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गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

अरे कोई लिंक बनाना सिखा दो भाई....

मैंने अक्सर लिखते समय महसूस किया है की यदि उसी विषय पर मैं पहले से कही हुई बात उन चिट्ठाकारों के ब्लॉग एड्रेस के साथ लिंक बना कर लिख सकता तो क्या खूब होता, जैसे आप लोग चिटठा चर्चा में करते हैं मगर अफ़सोस की मुझे लिंक बनाना नहीं आता, क्या आप में से कोई मेरी मदद कर सकता है , थोड़ा आसान रास्ता बताइयेगा, आपका आभार .....

सोमवार, 27 अप्रैल 2009

लादेनवा मर गया पकिस्तान में भोज होगा......

आअज का सबसे बड़ा ख़बर यही था की मंत्री संतरी लोग बोले हैं की ऊ लादेंवा अजी वही पचास बीवी आ पता नहीं कितना बच्चा वाला ससुरा मर लेकिन ई लादेंवा तो आप लोगों का दोस्त न , था गया ,ऊ ससुर मारा कैसे है ई ता ठीक ठीक पता नहीं है लेकिन इतना पका है किसी अमरीका टैंक अथवा बम से नहीं मारा है जी, हमको तो लगता है की ससुर को पका चिकन गुनिया से ही मारा होगा नहीं तो ऐड्स हो जी असली बात तो ये नहीं है की ऊ मारा कैसे, असली ख़बर ता ई है की पाकिस्तान में बडका भोज होने वाला है, भोज माने दावत जी,.एही सिलसिला में हमारा बात भी हुआ ....

काहे सर सुने हैं की आजकल खूब भोज भात का तैयारी कर रहे हैं, मुदा लादेंवा ता आप लोगों का दोस्त था न जी, तो फ़िर ई दावत, और कौन कौन आ रहा है बाहर से दावत खाने ...?

अरे का झा जी, आप तो एक दम से पूछते ही जा रहे हैं, अजी काहे का दोस्त उ ससुर तो एके काम हटा खाली जनसंख्या बाधाओं आ बम मार मार के जनसंख्या कम कर दो, ऊ ससुरा के कारण जानते हैं काटना नुक्सान हो रहा था हम लोग को, अपना अमरीकवा एकदम से पैसा कौडीदेना बंद न कर दिया था, अब देखिये न ई लादेन के मरने पर भोज वही पैसा से न होगा जो अमरीका हम लोग के इनाम में देगा। आ जानते हैं खुशी का बात ई है की बुश साहब भी आ रहे हैं॥

अरी ई का कह रहे हैं जी, ऊ कैसे आ सकते हैं ?

काहे ई में इतना चौकने वाली कौन बात है, देखिये जब ऊ जूता खा सकते हैं ता हम लोग ता खाली उनको दावत खाने के लिए बुला रहे हैं। ऊ जरूर आयेंगे और साप्रिवार आयेंगे, दरअसल सपरिवार इसलिए की का पता कल को ओंकी पत्नी अमरीका की राष्ट्रपति न ता कौनो मंत्री बन जाए ता रीलेशन बना के न रखना चाहिए।
अच्छा ता भारत से भी कौनो को दावत भेजें हैं का,?

अरे आप ता सारा पोल खोलवा लीजियेगा, नहीं नहीं भारत से कौनो नहीं आ रहा है, एगो कह रहे हैं की अब ही हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, जब आपके पाकिस्तान आयेंगे न एक बार जिन्ना साहब को प्रणाम करने के बाद ही दावत खाएँगे। दुसरका कह रहसी है की हमको तो छोड़ ही दीजिये हम ता खाली फोटो देख कर ही खुश हो जाते हैं । अरे झाजी असली बतवा ता ई है की सब के सब बाहर नहीं khaanaa चाहते हैं आप लोग घर में पता नहीं आज कल ऊ ईराक वाला घटना के बाद से का का खिला रहे हैं सबको सबका पेट उसी से भर रहा है ।
खाली एक चीज का दुःख रह गया की ई अपना छोटका बच्चा कसाब को आप लोग नाबालिग़ मान कर छोड़ देते ता हम लोग यहाँ पर उसका मुंडन करा कर एगो और भोज देते, बताइए कितना ज्यादती कर रहे हैं आप लोग, अरे आप नहीं सुने हैं इसी तरह अमरीका में भी बचवा सब बन्दूक उठा कर कितना बार मरा मारी किया है, ऐसे ही कसब्वो से हो गया होगा, बांकी तसल्ली है की अफजल जैसे इसको भी अपना bachchaa समझ कर पाल लीजियेगा , आप ता आ रहे हैं न भोज खाने...

अरे का कह रहे हो भाई, जानबे करते हो कितना कमजोर है हमारा पाचन शक्ति, चलो अबकी कौनो और मारा ता आयेंगे....

शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

लीजिये पेश है झाऊ पहेली...., बूझो तो जानें..

आज कल पहेलियों का मौसम चल रहा है और ताऊ से प्रेरीत होकर मैंने भी सोचा की एक प्रश्न आपके लिए मैं भी छोड़ता जाऊं,
बताइये अगला जूता किसे पड़ने वाला है?,.........


और हाँ प्रश्न का सही उत्तर मिलने पर हमारी और से नकद धनराशी इनाम देने की भी व्यवस्था है, मगर जवाब बिल्कुल ठीक होना चाहिए तो लगाइए अंदाजा और कीजिये एस ऍम एस कहाँ किस नंबर पर, ये भी बता देंगे जल्दी क्या भाई.....

रविवार, 12 अप्रैल 2009

रोड रोलर से काहे जी, गरीब रथ से काहे नहीं कहे ?

चुनाव प्रचार के बाद शाम को मंत्री जे निवास पर जब रोजाना के कार्यक्रमों की समीक्षा चल रही थे और भविष्य कीयोज्नायें बन रही थी, तब न जाने कहाँ से देहाती बाबु को ये एक्सक्लूसिव बातचीत सुनने को मिल गयी, लीजिये ख़ास आपके लिए हाजिर है उस उन्सेंसेर्द वार्तालाप के मुख्या अंश. ध्यान रहे की ये बात ब्लॉगजगत के बाहर न जाए क्यूंकि आजकल सुना है की मीडिया वाले इसी फिराक में लगे रहते हैं की कौन सी एक्सक्लूसिव ख़बर ब्लॉगजगत से उठा कर अपने यहाँ चला दी जाए, खैर तो पेश है वो बातचीत:-

“ई जी, देख रहे हम काटना बढिया प्रचार कर रहे हैं, हमरा कोंफीदेंस तो अब एकदम बढ़ गया है , का कमाल का स्पीच दे रहे हैं, है की नहीं.” मंत्रानी बोली.

“अरे ई का कह रही हो, हमको नहीं पता है का , ऊ तो हमको ताभीये तुम्हरा पी ई टेलीफोन से बता दिया था की मालिकिन खूबे गरिया दी हैं सबको, हम समाजः गए की जाऊँ पोलोतिक्स हम तुमको इतना दिन से समझाने का कोशिश कर रहे थे ऊ तुमका अब समझ में आया है . हमको लग गया था की तुम भी हमरे वाला रास्ता पकड़ ली हो और देर सवेर तुम्हरो पर ई बात के लिए मुकदमा हो जायेगा.” मंत्री जे ने समझाया “

मंत्रनी अपनी तारीफ सुन कर जोश में आकर बोले, “मुदा ई आपको का हो गया है ई बरुन्मा के लिए कहे ऐसा कह रहे थे की हम यदि ई होते ता ऊ कर देते, हमरा मतलब कौनो बड़ा मंत्री होते ता ससुरा के रोड रोलर के नीचे दबा देते अरे इससे बढ़िया ता ई रहता की कहते की गरीब रथ के नीचे कटवा देते, अरे प्रचार ता होता, और फ़िर कहे बरुन्मा कहे हो, का पता कल ओकरे सरकार आ जाए आ हम लोग के उसके साथ ही मंत्री बनना पड़े, ता ई ठीक न न लगेगा. अरे और कुछों नहीं ता ओकरी मैया यदि मंत्री बन गयी ता ई अपना गाया बहिन्सिया सब पले के कारण जेल में डलवा दे देगी. आपहु साथिया गए हैं “

“अरे धुत बुद्बद्क ,तुमको अभी पोल्तिस पुरा सीखना न पडेगा, ई सब कुछ नहीं होअगा, और ई का कह रही हो की उससे हाथ मिलाना पडेगा, सरकार बने के बाद. धीरे बोलो कौनो सुन लिए ता पहले ता ऊ पार्टी ऍफ़ आई आर दर्ज करा दिहिस है , अ भी करवा देगी. फ़िर ऐसन थोद्बे होता है आरे पार्टी का भी कौनो उसूल होता है, ऐसे कैसे किसी से भी मिल जायेंगे “ मंत्री जी तुन्ना कर समझाया.

“अरे जाइए जाइए, उसूल होता है , हम ता देख लिए की खाली मंत्री बनना ही मकसद होता है, कौन उसूल और कौन सिद्धांत, ई हमरा मत बतैयी” मंत्रानी हैं हैं
करके हंसती हुई चल दी .

ई हमका एक न एक दिन जरूर मरवाएगी. मंत्री जी सोच रहे थे.

सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

हाय ई चीयर गर्ल्स की नीलामी कब होगी भैया ?

