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गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

पूरे अंतरजाल में खुले सांड की तरह विचरते हैं , देखिए फ़िर हम कैसी चर्चा करते हैं , …….पोस्ट, पत्रिका, वीडियो, बज ….सब माल है जी ..

 

सबसे पहले चलते हैं बीबीसी ब्लोग्स की ओर देखिए क्या कह रहे हैं विनोद वर्मा जी

हाइवे पर हम्माम

विनोद वर्मा विनोद वर्मा | मंगलवार, 06 अप्रैल 2010, 15:06 IST

शेरशाह सूरी ने जब ग्रैंड ट्रंक रोड बनवाई तो उन्होंने सड़कों के किनारे पेड़ लगवाए, सरायें बनवाईं और कुँए खुदवाए. लेकिन उन्होंने सड़क के किनारे हम्माम नहीं बनवाए.

शायद इसकी दो वजहें रही होंगीं. एक तो वह योद्धा थे और उन्होंने जो कुछ भी किया वह अपनी सेना को ध्यान में रखकर ही किया. भले ही उससे समाज के दूसरे हिस्सों का भी भला हो गया.

दूसरा वह अफ़ग़ान थे और मध्यपूर्व के दूसरे देशों की हम्माम की संस्कृति का उन पर कोई असर नहीं था.

लेकिन इस समय हाइवे के किनारे अगर आपको हम्माम मिल जाए तो?

हाइवे हिंदुस्तान की टीम को बंगलौर से चित्रदुर्ग जाते हुए एक ढाबे के सामने मिला एक हम्माम - संगीता हाइवे हम्माम.

 

Wednesday, April 7, 2010  image

शोएब के बहाने सानिया का जीना हराम करने की तैयारी

टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा से ख़फ़ा 'मज़हब के ठेकेदार' अब शोएब के बहाने उस पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं...

ख़बर है कि भोपाल में ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी ने इस्लाम और शरीयत के ख़िलाफ़ काम करने के इल्ज़ाम में सानिया मिर्ज़ा को जाति से बाहर कर दिया है...

ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी की मजलिसे-ए-शूरा की बैठक में सानिया मिर्ज़ा के ख़िलाफ़ जमकर भड़ास निकाली गई...सानिया के लिबास पर भी जमकर टीका-टिप्पणी की गई...(लगता है इन लोगों की नज़रें सिर्फ़ सानिया की छोटी स्कर्ट के आसपास ही रहती हैं...सानिया के खेल और उसकी कामयाबी पर इनका ध्यान शायद कभी जाता हो...) कमेटी के अध्यक्ष औसाफ़ शाहमीरी का तो यहां तक कहना है कि सानिया मिर्ज़ा ने एक शादीशुदा शख्स से शादी का फ़ैसला करके एक औरत को तकलीफ़ पहुंचाई है...और सानिया के इस जुर्म पर कोई भी सानिया का निकाह नहीं पढ़ाएगा... अगर कोई निकाह पढ़ाता है तो वो इंसानियत की नज़र में एक बदतर और गिरा हुआ इंसान है...

 

Thursday, 8 April 2010  image

एक निहायत जरूरी पोस्ट, ये कोई मजाक नहीं------>>>दीपक 'मशाल'

नक्सली समस्या पर जो विचार मैं लिखना चाहता था और जो सवाल उठाना चाहता था वो कुछ तो गुस्से की वजह से सोच नहीं पाया और कुछ समयाभाव में... लेकिन आज एक ऐसी पोस्ट पढ़ी जो इस विषय पर एक सम्प्पूर्ण पोस्ट लगी लेकिन बहुत दुखद है कि इससे पहले से भी कई बेहतरीन पोस्ट लिखती आ रहीं लाइफ ब्लॉग की लेखिका श्रीमती रश्मि साहू जी को बहुत कम लोगों ने पढ़ा जबकि उनकी नक्सल समस्या पर लिखी गई कल की पोस्ट नक्सल आखिर चाहते क्या हैं? वास्तव में एक बहुत गंभीर और विचारणीय पोस्ट है इसलिए उनकी अनुमति से यहाँ पुनः आप लोगों के सामने रख रहा हूँ. साथ ही आपसे गुज़ारिश करूंगा कि यारों-दोस्तों की पोस्टों के चक्रव्यूह से निकाल ऐसी पोस्टों पर नज़र डालें.. मुझे पूरे अपने से मिलते विचार लगे तो मैं इस पोस्ट को यहाँ ले आया. आपको लगेंगे या नहीं.. ये भी नहीं जानता.

 

नवभारत टाईम्स ब्लोग्स में देखिए आज कौन क्या कह रहा है ?

किसानों को 'नक्सली' बनने से रोक लोimage

प्रेमचंद्र गुप्ता Thursday April 08, 2010

बिहार के लगभग 10 जिलों के ढेर सारे किसान आजकल मुश्किल भरे दौर से गुजर रहे हैं। उनके हालात काफी नाजुक हैं और उनके सामने अब आत्महत्या तक की नौबत आ चुकी है। समय रहते अगर ध्यान नहीं दिया गया, तो निश्चित तौर पर यहां भी नक्सलवाद पनप सकता है।

दरअसल, खगड़िया, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर समेत 10 जिलों के किसानों ने लगभग 200 हजार हेक्टेयर में जीएम मक्के की खेती की थी। फसल तो खूब लहलहाई,  पर मक्के की बाली से दाना नदारद होने से किसानों के होश उड़ गए हैं। पूरे के पूरे खेत अब घास के मैदान के रूप में तब्दील हो चुके हैं। किसानों ने भारी कर्ज लेकर मक्के की खेती की थी, अब उनके सामने कर्ज चुकाने का कोई उपाय नजर नहीं आ रहा है।

 

Thursday, April 8, 2010

आओ, सवाल पूछकर जहर फैलाएंimage

नक्सलवाद पर आपका क्या कहना है...सानिया मिर्जा - शोएब की शादी के बारे में आप क्या सोचते हैं...यह सवाल अचानक सोशल नेटवर्किंग साइट, आपके दफ्तर या आपके आसपास रहने वाले लोग किसी भी वक्त पूछ सकते हैं। जरा सोच समझकर जवाब दीजिएगा, नहीं तो आपको राष्ट्रविरोधी, देशद्रोही और न जाने किन-किन खिताबों से नवाजा जा सकता है। अंध राष्ट्रभक्त अब इस देश में फैशन बन चुका है। जर्मनी में हिटलर के दौर में अंध राष्ट्रभक्त के चलते जो नाजीवाद पैदा हुआ था, कुछ-कुछ उस तरह का खतरा मंडराता नजर आ रहा है।

 

अब देखिए कि जागरण जंक्शन में आएशा को किस बात के लिए सलाम कह रहे हैं भाई वी कुमार जी

आएशा सिद्दीकी को सलाम  image

पोस्टेड ओन: April,8 2010 जनरल डब्बा में

 

