#बागवानीमंत्र :
बागवानी करने और उसमें भी बागवानी शुरू करने वाले मित्रों को अब इसके लिए तत्पर हो जाना चाहिए। बागवानी के लिए वर्ष के सबसे उपयुक्त मौसम में से एक यानि बरसात और आर्द्र वातावरण बस सामने ही है। इस मौसम में तो बेजान पेड़ पौधों में भी नवजीवन अंकुरित हो उठता है।
बरसात में साग पात ,धनिया , पुदीना आदि को छोड़कर सभी फूल फल बीज कलम आदि की बागवानी की जा सकती है। बीज से और कटिंग से , दोनों ही विधियों से इस मौसम में पौधे आसानी से उगाए और लगाए जा सकते हैं। हाँ नए और नन्हें पौधों को तेज़ हवा कर ज्यादा पानी से बचाव के लिए जरूर ही सावधान रहना चाहिए।
पहले से उपलब्ध ,पुराने बड़े पौधों की कांट छाँट , बारिश की पहली फुहारों के बाद करना बेहतर रहता है। बरसात का भारी नमी वाला मौसम इन पौधों को फिर तेज़ी से नए पत्तों टहनियों के सात हरा भरा करने लगता है और अगले मौसम के लिए पौधे ज्यादा पुष्ट व स्वस्थ हो जाते हैं।
बरसात में हवा में नमी की अधिकता , कीट-पतंगों के आगमन , प्रजनन , वृद्धि का भी समय होता है इसलिए नए पुराने हर बागबान को इन कीटों से निपटने के उपाय व औषधियों के बारे में भी थोड़ी बहुत जानकारी रखना उचित रहता है।
बीज बोन से लेकर अकुंरण और शिशु पौधों की अवस्था तक इन्हें तेज़ बारिश से भी बचाया जाना जरूरी होता है। ज़रा सी लापरवाही कई बार १० -२० दिनों की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मसलन तेज़ हवा से पौधों का गिरना या गमलों में जमा पानी से जड़ों में गलन की समस्या आदि।
पौधों में खाद के रूप में सबसे अधिक लाभदायक होते हैं -रसोई से निकले कच्चे अपशिष्ट यानी साग सब्जियों फलों के छिलके /डंठल /बीज आदि। सबसे सरलतम तरीके से उपयोग करने के लिए इन्हें पानी में भिगो कर 6-8 घंटे छोड़ देना चाहिए। इसके बाद पानी को छान कर और इसमें इतना ही पानी और मिला कर सभी पौधों की जड़ों में थोड़ा थड़ा डालते रहना चाहिए। बचे हुए छिलकों को भी छोटा छोटा करके जड़ों की मिटटी में मिला देना चाहिए। ये सदाबहार उर्वरक सबसे सरल और सबसे अधिक प्रभावी साबित होते हैं।
इस आर्द्र मौसम में गमलों का स्थान संयोजन , पौधों के जड़ों के आसपास की मिट्टी की निराई गुड़ाई , छोटे पौधों पर कीट पतंगों का अतिक्रमण आदि का भी विशेष ध्यान रखना ठीक रहता है। आज के लिए इतना ही -अगले अंक में बात करेंगे -बागवानी में गमलों के स्थान संयोजन -प्रभाव और परिणाम की।