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रविवार, 23 फ़रवरी 2014

आज चर्चियाया जाए (चिट्ठाचर्चा)




मुझे लगता है कि अब पाठकों के पास ब्लॉग पोस्टों को पढने , साझा करने और उन्हें सहेज़ने के लिए एग्रीगेटर्स की निर्भरता बहुत हद तक कम हो गई है या कि अब शायद उतनी कमी महसूस नहीं की जा  रही है , सबने अपने अपने ठिकाने और रास्ते गढ और तलाश लिए हैं , मेरे लिए तो गूगल प्लस , ब्लॉगर डैशबोर्ड के अलावा बहुत से एग्रीगेटरनुमा ब्लॉगों और नि:संदेह हमारीवाणी भी बहुत बडा स्रोत रहा है ,जहां से मैं ब्लॉगों तक पहुंचता हूं वैसे जब अपने स्टैट पर नज़र डालता हूं तो देखता हूं कि पाठकों का एक बहुत बडा वर्ग गूगल सर्च इंज़न से चला आ रहा है । ब्लॉग पोस्टों की लिंक को एक पन्ने पर सहेज़ कर पढने के लिए उपलब्ध कराने वाले सारे प्रयास भी नि:संदेह बहुत ही प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं , ऐसे में अनायास ही पुराने दिन याद हो आए ।

यहीं इस ब्लॉग पर अर्से तक हमने भी पोस्ट लिंक्स के साथ तुकबंदी करके एक पंक्ति जोड कर खूब रेल दौडाई थी जिसे पाठक मित्रों ने सराहा और स्नेह दिया था । सोचा आज अर्से के बाद आपको फ़िर से कुछ पोस्टों से मिलवाया जाए । गूगल प्लस पर पाठकों की टिप्पणी के साथ साझा होती पोस्टों पर नज़र स्वत: ही चली जाती हैं , ऐसे ही पहली पोस्ट जो मिली वो थी ,बेहद खूबसूरत कलेवर वाला ब्लॉग राजे , शीर्षक अजब सी कैद है , पढके हमें तो यही लगा कि हो न हो ये जरूर संजू बाबा के भौजी स्वास्थ्य समस्या के कारण लगाता पेरोल मिलते जाने वाली ही कैद होगी , ससुरी अजब गजब कैद तो आजकल यही चल रही है , मगर रचना बहुत संज़ीदा और गहरी निकली ,

अज़ब सी कैद है..


अज़ब सी कैद है..
अंदर हूं तो भी डर लगता है
और बाहर जाने के ख्याल से भी
कि भला होता नहीं
और सकुचा हूं
किसी बुरे के मलाल से भी

अज़ब सी कैद है..
चुकानी हैं अभी
पालने—झूलने--
कच्ची उम्र की यादों की
किश्तें
कि.. और संजो लिये
नर्म रूई.. फाहे से रिश्ते
बुलाए हैं निर्दोष फरिश्ते

अज़ब सी कैद है..
एक—एक सलाख
बड़े जतन से बनाई है
लोहे,सोने—चांदी की जंजीरे सजाई हैं

आज की तारीख में पोस्टों और टिप्पणियों में निरंतरता बनाए रखने में सफ़ल ब्लॉगर मित्रों में श्री प्रवीण पांडेय जी का नाम उल्लेखनीय है । उनकी पोस्टों में शामिल विषयों का इंद्रधनुषी फ़लक और उनकी कमाल की शैली , बहुत सारे क्लिष्ट विषयों को भी एकदम सरल बना देती है । आज कल टरेन बाबू आर्युवेद पढाने समझाने में लगे हैं , आज अपनी पोस्ट में कफ़ वात और पित्त पर घनघोर क्लास ले डाली है उन्होंने हमारे जैसे भुसकोल ब्लॉगरों की ,

"कफ, वात और पित्त, ये तीन तत्व हैं जो शरीर में होते है और कार्यरत रहते हैं। कहने को तो इनको और भी विभाजित किया जा सकता था, पर ये तत्व भौतिक दृष्टि से दिखते भी हैं और गुण की दृष्टि से परिभाषित भी किये जा सकते हैं। शरीर की क्रियाशीलता में हम इनका अनुभव कर सकते हैं। कफ का अनुभव हमें अधिक ठंड में होता है। पित्त नित ही हमारे पाचन में सहयोग करता है। वात हमारे वेगों और तन्त्रिका संकेतों को संचालित करता है। यही कारण रहा होगा कि शरीर को विश्लेषित करने के लिये इनको आयुर्वेद में आधार माना गया है।"