बधाई हो सानिया मिर्जा, निकाह की राह निष्कंटक हो गई। अब आप सुकून से १५ को शोएब के साथ निकाहनामा पढ़ सकती हैं। फतवों के देश जाकर दावत-ए-बलिमा दे सकती हैं, दुबई में सुकून से गृहस्थी बसा सकती हैं। सच्चाई कबूलने के लिए शोएब को भी मुबारकबाद, साथ में एक नेक सलाह कि सानिया के साथ वो सुलूक न करना जो आएशा के साथ किया। मियां याद रखना ये भारतीय लड़कियां हैं प्रेम करती हैं तो हद से गुजर जाती हैं, बाकी तो समझदार के लिए इशारा काफी है।
आयशा सिद्दीकी के जज्बे को सलाम। शाबाश आयशा तुमने वो कर दिखाया जिसके लिए बहुत कम लड़कियां हिम्मत जुटा पाती हैं। तुम्हें कौन सा तमगा दिया जाए? हां झांसी की रानी ही ठीक रहेगा, खूब लड़ी मर्दानी। तुमने शोएब मियां को परास्त करके छोड़ा। पाकिस्तान की सारी कूटनीति धरी रह गई। वहां के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से लेकर बड़े-बड़ों की बोलती बंद कर दी। यह उन लोगों की हार है जो तुम्हारे प्यार को ठगी और निकाह को नाजायज बता रहे थे।

 

देखिए कि ई पत्रिका पाखी में प्रतिभा कुशवाहा अपनी इस पोस्ट में क्या कह रही हैं

ब्लॉगनामा

टिपियाइए! मगर ध्यान से : प्रतिभा कुशवाहा

आप के दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं, प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है, लोग अपनी श्र(ानुसार पढे़ंगे और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं। अतः

आवश्यकता है कि आप नाजुक विषयों पर प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है।' यह निवेदननुमा नोट सतीश सक्सेना ने अपने ब्लॉग 'मेरे गीत' टिप्पणी के शौकीन ब्लॉगरों के लिए लगा रखी है जो मात्रा टिप्पणी करने के लिए ब्लॉग दर ब्लॉग भटकते रहते हैं। इनकी यह 'भटकन' कुछ अच्छा पढ़ने की ललक की उपज बस नहीं होती बल्कि सकारात्मक या नकारात्मक रूप से उक्त ब्लॉगर को आकर्षित करना भी है।

 

Thursday, April 8, 2010

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर मिला , डॉक्टरों को सम्मान ---      image

 

और इन्ही गुणों को मुद्दे नज़र रखते हुए दिल्ली सरकार ने दिल्ली के डॉक्टरों , नर्सों और अन्य पैरामेडिकल कर्मचारियों को सम्मानित किया । आइये हमारे अस्पताल के जिन लोगों को सम्मान मिला , उनसे आपका परिचय कराते हैं।

डॉ श्रीधर द्विवेदी

डॉ द्विवेदी , मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष हैं । साथ ही प्रिवेंटिव कार्डियोलोजी क्लिनिक और ए आर टी क्लिनिक केभी इंचार्ज हैं। इसके अलावा धूम्रपान विरोधी , नशा उन्मूलन और अडोलेसेंत कार्डियोलोजी जैसे विषयों पर भी कामकर रहे हैं। डॉ द्विवेदी जी जन जागरूकता व्याखान ( पब्लिक अवेयरनेस लेक्चर ) का भी आयोजन हर माह करते हैं, जिनमे क्षेत्र के आम लोगों को सरल भाषा में स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी प्रदान की जाती है।

 

ई पत्रिका कैफ़े हिंदी से मिली इस अद्भुत पोस्ट को पढिए

भगीरथजी मुनि के रेती पर उर्फ भगीरथ –गंगा नवकथा

22 June, 2008 03:00:00 आलोक पुराणिक 3106 बार पढ़ा गया

 

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गंगा को जमीन पर लाने वाले अजर-अमर महर्षि भगीरथजी स्वर्ग में लंबी साधना के बाद जब चैतन्य हुए, तो उन्होने पाया कि भारतभूमि पर पब्लिक पानी की समस्या से त्रस्त है। समूचा भारत पानी के झंझट से ग्रस्त है। सो महर्षि ने दोबारा गंगा द्वितीय को लाने की सोची। महर्षि भारत भूमि पर पधारे और मुनि की रेती, हरिद्वार पर दोबारा साधनारत हो गये।

 

Thursday, April 8, 2010    image

हमने नचा दिया उनको गा करके...उनको गा करके....उनको गा SSSSSSSSSS करके........

 

 

 

 

बुधवार, ७ अप्रैल २०१०image

खोया सा जीवन

यह मेरा खोया सा जीवन !
क्या फिर से पा जाऊँगी मैं
इस लुटी हुई दुनिया का धन !
यह मेरा खोया सा जीवन !,
मेरी सूनी-सूनी रातें,
प्रिय की मीठी-मीठी बातें,
फिर याद दिला जातीं आकर,
बीते सपने, बीते मृदु क्षण !
यह मेरा खोया सा जीवन !

 

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गुरुवार, अप्रैल 08, 2010   

ये लिजिये विडियो और गिलहरी   

रोज सुबह जागकर जब खिड़की के पास आकर बैठता हूँ तो छम्म से एक गिलहरी आकर खिड़की के पास बैठ जाती है. आंगन में खेलती है और थकती है तो फिर खिड़की के पास आकर सुस्ता लेती है. पहले जैसे ही उसकी तरफ देखता था, भाग जाती थी और खेलने लगती थी. फिर थोड़ी देर में आ जाती थी.

अब देखता हूँ तो डरती नहीं, भागती नहीं. इन्तजार करती है कि कब मैं उठूँ, दरवाजा खोलूँ और उसे मूंगफली खिलाऊँ. महिनों से सिलसिला जारी है. किसी दिन जानबूझ कर खिड़की की तरफ न देखूँ तो पंजों से कांच पर खटखटाने लगती है मानो पूछ रही हो: नाराज हो क्या? मूँगफली नहीं खिलाओगे?

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Wednesday, April 7, 2010      image

निगाहें मिलाने को जी नहीं चाहता   

पिछले दिनों उत्तराखंड के एक सुदूर गांव में बने पर्यटन स्थल पर एक जर्मन छात्रा से मुलाकात हुई। वह हिंदुस्तान के बारे में पढ़ाई कर रही है और इंटर्नशिप के लिए हर साल तीन-चार महीने के लिए यहां आती है। यहां आना उसके पाठ्यक्रम का जरूरी हिस्सा है

 

गुरुवार, ८ अप्रैल २०१० image

वाचिकसमाज में ब्लॉग लेखन कितना सार्थक ?