हमको बड़ी खुशी है की इतना मंदी होते हुए भी हम लोग खेलने कूदने के लिए विदेशी लोगों को खरीद लिए, ऊ भी इतना मरा मारी करके , बोली लगा के । ससुर सबको जीते जी नीलाम कर दिए, आ भगवान् की कृपा रही तो आगे भी बेचते खरीदते रहेंगे। अजी वैसे ही थोड़ी हम लोगों को बाजार सुपर पावर कहा जा रहा है। खरी, भैया उतना बड़ा हम देहाती लोगों का औकार और हैसियत तो है नहीं की इतना पैसा खर्च कर के खेलने के लिए आदमी लोगों को खरीदें, मुदा जब चीयर गर्ल्स की नीलामी शीलामी होगी तो जरूर ही किस्मत आजमाएंगे।

हमको तो गरीबी रेखा वाला सारा लोन के लिए भी दरखास्त दे दिए हैं, ताकि पैसा कम नहीं पड़ने पाये। का कह रहे हैं, देखिये आप तो हमारे नीयत पर ही शक कर रहे हैं। अरे नहीं भाई हमको कौनो नाच कूद थोड़े करवाना है ऊ चीयर गर्ल्स से। अरे नहीं भाई, किसी डांस शो में ऊ लोगन को पार्टनर बना कर नहीं ले जाना है। अरे का कह रहे हो यार, घर ले जाकर हमको का घर में २० २० करवाना है, श्रीमती जी गर्ल्स समेत हमको बाउंडरी के बहार फेंक देंगी।
दरअसल हमको तो सोच रहे थे, की दो चार चीयर गर्ल्स खरीद कर ऊ सब्नको अपना ई ब्लॉग पर चेप देंगे, खूबसूरती से हमको देहाती का ब्लॉग भी ऐसन झटके मारेगा की का कहें। हमरे ब्लॉग को तो अभी से गुदगुदी होने लगी है।


तो भैया जब भी चीयर गर्ल्स की नीलामी हो हमको भी ले चलिएगा।

शनिवार, 1 नवंबर 2008

सुना है अबके वो भी छठ पूजा मनाएंगे

सुना है , अबके,
वो भी,
छठ पूजा मनाएंगे,
मगर शर्त,
ये है की,
पहले मुंबई,
मायानगरी से,
सारे भैया भगायेंगे,
बस में पुलिस से,
और ट्रेन में गुंडों से,
एक एक को पित्वायेंगे,
दो दो लाख के ,
हिसाब से,
जमा कर दिया पहले ही,
सबके घर पर भिजवाएंगे,
छठ से उन्हें,
परहेज नहीं है,
बिहारी से भी,
गुरेज नहीं है,
पर नौटंकी जो दिखलाई तो,
तांडव वे दिखलायेंगे,
कह रहे थे जब,
वक्त हमारा आयेगा,
सबको देख लेंगे, फ़िर,
समुन्दर में अर्घ्य दिखाएँगे,

सुना है अबके,
वो भी,
छठ पूजा मनाएंगे........

क्या कहा, कौन , जी क्षमा करें, ये राज (नाम तो सुना होगा , नहीं सुना तो बहरे हैं आप ), की बात है, वैसे आप यदि अपनी आँखें बंद करके मनसे पूछें तो सारा राज खुल जायेगा। अजी सुना तो ये भी है की एक बड़े ही बड़े नाम वाले बैंक ने दो दो लाख मुआवजा देने के लिए उन्हें स्पांसर भी किया है, सुना है की इससे शायद उस बैंक के डूब जाने वाली अफवाह को थोडा ग़लत समझेंगे लोग, वैसे आप कुछ ग़लत न समझें, और हाँ बार बार ये न पूछा करें की आपने कहाँ सुना , किस्से सुना अजी अपने मनसे , और कहाँ से ?

गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008

राम जी ने नल और नील के हाथ काटे

देखा आप सबने तो आखिरकार हमारे सरकार वो सच ढूंढ ही लाई जो अब तक हमें , अजी हमें क्या हमारे बाप दादों, और पुरखों तक को नहीं पता था, यही की ख़ुद राम जी ने ही राम सेतु को तोडा था। मुझे तो लगता है की ख़ुद राम जी को भी इस बात का पता नहीं चला होगा, चलता तो वे किसी को बताते नहीं क्या। खैर, बात सिर्फ़ उतनी नहीं है, सरकार यदि ऐसा कह रही है तो उसके पास कोई सबूत तो होगा ही, मुझे तो लगता है की उन्हें कोई हथोडा , या बुलडोज़र वैगारिरह मिल गया है।

