कहीं छाई है उमंग,
तो कहीं मचा हुडदंग,
अबके आया गजब है ,
ई फाग बबुआ॥
पिच्करिया सब फेल हुआ,
रंग हुए बेरंग,
पेट्रोल पीके, बाबा ठाकरे , देखो,
उगले हैं कतना आग बबुआ॥
मुम्बई बुन गया पाकिस्तान,
काफिर बन गए बिहारी,
शिवसेना का फतवा निकला,
मुम्बई से निकल , भाग बबुआ॥
कहाँ गया , प्रेम मोहब्बत,
खेल-खेल रही सियासत,
जात, धर्म और भाषा भी,
अब बन गए हैं नाग बबुआ॥
बाबा ठाकरे हो गए बीमार,
चढ़ गया दिमागी बुखार,
कुढ़-कुढ़ बाबा कुछ कर न बैठें,
अईसन जतन में तू लाग बबुआ॥
यूं भी बढ़ रहे हैं पाप,
नित नए लग रहे हैं घाव,
फ़िर समाज को काहे , दे रहे हो,
एक नया और दाग बबुआ॥
चलो माना की हम लौट जायेंगे,
आपका,अपना , सब सौंप जायेंगे,
का मुम्बई बन जायेगा मल्येसिया, काहे मराठियों को,
दिखा रहे हो सब्जबाग बबुआ॥
मुंह से बहुते गंद निकाला,
सबकुछ तहस-नहस कर डाला,
फगुआ में त दिल मिला लो,
छोडो अब ई खटराग बबुआ॥
अरे ओ बाबा , और कौनो काम नहीं है का, अरे होलिया में त खुश रहा हो ..