ब्लॉग की चारित्रिक विशेषता के बारे में चीन के प्रख्यात इंटरनेट विद्वान और बीजिंग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हु यंग ने लिखा है कि ब्लॉगिंग नए किस्म का संचार है। इसकी चार विशेषताएं हैं,ये हैं, प्रथम ,गति केन्द्रितकता , यह इंटरनेट के नए संचार विकासक्रम का द्योतक है।

 

07 April 2010   image

सानिया की शादी, टीवी वाले बाराती में रवीश कुमार बतला रहे हैं


आज दैनिक हिन्‍दुस्‍तान में ब्‍लॉग वार्ता : सानिया की शादी, टीवी वाले बाराती में रवीश कुमार ने खूब कहा है और जिक्र किया है अनिल पाण्‍डेय की ब्‍लॉग पर गर्माहट का, कृष्‍ण मुरारी प्रसाद की दलील का, उपदेश सक्‍सेना के उपदेश नहीं तर्क का, और सुधा सिंह ने जो लिखा है प्रवक्‍ता डॉट कॉम पर और विकास मेहता के ब्‍लॉग में जन जन को जगाने वाले जागरण का

 

नई दिल्ली की कार पार्किंग में एक दिन के 700 रूपए वसूले गए: भुक्तभोगी हाईकोर्ट पहुँचा

Thursday, April 08, 2010 इस कार्यवाही को पेश करने वाले: लोकेश Lokesh

नई दिल्ली स्टेशन स्थित कार पार्किंग में केवल एक दिन के लिए गाड़ी पार्क करने के बदले 700 रुपये वसूले गए तो याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई और सरकार को नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर पार्किंग नीति बताने को कहा।
जस्टिस कैलाश गंभीर ने कहा कि राजधानी में गाड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही है और इस कारण आम लोगों को गाड़ी पार्क करने में न सिर्फ दिक्कतें आ रही हैं, बल्कि उन्हें इसके बदले गैरवाजिब भुगतान भी करना पड़ा रहा है। पार्किंग निश्चित तौर पर रोज की समस्या बन चुकी है और देखने में आ रहा है कि सरकार के पास कोई ऎसी प्रणाली नहीं है जिससे वह बता सके कि कौन सी पार्किंग वैध है और कौन सी अवैध

 

पिछली चर्चा में संजीत जी ने पूछा था कि ये तो पोस्ट चर्चा है न तो फ़िर बज क्यों , अब क्या करें , बज का बाजा  आजकल इतना बज रहा है कि उसे दरकिनार करना ठीक नहीं है ..तो लीजीए आज फ़िर देखिए …..और सबसे जादे ई उडन बाबा ही बजाए हुए हैं बाजा ..एक ठो फ़ोटो के साथ कुछ फ़िलासफ़िकल लिख कर निकल लेते हैं इहां हम लो डमरू बजाते रहते हैं …देखिए कैसे

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ये है लाल मिर्च. देखने में जितनी सुन्दर, खाने में उतनी ही तीखी!!
धूँस कर मसाला भर के अचार बना दो, तो ठीक हो जाती है.
कृपया सुधीजन यह न आशांका पालें कि इसमें कोई संदेश छिपा है. न ही मिर्ची को स्त्री लिंगीय बता कर विमर्श को नारीवादी दिशा की तरफ मोड़ें.

chilli_pepper.jpg

7 लोगों ने इसे पसंद किया - अजित वडनेरकर, SANGITA PURI और 5 अन्य, deepak sharma kapruwan, Ash Srivastava, Rajeev Nandan Dwivedi, अली सैयद और प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI

Sameer Lal ने इस पोस्ट पर टिप्पणियों को अक्षम किया

Swapna Shail - हा हा हा ..
तुझे मिर्ची लगी तो मैं क्या करूँ...
इसे देखते ही ये गाना याद आगया....आप भी न...!!7 अप्रैल

Sameer Lal - वही गाना बज रहा है कम्प्यूटर पर...और बड़ी बात यह है कि मैं भी गा रहा हूँ साथ में. :)7 अप्रैल

Swapna Shail - हा हा हा ..
हा हा हा ..हा हा हा ..
हा हा हा ..हा हा हा ..
हाँ बड़ी बात तो है....आप गा रहे हैं...
राग मिर्च बागेश्वरी, या मिर्चताल भैरवी...7 अप्रैल

rajesh swarthi - यह तो समझ में आ गया कि मिर्ची किसको लगेगी और किसके लिए है.7 अप्रैल

ajay jha - इससे स्पष्ट संदेश जाता है कि हिंदी सेवा करने को दृढ हम जैसे भोले भाले हिंदी प्रेमियों के प्रयास से जिसको भी मिर्च लगती है ...वो ये लाल मिर्च ही होती है ..आप हरियरका में मत कन्फ़्यूजियाईयेगासंपादित करें7 अप्रैल

Sameer Lal - अरे राजेश भाई, ऐसी कोई बात नहीं है. आप भी न!
॒ अजय भाई: हरी मिर्च में वो दम कहाँ?7 अप्रैल

Swapna Shail - समीर जी मैं सोच रही हूँ अपनी फोटू की जगह ये मिर्ची लगा लूँ ...कैसा रहेगा ये आइडिया ..:)
मुझे बड़ी अच्छी लगी ये मिर्ची....आपका कोई कॉपी राईट का पिरोब्लेम तो नहीं आ जाएगा ??7 अप्रैल

Sameer Lal - अजी, आराम से लगाईये...जौन को तीत लगे ऊ सुरसुराये...आप तो चैंपाये रहिये!! हा हा!7 अप्रैल

VIVEK SINGH - भावार्थ : लेखक यहाँ कहना चाहता है कि, "स्त्री एक मिर्ची की तरह है । जिस प्रकार मिर्ची तीखी होती है किन्तु धूँसकर मसाला भरते ही ठीक हो जाती है । उसी प्रकार स्त्री को भी उचित ट्रीटमेंट देकर लाइन पर लाया जा सकता है । यह बीमारी भी लाइलाज नहीं ।"
पर लेखक राजनीनीतिक पृष्ठभूमि से होने के कारण अपनी बात कहने में उसी प्रकार हिचक रहा है जिस प्रकार नेता अपने वोटबैंक को खोने के डर से आतंकवाद को परोक्ष समर्थन तो देता रहता है किन्तु खुलकर उसके पक्ष या विपक्ष में नहीं आता । क्योंकि वह दोनों ही तरफ का वोटबैंक अपने पास रखना चाहता है ।7 अप्रैल

Sameer Lal - प्रिय मित्र विवेक: डिस्क्लेमर पर ध्यान दो बालक " कृपया सुधीजन यह न आशांका पालें कि इसमें कोई संदेश छिपा है. न ही मिर्ची को स्त्री लिंगीय बता कर विमर्श को नारीवादी दिशा की तरफ मोड़ें."
हम समाज सेवकों को वोट की क्या तलब भला. :)7 अप्रैल

sanjiv verma - mirchee lagee sameer ko, tabhee huaa kya lal.
gar aisee shuruaat hai, aage kaun hawal?..7 अप्रैल

Rajeev Nandan Dwivedi - हम भी समझ गए कि आप मिर्ची दिखा कर किसको आग लगा रहे हैं, यह बिलकुल ही गलत बात है. (-_-)7 अप्रैल

dhiru singh - आपके कहने का तात्पर्य हम नही सम्झेंगे तो कौन समझेगा .7 अप्रैल

Vivek Rastogi - आईला मिर्ची को भी नहीं छोड़ा ।7 अप्रैल

Mansoorali Hashmi - मिर्ची है लाल, ले के जो आये है; वो भी लाल,
चुप भी अगर रहे तो ,रहेगा उन्हें मलाल,
भाषा विमर्श पर न हो, बदहजमी इसलिए,
मिर्ची - अचार ही करे शायद कोई कमाल.
--
mansoorali hashmi7 अप्रैल

