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शनिवार, 11 अप्रैल 2020

आउटडेटेड हो गई क्या ब्लॉगिंग ??







अभी 1 मार्च को विख्यात ब्लॉगर दीदी रेखा  श्रीवास्तव जी द्वारा ब्लॉगरों के अधूरे सपनों को शब्दों के ताने बाने में बुनकर पुस्तक के रूप में संकलित कर प्रकाशन किये जाने और उसे पाठकों के लिए उपलब्ध करवाने का अनौपचारिक कार्यक्रम जब भाई राजीव तनेजा (यहाँ बिना संजू भाभी संजू तनेजा जी ,के ज़िक्र के ये बात कभी मुकम्मल नहीं हो सकती ) द्वारा शब्दों की दुनिया के दोस्तों के लिए उपलब्ध कराए गए एक प्लेटफॉर्म पर बना तो बहुत बार मेरे ऐसे किसी कार्यक्रम में शिरकत किये जाने का टाल मटोल भी ख़त्म सा हुआ और ऐसा संयोग बना की मैं देर से ही सही उस कार्यक्रम में अपनी उपस्थति दर्ज़ करवा पाया।  

मेरे पहुँचने तक क्या कैसे हो चूका था ये तो मैं नहीं जान पाया हाँ गंतव्य स्थल तक पहुँचने के लिए भाई राजीव तनेजा  जी से फोन द्वारा दिशा निर्देश लेते रहने के कारण वे तो अगुवाई करते पहले ही मिल गए। आदतन मैं आजम से सबसे पीछे बैठ कर सारा ज़ायज़ा लेने लगा। दीदी रेखा श्रीवास्तव आज के कार्यक्रम की शो स्टॉपर थीं सो एक एक आने जाने वाले पर उनकी नज़र थी।  



पोडियम पर रंजना जी , जिनसे मेरी पहली मुलाक़ात थी ,अपने रेडियो प्रस्तोता होने के कारण बहुत अधिक दक्षता से कार्यक्रम का कुशल संचालन करती दिखीं और वहीँ  हमारे सुपर स्टार ब्लॉगर ,डॉ टी एस दराल सर , भाई खुशदीप सहगल जी ,शाहनवाज़ जी ,दिगंबर नासवा जी आदि विराजे हुए थे। नज़रें घूमी तो भाभी संजू तनेजा ,दोस्त ब्लॉगर वंदना गुप्ता ,नीलीमा शर्मा ,मुकेश सिन्हा जैसे सितारे भी अपना नूर बिखेरे हुए थे। दीदी रेखा श्रीवास्तव जी के परिवार व समस्त बन्धुगण भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए सबको तसल्ल्ली बक्श सुन रहे थे। 

रंजना जी सबको एक एक करके आमंत्रित कर रही थीं और साथी ब्लॉगर अपने ब्लॉगिंग के अनुभवों को साझा करते चलते जा रहे थे। मुझे सालों पहले होने वाली ब्लॉग बैठकों की याद आने लगी थी। भाई खुशदीप सहगल जी ने शुरआती दिनों की ब्लॉगिंग के दिलचस्प किस्सों को साझा करते हुए बहुत से रोचक किस्से सुनाए ,चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी जैसे संकलकों की चर्चा ,उन पर चली खींचतान आदि की बाबत बातें हुईं। 



भाई शाहनवाज़ हुसैन जो अभी हमारीवाणी संकलक के संचालन का कार्य देख रहे हैं उन्होंने भी तकनीकी बातों के साथ ब्लॉगजगत के अनुभव साझा किये। दराल से ने अपने हर दिल अज़ीज़ अंदाज़ से सबको गुदगुदा दिया तो वहीँ नासवा जी ने बताया की कैसे उन्होंने कभी भी अपने ब्लॉग पोस्ट की रफ़्तार को थमने नहीं दिया। 

मुकेश सिन्हा जी ने अपने ब्लॉग्गिंग के सफर की दास्ताँ सुनाते हुए ,भाई संजय भास्कर जी का उनकी रोचक व नियमति टिप्पणियों का उल्लेख किया तो राजीव तनेजा जी ने बताया की कैसे ब्लॉगिंग ने उनकी साहित्यिक और व्यंग्य लेखन के प्रति उनकी रूचि को अंजाम तक पहुंचाने में मदद की। 

