गुरुवार, 17 दिसंबर 2009

पढ़ डाली पोस्टें तमाम : चर्चा सरे शाम (चिट्ठी चर्चा )


देखते देखते ये साल भी बीतने के कगार पर है । और समय कब किसी के लिए रुका है ...रुकना भी नहीं चाहिए ,न ही हमारा ये काफ़िला रुकना चाहिए । हो सकता है कि हमारे विचारों मे समानता न हो , समानता क्या हो सकता है कि हम अपने विचारों के कारण एक दूसरे के धुर विरोधी हो जाएं ॥मगर किसी भी परिस्थिति में हमें ये तो याद रखना ही होगा कि इस साझे मंच पे हमारे होने का मकस्द क्या है ...इसलिए हमारी मंशा साफ़ होनी चाहिए और उद्देश्य स्पष्ट .....हिंदी की सेवा । अपने लेखनी से ....न सिर्फ़ लिख कर बल्कि खूब पढ के भी ....हिंदी की और अपने इस हिंदी ब्लोग्गिंग का जो भी जितना भी भला कर सकते हैं ...उसे करने में पीछे नहीं हटना चाहिए । बांकी बातें तो क्षणिक हैं .....॥




हिंदी ब्लोग विश्लेषण श्रंखला की आ गई अगली कडी,
सब पछता रहे हैं वो जिन्होंने अब तक नहीं पढी ॥


आज पूछ रहे खुशदीप मियां हम क्यों नहीं मरते,
अरे यार सारा मामला आप यहां खुद क्यों नहीं पढते ॥


राज भाई के घर पे आया एलियन जी का फ़ोन,
बतियाए वे उनसे और हमरा भी खुस हो गया मोन ॥


प्यार घोषित हो रहा एक भयावह मानसिक रोग,
यदि ऐसा है तो भैय्या , हमें भी पागल घोषित कर दें लोग ॥


मिसर जी ने महिलाओं से संबंधित एक पूछ लिया सवाल,
टीपम टीप के बीच में मचा हुआ है बवाल ॥


शशि कपूर के सवाल का अब मिला है जवाब ,
अनिल भाई की ये पोस्ट गजब है लाजवाब ॥


प्यार मिले और प्यार ही बांटो इस संसार में,
पूछ रही हैं गार्गी रखा क्या है अहंकार में ॥


अपना आदि पहलवान देखें आज कर रहा क्या खास,
अरे चम्मच भर भर के देखो चाटे च्यवनप्राश ॥


ब्लोगजगत पे ऐसे लेख रोज कहां कोई पढवाता है,
आप खुद पढिए कि शीबा को गुस्सा क्यों आता है ॥



थोडे दिन मित्र हुए गायब तो हो गए परेशान,
दराल साहब की चिंता से हम भी अभिभूत हुए श्रीमान ॥



मनुष्य की इश्वर बनने की अभिलषा का कब होगा अंत,
यदि आपको हो पता तो यहां पहुंच के बताएं आप तुरंत ॥



चर्चा छिडी पान दुकान पे कि भैंस बडी या दिमाग,
पान का बीडा चबाय के खूबे पढो ई खटराग ॥



कंप्यूटर में बसते हैं वायरस और खाकी में इंसान,
पूरी कथा बांचने को यहां पहुंचे श्रीमान ॥


एक छोटी सी कविता हमने तो पढी है बारंबार ,
कह रहे हैं बुद्ध, धरती के दुशमन हुए हजार ॥




आज है जिनका जन्मदिन नाम है पवन चंदन,
यहां पहुंच के बधईये आप उनको टनाटन ॥




आज फ़िर कोई गा रहा प्राची के उस पार,

हमने देखा ,और कहा कितना सुंदर यार ॥


शिखा जी की पोस्ट पे सागर का स्पंदन,

कविता पढ के अपना भी आनंदित हो गया मन ॥


एक ब्लोग कविता,बाजार कविता और जाम,
पोस्ट पढ के देखिए, बन जाएगी शाम ॥


आज आपके ब्लोग के लिए यहां मछलियां हैं आईं,
अरे बहुतों ने लगा भी लीं, क्या आपने नहीं लगाईं॥


इस पोस्ट को पढिए सोचिए समाज जा रहा किस ओर,
अरुणा की कहानी कहती दिप्ति,मन को गई झकझोर ॥


कह रहे हैं अवधिया जी , हमें तो पाठक चाहिए,
हम कहे जब तक आते हैं पाठक, झा जी से काम चलाईये ॥


समय की अदालत में फ़िर उनकी हुई गवाही,
आज मुकदमा ऐसा रखा , लूट ले गए वाहवाही ॥


यहां पढिए अविनाश भाई का सफ़रनामा,
वाह जी कितनों से मिल लिए,खूब हुआ हंगामा ॥


स्पेशल चर्चा का स्पेशल थैंक्स कर रही है नारी,
भई इस अनोखी चर्चा के लिए तो हम भी हैं आभारी ॥


डा पूजा बता रही हैं अपने गिटार का इतिहास,
लहरों से सजी उनकी यादों की पोस्ट बडी है खास ॥


आज मिली इक लाईब्रेरी , जब देखा मैंने कस्बा,
दराजों में जब झांका तो मन बोला हाय रब्बा ॥


रेवा के साथ सुनिए आज काफ़िलों का शोर ,
क्या खूबसूरत पंक्तियां नाचे मन का मोर ॥

तो आज की चर्चा बस इतनी ......कल करेंगे बची जो बात जितनी ......॥

19 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह अजय जी ! क्या पते की बात की है एकदम. नव वर्ष पर नए तरीके की पोस्ट ...और अपना नाम देख कर तो बस पूछिए न.... उछले ही पढ़ रहे हैं हम :) नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाओं सहित.

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  2. बहुत शानदार चर्चा है। अब इस तरह की चर्चा में मजा आने लगा है।

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  3. कह रहे हैं अवधिया जी , हमें तो पाठक चाहिए,
    हम कहे जब तक आते हैं पाठक, झा जी से काम चलाईये ॥

    हा हा हा ! मजेदार चर्चा और अंदाज़।

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  4. अजय झा जी की दू लाइना!
    दिखा देती हैं ब्लोगजगत का आईना!!

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  5. Jha babu aaj ham lotpotva par hain hindi nahi hai, Is liye ingareji me tipiya rahe hai. bada neek charchaa hai. badhai ho.

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  6. खूबसूरत चर्चाओं का एक खजाना,
    झा जी के ब्लॉग पर आना,
    और बेहतरीन रचनाओं को पाना,
    पढ़ना,सीखना,सोचना, और मुस्कुराना..

    बढ़िया चर्चा..धन्यवाद अजय जी

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  7. करदी चर्चा सरे-शाम
    करदी ब्लागर के भेद सरे-आम :)

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  8. बेहतरीन चकाचक तुक में चर्चा तुक की!! आनन्द आया!!

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  9. अज की चर्चा बहुत अच्छी रही। धन्यवाद्

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  10. अजय कुमार झा यानि चर्चा-ए-शहंशाह...
    सेंस ऑफ ह्यूमर की नहीं कोई थाह

    जय हिंद...

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..