रविवार, 9 मई 2010

"ब्लोग बोलता है" : ब्लोग + रेडियो : व्हाट एन आईडिया सर जी !


कल जब इस पोस्ट पर भाई खुशदीप ने टिप्पणी की कि , क्या मैंने कभी रेडियो प्रसारण सेवा में हाथ आजमाने की नहीं सोची तो मुझे बताना पडा कि एक दशक पहले जब मेरा अंतरिम चयन पटना औल इंडिया रेडियो के लिए समाचार वाचक /अनुवादक के पद पर हुआ था , मगर अंतिम चयन नहीं हो पाया । इसी तरह बैठे बैठे अचानक एक धमाकेदार ख्याल आया जिसपर यूं तो मैंने बात आगे बढा दी है , मगर सोचा कि आप सबकी राय भी लेता चलूं ।


तो आईडिया ये है कि , ब्लोग पोस्टों की , ब्लोग पर हो रही दिलचस्प बहसों की , ब्लोग पर लिखी जा रही कविताओं ,गज़लों,शेरों, कहानियों और सभी कुछ को रेडियो कार्यक्रमों के साथ जोडा जाए तो । हालांकि इस विषय पर कुछ न कुछ तो रेडियो पर होता ही रहता है । जैसा कि एक वर्ष पहले रेडियो जर्मनी हिंदी सेवा ने ब्लोग्गिंग पर एक प्रस्तुति भी की थी । और इतना ही नहीं एफ़ एम रेडियो के उदघोषक भी अपने कार्यक्रमों में अपने ब्लोगस की चर्चा करते रहते हैं । इसके लिए फ़िलहाल तो मैंने सभी हिंदी प्रसारण सेवाओं को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि यदि ऐसा संभव हो सकता है कि ऐसे किसी कार्यक्रम की शुरूआत ,की जा सकती है तो मैं खुद ही इसे तैयार करके भिजवा सकता हूं । अन्यथा ये बडी आसानी से खुद उनके प्रसारक कर सकते हैं ।


इसके साथ ही ये योजना भी है कि सभी एम एम रेडियो चैनलों से भी आग्रह किया जाएगा कि वे जब भी किसी सामयिक विषय पर कोई कार्यक्रम कर रहे होते हैं तो इन ब्लोग पोस्टों में कही गई बातों को बहसों को और टिप्पणियों का भी उपयोग कर सकते हैं


तो तैयार हैं आप सब रेडियो ब्लोग्गिंग के लिए ........................................

26 टिप्‍पणियां:

  1. असिस्टेंट की नौकरी मिलेगी क्या...

    जय हिंद

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  2. ब्लॉग और ब्लोगरों को सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित करने के लिए हम सब को मिलकर कोई ठोस कदम उठाना होगा / इन प्रिंट मिडिया और fm वालों के वाहवाही या चर्चा से कुछ नहीं होगा / हमें ब्लॉग को इतना प्रभावशाली बनाने की जरूरत है की इसकी अनदेखी कोई सारकार भी न कर सके / इसके लिए कुछ ठोस सोचिये हम सब तन मन धन से आपके साथ हैं /

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  3. रेडियो, टीवी और समाचार पत्रों में ब्लागीरी का चर्चा हो यह अच्छी बात है। लेकिन ब्लागीरी मजबूत तो अपने कंटेंट से ही होगी।

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  4. आदरणीय जय जी,

    शुरूआत कहीं न कहीं से तो करनी ही पडेगी । यकायक कोई ब्लोग्गिंग को इतना भाव तो देने से रहा । इसलिए प्रयास तो करना ही होगा , बांकी आप लोग जैसी राय देंगे वैसा ही होगा । वैसे मैंने बीबीसी , रेडियो जर्मनी जैसी विश्व प्रसारणों की भी बात की है ।

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  5. करो जी, ओर हमे भी मार्ग दर्शन करो

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  6. आइडिये में कोई बुराई नहीं है. गिरीश बिल्लोरे जी पाडकास्ट इंटरव्यू पहले से ही कर रहे हैं. वीडियो शायद रवि रतलामी जी भी कर चुके हैं. सभी विधाओं की अपनी-अपनी सीमाएं व क्षमताएं हैं.

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  7. अच्छा समाचार है । इंतजार रहेगा ।

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  8. आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया है!

    मातृ-दिवस पर
    ममतामयी माँ को प्रणाम तथा कोटि-कोटि नमन!

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  9. बहुत सही आईडिया है, ताऊ की जरुरत लगे तो हाजिर है.

    रामराम.

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  10. अजय भाई , जन्मदिन की हार्दिक बधाई ।
    पार्टी तो लेकर छोड़ेंगे , एक दिन ।

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  11. नायाब आइडिया और पहल के लिए शुभकामनायें ! मुझे अपने साथ समझिएगा !

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  12. मीनू खरे जी की उपस्थिति यहाँ अपेक्षित है। वह एक ब्रॉडकास्टर हैं।

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  13. जन्मदिन के अव्सर पर क्या आईडिया आया आपको झा जी

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  14. अपने जन्मदिन के अवसर पर यह तो आपने हम सब को गिफ्ट दे डाला !!
    बहुत बढ़िया आईडिया है सर जी !!

    फिलहाल जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !!

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  15. ब्लोग + रेडियो : व्हाट एन आईडिया सर जी !"

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  16. as a trainee नौकरी मिलेगी क्या? :)

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  17. आज हिंदी ब्लागिंग का काला दिन है। ज्ञानदत्त पांडे ने आज एक एक पोस्ट लगाई है जिसमे उन्होने राजा भोज और गंगू तेली की तुलना की है यानि लोगों को लडवाओ और नाम कमाओ.

    लगता है ज्ञानदत्त पांडे स्वयम चुक गये हैं इस तरह की ओछी और आपसी वैमनस्य बढाने वाली पोस्ट लगाते हैं. इस चार की पोस्ट की क्या तुक है? क्या खुद का जनाधार खोता जानकर यह प्रसिद्ध होने की कोशीश नही है?

    सभी जानते हैं कि ज्ञानदत्त पांडे के खुद के पास लिखने को कभी कुछ नही रहा. कभी गंगा जी की फ़ोटो तो कभी कुत्ते के पिल्लों की फ़ोटूये लगा कर ब्लागरी करते रहे. अब जब वो भी खत्म होगये तो इन हरकतों पर उतर आये.

    आप स्वयं फ़ैसला करें. आपसे निवेदन है कि ब्लाग जगत मे ऐसी कुत्सित कोशीशो का पुरजोर विरोध करें.

    जानदत्त पांडे की यह ओछी हरकत है. मैं इसका विरोध करता हूं आप भी करें.

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  18. झा जी,
    हम तो तैयार हैं। कभी किसी देसी वाचक की जरुरत हो तो भी हाजिर हैं फ्री में।

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..