हमें क्या पता था कि आपको हमरी कट पेस्ट भी गुड बेटर बेस्ट लगने लगेगी । आप सब न एक दम झूठे हैं जो कुछ भी धर दें आप कह देते हैं बढिया है । अब हमको तो लगेगा ही कि बढिया है …लिया जाए आज की चर्चा भी झेलिए …
प्रभु की दया से हम सब लगभग सामान्य लोग हैं। किसी तरह की विकलांगता का अनुभव नहीं करते है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि समाज का एक बहुत बडा तबका जो पूर्ण रूप से सामान्य नहीं है उनकी बडी उपेक्षा होती है। मैं ने इस बात को पिछले तीन महीनों में अच्छी तरह महसूस किया है।
तीन महीने पहले डाक्टर बेटे ने पहचान लिया कि मुझ में डायबटीज के लक्षण दिखने लगे हैं। बस आननफानन में जांच करवाई और और तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिये। फिलहाल मैं ने सीमा को हल्के से पार किया है लेकिन उसका कहना है कि अब यहीं बने रहने के लिये फलमिठाई, मीठी चाय, ठंडे पेय आदि को एकदम तिलांजली देना जरूरी है। मैं एक अनुशासित व्यक्ति हूं अत: सब कुछ मान लिया। लेकिन अब परेशानी यह है कि किसी के घर जाओ तो न तो चाय पी सकते हैं न मिठाई खा सकते है। सेवचिवडा खाकर कब तक आदमी जी सकता है।
हाय रे ये बैरी मन ना जाने क्या क्या विचार देते रहता है , अब देखिये ना कल मेरे मन में एक विचार आया की क्यूँ ना किसी का साक्षात्कार लिया जाये …. एक सुबह जो घर से निकला तो शाम होने को आई, लेकिन कोई ऐसा नहीं मिला जो मुझे साक्षात्कार देने को तैयार हो | अचानक मेरा ध्यान सड़क की दूसरी तरफ आराम फरमा रहे गदहा जी पर गया | मेरे अन्दर से आवाज़ आई की क्यूँ ना आज गदहा जी का ही साक्षात्कार लिया जाये? आखिर एक गदहा का साक्षात्कार एक गदहा ही ले सकता है , इस विचार से ओत-प्रोत मन ही मन अपनी ही प्रशंसा करता हुआ गदगद हो गदहा जी के पास पहुंचा |
धुल धूसरित गदहा जी आराम फरमाने के मूड में थे ,अत: उन्होंने मेरी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया | लेकिन मैं भी ठहरा एक पत्रकार, गदहा जी को साष्टांग प्रणाम किया (आगे से ही , क्यूंकि पीछे से साष्टांग करना…. कहा जाता है की इनकी दुलत्ती मे इन्द्र के वज्र का सा प्रहार देखा जा सकता है..अब ..आप समझ ही सकते है.) और अपने आने का प्रयोजन बताया | गदहा जी बहुत खुश हुए .. अपने चार बड़े बड़े दांत दिखा कर उन्होंने मेरा स्वागत किया और मेरे प्रश्नों का उत्तर देने को तैयार हो गये | आईये.. गदहा जी से मेरे लिए गये साक्षात्कार से आप भी रु -ब- रु होकर मुझे अनुगृहित करे | हाँ एक बात और…. इस साक्षात्कार के दौरान गदहा जी कई बार अत्यधिक उत्साह में ढेचु ढेचु भी करने लगते थे, अत: उनकी इन बातों को मैंने साक्षात्कार में शामिल नहीं किया है |
भारत में करीब ३०० ऍम सी आई द्वारा स्वीकृति प्राप्त मेडिकल कॉलिज हैं , जिनमे से करीब ३५००० छात्र प्रति वर्ष मेडिकल डिग्री प्राप्त कर डॉक्टर बनते हैं। हालाँकि डॉक्टरों की संख्या वांछित डॉक्टर पोपुलेशन रेशो के हिसाब से काफी कम है। फिर भी प्रति वर्ष पास होने वाले डॉक्टरों में से लगभग २०-२५ % अंततय: देश छोड़कर विकसित देशों की ओर कूच कर जाते हैं, एक सुनहरे भविष्य की कामना में ।
Wednesday 24 March 2010
28 अक्टूबर 2007 को जब तीसरा खंबा का पहला आलेख लिखा गया था तब सोचा भी न था कि ये तकरीबन ढाई वर्ष का समय यूँ ही निकल जाएगा। बस एक लक्ष्य था सामने कि मुझे देश को न्याय व्यवस्था की जरूरत और न्याय प्रणाली की जरूरतों के बारे में लिखना है। लोगों को बताना है कि हम जिस न्याय प्रणाली पर गर्व करते हैं। उस की शासन को कोई परवाह नहीं है। वास्तव में वह इसे मजबूरी समझता है। इस बिंदु से आरंभ करने के उपरांत तीसरा खंबा बहुत सोपानों से गुजरा।
Wednesday, March 24, 2010
कुछ बुलबुले
कुछ बुलबुले देख कर
ख़ुश हो जाती हैं
ज़िन्दगानियाँ
भूल जाते हैं कि
जब ये फूटेंगे तो
क्या होगा !
