बुधवार, 4 जनवरी 2012

अबे कितना सोओगे , का पत्थर हो जाओगे





ल्यो , अबे उत्तम पिरदेस में अफ़वाह उठी, कि, सोए तो पत्थर हो जाओगे ,
जियोह्ह क्या उडाए हो , अबे हो ही जाओ , मानुस रहे तो , हथिनी तले पिचाओगे

अबे जागो बे , ई अफ़वाह का माने है कि , अबे और कित्ता सोते रहोगे , पत्थर बन जाओगे क्या , जागो ..और अभी जागो , और इस बार कुछ अईसा जागो कि सियासत हनहनाते रह जाए । ई पिछला बरस साठ साल में पहली मर्तबा आपका कुंभकरनी नींद से डोला हिला तंद्रा तोडने का जो पिरयास चला , उसीका परिणाम है कि आज सब राजनीतिक दल कम से कम एक बात में तो किलियर हो ही गया । एको गो पलटिया आ एक्को गो नेताजी मंत्रीजी लोग बिल्कुल नय चाहता है कि कोई भी भ्रष्टाचार हटाने के लिए कुछ भी सोचने करने का सोचे , ई हक टोटल में टोटल ,गोल घर को ही प्राप्त है । साड्डा हक एत्थे रख ...चिचियाने के लिए ..आ खास करके ..ई कि उ चिचियाना लोग सुने भी तो आपको रिसि कपूर ,का बेटा होना नेसेसरी हो जाता है । त आपको का लगा , गिटार ले के आपहु कन्नो साड्डा हक करेंगे आ ..जनार्दन से जार्डन बन जाएंगे ..अरे , जार्डन ,फ़िलीपींस छोडिए , बनरपट्टी दास बनके रह जाएंगे , सिलेमा के उलट होता है जी रियलटी में ।






एक तो साला इहां , हवाई जहाज उडे न उडे , आ ई कोहरा में का खाक उडेगा , देखा जाए हालते तस्स्वुर कि ,

आठ विमान रद्द , कई लेट , टरनों के भी थमे पहिए ,
अबे हटो , हुर्रर्र , हर साल का इहे रोना है ,कुछ तो, नया कहिए ...

साले हर साल ..वाय दिन कोहरा वेरी , कोहरा बेरी गाते रहते हो भर ठंडा


तो जहाज उडे न उडे , अफ़वाह तो गज्जबे उडता है , अभी कुछ दिन पहिले का काला बंदरवा याद है कि भूल गए हो । अबे दिन दहाडे गोरा बंदर ,भूरा बंदर ,काना बंदर ,सब कुछ लुट्टम लुट्ट मचाए है , आ लोग बताह काला बंदर  के लिए , सोच रहे हैं कि अगर इंडिया टीवी वाला सब तब होता त बेचारा काला बंदर पे कै ठो एक्सकिलुसिव रपट दिखा डालता । लेकिन खैर , काला बंदरवा का बैड लक , आ मानिए तो इंडिया टीवी का भी एतना ब्राइट एपिसोड भी हुश गया  आप की अदालत  में साक्षात्कार होता काला बंदर का । चलिए छोडिए बंदरवा को , काहे और कितना उंगली किया जाए ।


तो कुल मिला के हुआ ये कि , कल परसों की रात बात ये फ़ैली कि , जो सोएगा वो पत्थर का हो जाएगा । अबे सोएगा से मतलब ,आलरेडी सोया ही तो है , न त एक बात बताओ सवा सौ अरब को सवा पांच सौ लोग मुगली घुट्टी पिलाते जा रहा है , दो बूंद जिंदगी के ,बांकी टोटल बूंद देसी के । लेकिन इसका एक लाभकारी ज्ञान ये हुआ कि यदि आप अभी निसाचर कटेगरी का नेटियास्टिक बंदा से पूरा रात उल्लू के जईसे बईठ कर घंटापचीसी बांचते रहते हैं तो ई फ़ैदा है कि ,आप ललटेन बन जाएं ,कुर्सी पर एक्के पोज में बैठल बैठल केकडा दास बन जाएं ,पत्थर तो नहिएं बनेंगे । तो हे , पार्थ , पहिचानो सबका स्वार्थ , आ टोटल समझो भावार्थ कि

अबे जागो हे जनता , आ जनार्दन बनके दिखाओ अब ,
अबे या तो सो ही जाओ ,या पत्थर ही हो जाओ अब ॥


14 टिप्‍पणियां:

  1. हम को तो महाराज किसी देश भक्त का खेला लगता है यह ... जो सब को सोया देख आ गया है मैदान में और लगा दिया है आवाज़ अपने ही अंदाज़ में ... कि " उठ जाग मुसाफिर भोर भई ... अब रैन कहाँ जो सोवत है ... जो सोवत है सो खोवत है ... जो जागत है सो पावत है ... " जय हो ... बंसी वाले की ... हर हर महादेव !

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  2. पत्थर के नहीं तो पत्थर सामान तो बन ही गए हैं .. अच्छा व्यंग

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  3. जागे पथरा, सोये पथरा,
    खुशी तलाशें कतरा कतरा,

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  4. अफवाह भी क्या खूब उड़ती है ,,, बिना पंख... बेहिसाब... कभी ऐसी भी अफवाह उड़े जो पथरा को फूल बना दे

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  5. पिछले साल की मुद्दे की बातें एक ही पोस्ट में हौले से लिख दिए झा जी, बढ़िया|
    पत्थर की मूरत तो दिन में भी बने हैं अब सोने पे भी पत्थर बन जाने का बवाल, बवंडर है गुरु | :) :) :)

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  6. हिंदुस्तानी है ही पत्थर एतना राजा बादशाह गोरे और नेता चूस चूस कर कोशिश कराते रहे कि उठ ही जाये पर जब्र पत्थर है भाई ये उठने वाला नही

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  7. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने .

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  8. किसी न किसी तरह जाग जाये ये सोयी जनता जनार्दन... अच्छा व्यंग

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..