शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

चढते हैं मोटकार, कभी सायकल भी चढा कीजीए, अरे कभी कभी तो अलानी फ़लानी चर्चा भी पढा कीजीए

चलिए भाई , माना कि अपना कोई ब्रांड नहीं है , माना कि अपना दर्ज़ा भी शायद दोयम-तीयम या पता नहीं कौन कौन सा यम है , मगर अब जो है सो तो है ही , उसे जैसे का तैसा आपके सामने धर रहे हैं । झेलिए ......और हां ये हमने अपने आनंद के लिए नहीं समेटी, आपको भी आनंद आए तो श्रम सफ़ल हो ........

हैं तो कई मगर, कौन हैं ये अनाम,
इस पोस्ट में गैसियाईये आप किसी का नाम



चलिए नाम कर लिया गैस , अब फ़ोटू पहचानिए,
कोई ब्लोग्गरजी है, बस इतना ही जानिए




फ़िर अपनी लेखनी का कमाल दिखा रहें है श्री गोदियाल,
इस पोस्ट में पढिए कि क्या गुल खिला गया पिछला साल


बद्री केदार की यात्रा यहां पर है जारी,
आप भी देखिए , पोस्ट बडी है प्यारी



हां ऐसी पोस्टें तो मैं भी पढना चाहता हूं ,
बेशक वो कहें कि, मैं बिखरना चाहता हूं ॥



सोनी जी ने रख दिया सबके लिए एक केमिकल लोचा ,
हमने पढा , फ़िर पढा और पढके फ़िर सोचा ॥


अच्छा जी राम राम



वकील साहब ने रख दिया एक सच और एक दर्द,

हाय न्याय मिलेगा कैसे जब व्यवस्था हुई बेदर्द ॥



एक बच्चे के जन्मदिन में क्या हुआ ये जानिए ,
इस पोस्ट को पढिए जरूर , मेरी बात मानिए ॥



शिल्पकार जब करते हैं चैट, तो कुछ निकलता है नायाब,
ललित जी गिरिजेश जी की बात का मजा लीजीए जनाब ॥




अद्भुत शैली, अद्भुत अंदाज, अद्भुत है ये पोस्ट,
हिमांशु जी को पढने का आनंद अलग है दोस्त ॥




शब्द ही इनकी संपत्ति , शब्द ही इनकी औलाद,
आज जानिए अजित भाई से किसे कहते हैं फ़ौलाद




महेन्द्र भाई की चर्चा का यहां मजा लीजीए,

लोग जिसे कहने लगे हैं अलानी फ़लानी उसे भी पढा कीजीए



खुशदीप भाई ने आज देखिए किसका बुत है बनाया,
मक्खन ने स्लौग ओवर में , जाने किसे हंसाया ॥



एक पहेली ऐसी जिसका जवाब है आपके सामने,
इस पोस्ट को देखिए ,पहेली को बूझने और जानने




विनोद भाई का ताजा व्यंग्य हरिभूमि में है छपा ,
यहां पर है समाचार, क्या आपने नहीं है पढा ॥



वीरबहुटी पर पढिए ,निर्मला जी की गज़ल,
निर्मला जी बनी गज़लकार , चर्चा है आजकल ॥



नाम नहीं तो क्या बेनामी लेखन में चमत्कार ,
ब्लोग्गिंग का विश्लेशण यहां हो रहा तैयार ॥




यहां बता रहे हैं कुछ भाई शरद कोकास,
बहुत ही सराहनीय है इनका ये प्रयास ॥



इस पोस्ट में अवधिया जी ने उठाया एक सवाल,
पढिए और इस मुद्दे पर रखिए अपना ख्याल ॥



कभी कभी मुसकुराने का भी मजा उठाईये,
यदि पसंद आए तो खुल के ठहाका लगाईये॥



संगीता जी ने पूछा है मितव्ययिता का अर्थ,
आज नहीं पढी ये पोस्ट , तो बांकी पढना व्यर्थ ॥



तारकेशवर जी भी एक सामयिक प्रश्न किया है खडा ,
आप उन्हें बतलाईये कि इंसान ,धर्म में कौन है बडा




विनीत भाई को सनिया का प्रकरण लगा खराप,
अपनी इस पोस्ट में , उको जमके दिए सराप॥




दूबे जी अक्सर अपना मनपसंद विषय चुनते हैं,
और इसके बाद जम के कलम को धुनते हैं ॥




यहां देखिए किसको मिला है ब्लोग्गर औफ़ मंथ का पुरस्कार,
अरे जाईये पढिए और उन्हें बधाई दीजीए सरकार ।

गुरुवार, 21 जनवरी 2010

पटरियों पर दौडेगी चिट्ठा चालीसा एक्स्प्रेस


मुझे नहीं पता था कि जब मैं इस पर लौटूंगा तो चर्चा की पटरियां "चिट्ठा चालीसा एक्स्प्रेस " बनके आपके सामने उतरेगी । और अभी तो रेल लाईनें बिछ रही हैं , यानि निर्माण कार्य जारी है जी , देखते जाईये और हां अपना अपना रिजर्वेशन करा लीजीये ............लंबी सैर को निकलना है । तो लीजीये हाजिर हैं आज के चालीस ........



