सोमवार, 18 जनवरी 2010

यदि ऐसा ही है तो लीजीये अब चर्चा ही चर्चा



कहते हैं न कि जो होता है उसमें कोई न कोई अच्छाई छुपी होती है , पिछले दिनों चिट्ठों की चर्चा और चर्चाकारों के संदर्भ को लेकर जो बातें हुई उन्हें अब मैं दोहराना नहीं चाहता , मगर शायद अधिक भावुक होने के कारण और शायद इस वजह से कि प्रश्न विवेक भाई जो अनजाने नहीं हैं हमसे , द्वारा उठाए जाने के कारण मन दुख तो गया था । जबकि मैं जानता था कि उन्होंने न तो किसी चर्चाकार विशेष के लिए कोई शिकायत की था न ही किसी भी चिट्ठीचर्चा से । मगर जाने क्यूं ............हां जाने क्यूं , वो सब हुआ जो स्वाभाविक सा होता है मेरे साथ । मगर आप सबका स्नेह/आदेश/प्रेम और साथ कुछ इस कदर जकड चुका है कि मैं अब चाह कर भी उसे नहीं छोड सकता । ललित शर्मा जी जैसे अग्रज भी मुझे नए अंदाज़ में लपेट ले गए और मिथिलेश भाई, खुशदीप भाई , और महेन्द्र भाई ने बाकायदा पोस्ट लिख कर हमारा जबरन टंकी आरोहण करा ही दिया । मगर जैसा कि पहले ही कहा कि कुछ न कुछ तो अच्छाई निकल ही आती है इन प्रकरणों से तो देखिए इस बार भी ऐसा ही हुआ है कम से कम मेरे लिए तो जरूर ही ।
आपकी निष्पक्ष और मार्गदर्शी टिप्पणियों ने ब्लोगजगत के बहुत से नियम और कायदे सिखा दिए । यकीन मानिए मुझे न सिर्फ़ उनसे संबल मिला बल्कि बहुत ही कुछ सीख समझ गया जो अब आगे की यात्रा में मेरे लिएश्री ललित शर्मा जी का चिट्ठाकार चर्चा के नाम से शुरू हुआ नया ब्लोग और दूसरा श्री अविनाश वाचस्पति भाई का तेताला भी नए चर्चामंच के रूप में सामने आएगा तो अब लीजीए चर्चा ही चर्चा ।

जहां तक मेरी बात है तो अब मैं भी अपने इस मंच से आपको बता रहा हूं कि अब मेरी चर्चा भी प्रबल वेग से आगे बढने वाली है और अब तक जो भी योजनाएं लूप में थी अब सबको बाहर निकालने का समय आ गया है अब देखिए आप मुझे कहां कहां चर्चा करते हुए पाएंगे

झा जी कहिन :- यहां पर आप मुझे अपनी ब्लोग पटरियां बिछाते हुए देख ही चुके हैं और आप सबने उसे स्नेह भी खूब दिया है ये यहां चलती रहेंगी मगर अब इसमें आपको बीच बीच में "चिट्ठा चालीसा " भी पढने को मिलेगी । जी हां चालीसा मैं इसे क्यों कह रहा हूं ये तो आपको पढने के बाद ही पता चलेगा ॥तो बोलिए जय बजरंग बली की जय ॥

समयचक्र :- जी हां , महेन्द्र भाई के इस मंच पर अभी मुझे उदघाटन करना है , मगर यकीन रखिए इस पर आपको हम चर्चा का अपना एक अलग ही अंदाज़ दिखाएंगे , और समय के चक्र पर आपको कराई गई सवारी निश्चित रूप से पसंद आएगी ॥

तेताला :-अविनाश भाई के स्नेह निमंत्रण को हमने स्वीकार कर लिया है और इस मंच पर मेरे द्वारा सिर्फ़ और सिर्फ़ नए ब्लोग्स और नए ब्लोग्गर्स की चर्चा की जाएगी । उम्मीद है कि इससे नए ब्लोग्गर्स की न सिर्फ़ शिकायत कम होगी बल्कि उनका परिचय भी आप सबसे हो सकेगा और उनका प्रोत्साहन भी होगा ॥

टिप्पी का टिप्पा , टैण टैणेन
:- हा हा हा , इस ब्लोग का नाम सुनते ही मुझ खुद हंसी आ जाती है क्या करूं । तभी तो इस ब्लोग को बनाया है ताकि ये जो आप लोग चुपचाप टीप के निकल लेते हैं उसपर धपाक से एक टिप्पा लगा के उसे और भी फ़्लेवर्ड बनाया जाए । उम्मीद है कि ये नए अंदाज़ की चर्चा भी आपका स्नेह पाएगी ।


चलते चलते बस इतनी गुजारिश है कि समय और दिन की कोई पाबंदी नहीं रहेगी मुझ पर कि मैं कब कौन सी चर्चा करूंगा , कारण स्पष्ट है , मुझे खुद भी नहीं मालूम इसलिए । और आप सब विश्वास बनाए रखिएगा । बस ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा आपको , इस पोस्ट के लिखे जाने के चौबीस घंटे के अंदर अंदर आपको चर्चा मिल जाएगी । कब कहां ...मैं क्या जानूं रे !!!