हमारी महिला ब्लॉगर में दोस्त वंदना गुप्ता जो अब एक ब्लॉगर से कहीं आगे जाकर विख्यात लेखिका बन चुकी हैं उनहोंने न सिर्फ अपने ब्लॉग लेखन के अनुभव साझा किए बल्कि ब्लॉगिंग में एक सशक्त और नियमित संकलक की जरूरत और उसके लिए कुछ किए जाने की जरूरत की ओर सबका ध्यान दिलाया। उनका साथ सिया नीलीमा शर्मा जी ने और उन्होंने भी अपने ही अंदाज़ में सबके साथ अपने अनुभव साझा किये। विख्यात ब्लॉगर कवियत्री साहित्यकार मित्र सुनीता शानू जी ने भी अपने मुस्कराहट के साथ ब्लॉगिंग के अनुभव को साझा करते हुए पुराने दिनों को याद किया साथ ही ये भी कि बेशक इसकी गति नए प्लेटफॉर्म्स के आने से थोड़ी सी कम हो गई है किन्तु उन्हें विशवास है कि सब कुछ पहले की तरह ही रफ्तार में आ जाएगा।  

दीदी रेखा श्रीवास्तव जी ने बताया की कैसे उन्हें ये ब्लॉग जगत एक परिवार की तरह अपने मोह में बांधे रखा कर ये भी कि बहुत से अन्य ब्लॉगर के सपनों को शब्द देकर अधूरे सपनों की कसक का दूसरा भाग भी वे लेकर आएंगी।  

मैंने ब्लॉगिंग के शुरआती दिनों , ब्लॉग जगत की बढ़ती हलचल ,ख्याति से न्यू मीडिया का दखल और प्रभाव उसे बाँधने की कोशिशें ,समयांतराल पर उसमें आई मंथरता , एक बेहतरीन संकलक की जरूरत आदि पर अपने विचार रखे।  बीच में ताऊ ,उनकी पहलेयाँ ,चिट्ठा चर्चा , बेनामी ,ब्लॉग वकील आदि के रोचक किस्से भी सामने आए 

रंजना  जी के कुशल मंच संचालन के कायल मुझ सहित वहाँ उपस्थित सभी साथी हुए। 

इसके उपरान्त पुस्तक के लोकार्पण ,उसकी चर्चा और गरमा गर्म भोजन के साथ भी आगे का कार्यक्रम बदस्तूर चलता रहा।  निःसंदेह ऐसे कार्यक्रम ,ऐसे बहाने ,नई ऊर्जा का संचार कर न सिर्फ ब्लॉगिंग बल्कि हम ब्लोगर्स में भी नई स्फूर्ति का संचार करते हैं।  



मुझे उम्मीद थी की पहले की तरह इस ब्लॉग बैठकी की भी रिपोर्ट लिखने के बहाने कुछ नई पोस्टें और बातें हमें और तमाम साथियों को भी मिल जाएंगी ,मगर ऐसा हुआ नहीं , और ये प्रश्न पुनः सर उठाए इधर उधर घूमता फिर रहा है कि -आउटडेटेड हो गई क्या ब्लॉगिंग  ?? इसका उत्तर हमें और आपको तलाशना है और करना भी कुछ नहीं है सिर्फ इसके सिवा कि नियमित अनियमति होकर भी ब्लॉग पोस्ट लिखते रहना है और ब्लॉग पोस्ट पढ़ते रहना है। 