हाथ रिक्त
आसमाँ रिक्त
रिक्त सा जहाँ होगा
Wednesday, March 24, 2010
हर घर कुछ न कुछ कहता है...नेरोलक पेंटस का ये एड आपने कभी न कभी ज़रूर देखा होगा...मैं कहता हूं घर क्या, घर का हर कमरा, कमरे की हर चीज़ भी आप से कुछ न कुछ कहती है...यहां तक कि सफलता का मंत्र भी बताती हैं...यकीन नहीं हो रहा न...तो लीजिए, खुद ही पढ़िए कमरे की हर चीज़ आपसे कैसे मुखातिब है....
Wednesday, 24 March 2010
पूजा के लिए सुबह मुँहअँधेरे उठ गया था वो, धरती पर पाँव रखने से पहले दोनों हाथों की हथेलियों के दर्शन कर प्रातःस्मरण मंत्र गाया 'कराग्रे बसते लक्ष्मी.. कर मध्ये सरस्वती, कर मूले तु.....'. पिछली रात देर से काम से घर लौटे पड़ोसी को बेवजह जगा दिया अनजाने में.
जनेऊ को कान में अटका सपरा-खोरा(नहाया-धोया), बाग़ से कुछ फूल, कुछ कलियाँ तोड़ लाया, अटारी पर से बच्चों से छुपा के रखे पेड़े निकाले और धूप, चन्दन, अगरबत्ती, अक्षत और जल के लोटे से सजी थाली ले मंदिर निकल गया. रस्ते में एक हड्डियों के ढाँचे जैसे खजैले कुत्ते को हाथ में लिए डंडे से मार के भगा दिया.
ख़ुशी-ख़ुशी मंदिर पहुँच विधिवत पूजा अर्चना की और लौटते समय एक भिखारी के बढ़े हाथ को अनदेखा कर प्रसाद बचा कर घर ले आया. मन फिर भी शांत ना था...
शाम को एक ज्योतिषी जी के पास जाकर दुविधा बताई और हाथ की हथेली उसके सामने बिछा दी. ज्योतिषी का कहना था- ''आजकल तुम पर शनि की छाया है इसलिए की गई कोई पूजा नहीं लग रही.. मन अशांत होने का यही कारण है. अगले शनिवार को घर पर एक छोटा सा यज्ञ रख लो मैं पूरा करा दूंगा.''
'अशांत मन' की शांति के लिए उसने चुपचाप सहमती में सर हिला दिया.
दीपक 'मशाल'
Wednesday, 24 March 2010
बरेली से पिथौरागढ़ राष्ट्रीय-राजमार्ग पर
विगत दो वर्षों से मुँह चिढ़ाता
उत्तराखण्ड का प्रवेश-द्वार
बरेली के रास्ते कभी आप उत्तराखण्ड पधारें तो-
उत्तर-प्रदेश के मझोला कस्बे से थोड़ा सा आगे निकलने पर उत्तराखण्ड की सीमा में प्रवेश करते ही यह खण्ड-खण्ड प्रवेश द्वार आपका स्वागत करता हुआ मिलेगा!
ऐसा नही है कि मण्डी समिति के के पास इस बोर्ड को ठीक कराने के लिये धन नही है!