अगर नेट पर और फ़िर ब्लॉग्स पर आप मय श्रीमती जी के डटे हों तो फ़िर तो क्या टैंशन है जी ,कम से कम ज्यादा पोस्टें लिखने , टिप्पणियां लिखने या नेट पर ज्यादा समय देने वाले सारे इल्ज़ाम आधे आधे बांटे जा सकते हैं फ़िर जब बात मित्र अमित श्रीवास्तव और उनकी श्रीमती निवेदिता श्रीवास्तव जी की हो तो कहना ही क्या , दोनों जन ने क्या खूब जम के एक दुसरका को समर्पित पोस्ट लगाई है , अमित भाई जहां फ़ोन में कबूतर उडाते पाए गए , तो वहीं निवेदिता भाभी ने भी फ़िर अपने झरोखे में बैरी नेटवा के बहाने बैरी पिया को ही घेर लिया देखिए ,


    ( अमित जी अपने बक्से ,बोले तो डेस्कटॉप के साथ )
इधर जैसे जैसे मौसम चुनावी होता जा रहा है वैसे वैसे ही सियासी उठापटक भी तेज़ हो गई है । ऐसे में दिल्ली की प्रयोगवादी सियासत और उस पर कोई पोस्ट/प्रतिक्रिया न देखने पढने को मिले ऐसा तो हो ही नहीं सकता । हमारी ब्लॉग मास्टरनी शेफ़ाली पांडे जी जब अपनी लेखनी के तीखे बाण वो भी व्यंग्य के बारूद से लैस करके चलाती हैं तो वो बिल्कुल कईयों के कलेजे भेद कर आरपार उतर लेते हैं , अपनी ताज़ा पोस्ट में बखिया उधेडते हुए वे कहती हैं

"आपकी पार्टी की नीतियां स्पष्ट नहीं है । विदेश नीति, अंतर्राष्ट्रीय नीति, कश्मीर समस्या, पकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी के साथ सम्बन्ध, आर्थिक नीतियां, आतंकवाद, अमेरिका, विकास दर, नक्सल समस्या, माओवाद, जैसे अनेकानेक मुद्दे थे, जिन पर आप जनता को सालों तक उलझा सकते थे । आप आम आदमी की समस्याएं लेकर बैठ गए । जबकि आम आदमी ने अपनी समस्याओं को समस्या मानना ही छोड़ दिया था । ये आपकी ही गलती थी कि आपने उसे याद दिलाया कि जिन्हें वह महबूब के प्रेमपत्रों की तरह सीने से लगाए हुए है उसे समस्या कहते हैं ।"

चलिए समस्याओं से तो निपटते ही रहेंगे ,फ़िलहाल विवेक रस्तोगी जी घर से आटे सब्जी लेने के लिए निकले हुए हैं मगर बीच में ही रुककर वे प्रेमी युगल को निहारने लगे , जिन्हें निहार रहे थे उन्हें कैसा फ़ील हुआ देखिए  ,

"हम अपनी बिल्डिंग की पार्किंग में खड़े होकर सभ्यता से यह सब देख रहे थे, पर उन लड़कों को यह अच्छा नहीं लग रहा था, खैर जब हम गाड़ी से चाट वाले के सामने से निकले तो भी वे सब हमें घूर ही रहे थे, यह सब वैसे हमें पहले से ही पसंद नहीं है, जब हम उज्जैन में थे तब हमारी कालोनी में भी यही राग रट्टा चलता था, फ़िर हमने अपना प्रशासन का डंडा दिखाया तो बस इन लोगों के लिये कर्फ़्यू ही लग गया था।"
पत्रकार ब्लॉगर रविश कुमार इन दिनों छुट्टी पर थे , लौटे तो स्वाभाविक रूप से इस बीच उनकी तरफ़ उछाले गए प्रश्नों का जवाब लेकर ,अपनी इस पोस्ट में वे कहते हैं