Dr. Mahesh Sinha - हरी मिर्ची ने उठाया है सवाल
कभी आपने लौंगिया का स्वाद नहीं चखा
इसलिये ये बात कह रहे हैं श्री लाल
वैसे शायद यह लाल महिना दिखा रहे हैं
हर चीज इन्हे लाल ही दिख रही है7 अप्रैल

आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" - हमें समीर जी पर पूरा विश्वास है. इस सन्देश में कहीं कोई छुपा मन्तव्य नहीं है. वैसे भी वे नारीवादी मर्द घोषित हो चुके हैं.7 अप्रैल

अविनाश वाचस्पति - मुझे मालूम है कि इस मिर्च में जो मिर्ची के दाने हैं, वही तो बाद में टिप्‍पणियों में परिवर्तित होकर आती हैं तभी तो खूब सारी टिप्‍पणियां उड़नतश्‍तरी से निकल निकल कर सारे ब्‍लॉगजगत के ब्‍लॉगों पर लहलहाती हैं।7 अप्रैल

Padm singh - मै आपका इशारा समझ रहा हूँ भगवन !
बता दूँगा तो अभी बखेड़ा खड़ा हो जाएगा..... पक्का बता रहा हूँ ..... आराधना/अनुराधा/मुक्ति/धानी/अरु/आना/आधू/गुड्डू जी .... कृपया फिर फिर से लाइनों को पढ़ें .... हो सकता है कोई क्लू मिल जाए अगर न मिले तो मै फिर आऊंगा और इस बज्जी का मंतव्य बताऊंगा ......7 अप्रैल

Dr. Mahesh Sinha - अरे आराधना जी इतना असर की आप मुक्त हो गयी . बधाई हो
जय हो बाबा समीरानंद की जय7 अप्रैल

आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति" - @Padm singh, अरे, ढूढ़ना चाहें तो एक नहीं कई छिपे अर्थ निकल आयेंगे. पर मैंने कहा न कि मुझे समीर जी पर पूरा विश्वास है और जहाँ विश्वास है, वहाँ कोई भी किसी को बहका नहीं सकता.7 अप्रैल

Jitendra Chaudhary - मै अखिल भारतीय मिर्ची संघ की ओर से आपके इस वक्तव्य पर आपत्ति दर्ज करता हूँ। आपने मिर्ची के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया है। मिर्ची की शिकायत पर संघ ने आपके खिलाफ मिर्ची अदालत मे केस करने का निश्चय किया है। हमारे अध्यक्ष मिर्ची सेठ और उनके वकील शीघ्र ही आपसे सम्पर्क करेंगे।7 अप्रैल

चलते हैं फ़िर देखिए कब टहलते हैं ….?????

रविवार, 4 अप्रैल 2010

चर्चा रविवार की : हमने फ़िर तैयार की

 

 

आज रविवार था सो आपको ब्लोग जगत की हलचलों से रूबरू करना जरूरी था , इसलिए हम हाज़िर हो गए हैं लेकर कुछ पोस्टों की झलकियां । वैसे तो इन दिनों सिर्फ़ सानिया की ही धूम है , मगर बहुत लोग इसके अलावा भी पढ लिख रहे हैं जी ,,,,देखिए आज कौन क्या कह रहा है अपने ब्लोग पोस्ट में

 

बीबीसी हिंदी रेडियो सेवा के संपादक श्री अमित बरूआ देखिए अपने ब्लोग में क्या कहते हैं

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भारत-चीनः उतार-चढ़ाव के साठ वर्ष

अमित बरुआ अमित बरुआ | गुरुवार, 01 अप्रैल 2010, 00:54

टिप्पणियाँ (11)

पहली अप्रैल भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ है. एक अप्रैल, 1950 को भारत चीन के साथ कूटनयिक रिश्ते क़ायम करने वाला दूसरा गैर-कम्युनिस्ट राष्ट्र बना.

हिंदी-चीनी भाई-भाई के उन्माद भरे दिनों के बाद, 1962 में हुई लड़ाई ने इन दोनों देशों के बीच के भाईचारे का अंत कर दिया.

अगस्त 1976 में दोनों देशों ने पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल किए और बेइजिंग और नई दिल्ली में राजदूतों की नियुक्ति की. यह दुनिया के लिए एक संकेत था कि दोनों देशों के संबंध धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रहे हैं.

जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी फ़रवरी, 1979 में बेइजिंग गए जबकि उनके समकक्ष हुआंग हुआ जून, 1981 में भारत आए.

भारत और चीन के जटिल और तनावपूर्ण संबंधों में एक मोड़ दिसंबर, 1988 में आया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन की यात्रा पर गए. सीमा विवाद पर बातचीत के लिए एक संयुक्त कार्यगुट की स्थापना हुई-यानी, दोनों देशों के बीच के मतभेद सुलझाने के लिए एक कार्यप्रणाली विकसित की गई.

 

नवभारत टाईम्स पत्र से जुडे सभी लोग नवभारत टाईम्स के ब्लोग मंच पर अपनी बात कहते है ..आज दिलबर गोठी कुछ कह रहे हैं आप खुद देखिए

दिल में है दिल्ली

राइट टु एडमिशन ही दे दो

दिलबर गोठी Sunday April 04, 2010

देखने- सुनने में कितना भला लगता है कि 14 साल तक के बच्चों के लिए अब शिक्षा एक अधिकार की तरह होगी। यह सरकार की जिम्मेदारी होगी कि 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराए। हर बच्चे को स्कूल में एडमिशन मिले और ऐसे हालात न बनें कि उसे स्कूल छोड़ना पड़े।

इन दिनों राजधानी में एडमिशन के लिए जितनी आपाधापी मचती रही है और अब भी मच रही है, उसे देखते हुए राइट टु एजुकेशन ऐक्ट वास्तव में सुखद स्वप्न जैसा ही महसूस होता है। कम से कम दिल्ली में एजुकेशन नहीं बल्कि केवल राइट टु एडमिशन मिल जाए तो लोग सरकार के शुक्रगुजार होंगे।

 

रविवार, ४ अप्रैल २०१०

एक पागल का प्रलाप


मेरे दोस्त फ़रीद ख़ान ने दो नई कविताएं लिखी हैं, उर्दू में लिखते तो कहा जाता कि कही हैं, लेकिन हिन्दी में हैं इसलिए लिेखी ही हैं।
हिन्दी में कविता मुख्य विधा है फिर भी ऐसी कविताएं विरल हैं।
मुलाहिज़ा फ़र्माएं:
एक पागल का प्रलाप
कम्बल ओढ़ कर वह और भी पगला गया,
कहने लगा मेरा ईश्वर लंगड़ा है.... काना है, लूला है, गूंगा है।
'निराकार' बड़ा निराकार होता है, नीरस, बेरंग, बेस्वाद होता है।
कट्टर और निरंकुश होता है।

 

