सुना है , अबके,
वो भी,
छठ पूजा मनाएंगे,
मगर शर्त,
ये है की,
पहले मुंबई,
मायानगरी से,
सारे भैया भगायेंगे,
बस में पुलिस से,
और ट्रेन में गुंडों से,
एक एक को पित्वायेंगे,
दो दो लाख के ,
हिसाब से,
जमा कर दिया पहले ही,
सबके घर पर भिजवाएंगे,
छठ से उन्हें,
परहेज नहीं है,
बिहारी से भी,
गुरेज नहीं है,
पर नौटंकी जो दिखलाई तो,
तांडव वे दिखलायेंगे,
कह रहे थे जब,
वक्त हमारा आयेगा,
सबको देख लेंगे, फ़िर,
समुन्दर में अर्घ्य दिखाएँगे,
सुना है अबके,
वो भी,
छठ पूजा मनाएंगे........
क्या कहा, कौन , जी क्षमा करें, ये राज (नाम तो सुना होगा , नहीं सुना तो बहरे हैं आप ), की बात है, वैसे आप यदि अपनी आँखें बंद करके मनसे पूछें तो सारा राज खुल जायेगा। अजी सुना तो ये भी है की एक बड़े ही बड़े नाम वाले बैंक ने दो दो लाख मुआवजा देने के लिए उन्हें स्पांसर भी किया है, सुना है की इससे शायद उस बैंक के डूब जाने वाली अफवाह को थोडा ग़लत समझेंगे लोग, वैसे आप कुछ ग़लत न समझें, और हाँ बार बार ये न पूछा करें की आपने कहाँ सुना , किस्से सुना अजी अपने मनसे , और कहाँ से ?
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शनिवार, 1 नवंबर 2008
गुरुवार, 7 फ़रवरी 2008
सबको चाहिए वलेंताईन (व्यंग्य कविता )
नाईन्तीन हो ,
कि नाईतीनाईन,
सबको चाहिए,
एक वलेंताईन॥
प्रेम-प्यार की,
ये व्यवस्था,
भी वेरी बेत्टर,
वेरी फाइन॥
दूर दूर से ,
न सेकों आग,
तुम भी करलो,
इसको ज्वाइन॥
कमाल का इजहार और,
कमाल का ये प्यार है॥
सुबह हाथों में फूल-कार्ड,
शाम को है केक-वाइन॥
काले गोरे, अंधे काने,
सब के सब हो रहे दीवाने,
जिसको देखो यही जपे है,
यू आर माइन, यू आर माइन॥
सबका है बस एक ही मकसद,
जोड़ी उसकी बन जाये झटपट,
किसी को एक पर आफत,
किसी के पीछे लगी है लाइन।
हम भी इसका फार्म लेकर,
अपने हिस्से के कालम भर कर,
भटक रहे हैं मरे-मरे, शायद,
कोई कर दे इस पर भी साइन॥
रे भैया हमका कब मिलेगी वलेंताईन ???????????
कि नाईतीनाईन,
सबको चाहिए,
एक वलेंताईन॥
प्रेम-प्यार की,
ये व्यवस्था,
भी वेरी बेत्टर,
वेरी फाइन॥
दूर दूर से ,
न सेकों आग,
तुम भी करलो,
इसको ज्वाइन॥
कमाल का इजहार और,
कमाल का ये प्यार है॥
सुबह हाथों में फूल-कार्ड,
शाम को है केक-वाइन॥
काले गोरे, अंधे काने,
सब के सब हो रहे दीवाने,
जिसको देखो यही जपे है,
यू आर माइन, यू आर माइन॥
सबका है बस एक ही मकसद,
जोड़ी उसकी बन जाये झटपट,
किसी को एक पर आफत,
किसी के पीछे लगी है लाइन।
हम भी इसका फार्म लेकर,
अपने हिस्से के कालम भर कर,
भटक रहे हैं मरे-मरे, शायद,
कोई कर दे इस पर भी साइन॥
रे भैया हमका कब मिलेगी वलेंताईन ???????????
रविवार, 3 फ़रवरी 2008
ई ब्लाग का बला है (कविता )
ऊ दिन आया रामधन,
पूछे लगा धनाधन,
भैया कहीं कुछ लिखत हो,
हमका पता चला है,
हमरे भी तो समझाओ,
ई ससुर ब्लाग का बला है ?
रे, बुरबक का समझायें,
तोरा एकरा बारे में,
अपना के साबित करे के,
ई सबसे खूबसूरत कला है॥
ई माँ बडका बिद्बान की संग,
हमरे जैसन बुद्धू भी,
कदम दर कदम चलत है,
भैया ई ऊ काफिला है॥
रे रामधान्वा तोहरे का कहें,
इहाँ आये हैं जबसे,
हमरे जैसन देहाती को भी,
कतना दोस्त सब मिला है॥
आब त जब तक जियेंगे,
ब्लोग रस ही पियेंगे,
कबहूँ नहीं रुकने बाला,
अब ई सिलसिला है ।
समझा रे अब तू,
ई ब्लाग का बला है ..
पूछे लगा धनाधन,
भैया कहीं कुछ लिखत हो,
हमका पता चला है,
हमरे भी तो समझाओ,
ई ससुर ब्लाग का बला है ?
रे, बुरबक का समझायें,
तोरा एकरा बारे में,
अपना के साबित करे के,
ई सबसे खूबसूरत कला है॥
ई माँ बडका बिद्बान की संग,
हमरे जैसन बुद्धू भी,
कदम दर कदम चलत है,
भैया ई ऊ काफिला है॥
रे रामधान्वा तोहरे का कहें,
इहाँ आये हैं जबसे,
हमरे जैसन देहाती को भी,
कतना दोस्त सब मिला है॥
आब त जब तक जियेंगे,
ब्लोग रस ही पियेंगे,
कबहूँ नहीं रुकने बाला,
अब ई सिलसिला है ।
समझा रे अब तू,
ई ब्लाग का बला है ..
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