गुरुवार, 5 मई 2011

एक चिट्ठी रोज़ ...एक नए मिशन की शुरूआत



पिछले दिनों अपने जयपुर प्रवास के दौरान एक समाचार पर मेरी नज़र ठिठक गई । खबर कुछ इस तरह की थी कि एक विधायक ने को कि विपक्षी पार्टी के थे उन्होंने अपने क्षेत्र की समस्याओं को आधार बना कर पिछले एक वर्ष में लगभग छ: हज़ार पत्र सरकार को और संबंधित अधिकारियों को लिख दिए और ये सिलसिला बदस्तूर जारी रखा हुआ है । इसका परिणाम ये हुआ है कि सरकार को मजबूर होकर शर्म के मारे उसमें से बहुत सारे कार्य , सुधार आदि करवाने पड गए । इस खबर ने मुझे अपने बीते दिनों की याद दिला दी । 



मैं कुछ दिलचस्प बातें आज आपके सामने बांट रहा हूं । मैंने खुद यही तरीका आज से लगभग बीस वर्ष पहले अपनाया था किंतु मैं संपादकों के नाम पत्र लिखता था । अपने छात्र जीवन से लेकर नौकरी के संघर्ष के दिनों में अपने संपादकीय पत्रों से न सिर्फ़ मैंने स्थानीय मुद्दों को उठाया बल्कि स्थानीय गडबडियों को प्रकाश में ला कर , ग्राम मुखिया एवं मंडल और जिला के अधिकारियों तक को मुश्किल में डाला था ।दिल्ली में आने के बाद भी कुछ समय तक ये सब चलता रहा और रोज़ दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों से लेकर दिल्ली सरकार को पत्र लिखने का काम मैं करता किंतु  पिछले कुछ समय से ये सिलसिला थोडा धीमा पड गया था । लेकिन अब पुन: ये फ़ैसला किया है कि उस मुहिम को फ़िर से नए सिरे से शुरू किया जाए । 

आज से रोज़ एक चिट्ठी नाम के मिशन को शुरू करने जा रहा हूं और यदि आप सब इससे जुडें अपने अपने क्षेत्रों की समस्याओं को , कमियों को , गडबडियों को बार बार सरकार और उसके नुमाईंदों के सामने रखें तो यकीनन उसका प्रभाव और परिणाम जल्दी ही देखने को मिल जाएगा । ये रही मेरी पहली चिट्ठी 



24 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा काम है। यह मैं ने भी किया है। लेकिन अब नहीं कर पाता हूँ।

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  2. अच्छा विचार है, जारी रखिये.


    एक नया ब्लॉग खोल कर उस पर रोज पत्र स्कैन करके भी लगाते रहे....बाद में अपडेट करने के काम भी आयेगा यदि कार्यवाही होती है या जबाब आता है. पत्र में उस ब्लॉग पते का जिक्र भी करें ताकि उन्हें पता रहे कि बात जग जाहिर है.

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  3. वाह! अजय भाई शानदार शुरुआत है.
    आप बहुत समय से मेरे ब्लॉग पर नहीं आये
    इसके लिए मै भी आपको बार बार लिखूंगा.
    कुछ दिन तो आपकी मजबूरी के थे,लेकिन अब तो आना ही पड़ेगा आपको मेरी उन सभी पोस्टों पर जिनको आप नहीं देख पाए.
    आपकी टिप्पणी के बैगर तो सब अधूरी ही हैं.

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  4. अच्छा काम तो है पर यह तो बहुत जनरल सा हो गया। यदि किसी एक क्षेत्र की समस्या पर लगातार लिखा जाय तो अधिक असरदार रहेगा, ऐसा मेरा मानना है।

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  5. नाईस इनिशिएटिव !

    समीर सर का सुझाव भी अच्छा है.

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  6. लगे रहिये भईया...अगर ऑन लाइन इस विभाग को रोज हजारों की संख्या में पत्र भेजने में मदद चाहिए तो जरुर कहियेगा.

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  7. बढ़िया प्रयास। एक ही मुद्दे पर बार-बार लिखा जाय और प्रतिलिपि स्थानीय पत्र को भी दी जाया।

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  8. जब कोई सुने तो बताना, इस से अच्छा तो आप अपने आसपास वाले लोगो को जागरु करे, ओर इस टर्क की विडियो बना कर ब्लाग, फ़ेस बुक पर डाले ओर लोगो को भेजे ओर लोग उस ट्रक को देखे उस से होने वाले नुकसान को देखे, ओर सब अलग अलग ऎसे पत्र इन आधिकारियो को डाले....शायद इन के कान पर जुं रेंगे

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  9. नेक कार्य है...
    शुभकामनायें !

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  10. बहुत अच्छा और सच्चा काम है, सुधार होगा ही।

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  11. क्यों सरकार की नाक मे दम कर रहे है झा साहब ……बेचारी सरकार के वैसे ही सारे ग्रह खराब चल रहे हैं …………शनि , राहूं , केतु सब वैसे ही एक ही जगह आकर बैठ गये है अब आप भी आ जायेंगे तो सरकार आपके लिये जगह कहाँ बनायेगी…………कुछ तो रहम करिये वरना सरकार को ससुराल का ही आसरा रह जायेगा जहां आजकल उनके बहनोई रह रहे हैं कलमाडी साहब्…………।

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  12. बढ़िया प्रयास।
    शुभकामनायें !

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  13. सार्थक प्रयास..शुभकामनाएं !

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  14. आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें

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  15. आपके इस प्रयास का स्वागत है ....
    जन्मदिन की अनेक शुभकामनायें !

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  16. बढिया प्रयास। फिर कमेन्ट कब करेंगे? आप पता नही कैसे इतना समय निकाल लेते हैं। शुभकामनायें।

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  17. वाह इसके लिए तो बस इतना ही कहूँगा - "वॉट एन आईडिया सर जी" !!
    ये मुहीम तो खूब चलेगी.. अपनी सफलताओं से अवगत करवाते रहिएगा..

    "सुख-दुःख के साथी" पे आपके विचारों का इंतज़ार है...

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..