किन्तु मुख्य बात तो यह है कि भिखारियों के घर यदि बाहर से सुन्दर होंगे तो उन्हें भिक्षा कौन देगा?
बनारस की सुबह
विनोद वर्मा | मंगलवार, 23 मार्च 2010, 14:43 IST
सुबहे बनारस यानी बनारस की सुबह.
सुबह पाँच बजे बनारस की सड़कों पर लगता है कि सारे रास्ते सिर्फ़ घाट की ओर जाते हैं, चाहे वह दशाश्वमेध घाट हो या फिर अस्सी घाट.
देश-दुनिया से आए लोगों के झुंड घाटों की ओर जाते दिख जाते हैं. रिक्शे पर, ऑटो रिक्शा पर और ज़्यादातर पैदल.
दुकानें सुबह होने से पहले ही सज जाती हैं. फूल की, नारियल-प्रसाद की और चाय की.
भीख माँगने वाले भी घाट की सीढ़ियों पर जम जाते हैं
मंगलवार, २३ मार्च २०१०
प्रस्तुतकर्ता प्रज्ञा पर १०:२७ AM
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवाहपूर्व सेक्स या लिव इन रिलेशनशिप अपराध नहीं और दो वयस्कों के बीच संबंध को रोकने के लिए किसी कानून की व्यवस्था नहीं... मैं भी ये मानती हूं कि सेक्सुअल रिलेशन कंपलीटली किसी का निजी मामला होता है.. लेकिन इसके व्यावहारिक पक्ष से मैं सहमत नहीं हूं... और आगाह करना चाहूंगी ऐसे जोड़ों को जो विवाह पूर्व ऐसे संबंधों में हैं या संबंधों में जाना चाहते हैं...
इसकी कई वजहें हैं... अगर दोनों लोग प्रैक्टिकल हैं तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर साथ रहने के दौरान कोई भी एक पार्टनर संबंधों को लेकर सीरियस हो गया और किन्हीं वजहों से ये संबंध टूट गया तो जो व्यक्ति सीरियस है उसकी ज़िंदगी तो बर्बाद हुई समझो...
Posted on March 24, 2010 by वीर
घर को जाता हूँ…
बहुत कुछ बिखरा है वहाँ,
टुकड़े हैं मेरे कुछ फर्श पर|
दीवारों पर धबे हैं मेरे झूट के|
फीका पड़ गया हैं इनका रंग… इन्हें धोना है |
घर को जाता हूँ…
Wednesday, March 24, 2010
हूक हिय की
बरबस छलकी
भीगी दुनिया
प्रस्तुतकर्ता HARI SHARMA on Tuesday, March 23, 2010
आज के समाचर पत्रो की छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण खबर है कि नक्सल आन्दोलन के जनक और सच कहे तो स्वतन्त्र भारत के सबसे सन्घर्षशील व्यक्तित्व कानू सान्याल नही रहे.उनका शव हाथीघीसा स्थित उनके घर में रस्सी से लटका हुआ पाया गया. पुलिस मान कर चल रही है कि पिछले कुछ समय से विभिन्न बीमारियों से परेशान कानू सान्याल ने आत्महत्या की है यह सोचकर तो दिमाग का दिवाला निकल गया कि इस महा नायक ने आत्म हत्या की. मुझे यकीन नही होता
Wednesday 24 March 2010
चहबच्ची
वो चहबच्ची अब कहां से खोद लाउं
छिपाये जिसमें थे दिन अमनों- सूकून के
अब तो वह जमीन भी बंट चुकी है
नपी है चहबच्ची भी जमकर जरीब से
2 कमेंट - लजाइये नहीं, टिपियाइये
जाने कैसी आवारा गोधुलि बेला है, खुले उजाड़ मैदान के एक छोर टहलते हुए लगता है मानो ग़लत पते पर आ गए हों. जैसे मैदानी नाटकीय फैलाव के किसी कोने रेज़्ड प्लेटफ़ॉर्म पर कोई तेलुगू बाई का राजस्थानी नाच हो सकता था, या प्रतापगढ़ की किसी बिसराई नौटंकी का रिपीट शो, मगर सन्नाटों की अधबनी कविता पसरी हुई है, इमैजिन्ड अतीत का मेला उखड़कर मानो हार्डकोर फ्यूचर के एक रंगहीन कैनवास में डिसॉल्व हो गया है. इट कुड हैव बीन द लास्ट पिक्चर शो इन द वाइल्डरनेस, बट इट इज़ नॉट..