वैसे मेरे शोध के अनुसार तो जिस तरह शाहजहान ने ताजमहल बनवाने के बाद उन कारीगरों के हाथ काट दिए थे जिन्होंने ताजमहल बनाया था , वैसे ही राम जी ने जरूर नल नील के भी हाथ और हाँ पूछ भी, काट दिए थे। ख़बर दार जो मेरे इस शोध पर आपने कोई शक किया तो क्यों सरकार कहेगी वो भी बिना किसी हथोडे और बुलडोज़र को दिखाए तो आप मान जायेंगे और मैं कुछ कहूँ तो नहीं , ये क्या बात हुई भाई। फ़िर मेरे पास एक और सबूत है इस बात का , नल नील ने लंका से लौटने के बाद कभी कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे प्रमाणित होता हो की उनके हाथ और पुँछ सही सलामत थे, और ये तो कतई नहीं मन जा सकता की इतने टैलेंट वाले लोग खाली बैठे रहे होंगे। आप ही बताइए कुछ ग़लत कहा मैंने।

वैसे मैं बता दूँ की मेरा शोध कार्य जारे है, और जैसे जैसे सरकार नया रहस्योद्घाटन करेगी , मैं भी आपको कोई सनसनीखेज जानकारी जरूर दूंगा। और हो सकता है की जब एकता कपूर रामायण बनाएं तो ये सब आपको देखने को मिल भी जाए.

रविवार, 12 अक्टूबर 2008

घर मेरे भी, बिटिया किलकने लगी है.

अब नर्म धूप,
मेरे आँगन भी,
उतरने लगी है।
टिमटिमाते तारों की रौशनी,
और चाँद की ठंडक,
छत पर,
छिटकने लगी है।
पुरबिया पवनें,
खींच लाई हैं,
जो बदली , वो,
घुमड़ने लगी है।
दर्पर्ण मंज रहा है,
ख़ुद को,
आलमारी भी,
सँवरने लगी है ।
फूलों के खिलने में,
समय है,
कल्यिओं पर ही,
तितलियाँ,
थिरकने लगी हैं।
शायद ख़बर,
हो गयी सबको,
घर मेरे भी, बिटिया,
किलकने लगी है.......

हाँ, जी , हाल ही में मुझे पुत्री प्राप्ति का वरदान मिला है। आप सब भी , आशीष दें और हो सके तो एक प्यारा सा नाम भी.

मंगलवार, 8 जुलाई 2008

किसको कहते हैं दहेज़

बउवा पूछा ,
बाबूजी से,
बताइये,
किसको कहते हैं - दहेज़ ?

तेरी जब,
शादी होगी,
जो माल मिलेगा,
उसको , रखेंगे सहेज।

तेरी बहन की,
शादी में,
इस कुप्रथा से,
मुझको,
हो जायेगी परहेज।

शायद दुनिया इसी को कहती है दहेज़.

बुधवार, 4 जून 2008

मुन्नी बहन , पोरा बाई

का हो चित्थासिंग आउउर का हाल है ? अपने देहात का ? ई शहर में तो आजकल परिक्षा रिजल्ट आ कालेज दाखिला का कूदा फांदी चल रहा है। जौन ससुर फेल हुआ ऊ बिल्दिन्ग्वा के छत से कूद रहा है आउउर जे सब पास हुआ है ऊ सब एद्मिसन के खातिर kauntarwaa पर कूद रहा है । पता नहीं ई सरकार सब आल ई कूदाफान्दी देख कर भी कहे चुप रहता है। बताओ यार, विद्यार्थी सब के लिए कालेज वालेज नहीं खुलवा सकता है ढेर सारा, आ ससुरा मल्टीप्लैक्स आ शापिंग मौल्वा त जितना मर्जी खुलवा लो। अरे छोडो इहाँ के बात तू बतावा का चल रहा है देहात साईड में ?

आरे का बतावें यार, ई देहात त शहरो के कान काट रहा है । पिछ्ला हफ्ता देखबे किए होगे की एक गरीब लईकिया , पूरा प्रदेश में टाप किस्हिस एकदम पिछ्डल गाम परिवार से रही। सबका मन खुशी से झूम उठा , का तो नाम रहा उकार, हाँ पोरा बाई ।

अच्छा ,अरे बाह , हमरा भी खुशी से मन का पोर पोर नाच उता है भैई।

अरे जाने नहीं नाच्वाओ मन को पाहिले सुन त लो पूरा बात। आज पता चला की ऊ छौंडी (लडकी ) , ओरा बाई त मुन्नी बहिन निकली। आरे यार मुन्ना भाई जैसे सारा पपेर्वा में चोरी करके टाप कर गयी बहिई। ओसे पूछा गया त कहती है, कहे महिला लोग के बराबर का अधिकार नहीं है का। लेकन सब चोरी करके डॉक्टर बन सकता है तो हम त खाली परीक्षा पास किए हैं।

ई कहकर चित्थासिंग फोनवा काट दिए आ हम त ई पोरा बाई उर्फ़ मुन्ना बहिन के बारे में सोच के पगला गए हैं एकदम , कसम से, हाँ.............