सोमवार, 26 अगस्त 2019

चिट्ठा चर्चा दोबारा शुरू -हिंदी ब्लॉगिंग को दोबारा लौटाने का एक प्रयास



जैसे जैसे ब्लॉगिंग की तरफ लौट रहा हूँ तो देख रहा हूँ कि हिंदी ब्लॉगिंग का प्रवाह सच में ही बहुत कम हो गया है | हालत ये है की पूरे दिन में यदि पचास पोस्टें भी नज़रों के सामने से गुज़र रही हैं तो उसमें से दस तो वही पोस्टें हैं जो इन पोस्टों के लिंक्स लगा रही हैं |   
टिप्पणियों का हाल तो और भी खस्ता है | अधिकाँश पोस्टों पर सिर्फ यही देखने पढ़ने को मिल रहा है की आपकी पोस्ट का लिंक फलाना ढिमकाना में लगाया गया है आकर जरूर देखें | जबकि पोस्टों को चुनने सहेजने वाले ब्लॉगर मित्र खुद अपनी राय तक नहीं दे रहे हैं वहां |
समाचारों को ब्लॉग पोस्ट में चस्पा करके लगातार जाने कितनी ही पोस्टों का प्रकाशन किया जा रहा है | विषयवार सामग्री तलाशने वालों के लिए ये निश्चित रूप से निराश करने वाली बात है | सभी ब्लॉगर मित्र एक साथ धीरे धीरे ही सही प्रयास शुरू करें तो ये महत्वपूर्ण विधा फिर से अपनी रफ़्तार पकड़ लेगी मुझे पूरा यकीन है |
अपने स्तम्भ ब्लॉग बातें के लिए मुझे एक विषय पर गिन कर दस पोस्टें भी पढ़ने को नहीं मिलीं | फिलहाल मैं अपने इसी ब्लॉग झा जी कहिन पर चिट्ठा चर्चा (सिर्फ पोस्टों के लिंक्स नहीं ) शुरू करने जा रहा हूँ | जहाँ पोस्टों को पढ़ कर उनका विश्लेषण व चर्चा करूँगा , एक पाठक के रूप में एक ब्लॉगर के रूप में भी और ये काम बहुत जल्द शुरू करूंगा
 आप तमाम मित्र मुझे अपने ब्लॉग के लिंक अपनी पोस्ट के लिंक और ब्लॉग से सम्बंधित कुछ भी मेरे मेल में ,मेरे फेसबुक पर ट्विट्टर कहीं भी थमा सुझा सकते हैं | इस विधा को दोबारा से अपनी रवानी में लाने के लिए निरंतर किए जाने वाले इस प्रयास में मुझे आप सबका साथ चाहिए होगा , आप देंगे न साथ मेरा
ajaykumarjha1973@gmail.com
twitter.com/ajaykumarjha197
https://www.facebook.com/ajaykumarjha1973

गुरुवार, 29 जून 2017

सावधान , लिक्खाड़ फिर आ रहे हैं




सुनो मीत /दोस्त /सखा /सहेली ,.....ब्लॉगर साथी

जो भी कुछ बातों यादों में सहेज रखा है ,खुद के पास है या ,कहीं भेज रखा है ,फिर लौट आओ , उस हसीं मोड़ पर ,ब्लॉगर प्यारे ,सामने कंप्यूटर मेज रखा है ....


ब्लॉग ताऊ शिरोमणि ने दुन्दुभी बजा दी है ,अंशुमाला जी के प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए ...दिन तारीख तय रही ...एक जुलाई से ...सभी ब्लॉगर ..पिछले दिनों उपेक्षित से हो गए ब्लोग्स को फिर से अपनी लेखनी , सोच और शब्दों से लैस करके , दुबारा वापसी का मन बना चुके हैं | अच्छी बात ये है कि पिछले दिनों , मुझे सहित बहुत सारे ब्लोगर बंधु मित्रों को गूगल एड सेन्स की कमाई का रास्ता भी प्रशस्त हुआ है |

फेसबुक व्हाट्स अप के बढ़ते प्रभाव , प्रसार के साथ तालमेल बिठाते हुए उसमें कहीं से ब्लोग्स के लिए भी गुंजाईश निकालनी होगी और होनी भी चाहिए | दिल्ली में ब्लोग्गर मित्रों की एक जोरदार बैठकी की योजना भी समयाभाव के कारण टलती जा रही है , जल्दी ही इसे भी अमलीजामा पहनाया जाएगा |