SATURDAY, 3 APRIL 2010My Photo

गर्म हवा

अभी-अभी फिर से अपनी सबसे पसंदीदा फ़िल्म देख कर उठा हूं। गर्म हवा। मास्टरपीस है। ऐसी फ़िल्म नहीं बनी कोई। न जाने कितनी बार देख चुका हूं। आज जब देख रहा था तो फिर से वही देखा कि कैसे सलीम मिर्ज़ा बने बलराज साहनी के बड़े भाई हलीम मिर्ज़ा हिंदु्स्तान के गुण गाते-गाते पाकिस्तान चले जाते हैं। और छोड़ जाते हैं सलीम मिर्ज़ा को हिंदुस्तान में ताने सुनने के लिए। म्वाफ़ कीजिएगा लेकिन पिछले दिनों जो एम एफ़ हुसैन और सानिया ने किया है, मैं उसे हलीम मिर्ज़ा के दर्जे का ही मानता हूं। नहीं, मुझे परेशानी सानिया की शादी से नहीं। वो उसका निजी मामला है। लेकिन इस मौक़े पर उसका अप्रैल 2005 का इंटरव्यू जब पाकिस्तान के जियो टीवी पर देखा तो बहुत अफ़सोस हुआ। इंटरव्यू में सानिया सलवार कमीज़ में थी। सवाल पूछा गया टेनिस कोर्ट पर स्कर्ट पहनने पर उठे बवाल पर।

 

घर और महानगर

Posted on अप्रैल 4, 2010 by aradhana

घर

(१.)

शाम ढलते ही

पंछी लौटते हैं अपने नीड़

लोग अपने घरों को,

बसों और ट्रेनों में बढ़ जाती है भीड़

पर वो क्या करें ?

जिनके घर

हर साल ही बसते-उजड़ते हैं,

यमुना की बाढ़ के साथ.

 

SUNDAY, APRIL 4, 2010

अपनी पोस्ट पर खुद टिप्पणी करते रहना कितना जायज़...खुशदीपMy Photo

रवींद्र प्रभात जी की पोस्ट से पता चला कि परिकल्पना ब्लॉग उत्सव 2010, 15 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है...रवींद्र जी के मुताबिक उत्सव के दौरान सारगर्भित टिप्पणी करने वाले टिप्पणीकार को भी विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा...इसी से पता चल जाता है कि ब्लॉगिंग में सारगर्भित टिप्पणियों का कितना महत्व होता है...
मैं इस पोस्ट में ये नहीं लिखने जा रहा कि ब्लॉगिंग टिप्पणियों के लालच में नहीं की जानी चाहिए...मैं ये भी नहीं लिखने जा रहा कि गंभीर और अच्छे लेखों पर टिप्पणियों का अकाल पड़ा रहता है...मैं ये भी नहीं लिखने जा रहा कि टिप्पणी का स्वरूप कैसा होना चाहिए...क्या सिर्फ वाह-वाह कर ही अपने पाठक धर्म की इतिश्री कर लेनी चाहिए...ये सब वो सवाल हैं जिन पर अनगिनत पोस्ट लिखी जा चुकी हैं...

 

Sunday 4 April 2010


भिलाई के युवकों द्वारा निर्मित विश्व रिकॉर्ड की रजत जयंती: विशेष लेख-माला

वैसे तो हर क्षेत्र में भिलाई अपने उद्भव के समय से ही विश्व कीर्तिमान बनाते आया है। कईकीर्तिमान टूट गए, कई कीर्तिमान आज भी अपने स्थान पर अटल हैं। इन्हीं कीर्तिमानों में सेएक है भिलाई के दो युवकों द्वारा बनाया गया वह रोमांचकारी विश्व कीर्तिमान, जिसेइस अप्रैल माह में 25 वर्ष होने जा रहे हैं। सिल्वर जुबली मनाने जा रहा, भिलाई को गौरान्वितकरने वाला यह विश्व कीर्तिमान था 'मोटर साइकिल पर विश्व भ्रमण'


 

Sunday, April 04, 2010बैल-गाड़ी के सामने बैल - Prashant Priyadarshi

दो बजिया वैराग्य पार्ट टू


घर से कई किताबें लाया हूँ जिनमे अधिकतरफणीश्वरनाथ रेणु जी कि हैं.. उनकी कहानियों का एक संकलन आज ही पढ़ कर खत्म किया हूँ, 'अच्छे आदमी'.. पूरी किताब खत्म करने के बाद फुरसत में बैठा चेन्नई सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन पर अपने मित्र के ट्रेन के आने का इंतजार कर रहा था, तो उस किताब कि बाकी चीजों पर भी गौर करना शुरू किया.. उसके पहले पन्ने पर पापाजी कुछ लिख रखे थे, जिसमे उस किताब के ख़रीदे जाने के समय वह कहाँ पदस्थापित थे और वह उनके द्वारा ख़रीदे जाने वाली कौन से नंबर का उपन्यास है.. "चकबंदी, बाजपट्टी".. उस समय पापाजी वही पदस्थापित थे.. इससे मैंने अंदाजा लगाया कि यह किताब सन १९८२ से १९८६ के बीच कभी खरीदी गई होगी.. मगर किताब के ऊपरी भाग को देखने से कहीं से भी यह किताब उतनी पुरानी नहीं लगती है, हाँ अंदर झाँकने पर पृष्ठ कुछ भूरे रंग के हो चले हैं और पुरानी किताबों जैसी सौंधी सौंधी सी खुशबू भी आती है.. एक जिम्मेदारी का एहसास होता है कि जिस तरह उन्होंने इसे संभाल कर अभी तक इन किताबों को रखा है, मुझे भी ऐसा ही व्यवहार इन किताबों के साथ करना चाहिए..

 

Saturday, April 3, 2010

नफरत का नाश्ता

लगता है गलत चुना
पर चुनने को कुछ था नहीं
होता तो प्यार चुनता
नफरत क्यों चुनता
जो कोलतार की तरह
सदा चिपटी ही रह जाती है
कोई चांस नहीं था
जहां तक दिखा नफरत ही देखी
उसी का कुनबा उसी का गांव
उसी का देश और उसी की दुनिया

 

SUNDAY, 4 APRIL 2010My Photo

मेरी हर सोच मे तुम क्यों हो????

मेरी हर सोच मे तुम क्यों हो?
मेरी हर साँस मे तुम क्यों हो?
मेरा तुम्हारा तो कोई रिश्ता भी नही
फ़िर मेरे दिन और रात मे तुम ही क्यों हो?
मैंने तुम्हें चाहा तो क्या हुआ ..
मैंने तुम्हें पूजा तो क्या हुआ ..
मेरे हर लम्हात पर तुम्हारा हक़ क्यों है?
मैं चाहे हक़ न भी देना चाहू , तो ऐसा क्यों है?

 

 

परस्पर संवादात्मक ब्लॉगिंग   My Photo

Buzz It

DisQusमेरे बारे मेंअनूप शुक्लका पुराना कथन है कि मैं मात्र विषय प्रवर्तन करता हूं, लोग टिप्पणी से उसकी कीमत बढ़ाते हैं। यह कीमत बढ़ाना का खेला मैने बज़ पर देखा। एक सज्जन ने कहा कि यह सामुहिक चैटिंग सा लग रहा है। परस्पर संवाद। पोस्ट नेपथ्य में चली जाती है, लोगों का योगदान विषय उभारता है। ब्लॉग पर यह उभारने वाला टूल चाहिये।

 

आजकल बजबजाने का काम जोरों शोरों पर है अभी हाल में उडन जी ने एक कुकुर को खोजने के लिए वहां इश्तहारे शोरे गागा चस्पा कर दिया ..हमारे सहित कुल साठ सत्तर लोग अब तक पिले पडे हैं उनका ई काम पर और बजबजाए जा रहे हैं ..देखिए कैसे ??