बुधवार, २४ मार्च २०१०
राम के अनुरागी.. (रामनवमी)
राम मेरे मन में बसनेवाले है..
मेरे हर रोम में राम समाये है..
मेरे जीवन सहारे राम है..
मेरे दर्पण और अर्चन राम है..
मेरी जिह्वा भी 'राम' नाम ही रटती है..
अनुलोम-विलोम होनेवाली साँसें भी राम है..
मेरे शक्ति और स्मरण राम है..
मेरी भक्ति और भरोसा राम है...
मेरा हर कर्म राममय है..
दीवाने है राम नाम के..
सुख-दुःख नहीं रहा अब तो..
हरख-शोक भी नहीं है..
राममय हो गया है सबकुछ..
उपवन बन गए है राम के..
नहीं रहा अब क्रोध किंचित मात्र..
हर लिया है सबकुछ राम नाम ने..
राम ने मुक्त कर दिया संसार से..
सार्थक हो गया जनम..
निर्मल हो गए निर्गुण को पाकर..
कैसे कहे महिमा राम नाम की..
अनंत है परमानन्द की गुणगाथा..
कैसे कहे अनुभव राम नाम का..
एक बार राम नाम प्रयोग कर देखें,
खुद-ब-खुद परिचित हो जायेंगे...
राम नाम है अति मंगलकारी..
'जय श्री राम'
*
प्रस्तुतकर्ता **ANANYA**
मैंने बहुत बार अनुभव किया है कि जब समाचार पत्रों में किसी अदालती फ़ैसले का समाचार छपता है तो आम जन में उसको लेकर बहुत तरह के विमर्श , तर्क वितर्क और बहस होती हैं जो कि स्वस्थ समाज के लिए अनिवार्य भी है और अपेक्षित भी । मगर इन सबके बीच एक बात जो बार बार कौंधती है वो ये कि अक्सर इन अदालती फ़ैसलों के जो निहातार्थ निकाले जाते हैं , जो कि जाहिर है समाचार के ऊपर ही आधारित होते हैं क्या सचमुच ही वो ऐसे होते हैं जैसे कि अदालत का मतंव्य होता है । शायद बहुत बार ऐसा नहीं होता है ।
>> बुधवार, २४ मार्च २०१०

आज, 24 मार्च को दिल की बात वाले डॉ अनुराग का जनमदिन है। इनका ईमेल पता anuragarya@yahoo.com है।
मंगलवार, २३ मार्च २०१०
कबीर के समय में काशी विद्या और धर्म साधना का सबसे बड़ा केन्द्र तो था ही, वस्त्र व्यवसायियों, वस्त्र कर्मियों, जुलाहों का भी सबसे बड़ा कर्म क्षेत्र था। देश के चारों ओर से लोग वहां आते रहते थे और उनके अनुरोध पर कबीर को भी दूर-दूर तक जाना पड़ता था।
23.3.10
सुना है की अपने वकील बिहारी बाबू कहिन अजय झा जी ब्लागरों की वसीयत बनाने में जुटे हैं तो मैंने भी सोचा की जीते जी वकील बाबू जी से क्यों न अपनी वसीयत तैयार करवा ली जाए ताकि मरने के बाद मन में कोई ख़ुलूस न जाए की जीते जी अपनी ब्लागरी की वसीयत तैयार नहीं करवा सका . वसीयत बनने के बाद कम से कम आत्मशांति तो रहेगी . फिर दिमाग ने जोर मारा की बिहारी बाबू क्यों अपनी मर्जी से वसीयत तैयार करेंगे जब हम उन्हें लिखवायेंगे तबई न वसीयत लिखी जावेगी . मरने के पहले मै वकील बाबू से जो अपनी वसीयत लिखवाना चाहता हूँ उसका प्रारूप निम्नानुसार यह है -
ई महेन्द्र भाई सब ठो पोल खोल के रख दिए ..उनका वसीयत तो आप उनके ब्लोग पर पढिए ..मुदा बकिया सबका वसीयत …सीजनल वसीयत …जल्दी ही पढवाएंगे आपको ………राम राम