गुरुवार, 9 जुलाई 2009

झा जी इस्टाईल , चिट्ठी चर्चा का मजा लीजिये

ब्लॉग्गिंग करते हैं, तो खुल कर कहा कीजिये ,
झा जी, इस्टाईल, चिट्ठी चर्चा का मजा लीजिये...

बस एक है, अर्ज, खूब जम के लिखा कीजिये,
जितना लिखते हैं, उतना ही सबको पढा कीजिये..

यकीन मानिए बड़ा ही आनंद आता है ,तो लीजिये पेश - ए- नोश , फ़रमाएँ...

एलियन भी पीते हैं सिगरेट , ये मान लीजिये,
उनके डब्बों का अद्भुत उपयोग भी जान लीजिये ....


कुश भाई ने बारिश के बहाने खूब लिखी कहानी ,
हाय हमें कब दिखलाओगी,जलवे बरखा रानी...

इस पोस्ट पर धीरज जी ने साईं बाबा की सुन्दर तसवीरें हैं लगाई,
हमने तो शीश नवा लिए ,,आप भी देख लो भाई ....

हफ्ते में इक ब्लॉगर से मिलवाने का ताऊ ने ठेखा उठाया है ,
इस हफ्ते देखिये, सबसे किसको मिलाया है ..


अनामी के नाम , फिर इक नयी पोस्ट है आयी,
नए एंगल से , कुछ नयी बात है बतलाई

इनायत हुई या हुई है आफत, नीरज जी फरमाते हैं,
अक्सर हंसते हंसते, सबकी बैंड बजाते हैं.....

अविनाश भाई ने अमरीकन को अजब ये सैर कराई,
हमारा घोड़ा है कार पे भारी , कमाल की तुलना भाई ..

बाजपेयी भी पढ़ते हैं ब्लॉग , आप भी ये जान लें ,
टिपियाते तो हो नहीं, हम कैसे मान लें ,

इन्टरनेट युग में पोस्टकार्ड के नाम ने भावुक कर दिया,
रचना बजाज ने , इस पोस्ट पर, अपना अनुभव धर दिया..


माँ साब ने अब तक की ब्लॉग रिटर्न फाईल की है,
आप देखिये कौन सी पढ़ी , कौन सी देख ली है ...?

अभी अभी हमको ई बताया गया है ,
ब्लॉग्गिंग में आदि का , पहला बर्थ दे मनाया गया है

ब्लॉग, ब्लॉग है या साहित्य , प्रश्न उछाला गया है,
मुद्दे पर शिव जी द्वारा भी बहुत कुछ डाला गया है .

मुर्दों के शहर की खूब , सैर है करवाई,
एक कविता पढ़ ली , दूसरी नजर नहीं आयी......

शास्त्री जी ने कहा सारा देश ही संडास है ,
कभी बदलेगी सूरत ये, होता नहीं विश्वास है

यदि आप भी समझते हैं , ये अधिकार है निगौडा,
पढ़ के देखिये, जबरदस्त है हथौडा ...

वो कहती हैं की ख्वाब रोज सजाया करो ,
हम तैयार हैं, गर यूँ ही लोरी आप सुनाया करो ...

किताबों के इस कोने में , जरूर जाइए,
पढने का सुख, आप भी उठाइये ......

इस पोस्ट में चीज ये खतरनाक सी है ..
आज ब्लॉगजगत को घूरती ये आँख सी है

महिलाओं ने जिन्दगी का अच्छा हल निकाला है ,
उम्र भर जुते रहने को , सबने एक बैल पाला है

14 टिप्‍पणियां:

  1. वो ही तेवर वो ही अंदाज..

    सुन्दर चर्चा झा जी..

    बधाई..

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  2. झा जी, छा गए तुसी !

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  3. झा जी,
    'मुर्दों के शहर' के आस पास ही मेरा 'वीराना' था
    थोड़ा सा और इधर-उधर आपको मंडराना था

    जबरदस्त...
    लाजवाब...

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  4. हमारे यहाँ न दिखे तो हम समझे छुट्टी पर हो, मगर आप तो हो!!

    बेहतरीन चर्चा.

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  5. बढ़िया

    …और क्या कहूँ?

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  6. बहुत बढ़िया स्टाइल है अजय जी. चिट्ठों की चर्चा में नया रंग भर दिया आपने.

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  7. वाह !!! लाजवाब कवितामयी चर्चा की है आपने....

    आपकी मेहनत मुक्त कंठ से प्रशंशनीय है....

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  8. बहुत बढिया अंदाज है.

    यदा कदा इस तरह की चर्चा जरूर छापें.

    "शास्त्री जी ने कहा सारा देश ही संडास है ,"

    मैं ने नहीं एक विदेशी ने कहा था. मैं ने उसका विरोध किया है.

    सस्नेह -- शास्त्री

    हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
    http://www.Sarathi.info

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..