Sameer Lal - Buzz - सार्वजनिक

सुना है नेट के माध्यम से बहुत से बिछड़े मिल गये अपनो से. अतः एक महत्वपूर्ण सूचना:
यह कुत्ता जिस किसी का हो या यदि कोई इसके मालिक को जानता हो तो कृप्या इसे जाकर ले आये.
पिछले साल याने सन २००९ जनवरी में इसे जबलपुर स्टेशन के प्लेटफार्म नं. ३ के बाहर देखा था तभी का फोटो है. अभी भी वहीं होगा. लगता है कहीं से भटक कर आ गया है वरना सुना है कुत्ते जल्दी इलाका नहीं बदलते.

11 लोगों ने इसे पसंद किया - डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक", सिद्धार्थ sidharth जोशी joshi, Manish Yadav और 8 अन्य

Ratan singh shekhawat - हा हा हा ......बज्ज को बढ़िया बजा रहे हो गुरुदेव !3 अप्रैल

Gyan Dutt Pandey - @ वरना सुना है कुत्ते जल्दी इलाका नहीं बदलते.
सही है। यह मनई ही है जो कहां कहां चला जाता है!3 अप्रैल

Swapna Shail - हा हा हा...
ab iho bata dijiye ki kaun gali ka hai..??3 अप्रैल

Sameer Lal - गली मालूम करने ही तो बज़्ज़ किये हैं जी!!3 अप्रैल

Kulwant Happy - हाँ देख था, श्रीमान समीर जी, इसके गुम होने के दो साल पहले, जब यह इंदौर रेलवे स्टेशन से लापता हुआ था।3 अप्रैल

Sameer Lal - मिल गये....जाओ, जबलपुर से ले आओ!! :) यही तो फायदा है बज़ का..सिद्ध हो गया!!3 अप्रैल

manju mahesh - Galt baat , Iss kutte ko mayavati ne apni putla sena me bharti kar liya hai .3 अप्रैल

 

Sunday, April 4, 2010My Photo

जनगणना मे यह जानकारी भी ली जानी चाहिये थी…

जैसा कि सभी जानते है कि देश में जनगणना का काम एकअप्रैल से शुरु हो चुका है। इस बार इस जनगणना मे भरे जानेवाले फ़ार्म मे एक आम नागरिक के जीवन से समबन्धित बहुतसी बातों की जानकारी लेने का प्रयासकिया जा रहा है। साथ हीमगर मेरा यह भी मानना था कि क्या ही अच्छा होता किसरकार यह भी इस जन गणना के माध्यम से जानने का प्रयासकरती कि दूसरों को बडे-बडे उपदेश देने वाले हमारे इन भ्रष्ठप्रजाति के प्राणि की मलीन बस्तियों से देश रक्षा का जज्बालेकर राजनीतिक नेतावों के कितने बच्चे पिछले दस सालों मेसेना मे गए?

 

देख तमासा बुकनू का (2)

पोस्टेड ओन: April,3 2010 जनरल डब्बा में

 

छह फरवरी, 1988 का प्रसंग है। दद्दा की बरात बिदा हो के आई। छाबड़ा टूरिस्ट बस सर्विस की खटारा घरघरा के रुकी, तीन बार पों-पों-पों। अगल-बगल के छज्जों-छतों पर दर्शनाभिलाषियों का जमावड़ा। घर में चारो तरफ चहल पहल। एक-एक करके बराती बस से उतरे। मध्य प्रदेशस्थ उदरीय अधैर्य के शिकार छिद्दू बस की खिड़की से फांदे और चौतरा फलांग कर आंगन से होते हुए नारा मुक्त पाजामे को थामे धच्च से पाकिस्तान में दाखिल (शौचालय, जिसे हम लोग यूं तो आमतौर पर टट्टी किंतु मजाक में पाकिस्तान कहते।) । सरहद-ए-सदा यानी गलियारे से गुजरते कई लोगों ने पाकिस्तान के भीतर से सस्ती आतिशबाजी वाले बरसाती राकेट के छोड़ते ही उभरने वाली तरह-तरह की आवाजें महसूस कीं, बीच-बीच में बादल भी गड़गड़ाये। आंदोलित उदर और व्यग्र किंतु आड़ोलित प्रस्थान बिंदु (शरीर के इस भूभाग के बारे में अंदाजा लगाएं) के चलते छिद्दू मग्घे (प्लास्टिक का मग) में पानी भरे बगैर निष्पादन प्रक्रिया में संलग्न हो गए थे। जब उन्होंने अंदर से मिमियाती आवाजों में पानी का आह्वान किया तो चच्चू बड़बड़ाये, मना कर रहै रहन लेकिन सार जौन पाएस धांसत गा, धांसत गा, का बालूसाही औ का सिन्नी, अब झ्यालैं सरऊ। मैदा की लुचुई की तरह लचकीय काया के साथ छिद्दू पाकिस्तान से हांफते हुए बाहर आए। चाची ने अपने लाड़ले के हाथ-पांव धोआए, ऊपर ले गईं और उन्हें गुनगुने पानी के साथ बुकनू फंकाई गई। मध्य प्रदेश की अनियंत्रित हो चुकी कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए त्वरित कार्रवाई बल (रैपिड एक्शन फोर्स) के रूप में बुकनू तो मौजूद ही थी।

 

रविवार, ४ अप्रैल २०१०मेरा फोटो

मोरनी के पैर - लवली कुमारी

बदसूरत सी मोरनी, सुन्दर सा मोर
मोरनी को रिझाने की कोशिश में
नाच नाच कर कलाबाजियाँ दिखाता है मोर
तब उसे उसकी बदरंग देह नही दिखती
न ही बदसूरत पैर दिखते हैं
जैविक उद्धेश्य सर्वोपरी होता है
जैसे प्यास लगाने पर नही होता फर्क
कुवें और गंदे नाले के जल में
खत्म होती है प्यास
तब उत्पन होती है घृणा उस जल से

 

Sunday, April 4, 2010[6uyydBYTUP.jpg]

koi sheershak nahin........... भूतनाथ

पता नहीं अच्छाई का रास्ता इत्ता लंबा क्यूँ होता है...!!
पता नहीं अच्छाई को इतना इम्तहान क्यूँ देना पड़ता है !!
पता नहीं सच के रस्ते पर हम रोज क्यूँ हार जाया करते हैं !!
पता नहीं कि बेईमानी इतना इठला कर कैसे चला करती है !!
पता नहीं अच्छाई की पीठ हमेशा झूकी क्यूँ रहा करती है !!
उलटा कान पकड़ने वाले इस जमाने में माहिर क्यूँ हैं !!
बात-बात में ताकत की बात क्यूँ चला करती है !!
तरीके की बातों पर मुहं क्यूँ बिचकाए जाते हैं !!
सभी जमानों में ऐसा ही देखा गया है,
कौए को तो खाने को मोती मिला करता है,
और हंस की बात तो छोड़ ही दें ना....!!