कुछ इधर उधर


आज सबसे पहले हमने ये पोस्ट पढी है भैय्या,
आपही बताओ ,ई है धंधेबाजी ,मूर्खता, या शतुर्मुर्गी रवैया ॥


आज एलियन जी ने सच का सामना है करवाया ,
हंस हंस के हो गए लोटपोट, व्यंग्य बहुत ये भाया ॥



पूछ रही हैं घुघुती , क्या यही है वसंत ,
अजी ठंडे पडे हैं सब, क्या फ़कीर ,क्या संत ॥


दीपक पहुंचा वापस परदेस, वहां पड गया बीमार,
कैसी कैसी बातें है लिख रहा , आप भी डांटो यार ॥



ज़ाकिर भाई ने अपने सुपुत्र राशिम से मिलवाया ,
जन्मदिन है उसका , मैं बधाई भी दे आया ॥



गोदियाल जी पूछ रहे आज एक सवाल ,
इस पोस्ट में पढिये न उनका ये ख्याल ॥



अब हो जाईये आप हैप्पी होने को तैयार ,
दिखा रहे हैं कुलवंत जी, खिडकी के उस पार ॥



अदा एक नई अदा फ़िर से ले के आई हैं,
कहती हैं जमीं खून से नहाई है ॥



कह रहे हैं प्रतीक मुझे नौकरी चाहिए ,
आप भी जाए उनका हौसला बढाईये ।



शरद रितु जाती नहीं क्या करें मनमीत,
इसलिए अपूर्व सुना रहे हैं वसंत का गीत ॥




इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यूं है,
आज खुशदीप भाई ने भी पूछा कुछ यूं है ॥



विवेक भाई चले मुंबई टू चेन्नई वाया देवलोक,
आप पढिए पोस्ट को , दीजीये टिप्पणी ठोक ॥



आज इस पोस्ट में शर्मा जी अनाटोमी है पढाया,
अपने कुल अंगों का मैं तो वजन कर आया ॥


बबली अपनी पोस्ट में कर रही हैं मां शारदे की वंदना,
वसंत पंचमी के अवसर पे इस पोस्ट को चाहिए देखना ॥



ममता टीवी चैनल का हो गया ट्रांसफ़र ,
गोआ से प्रसारण बंद, शुरू हुआ इटानगर ॥



यहां बहस है जारी ,थ्री इडियट वर्सेस शोले,
आप देखिए और जानिए कौन क्या क्या बोले ॥



उफ़्फ़ ये अदाएं , उफ़्फ़ ये नजाकत ,
गोपाल जी कर रहे किसी बेदर्द से शिकायत ॥


रोजनामचे में दर्ज़ हुआ बोझ तले दबता बचपन,
जाने इस मुद्दे पर कब सोचेगा , प्रशासन ॥



ब्लोगजगत पे घूमता रहता था एक आवारा,
बहुत दिनों बाद फ़िर लौटा है वही अपना बंजारा ॥


कह रहे हैं अरुण साथी, समय होता है सांप,
इनकी कविता को पढ के क्या कहते हैं आप ॥



लो जी इस ब्लोग का नाम है तुम्हारा कमीना,
मगर इस पोस्ट में तो हमें दिखी कोई भी कमी ना ॥



इनके इस निर्णय का कहिए क्या किया जाए,
चलिए तो पहले इनका निर्णय पढा जाए ॥



सीमा जी का ये ब्लोग मन को भा गया है ,
कर दी उन्होंने घोषणा, वसंत आ गया है ॥



पूछ रहे हैं गिरि जी, क्या पेटू हैं हम लोग ,
जी बिल्कुल , चाहे हो रूखी सूखी या हो छ्प्पन भोग


बता रहे हैं मा साब काहे इस्कूल से बच्चे जाते हैं भाग ,
काश कि पढते गुनते सभी मंत्री लोग तो जाते शायद जाग ॥


दीक्षांत समारोह मनोज जी आज प्रश्न उठा दिया,
इस परिपाटी का एक नया ही चेहरा दिखा दिया