हालांकि ब्लोग्स लिखे जा रहे हैं और पढ़े भी जा रहे हैं , लेकिन निश्चित रूप से पिछले दिनों ब्लोग्स के प्रति एक आकर्षण भंग वाली सी स्थिति जरूर आ गयी है | और ये बहुत जरूरी इसलिए भी है क्योंकि अंतरजाल पर हिन्दी सामग्री की तलाश और आपूर्ति में हिंदी ब्लोग्स का काफी स्थान है |

आज से और अभी से , ब्लोग्स की तरफ लौटिये , उन्हें समय दीजीये ..वे सार्वजनिक कृतियाँ हैं , उनका प्रवाह ,प्रसार और प्रभाव निरंतर अग्रगामी ही रहना चाहिए ......

बुधवार, 28 अगस्त 2013

लिखतन लिखतन जग मुआ , हाय पोस्ट पढे न कोय ........





एक टैम हुआ करता था जब पोस्ट के आने से पहले ही टीप मिल जाया करती थी । अरे हंसिए मत जी एक वाकया तो हमें भी याद है । ये उन दिनों की बात थी जब ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत नाम के दो धुरंधर एग्रीगेटर न सिर्फ़ धुंआंधार आती पोस्टों बल्कि टिप्पणियों को भी मुख्य पेज पर दिखाता था । तो ऐसे ही एक समय में एक पोस्ट आई जिसमें गलती से सिर्फ़ शीर्षक भर ही था भीतर कुछ नहीं लिखा था , इससे पहले कि पोस्ट एडिट होकर दोबारा आती इधर दे धडाधड टिप्पणियों ने अपना काम कर दिया था । वो बेहद रोचक दौर था और मुझे ये कहने में कोई गुरेज़ नहीं कि ब्लॉगवाणी पर दिखती उन दिलचस्प टिप्पणियों के कारण भी पाठक कई बार उन पोस्टों पर पहुंच जाते थे जिनपर शायद पहले नहीं पहुंचे होते थे । 


आज की तुलना में उन दिनों ब्लॉगों और ब्लॉगरों की संख्या कम थी लेकिन फ़िर भी कुछ ब्लॉगर जो न सिर्फ़ पोस्ट लिखने में बल्कि टिप्पणियों में भी बहुत नियमित हुआ करते थे जैसे कि आज भाई प्रवीण पांडेय जी अक्सर ब्लॉग पोस्टों पर टिप्पणीकर्ताओं की कतार में दिख ही जाते हैं वैसे ही । हम भी उस समय कुछ ऐसे ही कमर कस कर ब्लॉगिंग में लॉगिंग किए बैठे रहते थे कि या तो लिख रहे होते थे या  टीप रहे होते थे । और फ़िर होता भी क्यों नहीं , उस समय कौन सा ब्लॉगिंग की ये पैदा हुई सौतें , फ़ेसबुक , ट्विट्टर आदि इत्ती फ़ैशन में थीं ले देकर ऑरकुट और उसकी कम्युनिटीज़ थीं , मगर ब्लॉगिंग का तोड बनने का माद्दा कहां था उनमें । 

ऐसा नहीं था कि ब्लॉगिंग में मंदी का दौर नहीं आया,  आता जाता रहता था जी , लेकिन उसकी भरपाई के लिए हम सब ब्लॉगर खुदही कोई न कोई उठापटक वाला एंगल निकाल के दंगल शुरू कर लेते थे , फ़िर तो बात टिप्पणी और प्रतिटिप्पणी से शुरू होकर पोस्ट प्रतिपोस्ट , आरोप प्रत्यारोप तक पहुंच के माहौल को कुछ इस तरह से गर्म कर देती थी कि मज़ाल है जो कोई पोस्ट लिखने या टिप्पणी करने के अपने ब्लॉगरीय फ़र्ज़ से ज़रा भी चूक जाए । उन दिनों इसमें , होने वाली ब्लॉग बैठकियां , मिलन , आदि ने और बाद में पुरस्कार और पुरस्कार के तिरस्कार ने भी काफ़ी अहम भूमिका निभाई थी । हालांकि इन अचूक अस्त्रों पर तो हमें अब भी पूरा भरोसा है , यदा कदा बमबार्डिंग तो हो ही जाती है ।