28 टिप्‍पणियां:

  1. झा जी, बात अग्रज की है इसलिए अनुज की
    पोस्ट पढकर हम भावुक हो गए। बस और कुछ नही। आप चर्चा नही करते तो हम भी नही करते।
    यही हमने सोचा था, और कुछ हमारे दिल मे नही था और न रहेगा। ये जानिए,
    स्वागत है आपका
    चर्चा को दिजिए नया आयाम-राम-राम

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  2. आप चर्चा कीजिए ढूढ़ तो हम लेंगे ही...फिर से आपको इस बढ़िया सराहनीय कार्य के लिए शुभकामना..

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  3. ये हुई ना बात, अब लग रहें हैं आप

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  4. अजय भाई, चलो हमारी बात को गलत रुप में भले ही देखा गया, और प्रकरण लंबा खिंच गया और बहुत सारे लोगों को बुरा भी लगा, परंतु मैंने सीधे साधे मन से अपनी बात रखी थी, मेरा ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था, पर आज फ़िर भी संतुष्टि है कि चलो अजय भाई अब पूरे वेग से लिखेंगे।

    आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ और सभी चिट्ठाकारों को भी।

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  5. पोस्ट लिख कर हमारा जबरन टंकी आरोहण करा ही दिया । मगर जैसा कि पहले ही कहा कि कुछ न कुछ तो अच्छाई निकल ही आती है इन प्रकरणों से तो देखिए इस बार भी ऐसा ही हुआ है कम से कम मेरे लिए तो जरूर ही ।

    दो बार गलती से आ गया है कृप्या सुधार लें :)

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  6. अजय भाई,
    मैंने कहा नहीं था कि आप पूरे लाव-लश्कर के साथ आ रहे हैं...अब हम ज़िगर थाम कर बैठे हैं आप की सचिन तेंदुलकर स्टाइल बैटिंग देखने के लिए...

    मैं फिर कहता हूं कि आप साफ़दिल इंसान है, इसलिए दूसरों से भी ऐसे व्यवहार की उम्मीद करते हैं...लेकिन ज़िंदगी में थोड़ा-बहुत नमक भी चलता है...कभी संवाद की कमी से भी गलतफहमी हो जाती है...दूसरा किसी और संदर्भ में कोई बात कह जाता है और उसका अलग अर्थ निकल आता है...जहां तक मैंने आपको समझा है...आप गलत बात न तो करते हैं और न ही दूसरे की गलत बात बर्दाश्त करते हैं...लेकिन कोई दूसरा कुछ उलटा करता है तो आप खुद को ही सज़ा देना शुरू कर देते हैं...जहां तक मेरा सवाल है, तनाव कहीं भी हो, मुझसे जो कुछ भी बन पाता है, उस तनाव को दूर करने की कोशिश करता हूं...मैंने टंकी पर महेंद्र मिश्र जी की पोस्ट के बाद जो दो पोस्ट लिखीं, उसका भी मकसद यही था कि किसी तरह तनाव दूर किया जाए...लेकिन इस चक्कर में कोई गुस्ताखी हो गई हो तो बड़ा भाई मानते हुए दिल से निकाल दीजिएगा...

    जय हिंद...

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  7. इस प्रकरण नें तो आपमे एक नवीन उर्जा का संचार कर डाला...
    बधाई और शुभकामनाऎँ!!!

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  8. सादर वन्दे
    इस पुरे प्रकरण से क्या निकला ये तो अलग बात है लेकिन मेरे जैसे कम लिखने वाले ब्लागर को भी इस प्रकरण के सुखद अंत कि ख़ुशी हुयी.
    रत्नेश त्रिपाठी

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  9. हमें पता है यह खिलाड़ी जब आराम कर के लौटता है तो और अधिक उत्साह से खेलता है।

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  10. अरे वाह, यानि आप अब तरोताजा हो कर आये है, बहुत सुंदर

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  11. ये हुई न मर्दों वाली बात।चलो हम भी चर्चा-वर्चा चालू करते हैं हमे तो इसका खर्चा भी मिलेगा।जय हो बजरंग बली की,झा साब बजरंग बली की इतनी जय कर चुका हूं कि आज तक़ वैसा ही रह गया हूं।हा हा हा हा इस मामले मे आपको फ़ोन करने वाला था मगर फ़ोन के साथ-साथ नम्बर भी गुम गये। चलिये एक पोस्ट लिख कर सबसे मांग लेते हैं।

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  12. मेरा भारत महान
    भारत एक भावना प्रधान देश है
    भावनाओ के सम्मान के साथ स्वागतम

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  13. लीजीये अपने वादे के अनुसार तेताला पर नए चिट्ठों की चर्चा से पारी की शुरूआत हो चुकी है

    http://tetalaa.blogspot.com/2010/01/blog-post_19.html

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  14. अजय जी का तो हम आभार भी नहीं कर सकते। आखिर वे मेरे अनुज जो हैं।

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  15. चले आओ कि तेरा आना..
    बहुत सुहाना लगता है...



    -जय हो!! शुभकामनाएँ.

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  16. वाह झा जी एकदम चुस्त दुरुस्त होकर आ गए इसीलिए जरुरी है कभी कभी गुस्सा होना !!

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..