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मंगलवार, 14 जुलाई 2009

आज मंगलवार है , चिट्ठी भी तैयार है (चिट्ठी चर्चा )

देखिये जी, रुकावट के लिए खेद नहीं है,
इसमें कोई ख़ास भेद नहीं है,
हमें पता है की चिट्ठी ये जरूरी है,
मगर क्या करें जी, नौकरी , मजबूरी है ....

तो लीजिये ज्यादा रुकावट नहीं डालते हुए पेश है.....

नटखट इक बच्चे ने , इक पोस्ट है लगाई,
बच्चे ऐसा नहीं कहते, हो गयी कान खिंचाई ..

विवेक भैया को रीत ये अच्छी नहीं लगती है,
करते हैं जब भी चिट्ठाचर्चा फब्ती है ...

जब दो नैना कहते हैं, तो कैसी बनती है कहानी,
आप भी सुनिए, अनिल भाई की ज़ुबानी ..

मिसर जी नी घुन्नन मिलन की रोचक कथा है सुनाई,
जा कर पढ़ लो अभी के अभी, कहीं छूट ना जाए भाई....

लो जी आदि ने भी बैट थाम लिया है ,,
आप भी देखिये , आज क्या नया काम किया है ..

हिंदी चिट्ठों पर लेखों की संख्या हो गयी तीन लाख,
अरे नहीं भाई सच है ये, नहीं है कोई मजाक ..

न्यायिक इक फैसले पे, उंगली गयी है उठायी,
राजीव भाई ने मुद्दे पर इक बढिया पोस्ट चिपकाई..


आज फिर से खत्री जी अलबेली बात बतायी,
कुत्ते से भी गयी गुजरी, पति की हालत बनायी..

फिर पेपर में हुई कुछ ब्लोगों की चर्चा,
क्या आपने देख लिया छपास का ये पर्चा .

महिलाओं को अपमानित करने का नया शिगूफा गया छोडा,
उफ़ , क्या क्या नो होगा अब, जो न हो जाए थोडा ..

विनीता जी ने गाँव की सुन्दर तसवीरें हैं लगाई,
आपकी हमारी हो गयी कुट्टा ,क्यूँ अकेले घूम के आईं.

मानसून को किसने किडनैप किया था, ये राज समझ अब आया,
कमडल से निकले नेताजी ने, सबकुछ है बतलाया..

प्रियदर्शन ने इक सोते परिवार का किस्सा यूँ बयान किया है,
लेखनी है ऐसी, सभी का ही, उधर , ध्यान गया है..

राज भाई की पहेली को इत्तों ने पहचाना,
हाय हमें तो , पहेलियों के लिए ट्यूशन पडेगा लगवाना ...

किस अदा से देखिये, विश्वास को लटका दिया है,
बहुत पढ़ रहे हैं अभी, बहुतों ने चटका दिया है ...

शरद भाई ने बहुतों का आभार किया है व्यक्त ,
जमीन से ऊपर चलता है, भूत ये कमबख्त ...

भोले और भले की जंग देखिये ,
अविनाश भाई का ये रंग देखिये ...

रश्मि जी की कविता की मिसाल देखिये,
लिखती हैं कैसा, कमाल देखिये ....

इस पोस्ट में देखिये , किसने दुनिया को छूने का प्रयास किया है,
कुछ बहुत ख़ास लोगों के लिए, काम ये ख़ास किया है ...

रूठी रूठी बरखा रानी, पाबला जी के यहाँ आ गयी है,
पोस्ट पर लगी,अद्भुत तसवीरें, सबके मन को भा गयी हैं.

ताऊ की मैगजीन, है कमाल का खजाना ,
जो पढ़े एक बार, हो जाए दीवाना ...

आप भी नदियों की रवानी देखिये,
वंदना के कलम की ज़ुबानी देखिये

अछा जी राम राम., कथा यहीं पर रुकती है,
चर्चा जो ना कर पाएं तो, ये बात हमें भी चुभती है.....

इसलिए कोशिश रहती है कि......रुकावट के लिए खेद है....न कहना पड़े...मगर यदि.......तो आप माफ़ कर देंगे..मुझे पता है ...

13 टिप्‍पणियां:

  1. हम तो आपके फैन हो गये..!!

    मजेदार.. आप इस स्टाईल का पेटेंट करा लें..

    जवाब देंहटाएं
  2. पहले वाह वाह! फिर राम राम..जल्दी आना वापस!!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह वाह !! क्या कहने ..

    जवाब देंहटाएं
  4. भाई बहुत सुंदर चर्चा किय्ये हो, हमारी तरफ़ से भी वाह वाह वाह वाह.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. झा जी कहिन और हम सब सुनिन्।शानदार चर्चा,नया अंदाज़।

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा का यह अंदाज सुंदर है। पसंद आया।

    जवाब देंहटाएं
  7. आपका भी सही जा रहे है, अच्‍छा दौर चल रहा है, नये ब्‍लागों को ज्‍यादा शामिल करें।

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह बहुत लाजवाब स्टाईल है यह चर्चा का. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  9. यहां भाले बनने का मौका मिलता है

    इस जमाने में सब कुछ चलता है

    जवाब देंहटाएं
  10. इ सच है की बहुतों को लोग विश्वास में लटका रहे हैं,
    हमरे ब्लॉग पर टीप चटक रहे हैं,आउर इहाँ हम चटका रहे हैं

    बहुत बढ़िया साबास....

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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