वर्डप्रेस पर आलसी , उतने ही मदमस्त ,
इनकी लेखनी के आगे सभी हो गए पस्त ॥



खामोशी बहुत कुछ कहती है, आप भी जा के सुनिए,
वहम , सत्य या संयोग , इनमें से एक को चुनिए ॥


साहित्य के आंगन में शब्दों की अल्पना,
अरे नहीं समझे तो देखिए न परिकल्पना ॥

चलिए अब कुछ चर्चाओं की चर्चा हो जाए



यहां पर मिलिए आज एक नए चिट्ठाकार से

किसी दिन होंगे आप भी इसमें , पढिए जरा प्यार से ॥



इस चर्चा को भी शर्मा जी ने बना दिया है टंच,
देखिए किन किन पोस्टों की चर्चा कर रहा है मंच ॥



पंकज भाई की चर्चा ने समा हुआ है बांधा ,
इसको नहीं पढा तो समझो छूटा हुआ है आधा



आज तूलिका क्या कहती है :-


क्रिकेटर नेता दोनों पटके , करके एक ही वार,
कमंडल से निकला कार्टून ,आप भी देखो यार ॥



वर्तमान हालातों की अद्बुत की है खिंचाई,
कह रहे हैं सुरेश जी कम होगी महंगाई ॥


कभी इनकी तूलिका का खाली जाता वार नहीं ,
माना कि मंत्री बेकार हैं , मगर फ़िर भी बेरोजगार नहीं ॥


काजल जी की तूलिका ने किया पुलिस को परेशान ,
पूछ लिया है डायरेक्ट कि बेटा अब कैसे काटोगे चालान ॥


बामुलाहिजा होशियार आ गए कीर्तिश भट्ट।

इनका भी कमाल देख लीजीए झटपट ॥


अब पहेलियां हो जाएं... तो तैयार हैं न



बिल्लन पूछे जब पहेली सबको है आजादी,
तभी तो इसका नाम है खेल फ़र्रूखाबादी ॥




यहां सजी हुई है ताऊ जी की चौपाल,
आप पहुंच के देखिए आज का सवाल


अब देखिए कि तनेजा जी इस पहेली में मचा रहे हैं क्या धमाल,
अच्छे अच्छे हुए परेशान , पहचानने में हुआ है बुरा हा ॥


अच्छा जी अब रेल चली आराम करने ....राम राम जी राम राम

सोमवार, 18 जनवरी 2010

यदि ऐसा ही है तो लीजीये अब चर्चा ही चर्चा



कहते हैं न कि जो होता है उसमें कोई न कोई अच्छाई छुपी होती है , पिछले दिनों चिट्ठों की चर्चा और चर्चाकारों के संदर्भ को लेकर जो बातें हुई उन्हें अब मैं दोहराना नहीं चाहता , मगर शायद अधिक भावुक होने के कारण और शायद इस वजह से कि प्रश्न विवेक भाई जो अनजाने नहीं हैं हमसे , द्वारा उठाए जाने के कारण मन दुख तो गया था । जबकि मैं जानता था कि उन्होंने न तो किसी चर्चाकार विशेष के लिए कोई शिकायत की था न ही किसी भी चिट्ठीचर्चा से । मगर जाने क्यूं ............हां जाने क्यूं , वो सब हुआ जो स्वाभाविक सा होता है मेरे साथ । मगर आप सबका स्नेह/आदेश/प्रेम और साथ कुछ इस कदर जकड चुका है कि मैं अब चाह कर भी उसे नहीं छोड सकता । ललित शर्मा जी जैसे अग्रज भी मुझे नए अंदाज़ में लपेट ले गए और मिथिलेश भाई, खुशदीप भाई , और महेन्द्र भाई ने बाकायदा पोस्ट लिख कर हमारा जबरन टंकी आरोहण करा ही दिया । मगर जैसा कि पहले ही कहा कि कुछ न कुछ तो अच्छाई निकल ही आती है इन प्रकरणों से तो देखिए इस बार भी ऐसा ही हुआ है कम से कम मेरे लिए तो जरूर ही ।
आपकी निष्पक्ष और मार्गदर्शी टिप्पणियों ने ब्लोगजगत के बहुत से नियम और कायदे सिखा दिए । यकीन मानिए मुझे न सिर्फ़ उनसे संबल मिला बल्कि बहुत ही कुछ सीख समझ गया जो अब आगे की यात्रा में मेरे लिएश्री ललित शर्मा जी का चिट्ठाकार चर्चा के नाम से शुरू हुआ नया ब्लोग और दूसरा श्री अविनाश वाचस्पति भाई का तेताला भी नए चर्चामंच के रूप में सामने आएगा तो अब लीजीए चर्चा ही चर्चा ।