"
छुट्टी पर होने के कारण इस्तीफ़े से जुड़ी ख़बरों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन आप को लेकर लोगों की इस तरह की प्रतिक्रिया बढ़ती जा रही है । आप में से कई कह रहे थे कि मेरा नज़रिया क्या है। इसीलिए नहीं लिखा क्योंकि टीवी देखा न पेपर पढ़ा । जिस दिन अरविंद इस्तीफ़ा दे रहे थे उसी वक्त मुंबई से दिल्ली उतरा था । हवाई अड्डे पर लगे टीवी सेट पर सुरक्षाकर्मी और एयरपोर्ट स्टाफ़ और कर्मचारी जुटे हुए थे । इस तबके में अरविंद की गहरी पैठ हैं । ज़्यादातर ने कहा कि सही किया है । एक सिपाही ने कहा कि इनको ज़रा बाँदा ले आइये । वहाँ भी ज़रूरत है । अगले दिन ब्रेड लेने निकला तो दुकान पर सब पेपर पढ़ रहे थे । इस तबके की यही राय थी कि कांग्रेस बीजेपी की मिल़ीभगत से बंदा लड़ रहा है । रिलायंस की राजनीतिक छवि के कारण अंबानी पर हमला करने से इस तबके में पार्टी की छवि मज़बूत हुई है लेकिन मध्यमवर्गीय तबके के एक हिस्से को यही अच्छा नहीं लगा । अगर नीचला तबक़ा अरविंद के साथ खड़ा रह गया तभी वे अपने आधार का बचाव या विस्तार कर पायेंगे लेकिन अरविंद उस तबके के प्रति उदासीन नहीं हो सकते जिसका उन पर से विश्वास हिला है ।"

हो सकता है कि अरविंद ने अपनी बात लोगों तक न पहुँचाई हो कि क्यों इस्तीफ़ा दिया । लेकिन इन लोगों की दिलचस्पी कारण में ही नहीं है। दूसरा इनमें से कई मोदी समर्थक भी हैं । जिन्हें अरविंद को एक बार के लिए मौक़ा देना था । लोकसभा में वे मोदी को देंगे । साफ़ साफ़ नहीं कहते मगर यह ज़रूर गिनाते हैं कि आप से क्यों निराशा हुई । इसलिए दूसरा चांस नहीं देंगे । "



चलिए अब कुछ वन लाइनर लिंक्स भी देखना/बांचना चाहें तो

क्या अरविंद केजरीवाल राजनीतिक हो चले हैं  :  रैली तो कर ही रहे हैं 

मंत्रीजी के नाम खत : वाया पब्लिक एंड ब्लॉग

सूरज और मैं :  अक्सर ये बातें करते हैं

हंसे जा रहा है , हंसे जा रहा है : लिखे जा रहा है , लिखे जा रहा है

जीवन संगीत : निरंतर बहता रहे

मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद :   नई हुंकार के साथ

एक चीज़ मिलेगी वंडरफ़ुल :और अगर दो चाहिए हों तो

गांव:   शहर से बहुत दूर हैं जी अब भी

अगर वह बच्चा होता : तो इस तरह ब्लॉग लिख पाता क्या

क्या कर सकता हूं :पोस्ट तो लिख ही डाली है

संविधान की प्रस्तावना : और हमारे राजनीतिज्ञों की भावना (अनुलोम विलोम)

और अब चलते चलते काजल भाई का कार्टून



रविवार, 9 अक्टूबर 2011

चर्चा दो लाइना....इन झाजी इश्टाईल



पुराने थोबडे के साथ पुराने वाले ही चर्चाकार



टीवी मीडिया पर लगेगी लगाम , कैबिनेट ने मुहर लगाई
वो तो ठीक है लेकिन , कैबिनेट पर लगाम कब लगेगी भाई


यहां बता रहे हैं ओकील साहब , कौन सा विवाह करना उचित नहीं है ,
अरे ये दिल्ली के लड्डू हैं . हमरे हिसाब से तो कैसा भी विवाह करना उचित नहीं है

टिप्पणी चेपू ब्लॉगर का परिचय यहां दिया गया है
कैसा होता है ये ब्लॉगर , क्लीयर किया गया है


एक बार फ़िर रावण मारा गया व्यर्थ ,
डा. साहब की पोस्ट , पढ के लगाएं अर्थ


अरे इधर उधर कहां टहल रहे , डालिए एक नज़र इस ओर ,
आज मयंक भाई सिखा रहे , कैसे लगाएं ब्लॉग में Read More