 

शुक्रवार, २ अप्रैल २०१०

परिकल्पना ब्लॉग उत्सव का आगाज १५ अप्रैल से

जी हाँ, मातृभाषा हिंदी को मृत अथवा मात्र भाषा कहने वालों की बोलती बंद करने का समय आ गया है। हिंदी चिट्ठाकारिता के इतिहास में पहलीवार ब्लॉग पर उत्सव की परिकल्पना की गयी है । यह उत्सव १५ अप्रैल २०१० से शुरू किया जा रहा है, जो दो माह तक निर्वाध गति से परिकल्पना पर जारी रहेगा । इसका समापन हम विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देनेवाले चिट्ठाकारों के सारस्वत सम्मान से करेंगे । उत्सव के दौरान सारगर्भित टिपण्णी देने वाले श्रेष्ठ टिप्पणीकार को भी इस अवसर पर सम्मानित किये जाने की योजना है ।
कहा गया है कि उत्सव पारस्परिक प्रेम काप्रस्तुतिकरण है । इसीलिए हमारे इस सामूहिक उत्सव का मुख्या उद्देश्य है - " प्यार बाँटते चलो ...पञ्च लाईन है - अनेक ब्लॉग नेक हृदय .....आईए हिंदी को एक नया आयाम दिलाएं , हम सब मिलकर ब्लॉग उत्सव मनाएं ...... ।"

 

Saturday, April 3, 2010

कब्रिस्तान में फंक्शन ``

यह रचना किसने लिखी है मुझे नहीं पता. यह मुझे ईमेल से प्राप्त हुई है. मै इसे यथावत रख रहा हूँ. किसी को रचनाकार का नाम पता चले तो मुझे भी सूचित करने का कष्ट करें.

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Saturday, April 3, 2010My Photo

सोचो तो असर होता

जीने की ललक जबतक साँसों का सफर होता
हर पल है आखिरी पल सोचो तो असर होता
इक आशियां बनाना कितना कठिन है यारो
जलतीं हैं बस्तियाँ फिर मजहब में जहर होता

बस जी आज एतने से काम चलाईये बांकी देखिए कब ठेलाता है …..

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

बिना पोस्ट , बिना लिंक्स वाली चर्चा ……हें हें हें हम कुछो कर सकते हैं जी ……हायं …

 

देखिए जी अपनी खोपडी है कि खोपडा ..हमें नहीं पता ..ससुरी धरती की तरह घूमती ही रहती है ..कभी ब्लोग्गर और ब्लोग की आपसी बातें सुन लेती है …तो कभी बिना मतलब उनकी वसीयत तैयार कर देती है ….और कभी ये कर डालती है ..आप खुद ही देखिए न ….हां है वही …..अरे वही यार ..निर्मल का हास्य ….

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ये हम हैं  देशनामा वाले मि. खुशनामा …रोज पोस्ट लिखते हैं  …विद मक्खन , मक्खानी ऐंड गुल्ली …….और यूं ही ठुड्डी खुजा के सोचते हैं यार ये जीटीवी वालों को पता चल गया तो …कि वो खुशदीप और ये खुशदीप एक ही है तो …ओ कोई गल्ल नईं ..कह देंगे ..अबे तो तो मक्खन सिंग है ..खुशदीप तो उसका निक नेम है

 

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बेटा इत्ते दीदे फ़ाड फ़ाड के …के देख रिया है …कभी भला इंसान न देखा तूने ..हैं यो अपने पूर्वजों को इत्ते गौर से न देखा करते ..कभी ..अबे हमें भी नगर लग सके हैं …तभी तो हमने भी नजर बट्टू लगा रख्या है …हमारा दिमाग पीसी जैसा तेज़ चलता है …साथ में रामपुरिया लट्ठ, रामपुरिया बिल्लन ..और राम्प्यारे प्रोफ़ेसर भी रैवें हैं …बता हो कुछ सुनना है तैने मारे बारे में ..

 

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संगीत सा स्वरूप मारो ….पीछे जो हरियाली दिख रही है .उससे संगीता जी की फ़ोटो हरबल फ़ोटो घोषित की जाती है ..

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हुंम्म्म ….जब कोई इंजिनियर ..डायस पर माईक हाथ में लेकर ब्लोग्गिंग शुरू करता है …तो सब कहते हैं कि देखो …लड्डू बोलता है । मगर बोलता तो लड्डू है …फ़िर पोस्ट क्या पेडा लिखता है ????

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हें हें हें …जब बहुत दिन तक फ़ैमिली से दूर रह के सबका बीमा करवा करवा के सबको कल्पतरू दिखाए थे न तब ई थोडी सोचे थे कि ..वापसी पर अपने बाल का बीमा नहीं करवाने से ऐसा तगडा घाटा होगा …..शाकाल रस्तोगी जी ..जब बाल उगेंगे तो दोबारा से विवेक रस्तोगी बन जाएंगे ..

 

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देखिए जी इनका कहना है पाबला भोंदू है , मगर कंप्यूटर तेज है , हमें उलटा लगता है , हमें तो ये कम्पयूटर ही भोंदू लगता है …और आप तोंदू लगते हैं । और हां आप जो हमारे नीचे ये हरा बक्सा देख रहे हैं न ..वो ट्रैश नहीं है ओए ….ये तो earthing ले रखी है …तैनु विश्चास नईं ..ते मैंनु हाथ ला के वेख ..इन्नी जोर दा झटका लगूगा न पुत्तर …..

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लो ये कौन बडी बात है ..पाबला जी ..आपको क्या लगता है कि पगडी सिर्फ़ आप ही लगाते हैं । ये देखिए ..हम हैं शेखावती रत्न …..। यार ई पोज चुनाव के लिए कैसा रहेगा तनिक बताईयो तो सही ??

 

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बस एक बार …बस एक बार …एक बार ये मैगजीन खत्म हो जाए फ़िर तो क्वचिन्दन्योअपि ..जैसे ही नाम वाले इत्ते ब्लोग बनाऊंगा कि और उस पर ऐसा ऐसा लिखूंगा …कि सबकी नाडी और सांस दोनों अटक जाएंगे । बस एक बार ..उफ़्फ़ ये लोकस …..

 

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हुंह ..घर में , बाहर , स्टूडियो में कहीं भी मूंछों और चश्मों के साथ एक थ्रीडी डायमेंशन वाली फ़ोटो नहीं आई ….तब जाके कार की सीट पर बैठ कर खिंचवाई है ….देखिए गौर से धूप का इमेज इफ़्फ़ेक्ट चशमे और मूंछ पर ठीक आ रहा है न ….