जहां तक मेरी बात है तो अब मैं भी अपने इस मंच से आपको बता रहा हूं कि अब मेरी चर्चा भी प्रबल वेग से आगे बढने वाली है और अब तक जो भी योजनाएं लूप में थी अब सबको बाहर निकालने का समय आ गया है अब देखिए आप मुझे कहां कहां चर्चा करते हुए पाएंगे

झा जी कहिन :- यहां पर आप मुझे अपनी ब्लोग पटरियां बिछाते हुए देख ही चुके हैं और आप सबने उसे स्नेह भी खूब दिया है ये यहां चलती रहेंगी मगर अब इसमें आपको बीच बीच में "चिट्ठा चालीसा " भी पढने को मिलेगी । जी हां चालीसा मैं इसे क्यों कह रहा हूं ये तो आपको पढने के बाद ही पता चलेगा ॥तो बोलिए जय बजरंग बली की जय ॥

समयचक्र :- जी हां , महेन्द्र भाई के इस मंच पर अभी मुझे उदघाटन करना है , मगर यकीन रखिए इस पर आपको हम चर्चा का अपना एक अलग ही अंदाज़ दिखाएंगे , और समय के चक्र पर आपको कराई गई सवारी निश्चित रूप से पसंद आएगी ॥

तेताला :-अविनाश भाई के स्नेह निमंत्रण को हमने स्वीकार कर लिया है और इस मंच पर मेरे द्वारा सिर्फ़ और सिर्फ़ नए ब्लोग्स और नए ब्लोग्गर्स की चर्चा की जाएगी । उम्मीद है कि इससे नए ब्लोग्गर्स की न सिर्फ़ शिकायत कम होगी बल्कि उनका परिचय भी आप सबसे हो सकेगा और उनका प्रोत्साहन भी होगा ॥

टिप्पी का टिप्पा , टैण टैणेन
:- हा हा हा , इस ब्लोग का नाम सुनते ही मुझ खुद हंसी आ जाती है क्या करूं । तभी तो इस ब्लोग को बनाया है ताकि ये जो आप लोग चुपचाप टीप के निकल लेते हैं उसपर धपाक से एक टिप्पा लगा के उसे और भी फ़्लेवर्ड बनाया जाए । उम्मीद है कि ये नए अंदाज़ की चर्चा भी आपका स्नेह पाएगी ।


चलते चलते बस इतनी गुजारिश है कि समय और दिन की कोई पाबंदी नहीं रहेगी मुझ पर कि मैं कब कौन सी चर्चा करूंगा , कारण स्पष्ट है , मुझे खुद भी नहीं मालूम इसलिए । और आप सब विश्वास बनाए रखिएगा । बस ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा आपको , इस पोस्ट के लिखे जाने के चौबीस घंटे के अंदर अंदर आपको चर्चा मिल जाएगी । कब कहां ...मैं क्या जानूं रे !!!

शनिवार, 16 जनवरी 2010

तो आखिर क्या हो पैमाना चिट्ठा चर्चा के लिए ???




सबसे पहले तो चंद जरूरी बातें , पहली ये कि झा जी कहिन नहीं बंद हुआ है , न ही वो ब्लोग कहीं जा रहा है अलबत्ता चर्चा या ब्लोग लिंक्स , आप जो भी समझें , उसे मैंने स्थाई रूप से विराम दे दिया है । दूसरी जरूरी बात ये महज एक दुख:द संयोग था कि भाई विवेक रस्तोगी जी की पोस्ट आई ,वो भी मेरी चर्चा के ठीक बाद , उसमें उनकी शिकायत , उसमें किसी भी विशेष चर्चाकार की ओर ईशारा न करना , एक चर्चाकार के रूप में और एक संवेदनशील या शायद ज्यादा ही संवेदनशील होने के और उससे भी अधिक आप में से ही एक ब्लोग्गर होने के कारण मेरा थोडा सा निराश होना और उसके बाद मेरा निर्णय । सब कुछ अपने आप ही होता गया । मगर इस प्रकरण ने फ़िर भी बहुत कुछ सोचने और सबसे बढकर आत्मविशलेषण करने का अवसर दे दिया । इस प्रकरण को मेरा टंकी पर चढने वालों को सिर्फ़ इतना बता देता हूं कि अबकी बार न तो मेरा ऐसा इरादा था और अब निर्णय लेने के बाद न ही उस पर पलट जाने का ।