स्वप्निल जी ने फ़िर शब्दों का जादू बिखेरा हुआ है ,
रुबाइयों के कोने में , सवेरा हुआ है ।


आप प्यार में जीते हैं , छि; गलत बात है सर !
सोचालय में मरियम से मिलवा रहे सागर ।


जो लफ़्ज़ों में नहीं बंधता , उसे बांध ,बना दी पोस्ट ,
तुम साथ साथ बह जाओगे , ये पूजा की लहरें हैं दोस्त


देखिए यहां कौन , क्यों , रावण रावण पुकार रहा ,
बेशक जला डाले रावण , मगर जिंदा भ्रष्टाचार रहा


अमित भाई , ले चले ,आज किसी के रुख से रुखसार तक ,
इस दुनिया की एक कहानी , मुहब्बत से प्यार तक



यहां पाइए , आप अपने , राष्ट्रभाषा हिंदी के सुंदर रंग ,
आज मनोज जी ले कर आए , एक प्रेरक प्रसंग ।


बेटियों के प्रति रवैय्या बदलना होगा ,
बहुत गिर चुके नीचे तक , आखिर कभी तो संभलना होगा


रश्मि जी , अपनी यादों में से , एक टुकडा सुना रही हैं ,
क्या हुआ हाय नई दुल्हन का हाल , बता रही हैं ।


कविता जी ने प्रश्न किया .मिट्टी में दिया जिंदा दबा ,वो भी इंसान है ,
कोख कब्र बने ,कभी मिट्टी बेटी की , क्योंकि समाज पुरूष प्रधान है   

लेखनी जब फ़ुर्सत पाती है , वे कहर ढाते हैं ,
जो फ़ुर्सत और ज्यादा हो , प्यार को धोखे से चरस खिलाते हैं


देख प्रभु तेरी दुनिया , अब कैसा कैसा होता है ,
कहते श्यामल आज इसलिए , देख मेरा मन रोता है


शिव जी करा रहे , चंदू की पेरिस हिल्टन से चैट ,
पढिए , घुस के आप भी , बिना किए दिस एंड दैट
नवगीत की पाठशाला में आज दिन खनकता है,
इस बगिया में शब्दों का कोई फ़ूल रोज़ महकता है


कैलाश जी सजा लाए हैं , सूना इक आकाश ,
इनकी पंक्तियों में पाया है , एक अलग एहसास


एक शिक्षक , चुपचाप लीन , कर रहा शब्दों का सृजन ,
जज़्बात में आज जानिए , शब्दों की चुप्पी का गर्जन



एक लाइना बुलेटिन दोपहर में जारी किए जाएंगे

शनिवार, 16 जुलाई 2011

वन लाइनर ..जस्ट ए झा जी कट



तो हे श्रोताओं , एवं पाठकों ओह , दर्शकों भी ..आज के वन लाइनर बुलेटिन कुछ इसी प्रकार के हैं ..बांचा जाए




रॉंग नंबर प्लीज : चाहिए कि , लग गया जी



क्या आपको याद था : माने हां कह देंगे तो मान जाइएगा क्या



हवा में उड गए 25 करोड के हीरे : आयं , अरे पुरवा थी कि पछवा हवा थी जी



जो बदलाव चाहते हैं , उन्हें ही कुछ करना होगा : और इसके लिए पहले इस पोस्ट को पढना होगा



वर्डप्रेस ब्लॉग या साइट में विजेट जोडना : इहां रतन भाई के पोस्ट पर सीखें , विधिवत रेसिपी है



जरा खबर की खबर भी ली जाए : और ऐसी कि वो खुद खबर बन जाए



क्या हमारी मीडिया भटक गई है :  नहीं , वो पैसे और टीआरपी के फ़ेर में अटक गई है



 सोच रहा हूं कि हर चीज़ में एक Good होता ही है : फ़ुर्सत में सोचिएगा तो गुडे न होता दिखेगा जी



 पत्रकार को नोटिस भेज सकता है महिला आयोग : खबरों पर मेरी नज़र इन झाजी इश्टाईल : खाली इश्टाइले में चूर रहते हैं जी , पढिए लिखिए , इश्टाईल कम मारिए