शनिवार, 8 मार्च 2008

पसंद की घंटी

इन दिनों ,
पसंद की घंटी,
के चक्कर में,
बहुत लोगन का,
घंटा,
बजा हुआ है॥

कौन , कब,
चढा ,
कितना ऊपर,
कौन ,धंसा,
कब,
कितना नीचे,
ये टेंसन, कितना,
बढ़ा हुआ है ॥

कोई खोले,
लिस्ट,
एलेक्सा की,
कोई वाणी,
की पसंद ,
की घंटी,
कोई चिट्ठाजगत की,
रैंकिंग के फेर में,
पडा हुआ है..

वैसे तो ,
टाईम पास को,
ठीक ये ,
धंधा ये भी,
फ़िर हर कोई,
किसी न किसी,
तरह से ,
इस धंधे में ही,
लगा हुआ है ....

तो भैया लगे रहो , हम लोगन को कौनो टेंसन नहीं है हम लोग त जहाँ हैं वहीं ठीक हैं , एकदम फिट हैं जी.....

गुरुवार, 6 मार्च 2008

अबके कईसन है ई फाग बबुआ ?

कहीं छाई है उमंग,
तो कहीं मचा हुडदंग,
अबके आया गजब है ,
ई फाग बबुआ॥

पिच्करिया सब फेल हुआ,
रंग हुए बेरंग,
पेट्रोल पीके, बाबा ठाकरे , देखो,
उगले हैं कतना आग बबुआ॥

मुम्बई बुन गया पाकिस्तान,
काफिर बन गए बिहारी,
शिवसेना का फतवा निकला,
मुम्बई से निकल , भाग बबुआ॥

कहाँ गया , प्रेम मोहब्बत,
खेल-खेल रही सियासत,
जात, धर्म और भाषा भी,
अब बन गए हैं नाग बबुआ॥

बाबा ठाकरे हो गए बीमार,
चढ़ गया दिमागी बुखार,
कुढ़-कुढ़ बाबा कुछ कर न बैठें,
अईसन जतन में तू लाग बबुआ॥

यूं भी बढ़ रहे हैं पाप,
नित नए लग रहे हैं घाव,
फ़िर समाज को काहे , दे रहे हो,
एक नया और दाग बबुआ॥

चलो माना की हम लौट जायेंगे,
आपका,अपना , सब सौंप जायेंगे,
का मुम्बई बन जायेगा मल्येसिया, काहे मराठियों को,
दिखा रहे हो सब्जबाग बबुआ॥

मुंह से बहुते गंद निकाला,
सबकुछ तहस-नहस कर डाला,
फगुआ में त दिल मिला लो,
छोडो अब ई खटराग बबुआ॥

अरे ओ बाबा , और कौनो काम नहीं है का, अरे होलिया में त खुश रहा हो ..

रविवार, 2 मार्च 2008

लालू जी इतना आउउर कर देते .

अचानक लालू जी का फोन आ गया , कहे लगे का झा जी , अब तो खुश हैं ना, देखिये काटना बढियां बजट पेश कर दिए है ऊ भी लगाता पांचवी बार, अरे हमका तो मौके नहीं देगा लोग न त हम त पचास्वी बार भी इसने बजट पेश कर देखा देंगे। आप त जानते हैं की जाऊँ चीज़ हम ठान लेते हैं कर के रहते हैं , देखे नहीं सोच लिए थे कि पिछ्ला पन्द्रह बरस में बिहार का टस से मस नहीं होने देंगे । नहीं न होने दिए वहीं का वहीं खडा है । चलिए छोडिये ऊ बात सब आप त बस बजट का बात किजीये।

हम कहे कि लालू जी बांकी सब त ठीक रहा मुदा कुछ और बात सब कर देते ना त आउउर भाधियाँ रहता। मतबल बजटवा त ससुर हिट हो जाता । देखिये हम बताते हैं।

जब इतना सारा ट्रेन सब आप अपना बिहार के लिए चला रहे हैं त इतना और कर देते कि किसी भी जगह का ट्रेन बिना पटना होए नहीं जायेगा। चाहे मद्रास जाओ चाहो आसाम , चाहे जम्मू कश्मीर मुदा बीच में पटना स्टेशन पड़ना ही चाहिए। उससे जानते हैं का होता ई सब लोग जो अपना बिहारी भाई सब को अपना स्टेट से भगा रहा ना , डर के मारे कौनो कुछ नहीं बोलता और जे कोई बदमाशी करता तो पकड़ लेते वहीं पटना में। आ वैसे त यदि एगो मेट्रो भी चल जाता सब जगह से अपने पटना के लिए.... । खैर छोडिये , ई ज्यादा हो जाता। सब हंगामा करे लगता ।