इस प्रकरण और ऐसे ही अन्य प्रकरणों का एक जो प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष दुष्परिणाम निकलता है और जिसका कि मुझे सबसे ज्यादा डर था वो यही था , जैसा कि हो ही गया कि भाई ललित शर्मा जी ,जिन्होंने सिर्फ़ पिछले कुछ दिनों से ही चर्चा में हाथ आजमाया था और उतने ही दिन में ये जता/बता दिया था कि वे बहुत ही बेहतरीन चर्चाकार हैं ने भी आनन फ़ानन में एक दुखद निर्णय ले लिया । हालांकि मैं कभी नहीं चाहूंगा कि ललित भाई अपने इस निर्णय पर कायम रहें और देर सवेर उन्हें मना ही लूंगा । मगर यदि कोई भी प्रतिक्रिया न भी आती तो क्या जरूरी था कि जिस तरह से सभी एक एक करके चर्चाकारों द्वारा चर्चा में शामिल किए जाने वाले पोस्टों को लेकर अपनी नाखुशी/अपनी आपत्ति और विरोध दर्ज़ करवा रहे थे वो प्रवृत्ति और भी आगे नहीं बढती । और रही बात भाई मिथिलेश जी के कमज़ोर दिल ब्लोग्गर वाली बात की तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी ब्लोग्गर है जो इस श्रेणी में आता होगा । यदि ये शिकायत कोई नया ब्लोग्गर मित्र /या कोई अनजाना मित्र करता तो शायद झेल भी जाते , मगर जिनके बीच हमेशा ही अपने शब्दों/विचारों और टीपों के माध्यम से विचरता रहता हूं यदि उन्हें भी नीयत पर शक हो तो फ़िर ......????।यहां एक बात बताता चलूं कि सवाल जब आपकी निष्ठा/ईमानदारी/निष्पक्षता और नीयत पर उठने लगे तो ब्लोगवाणी जैसा ऐग्रीगेटर को आहत कर सकता है फ़िर तो निरे ब्लोग्गर की बिसात ही क्या ??

लेकिन जब बहस चल ही पडी है तो फ़िर आप सभी ब्लोग्गर्स ये भी तय कीजीए न कि आखिर क्या हो फ़िर इस चिट्ठा चर्चा का पैमाना ??। आखिर वो कौन सी बातें हैं जो कि चिट्ठा चर्चा कार को अपने जेहन में रखनी चाहिए ??

क्या उन पोस्टों को छोड दिया जाए जो उस दिन बहुत अच्छी लिखी गई हैं , तर्क ये दिया जाता है उन पोस्टों तो स्वाभाविक रूप से पहले ही सब पढ चुके होते हैं फ़िर चर्चा में उनकी लिंक लगाने का क्या फ़ायदा ??? तो क्या उन्हें इस बात के लिए ये दंड दिया जाए कि उन्होंने उस दिन अच्छा लिखी और जब सबने वैसे ही पढ लिया तो फ़िर चर्चा क्यों हो भाई ???? ये ठीक रहेगा न ??

या फ़िर ऐसा किया जाए कि सिर्फ़ नए ब्लोग्स को , या बिल्कुल भी पढे नहीं गए ब्लोग्स को , अनछुए ब्लोग्स को उठाया जाए ,और उनकी लिंक लगा के पढाया जाए । अच्छी बात है ये तो होना ही चाहिए , बस अपने दिल पर हाथ रख के एक बात बताईये , हम में से कितने ब्लोग्गर हैं जो नियमित रूप से अपने बीच आ रहे नए ब्लोग्गर मित्रों को पढ के टीपते हैं , तो फ़िर सारी जिम्मेदारी चर्चाकार पर ही क्यों ?? यहां लगे हाथ अपने उन नए ब्लोग्गर मित्रों से भी पूछता चलूं कि आखिर एक हफ़्ते, एक महीने और कुछ समय तक की ब्लोग्गिंग में उन्हें पुराने (वरिष्ठ नहीं कहूंगा ) ब्लोग्गर्स, नियमित टिप्पणीकारों , और चर्चकारों से भी शिकायत होने लगती है ??? आखिर हममें से कोई आमिर खान , और शाहरूख तो नहीं है कि आपको टीपने के लिए लाईन लग जाए ।

कविता/कहाने/कार्टून/व्यंग्य/गंभीर आलेख/..आदि के रूप में बांट कर चर्चा की जाए .....वाह सुन कर अच्छा लगा न , मुझे भी बहुत अच्छा लगा । तो ऐसा करते हैं फ़िर एक चर्चाकार को किराए पर लाते हैं जिसे कहेंगे कि भाई जी आपने ब्लोग्गिंग नहीं करनी है सिर्फ़ चर्चा करनी है । आखिर ये तभी तो संभव है न जब वो चौबीसों घंटे बैठ कर एक एक ब्लोग पढ कर हमारे आपके लिए एक कमाल की चर्चा ले कर आये ।

और भी हैं बहुत से पैमाने , तय तो आपको करना है ?????????मगर इसके बाद आखिर क्या गारंटी है इस बात कि किसी चिट्ठाचर्चाकार पर ये तोहमत नहीं लगेगी ???? लेंगे आप ????