 देख लेना जब जिस्म में रूह न रहेगी : उफ़्फ़ जाने तब ये नज़र रहेगी न रहेगी



 एक खबर ये भी ले ही लो : बिना दिए मानिएगा ही नहीं आप




 किस पर लिखूं : ब्लॉगर , वर्डप्रेस , नेटलॉग , वेबलॉग किसी पर भी शुरू हो जाइए




इस बार का भारत प्रवास : सुख दुख का संगम रहा , है न




आखिर क्यूं पटरी पर लौटी मुंबई : ताकि फ़िर अगले हमले के लिए खुद को तैयार कर सके





अब क्रिकेट की भी खैर नहीं ! सरकारी खजाना लूटने के बाद अब नज़र क्रिकेट के खजाने पर :   एक तो ये नज़र ही ससुरी बहुत कमीनी है ई लोगन की जी



सवाल ये है कि बच्चों को ब्लॉग पर लाया कैसे जाए : आपही ने उठाया है , उत्तर भी बताया ऐसे जाए




आप उनको याद आयेंगे : और हम पोस्ट लिख जायेंगे




मक्खन का हाल कैसा है पता भी है आपको : नहीं , लेकिन ये पता है कि आपको पक्का पता होगा , देखा , है न



मेरा बचपन ऐसे बीता :  है हर पन्ना एक युग जीता




 सम्मान किसे अधिक मिलता है : जो पोस्ट पढता भी है और उस पर टीपता भी है




सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ : आंख घुमा काहे नहीं लिए जी



गुजर जाएं करार आते आते : और लुट जाएं , बिहार आते आते ( धुन के हिसाब से यही फ़िट लग रहा था )



सूना, बारिश के भहराए शोर में : पढिएगा रात में , झुरझुराइएगा भोर में




 आखिर कब तक : शायद अनंत काल तक






रविवार, 3 अप्रैल 2011

क्रिकेट कटिंग ...कट कट कुट कुट ...झा जी कहिन ..नहीं झा जी झूमिन/नाचिन/गाईन .








दुनिया रंग रंगीली,में आके हो जाइए स्टैंड अप ,
क्रिकेट की गाथा शुरू करने से पहले , देखिए विश्व कप ।


विजय परेड के लिए तैयार हुई , बस ट्रेन और जीप,
जीत के लिए , कौन सा टोटका आजमाए खुशदीप


दुनिया की हर टीम के चेहरे पर उडा के हवाइयां ,
भारत जीता , आइला , मिठाइया -बधाइयां


जीत गया रे अपना इंडिया , बांकी टीमें गईं तेल लेने
यहां भरी हुंकार ये किसने , लो जीत है दुनिया मेने


सूनी हो गई थीं सडकें , गलियां हो गई थीं सून ,
चैंपियनों में होता है , ये कैसा जुनून ????


मोना बिल्कुल मत रोना , लिल्ली डॉंट बी सिल्ली ,
अईसे खेले ये धुरंधर , चख दिए फ़ट्टे, नप दी गिल्ली 


आज तो बधाईयों की पोस्टें एक पे एक पढ लीजीए ,
अरे अब कप अपना है , विश्च्वास नहीं तो कर लीजीए


चैंपियन वही बनते हैं , धुन के पक्के इंसां , 
कंगारू , हो या चीते , दहाड से बदल देते हैं फ़िजां


कोई चूम रहा है फ़ोटो , कोई बोले ईलू ईलू ,
आज हर तरह यही शोर है , इंडिया ब्लीडींग ब्लू


एक एक मैच में सबको धोया , इंडिया तुम कमाल हो ,
कोई दीवाना सचिन का , कई बोले धोनी, बेमिसाल हो





कंगारू बोले कायं कांय , चीता म्याऊं , दांत चियार के खीखी कर गए पाकिस्तानी बंदर ,
शिवम भाई ले के आए कुछ तस्बीरें , कि बन गए आप सिकंदर , रे बन गए आप सिकंदर


अब कोई चिंता नहीं , शंका नहीं , बचा नहीं कोई प्रश्न ,
हर ओर है है खुशियां ही खुशियां , सभी मनाए जश्न



हाय वो पल दे गया जाने कितनीं यादें खुशियों के आसूं रुला के ,
बस एक ही नारा गूंजे हवा में , इंडिया ने आखिरकार दे ही दिया घुमा के



शास्त्री जी लेकर आए ,  सुंदरी जीत की झांकियां,
झूमो देख के खुशी से आज और बजाओ तालियां ,


जीत का ऐसा शोर मचा , हर ओर ऐसी हवा चली ,
हम खुद दौडे सडकों पे , हम खुद नाचे गली गली ..