इसमें कोई संदेह नहीं कि ब्लॉगिंग की इन सौतनों , खासकर फ़ेसबुक ने तो ब्लॉगरों के एक बडे समूह को जैसे हाइजैक ही करके रख लिया  , उनमें से तो एक हम खुद ही रहे । लेकिन ऐसा नहीं है कि ब्लॉगिंग की या ब्लॉगरों के आगमन की रफ़्तार थमी । कहते हैं न खाली हुए स्थान को भरने के लिए कोई न कोई आ ही जाता है । आज देखा जाए तो ब्लॉगरों की एक नई पीढी पूरी शिद्दत से महफ़िल जमाए हुए है । न सिर्फ़ खूब लिखा पढा जा रहा है बल्कि अब तो देखता हूं कि लिंक्स को सहेज़ कर एक साथ प्रस्तुत करने वाले प्रयास भी काफ़ी किए जा रहे हैं |


""एक बात जो सबसे ज्यादा खटक रही है वो ये कि सुबह से शाम तक जाने कितनी ही पोस्टें लिखी जा रही हैं , वो भी बेहतरीन और नायाब पोस्टें , एक से बढकर एक , अलग अलग विषयों और क्षेत्रों पर , मगर कई दिनों बाद भी उन पोस्टों पर पहुंचने के बाद भी वे अनछुई अनपढी सी लग रही हैं , हम पढ कम रहे हैं या टिप्पणी नहीं कर रहे हैं । कारण जो भी हो , मगर ब्लॉग लेखकों के ये कहने के बावजूद कि इससे कोई फ़र्क नहीं पडता कि कोई पढे न पढे टीपे न टीपे , मुझे लगता है फ़र्क पडता तो है । मैं अपनी पुराने अंदाज़ और रफ़्तार में आने जा रहा हूं , देर सवेर आपको अपनी पोस्टों में प्रतिक्रिया देता , कुछ कहता , लिखता , दिख ही जाउंगा , जो साथी नियमित हैं वे तो मिलेंगे ही , मुझे उम्मीद है कि आप सब कहीं न कहीं टिप्पणी प्रतिटिप्पणी में भी मिलेंगे ...................मिलेंगे न "

गुरुवार, 24 मई 2012

आओ ब्लॉगिंग की हम वाट लगाएं ...........












आओ ब्लॉगिंग की हम वाट लगाएं ,
सुलग रही चिंगारी पर घी डाल कर आग लगाएं ,

जब संपादक मैग्जीनों अखबारों के खूब गरियाते ,
तो फ़िर ब्लॉगर ही खुद ब्लॉगिंग को काहे नहीं गरियाएं ,

दाम लगे न फ़िटकरी , रंग भी चोखा आए ,
अपमान करे ये किसकी हिम्मत , सम्मान भी काहे करवाएं ,

बवाल हो ,बेमिसाल हो, फ़ौरन ही सब दौडे  आएं ,
अपना ब्लॉग है फ़िर काहे नहीं मौज की अपनी खाट बिछाएं ,

रसातल में ले चलें लो इसको, चलो इतनी फ़िर भद्द पिटाएं ,
छोड शब्द विचार तर्क , आओ मित्रों, अब लट्ठ उठाएं ,

कोई नया सोचे न कभी भी , उसके मन को इतना कल्पाएं ,
धधक धधक के जले रे ब्लॉगिंग , ब्लॉगर से पेट्रोल बन जाएं ,

माहौल मिज़ाज़ है गर्म यहां अभी , चल रही है देखो गर्म हवाएं ,
लाल बुझक्कड के सब नाना , फ़िर काहे किसी को समझाएं ,

छोडिए अब ये गदहा पचीसी , क्यों न ऐसा नियम बनाएं ,
लेखन पर ही हो बात हमेशा , ब्लॉगर का क्यों नाम ही लाएं ??

या फ़िर ब्लॉगिंग तो , नासपीटी , कब की होली ,
चलिए अपन भी अब , भाड में जाएं , भाड में जाएं ॥ 
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