एक आखिरी बात जरूरी नहीं कि हर बार मेरी तरह ही टंकी पर चढा ब्लोग्गर फ़ट से नीचे भी उतर जाए ???तो कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है कि उसकी नीयत पर सवाल न उठाया जाए ।
हां रही बात इस मुद्दे कि हमारा कैलिबर कितना है तो अब इस ब्लोग्गिंग की दुनिया में इतना तो माद्दा रखते हैं कि रोज ही पचास लिंक्स की चिट्ठा चर्चा (चिट्ठा पचासा ) के नाम से आपके सामने रख दूं , और यकीन जानिए ये बहुत मुश्किल भी नहीं है ..............बस मुझे और अन्य मित्र चर्चाकारों को भी अपने में से ही एक समझें । इश्वर करे कि ये प्रकरण , ब्लोगवाणी प्रकरण की तरह ही , नए ऐग्रीगेटर्स की भांति नए चर्चाकार मित्रों को सामने लाए ॥


गुरुवार, 14 जनवरी 2010

दो लाईनों की पटरी, पूरे ब्लोग नगर से गुजरी (ब्लोग लिंक्स )



मुझे बहुत खुशी है कि , अब ब्लोगजगत में कम अब कम से कम ये शिकायत तो किसी को नहीं होगी कि ,पोस्टें तो लिखी जा रही हैं , मगर चर्चा नहीं होती ।आप खुद देख पढ रहे हैं कि किस तरह से नित नई चर्चाएं, एक से बढ के एक अंदाज ,कलेवर,और शैली में आपके सामने प्रस्तुत हो रही हैं ।और ये तो बस एक शुरूआत भर है ,,आगे आगे देखिए होता है न क्या ??। हां आगे की चर्चाओं में कोशिश ये होगी कि आपसे उन अनछुए , अनजाने,और सुंदर ब्लोगपोस्ट, ब्लोग्गर्स , और ब्लोग्स से आपकी मुलाकात कराई जाए ॥

कहते हैं, दूर हुए जो थे सब अपने॥


ललित जी अपने अंदाज में सजा रहे मंच,
नए नए स्टाईल से ,चर्चा हो रही टंच ॥


संक्रांति के अवसर पर कुछ धार्मिक सा हो जाए,
विष को पीकर, शिव जी नीलकंठ कहलाए ॥



खास अंदाज में खुशदीप खींचते हैं खाका ,
आज तो मक्खन की जेब पर पड गया डाका ॥



जानिए कि एक कला होती है,डुबकी लगाना,
कला सीखनी है तो सफ़ेद घर हो के आना ॥



इहां एक ठो नेता जी , लगे हैं कुछ बताने,
आप भी सुनिए, अमर सिंह लगे हैं ब्लागियाने ॥


अपनी बला से कोई रूठ भी जाए ,
अंतर्मंथन की पोस्ट पढ के आए ॥


शब्दों के सफ़र को भी ध्यान से लिया जाए देख,
आज का शब्द है ,क्या होता है मीन मेख ॥



अक्ल हो तो मरे हुए गधे को भी बेच सकते हैं ,
प्रमाण के लिए , आप ये पोस्ट देख सकते हैं ॥



शरद भाई ने पोस्ट में पेश की फ़िर नायाब चीज,
प्रेमी कहे प्रेमिका से,जानम स्माईल प्लीज ॥


यहां पहुंच कर दीजीये हैप्पी बर्थडे की बधाई ,
इसलिए तो खासकर ,ये पोस्ट गई है लगाई ॥




नकली पंजाब नेशनल बैंक ने जैसे ही चारा डाला,

बेचारों को पता नहीं था,पड गया किससे पाला ॥



तनाव के दौर में बिन हास्य फ़ुहार के होता है वो गरीब,
आप मुंह तैयार रखें , हंसने की यहां बताई गई है तरकीब ॥


अरे कहां अटक गए भैय्या, जल्दी पढने भाग,
तमाम तरह की सोच का बंडल है , दिमाग ॥



प्रीती टेलर ने फ़िर आज बुन दिया कुछ खास,
आज की पोस्ट में हो रही है जश्न की तलाश ॥



यहां मिलता है वो जो बातें गई हैं भूली ,
उसने कहा था कह कर कैसे की जाती है उंगली ??