 

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क्या शर्मा जी , आप भी न इत्ती मेहनत करी ..हमें देखिए …हमने भी तो मूंछों और गोगल्स का इफ़्फ़ेक्ट लाया न ..पहले से खींची हुई फ़ोटो को ….मेज पर धर के लिटाया ….और खींच डाला खटैक …वाह उस्ताद वाह …हमें पी सी वैसे थोडी कहते हैं …आखिर पी सी वाला दिमाग पाया है …

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उफ़्फ़ ये शची जो न कराए ..इस मुई के चक्कर में अलग ब्लोग बनाना पडा , और जाने कितनी बार , कित्ते कप कौफ़ी पी गई….सर्दियों से गर्मियां आ गईं अब तो लगता है इस कप में लस्सी भी पीनी पडेगी …इस शची ने कित्ता इंतज़ार कराया हुआ है सबको ………..

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ऊं बांकी सबका फ़ोटो में ये लीगल एंगल नहीं है गुरू ..गौर से देखिए ..हमारी आंखें चश्में के भीतर से दुनिया तो अनवरत देखती रहती हैं ,आखिर धूप में ही बाल सफ़ेद नहीं किए हैं ……एक मिनट सर …धूप बारिश तो ठीक है ..पहले बाल तो दिखाईये …हां मिल गए …मैं अभी गिनकर टोटल बताता हूं कितने हैं ….वैसे मैंने सुना है कि ..जितना ज्यादा माल आता है उतना ज्यादा बाल जाता है ..सच बताया जाए सर …देखिए कसम से

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अबे तुम्हें क्या लगता है एक एलियन , यूं सूट बूट पहन के स्मार्ट कार्ड नहीं लग सकता …..अबे भैया न सिर्फ़ लग सकता है ..बल्कि स्मार्ट कार्ड बन कर विल्स कार्ड भी ठेल सकता है , अरे भाई हमारा पुष्पक विमान कहां है ..चलते हैं टिप्पी मारने …

 

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अओह आज तो सबको पता चल ही गया कि मैं अपनी सारी पोस्टें कलम ऊपर कर के लिखता हूं …तभी तो कल एक पहेली पूछी थी एक गधे को उलटा लटका दिया था हमने …फ़िर भी सबने पहचान लिया कि गधा है ….

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देखिए जी हम मास्साब हैं , यार एक तो तुम लोग प्रायमरी को कभी सीरयसली नहीं लेते ..न ही प्रायमरी शिक्षा को न प्रायमरी मास्साब को …। अब क्या लें सीरीयसली ..जब मा स्साब ही निक्कर पहने हुए हैं …हां पढाई के बोझ से चश्मा जरूर लग गया है

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मीना कुमारी समझने की भूल मत कर बैठना ..हां नहीं तो …हम ….हम हैं …बांकी सब पानी कम हैं …और फ़िर मीना कुमारी कौन सा गाना गा लेती थी ..चलो ये भी मान लिया कि वो गाना गा सकती थीं …मगर उनके पुत्तर से हमारे पुत्तर जैसी चित्रकारी करवा के दिखाते तब हम भी कहते ..वाह क्या अदा है ..?

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देखो भाई मैं ठहरा डागदर ..वो भी हरियाणे वाला ..ठेठ …इब ब्लोग्गिंग में मन्ने तो अपने भीतर जो मंथन होता लाग्या वा सब मैंने ला पट्कया है …इब तू जाने ते तेरी मौज …..ओर हां जे मेरे नाम में टी एस का मतलब जाणना होवे न ,.,.तो इंडिया गेट देखिए ..वा भी कोने से …नीचे ना बैठ के ..

 

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पराया देश …मगर बंदा अपना ,,,नाम का ही राज है यो भाई ..कुछ भी राज न छुपा याके भीतर ..सब का सब ट्रांस्पेरेंट है जी । कभी छोटी छोटी बातें करे है तो कभी अंताक्षरी खेलने लागे है …जर्मनी जाने की जरूरत न है ..यां भी आते हैं ..मिल लेना गले …इत्ते बेसबर क्यों हो रिए हो भाया

 

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गिरि माने जानते हो न बाबू ..पहाड …जाने केतन केतना दबा देते हैं एके पोस्ट के नीचे ई टेढका नज़र करके मुसकियाते हुए फ़ोटो ओईसे नहीं न खिंचाए हैं..बडका बडका को खींच डाले हैं जी

 

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जिनके ऊपर साक्षात सरस्वती मां का आशीर्वाद हो ..उनका अपना नाम के आगे शास्री लगाने का जरूरत है का ..इनके लिए का कहा जाए …यही न कि ईशवर आपको शक्ति दे और हम सब पर स्नेह बनाए रखिएगा ..

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सारा शहर हमें लायन के नाम से जानता है ..श्रीमती लायन (श्री अजित )गुप्ता ..हम जब माईक हाथ में लेते हैं न तो बैनरवा लोग अपने आप टांग देता है ..ई में डेट जानबूझ कर छुपा दिए हैं ताकि आप लोगों को ई नहीं पता चले कि फ़ोटो कितना पुराना है ….इससे फ़ोटो हर साल काम न आ सकता है ….बताईय भी कोई गुप्त बात है बताने वाला

 

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ई बाबू साहेब तो गजबे आलसी हैं ,,कुल दो बरस के बाद तो फ़ूल के जगह पर इनका फ़ोटो दिखा कहीं कहीं अब पता नहीं कहां से तो ई मूर्तिया ले आए हैं , मुदा आलस देखिए कि अभीयो कौन उसका पूरा चित्र लगाए हैं ..जेतना आराम से खिंच गया खींच लिए आ डाल दिए ..अब खुदे ढूंढिए कि चित्र में किसका कान छूट गया है गिरिजेश जी का कि राव साहब का ..

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और बामुलाहिजा ..,बाखबरदार , मिं हैंडसम , मि. लाल कच्छाधारी सांड , विद लाठी बल्लम , डेडली कौंबीनेशन के साथ ..प्रफ़ेसरी भी करते हैं …और कविता लिखते हैं तो ससुर पोस्ट तो पोस्ट ..उ तो टीशर्ट पर भी छपता है । हम फ़ौरन इनको कहलवाए हैं कि उ कविता पर अपना टीप का पहनने वाले के पाजामे पर देना है । फ़ोटो खिंचा के आ पता नहीं कहां गायब हैं …मिं बैचलर ..मगर जहां हैं ..महफ़ूज़ हैं

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हां अब जाके हम कह सकते हैं पूरी ….अरे अब आपकी फ़ोटो हुई है न पूरी ..इसलिए । बैकग्रांउड में ई वेधशाला देख कर पता लग गया कि आप जो ई दिन रात ज्योतिष को गति देती हैं न ऊ तो फ़िर स्वाभाविक ही है …

 

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ओह इत्ते बरस के बाद जाके ..अब जाकर अज्ञेय वाली लुक आई है ..अब देखता हूं कौन कहता है कि मेरी साहित्यकर वाली लुक नहीं आती । वो तो ऐन टाईम पर साथ वाले घर में व्हाईट वाश ..अरे सफ़ेदी यार ..हो रही थी ..और सफ़ेदी करने वालों में से एक ..मकबूल फ़िदा हुसैन से कह कर ..दाढी में ..वो फ़िनिशिंग ..व्हाईट टच डलवाया है ….अब तो भैया …यही लुक रहेगा ..जो फ़ुकता है फ़ुकता रहे …

 

 

हें हें हें ..इब अगला एपिसोड तो देखोगे न भाया …या करूं बंद एलबम ..??????

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