चलिए आज के लिए इतना ही फ़िर मिलते हैं जल्दी ही ..आप जश्न में डूबे रहिए ..

शनिवार, 26 जून 2010

टू लाईना इज बैक ......जस्ट पोस्ट लिंक्स ....यार !



बहुत दिन हो गए , अपनी मनपसंद दो लाईनों की पटरियां बिछाए हुए । यूं तो वैसे भी आजकल ब्लोगवाणी के डिरेल होने के कारण बहुत सी पोस्टें पता नहीं कौन कौन सी बडी लाईन छोटी लाईन और लूप लाईन से होकर निकल रही हैं , कमबख्त समझ ही नहीं आ रहा है कि कौन सा वो ट्रैक पकडें कि सबसे मुलाकात हो जाए । इसी बहाने सभी पगडंडियों तक पर चले जा रहे हैं , तो देखिए आज उनमें से किन किन को पकड के पटरियों को बिछाया गया है ।



एक बार सुबह उठो तो योगा के अलावा कुछ करने नहीं दूंगा ,
कह रहे हैं प्रवीण , करोगे तो मैं तुम्हें मरने नहीं दूंगा ॥


इस्तुतिमति का पिटारा, पंडियाईन इज हर नेम ,
देखिए भोजपुरी इज कैसे , बिल्कुल सेम टू सेम ॥


मिसर जी करके लौटे आरती भोलेनाथ की ,
आप यहां पर बांचिए , कथा इसके बाद की ।



आज पूछी वाणी ने अजब सी एक पहेली ,
बताईये कौन है उनकी जान , दोस्त या सहेली ।


बीबीसी ब्लोग्स की महिमा अपरंपार है ,
वहां आज नीति, राजनीति और बिहार है ॥


उसको लगे बडा ही पाप जो इसे पढने से रोके
,
जानिए आखिर क्या पाया हमने इंसां होके


धान के देश में मिला एक सार्थक लेख ,
इस लिकं को पकडिए और आप लीजीए देख ॥


आज देखिए अभय बाबू ने किन शब्दों की ,की धुलाई ,
हमें तो निर्मल आनंद मिल गया इसे पढ के भाई ॥


मधु चौरसिया ने डाली आज फ़ैशन पर है नज़र ,
इस पोस्ट पर पहुंचिए आपको पढना हो गर ॥


विवेक भाई के ब्लोग पर बीमे की है जानकारी ,
सबको पढनी चाहिए , जिन्हें जान हो , या न हो प्यारी ।


आशीष भाई ब्लोगर्स के लिए करते हैं कई जतन,
आज गजेट नहीं है , मगर आज है इक बटन ॥


इस पोस्ट में दिखा गजब का इक असर ,
क्यों न हो आखिर यहां चल रहा है इक सफ़र ॥



महफ़िल प्यार की मिसर जी को आ रही है याद ,
आपको भी आएगी , इस पोस्ट को पढने के बाद ॥


राम त्यागी हो गए चींटियों से परेशान ,
आप भी उनकी परेशानी में करिए कुछ योगदान ॥


अब कुछ नए ब्लोग्स से करिए मिलने की तैयारी ,
सबसे पहले देखिए क्यों अधूरी है नारी ॥


ये हैं मनीष आचार्य , लिख रहे हैं राजस्थान से ,
आज अपनी पोस्ट में कुछ कहते हैं आसमान से ॥

संजीव गौतम जी के ब्लोग से मिलिए , नाम है कभी तो ,
फ़िलहाल एक कविता आप पढिए अभी तो ॥



चलिए अब चलता हूं उम्मीद है कि ...........बहुत दिनों बाद ....प्रस्तुत आपको ये दो लाईना कुछ अलग सा फ़्लेवर दे सकेंगी ..........। अब देखिए अगली पोस्ट में कोई अगला फ़्लेवर .....