अब चंद पंक्तियां यहां पढिए आप सुहानी ,
इनके लफ़्जों को समझा जाए इनकी कहानी ॥



अब एक झक्कास पोस्ट पढने को हो जाईये तैयार,
जानिए ताऊ का किससे,कैसा था करार ॥



चंद्रभान जी अपनी पोस्ट में देखें क्या कह रहे हैं आज,
लिखिए, पढिए , पर अपना आप नया रखिए अंदाज ॥




पढते पढते आप अब डालिए यहां नजर ,
जिंदगी के चौराहे पर जाने कौन गया ठहर ॥



चिट्ठाकारों के प्रति यहां विवेक भाई ने शिकायत कराई दर्ज़
चलिए नोट किया हमने तो अब नहीं भूलेंगे फ़र्ज़ ॥
तो आज की पटरी बस यहीं तक बनी है, सफ़र जारी है ...........................


तो आज की पटरी बस यहीं तक बनी है, सफ़र जारी है ...........................

शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

बिछा दी हैं पटरियां , घूम लो ब्लोग नगरिया ( ब्लोग लिंक्स )

लो जी हम एक बार फ़िर हाजिर हैं दो लाईना ....ओह माफ़ कीजीए हुजूर ....अपनी पटरियां लेकर ...तो बैठिए इस पर और पहुंचिए जहां जहां आपको पहुंचना है ॥ हां यहां एक बात बताने का मन हो रहा है ,. लोग बाग कह रहे हैं कि फ़ूं फ़ां वाली चर्चा को तोक दिया जाना चाहिए , सो उनके लिए बुरी खबर है जिन्हें लगता है कि झाजी को खाली पटरी बिछाना आता है ...........हम भाई महेन्द्र मिश्रा जी के ब्लोग पर आपको एक नए अंदाज की चर्चा दिखाएंगे और हां न सिर्फ़ पोस्ट चर्चा बल्कि चिट्ठा चर्चा भी .......और हां उस एक्प्रेस गाडी पर बैठ कर आपको भी मजा न आया तो कहिएगा । तो इंतजार कीजीये और तब तक जब तक हम पटरी बिछा रहे हैं .........


अवधिया जी ने नए साल में खोली टीपों की दुकान,


इश्क हुआ हमें तो इससे , आप अपनी कहो सनम ॥



आज तो हर पोस्ट में बस है एक ही नजाकत,



अजी अभी और पढना है ब्लोग्गिंग को, क्या मन नहीं भरा,



देखें कब मिलता है सौभाग्य सबको गले लगाने का ॥



सुना है झांसाराम, और आरामदेव को हो रही है टेंशन ॥



अरे थोडा साहस आप भी दिखाईये और जाकरे पढिये न दोस्त ॥



खुदा के नाम पे इनके ब्लोग पर भी एक चट्खा लगाएं ,



बेरोजगारी में कमाईये ऐसे ,



बताईये उनसे करें कैसे शिकवे गिले ,



जिंदगी के मेले में ढूंढिए अपने जज्बात ,



उदास रातें, बहुत बेकरार करती हैं ॥



देखिए आदर्श भाई ने उनसे आज प्रश्न कितना बडा किया ॥



पहले पढिए पोस्ट, फ़िर टीप भेजिए ॥



मगर लगता है इस बार तो अंतर बडा है भारी ॥


बूझो तो जानें


देखिए न कितनी पोस्टें पढा रहे हैं ॥


आसान अंदाज में, विधिगत जानकारी, वाह॥



यहां गया है पूछा , कि क्या खूबसूरती है अभिशाप,



ठंड में दूबे जी के कार्टून ने किया कुछ गर्मी का इंतजाम,



उनकी तूलिका के अमर सिंह हैं परमानेंट मेहमान ॥



आज मिला एक नया नाम , कहा गया है कायर ॥


तो बस जी इस पोस्ट के बाद और कुछ कहने सुनने का मन नहीं है अभी फ़िलहाल । इसलिए अभी तो इतना ही ........


सोमवार, 4 जनवरी 2010

ये चिट्ठी चर्चा नहीं सिर्फ़ पोस्टों के लिंक भर हैं (पोस्टों के लिंक )