ई आपका कुल्हड़ वाला आईडिया नहीं चला, त हमरे हिसाब से आपको अब ई करना चाहिए था कि लोग सब को पीने का पानी लोटा में मिलेगा। आ ऊ लोटा सब अपने बिहार में बना हुआ होता। अरे आप कहे चिंता करते हैं रामविलास जी से कह के स्टील का दाम सब एडजस्ट करवा लेते। इससे लोग सब जैसे ही पानी पीता उनका सबके अपना बिहार जरूर याद आता।

बस करिये झा जी, प्रोग्रम्वा सब ठीक है अभी लीक नहीं किजीएये अगला इलेक्शन जीतेंगी त करेंगे ई सब लागू । आप आउउर सोच कर रखिये॥

त भइया लोग आप लोगन के पास भी कौनो आईडिया है त बता दीजिये.

गुरुवार, 7 फ़रवरी 2008

सबको चाहिए वलेंताईन (व्यंग्य कविता )

नाईन्तीन हो ,
कि नाईतीनाईन,
सबको चाहिए,
एक वलेंताईन॥

प्रेम-प्यार की,
ये व्यवस्था,
भी वेरी बेत्टर,
वेरी फाइन॥

दूर दूर से ,
न सेकों आग,
तुम भी करलो,
इसको ज्वाइन॥

कमाल का इजहार और,
कमाल का ये प्यार है॥
सुबह हाथों में फूल-कार्ड,
शाम को है केक-वाइन॥

काले गोरे, अंधे काने,
सब के सब हो रहे दीवाने,
जिसको देखो यही जपे है,
यू आर माइन, यू आर माइन॥

सबका है बस एक ही मकसद,
जोड़ी उसकी बन जाये झटपट,
किसी को एक पर आफत,
किसी के पीछे लगी है लाइन।

हम भी इसका फार्म लेकर,
अपने हिस्से के कालम भर कर,
भटक रहे हैं मरे-मरे, शायद,
कोई कर दे इस पर भी साइन॥

रे भैया हमका कब मिलेगी वलेंताईन ???????????

रविवार, 3 फ़रवरी 2008

ई ब्लाग का बला है (कविता )

ऊ दिन आया रामधन,
पूछे लगा धनाधन,
भैया कहीं कुछ लिखत हो,
हमका पता चला है,
हमरे भी तो समझाओ,
ई ससुर ब्लाग का बला है ?

रे, बुरबक का समझायें,
तोरा एकरा बारे में,
अपना के साबित करे के,
ई सबसे खूबसूरत कला है॥

ई माँ बडका बिद्बान की संग,
हमरे जैसन बुद्धू भी,
कदम दर कदम चलत है,
भैया ई ऊ काफिला है॥

रे रामधान्वा तोहरे का कहें,
इहाँ आये हैं जबसे,
हमरे जैसन देहाती को भी,
कतना दोस्त सब मिला है॥

आब त जब तक जियेंगे,
ब्लोग रस ही पियेंगे,
कबहूँ नहीं रुकने बाला,
अब ई सिलसिला है ।

समझा रे अब तू,
ई ब्लाग का बला है ..

गुरुवार, 31 जनवरी 2008

ये ब्लोग्गिंग हो रही है या बिहारिंग ( बिहार सिंड्रोम par एक चर्चा)

इस ब्लॉगजगत में भी मुझे लगता है कि कोई ना कोई भूकंप,सूनामी, और चक्रवात आता रहता है या फिर कहूँ कि सक्रियता बनाए रखने के लिए लाया जाता रहता है। इन दिनों एक तरफ बर्ड फ़्लू की चर्चा है तो दूसरी तरफ बिहार सिंड्रोम की। मुझे दोनो के बारे में ही नहीं पता पर सुना है कि बीमारी है। चलिए बर्ड फ़्लू के मुर्गे तो खूब लड़ा लिए अब ज़रा इस बिहार सिंड्रोम की बात हो जाये।

अजी चर्चा है कि इस चर्चा से पूरा मोहल्ला गरमाया हुआ है। लो कल्लो बात, अम भैया पेहले ही इतनी चर्चा है , बिहार की, बिहारियों की, और यहाँ तक की बिहारीपन की भी। सड़क से सरका तक, जम्मू से जालंधर तक, और दिल्ली से दरभंगा तक, सब जगह तो चर्चा है ही इसकी। कहीं प्रशंशा में, कहीं आलोचना में कहीं, फबतियों में, कहीं गालियों में तो कहीं द्वेष में। और ये हो सकता है इक इधर ये चर्चा थोडी जोरों पर है , थोडी ज्यादा है दूसरों की अपेक्षा । मगर फिर ये भी तो सच है की हम बिहारियों की संख्या भी तो ज्यादा है।