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

हमने आज इनको देखा , और खींच दी सारी रूपरेखा , (अरे वही ब्लोग लिंक्स यार )

सोचा था कि आज आपको हम अपना फ़ाग राग सुनाएंगे , मगर आज चर्चा का मूड निकल आया तो हाज़िर है फ़िर ....................................

रंग भर के ले आये दीपक आज अपना मशाल ,
आप देखिए दु लाईना में सबका किया है कैसा हाल ॥


ब्लोग्गर के साथ pspo का अजब लगाया कनेक्शन ,
खुशदीप भाई ने फ़िर से छेड दिया वही डिस्कशन



इनकी हर अदा एक शोला एक आग ,
इन्होंने भी मनाई ब्लोगजगत की फ़ाग ॥



और भला क्या हो अच्छा जब दिन हो शनिवार ,
ताऊ की पहेली को यहां बूझिए सरकार ॥



यहां जानिए कि खुद को एक सफ़ल ब्लोग्गर कैसे बनाएं ,
फ़टाफ़ट कुछ नुस्खे आप , यहां सीख के आएं ॥



अब भी नहीं हुए सफ़ल तो यहां पहुंच जाईये ,
कह रहे हैं जो प्रभात जी वो गुण अपनाईये ॥



कई बातें होती हैं दिलचस्प कुछ होती हैं अजीब ,
राज भाई बता रहे हैं कौन है सबसे गरीब ॥



यहां सुरभि ने कुछ खूबसूरत पंक्तियां हैं पढवाई,
आप भी खुद पहुंचिए और देखिए न भाई ॥




हाय गंगा हुई पोखरिया , ज्ञान जी ने बतलाया ,
गंगा मईया की दुर्दशा ने मन को बहुत रुलाया ॥



आज जाना कि आखिर क्या होती है होली ,
जो प्रेम की हो ली , वही होती है होली ॥




जब शब्द नहीं बोलते तस्वीरें बोलती हैं ,
और जाने किस किस के कैसे राज खोलती हैं ॥




सुंदर ब्लोग , सुंदर पोस्ट , हम रह गए दंग ,
वृंदा कह रही हैं छूट रहे हैं रंग ॥



चाहे लाख रखना शिकायत, या गिला रखना ,
बस इतनी इल्तज़ा है , शब्दों का सिलसिला रखना ॥



यहां बताया राजीव भाई ने , होली मेरे गांव में ,
आप पढिए और देखिए रंगो की छांव में ॥


सौम्या की ये पोस्ट भी मुझे लगी कुछ खास,

देखी कैसे हैं छोटी आंखें और ,बडा आकाश ॥



यहां देखिए का कह रहे हैं अमर बाबू डागदर ,
इनके इस ब्लोग की हुई हमें आज ही खबर ॥



कहने को कुछ शब्द हैं मगर शानदार है बात,
इससे सुंदर पोस्ट फ़िर और क्या मिलती आज की रात ॥



डा. साहब ने आज अपनी एक पोल है खोली,
जानिए कि उन्होंने बचपन में क्यों नहीं खेली होली




कमीने में बोला शाहिद ने फ़ , अब जाके हुआ असर,
आज अजित भाई भी फ़ का ही करा रहे हैं सफ़र ॥



जाईए मिसर जी की पोस्ट को लीजीए आप लपक,
देखिए उनको किसने कैसे बना दिया बुडबक ॥




इहां शास्त्री जी सजा रहे हैं , अपना चर्चा मंच ,
जाईये देखिए पढिए , पोस्टें , एक से एक टंच ॥



श्यामल जी ने इस पोस्ट में दोहे हैं होलियाए,
जिन्हें जिन्हें पढना हो , वो ये लिंक पकड के जाए ॥




हिंदी ब्लोगजगत में अबके कुछ ऐसे मने ये होली ,
सभी ब्लोग्गर मिल कर बोलें , प्रेम प्यार की बोली



तो इसी सुंदर इल्तजा और दुआ के साथ हम आप सबको होली की मुबारकबाद देते हैं और इश्वर से कामना करते हैं कि चाहे लाख मतभेद हों , बहस हो , विमर्श हो , और क्रिया प्रतिक्रिया हो ...मगर हिंदी ब्लोग्गिंग जिंदाबाद होती रहनी चाहिए ...वो होती ही रहेगी ॥॥..........है न ?????????

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