहाँ उनके कई भाई-बन्द तथा उनसे भी ज्यादा छँटे हुए पहले से ही बैठे हैं… फ़ोकट में उन्हें मारने की हम्माली करोगे और तुम्हारे बीवी-बच्चे मुआवज़े के लिये इन्हीं के चक्कर काटते रहेंगे…

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  9. वाह वाह..सुरेश भाई इस पोस्ट के लिए इससे बेहतर टिप्प्न्नी कोई और नहीं हो सकती थी...बहुत बहुत आभार...

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  10. ये तो चिन्‍ता का विषय है। सरकार को इस मामले का जल्‍द से जल्‍द निपटारा करना चाहिए।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  11. बिल्कुल सच है आप की बात मगर क्या ये उचित है? और इन्हें सज़ा कब मिलेगी?
    एक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में।आप के सुझावों की आवश्यकता है,देंखे और बतायें.....

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..