मेरी समझ में ये नहीं आता कि आकहिर इसे हौवा क्यों बनाया जा रहा है? आप ही बताइये राजधानी में , किसी भी नगर या महानगर में, तरकारी बेचते, रिक्शा चल्ताते, रेहडी लगाते, और पान के खोमचे लगाते ज्यादातर लोग कौन हैं। और ये भी बताइये कि इस देश की राजनीति में , सरकार में, सर्विस में , मंत्री हों, बुरोक्रट्स हों, स्कोलर हों , पत्रकार हों या कुछ भी हों उमें भी बिहारियों की संख्या बहुत ज्यादा ही मिलेगी।

छोडिये जी बहस बहुत लम्बी चलेगी। अन्तिम सच ये है कि बिहारी तो आगे बढ़ रहे हैं, बदल रहे हैं, पर बिहार आज भी बीमार है और इसके लिए हम सबको कुछ ना कुछ करना होगा।सिर्फ राज्यों के बंटवारे, फिल्मों के निर्माण, भाषाओं को अनुसूची में शामिल कराने से परिवर्तन नहीं आयेगा। और हाँ इस ब्लॉगजगत पर इसकी रस्साकशी से भी कुछ बड़ा हासिल होगा ऐसा मुझे नहीं लगता मगर बिहारी होने के नाते यदि कुछ ना कहता तो लानत है मुझ पर।

आपका अपना,
बिहारी उर देहाती बाबू

रविवार, 20 जनवरी 2008

अबे पगला गए हो का ?

आज भोर भोर फिर ओही खबर्वा देख के त सच पूछिए त दिमग्वा सनक गया। आज फेर कहीं पर कूनो लोग कुछ विदेशी में लोगन के साथ जबरदस्ती किये थे। साला पिछला पता नहीं काटना दिन से खाले एही बात सुनते पढ़ते आ रहे हैं। अमुक जगह पर कौनो किसी महिला के साथ बदमाशी किया तो कौनो जगह पर कौनो लुछा किसी विदेह्सी युवती के साथ बत्मीजी किया है। अबे तुम लोग पगला गए हो का? रे ई ओही देश हैं ना जाऊँ कभी अपना मेहमान लोग को देवी देवता कहता मानता था।

भैया बाबु लोग ई त हमहू देख रहे हैं कि आज का नसल आ फसल दुनु एकदम गद्बदायल है मुदा ई हमको गुमान नहीं था के सब इतना नीचे गिर गया है कि जाऊँ बेचारा सब पता नहीं केतना सुन्दर कल्पना और सपना ले के आता है अपना देश के बारे में ऊ सबके परिवार के साथ इहाँ ई सब हो सकता है। khair ऊ लोग सब जो ई सब kar रहा ऊ सब तो हमरे ख्याल से पशु निशाचर बन गया है इसलिए ऊ लोग ई बात का मतबल नहीं बुझायेगा, मुदा हरेमरे समझ में ई नहीं आता है कि ई अपना पुलिस आ सरकार प्रशाशन सब का बुका आ बहिरा के जैसन चुपचाप तमाशा देख रहा है । काहे नहीं पकड के ठोकता है ई लतखोर सबको।

इहाँ शायद ई बात का कौनो को अंदाजा नहीं है कि ई सब करके ऊ लोग उन लोगन की खातिर कतना बड़ा मुसीबत खडा कर रहा है जाऊँ लोग अपने इहाँ से काम धंधा के वास्ते बेचारा सब बाहर बह्तक रहा है । ई सबका परिणाम देर सबेर ऊ सब बेचारा लोग को भुगतना ही पडेगा ना। आ सबसे बढ़कर का इज्ज़त आ छवि रह जायेगी आपना देश आ लोगन की पूरा संसार में। रे भैया लोग अभियो तनी शर्म कर हो .

बुधवार, 16 जनवरी 2008

बाबू kanshiram ko भारत ratn to bahan मायावती को nobel kyon नहीं ?