अभी कुछ दिन पहले एक टीप आई कि ,,,क्या आप जो करते हैं वो चिट्ठा चर्चा है , मैंने कहा नहीं , ये चिट्ठा चर्चानहीं है ये चिट्ठी चर्चा है , जैसा कि मैं पहले से कहता रहा था मगर फ़िर सोचने बैठा तो लगा कि ये तो कुछ भीनहीं है चिट्ठा चर्चा और ही चिट्ठी चर्चा और फ़िर जब थोडा और सोचा तो लगा कि इस हिसाब से को हमचर्चाकार जो भी करते हैं इस नाम पर वो चिट्ठा चर्चा तो नहीं होती............अलबत्ता उसे पोस्ट चर्चा जरूर कहा जासकता है और मैं तो वो भी नहीं करता तो फ़िर जो मैं करता हूं वो क्या है .......अंदर से आवाज आई, कुछ नहीं जीआप बस अपनी दो लाईनों की एक पटारी बनाते हैं जिस पर चल कर कोई रेल की तरह जिस स्टेशन पर पहुंचजाता है जो किसी की पोस्ट होती है , तो लीजिए जी पटरियां बिछा दी हैं दौडाईये रेल अपनी और हां चर्चा के बारेमें तो कुछ कहा ही नहीं .....तो लीजिए अब जाते जाते ये भी सुन लीजीए ....चिट्ठा चर्चा और पोस्ट चर्चा का नमूनाअब भाई महेन्द्र मिश्रा जी के ब्लोग समयचक्र पर ही दिखाने का प्रयास करूंगा ...बांकी तो आप खुद तय कीजीएगा
......?????




देखिए जी ज्यादा न टीपों के आने पर करें घमंड,
क्योंकि टिप्पणियां नहीं होती गुणवत्ता का मापदंड ॥



ब्लोगवाणी के नाम लिखी गई एक अलबेली चिट्ठी,
इसी बहाने खोल दी जाने कितनी पोल पट्टी ॥



मिश्रा जी ने बताया कौन सुर है कौन असुर,
हमने जता दी आपत्ति कहां गए भैंसासुर ॥


देखिए सुनिए एलियन अदा जी का सुर ताल,
एक ने गाया, एक ने लिखा, बिना कहे गया ये साल


इहां जाहिर कर रहे हैं मेजर साब अपनी कविताई शंका,
आपही किजीये समाधान , कुछो ना सूझा हमका ॥



शास्त्री जी की चर्चा को नहीं देखा तो क्या पढा,
आप भी उठाईये न इस चर्चा का मजा ॥



देखिए काजल भाई की तूलिका क्या बोल रही है आज,
उन्होंने कैसे खोला साफ़ सुथरी ब्लोग्गिंग का राज ॥



उफ़्फ़ा अदा हर अदा निराली , कविता हो गज़ल हो,
आज की पंक्तियां, हाथ में गंगा जल हो ॥



टूर से वापस आ गई है देशनामा की जीप,
नई पोस्ट लेके आ गये भाई खुशदीप



ताउ जी की पहेली का देखिए कौन बना विजेता,
हाय हमसे तो न गया इसे कभी भी जीता ॥


आज गोदियाल जी ने बात कही एक तगडी,
नए गढे कुछ शब्द, छोडिये ब्लोग , ब्लोगरी ॥



एक साथ बहुत सी पोस्टों को यहां पढा कीजीए,
फ़िर एक बार धांसू सी चिट्ठाचर्चा का मजा लीजीए॥



बाबा लंगोटानंद जी ने भभूत का बता दिया है रेट,
जल्दी से और्डर कीजीए, हो न जाना लेट ॥



सिदार्थ जी ने उठाया अमरूद के लिए तरसने का मजा,

तस्वीरें देख तो हमरे मुंह में भी पानी आ गया



विशुद्ध साहित्यिक चर्चा है नहीं कोई विवाद,
अद्भुत है ये चिठियाना-टिपियाना संवाद ॥



आज फ़िर हैं नीरज, और साथ हैं उनकी किताब,
अरे यहां पहुंच के देखिए, कहां हैं आप जनाब ॥



रंजना जी लिखी फ़िर से पोस्ट आज ये खास,
शीर्षक उसका रखा है, कुछ यूं ही एहसास ॥


पल्लवी ले के आई हैं , नए साल की चाट,
चल मुसाफ़िर लपक ले देखता किसकी बाट ॥



शिल्पकार के मुख से निकली पंक्तियां क्या कहने लगी हैं ,

कहती हैं बडी वाली हवेली भी अब ढहने लगी है ॥



ब्लोगवाणी ने बदला कलेवर , सज के हुआ तैयार,
यहां पर आप भी व्यक्त कीजिए आप उसका आभार ॥


वर्मा जी ले के आए सुंदर शब्दों की छांव,
आज एक कवि को याद आया है अपना गांव ॥



तुम्हारी लटें, मेरा ख्याल और चांद रात,
इस पोस्ट में लिखी गई है ये बात



तो बस आज इस छोटी लाईन की पटरियों का मजा लीजीए, कल की छु्ट्टी में बडी लाईन ......या टि्प्पी का टिप्पा ....जैसा आप चाहें ..............???????????