अभिये अभिये पता चला है बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक स्वर्गवास बाबू कांशीराम को भारत रत्न देने कि माँग की जा रही है भैया । त ई में कौन बुरी बात है भिया आज काल त जमनवा ही माँग आ आपूर्ति का है चाहे अधिकार हो कि पुरूस्कार पहले प्यार से मांगो फेर धमकी दये दो आ उसके भी बाद भी ससुर नंबर नहीं आवत है टू खूब हल्ला मचाओ , कहो ई पुरूस्कार का तौहीन है सरकार का बदमाशी है । खैर ई सब टू अपना इहाँ अब एगो स्थापित परम्परा बन गया है , मुदा ई सब के बीच आज हमरे उत्तम दिमाग में एगो नायका ख्याल आ रहा है आ ई भी देखिए काटना उपयुक्त समय पर आया है , अभिये अभिये त बहिन जी का भारी भरकम जनम दिन मनाया गया है । त ई समझिए कि बहिन जी को हमरे तरफ से ई बल डे का गिफ्ट शिफ्ट हो गया।

हमरा विचार है कि जब बाबू कांशीराम को भारत रत्न दिया जा रहा है टू कहे नहीं इसी सुअवसर पर बहन जी को नोबेल पुरूस्कार के लिए नामित कर दिया जावे। आरे चिहुन्किये नहीं इसके पीछे बहुत सारा ठोस रेजन्वा है भाई। पहले बात जब दस्यु सुंदरी फूलन देवी को लोग सब नोबेल पुरूस्कार ऊ भी शांति का नोबेल पुरूस्कार के लिए नामानकर कर दिया था, आ कर का दिया था ऊ त बेचारी का देहांत हो गया न त झुंझला के नोबेल समिति वाला सब दे ही देता एक दिन, त ऐसन में बहन जी को कहे नहीं विज्ञान आ तकनीक के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित कर देल जाये । हाँ समझ गए आप पूछेगे की ई विज्ञान आ तकनीक की कतेग्री में कहे त भैया ई आप लोगन शायद भूल रहे हैं कि "सोशल एन्ज़ीनीरिंग " का फार्मुल्वा कौन इजाद किहिस है ई अपनी बहन जी ही ना।

ओइसे त आप लोग चाहे कुछ भी समझिए देर सवेर बहन जी को उनका चुनाव चिन्ह हाथी के माध्यम से पशु प्रेम को बढावा देने के लिए भी कौनो न कौनो जीव संरक्षण का पुरूस्कार भी मिलबे करेगा।

भैया हम सब त देती आ भैया लोग त बहन जी के साथ हैं , आप कहिये ?

शनिवार, 12 जनवरी 2008

जान गए बकनर आ bensan का matbal

लोटन जब भी कूनो मोश्किल में पड़ता है सीधा हमरे पास चल आता है ओकरा पूरा विश्वास है कि ओकर जुनो कोइ समम्स्या हो चाहे कौनो प्राब्लेम हो ओकर जबाब हमरे पास जरूर होगा काहे से कि एक त हम बहुत लिखते पढ़ते रहता हूँ आउउर ऊपर से कम्पूटर आ इंटरनेट पर भी जाता रहता हूँ। हमारा इन्तेल्लिगेंत्वा देखिए कि हमका भी सचमुच ऊ सब जबाब आता ही रहता है .खैर ।

ऊ दिन लोटन आते ही पूछा कि भैया ई अपना क्रिकेट टीमवा फेर से एगो आउउर मैच हार गया , भैया हमरे त ई नहीं समझ आता है कि जब ई सब बाहर जा कर ससुर हारे जाता है तो काहे नहीं सब के सब मैच यहीं पर खेलता है , सबको बुलाओ खूब खिलाओ ,पिलाओ, खातिर दारी करो और सारा मैच में हरा के भेज दो । मुदा ई बार त सुने हैं कि ई वाला मत्च्वा सब बेचारा कुछ कहते हैं कि "बकनर " आ बेन्सन के कारण हारा है , । भैया ई का है ई बकनर आ बेन्सन।?

हम थोडी देर गंभीर चिंतन किये आ फिर पूरा मनन के पश्चात् लोटन को विस्तार से बताये ," देख रे लोतानमा जहाँ तक हमका मालूम है, जैसे कि बकलोल होता है जैसे कि बकवास होता है ओएसे ही इतना त निश्चित है कि जैसे बक लगा हुआ सब चीज़ एकदम बेकार होता है ओइसे ही बकनर भी जरूर कोनो बेकार चीज़ , अच्छा अच्छा , बक नर यानी बेकार नर रे अभियो नहीं समझा बेकार पुरुष बल्कि अब तो हमरे लग रहा है कि बक वानर होगा । वैसे भी भज्जी केकरो बन्दर या वानर कह रहा था , शायद केकरो आउउर को था मुदा लगता है की ई बक्नारो को बुरा लग गया था। समझा।

आ भैया ऊ दूसरा बला " बेन्सन "

अरे ऊ त कुछ नहीं है , जैसे पढ़ने लिखने , नाकुरी चाकरी, जिन्दगी, प्यार, सबमें कूनो तरह का पीराब्लेम को टेंसन कहते हैं ना ओइसे ही क्रिकेट में यदि कौनू तरह का पीराब्लेम होता है तो ऊ बेन्सन कहलाता है । तू तो खाली बुरबक ही रहेगा रे हमरे तरह बनो।
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