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बुधवार, 2 सितंबर 2009

कुछ पोस्टें हंसी, कुछ खेली, हमने भी फ़ट से चर्चा ठेली....(चिट्ठा चर्चा)


आज सोचा इस ब्लोग का थोडा सा कलेवर बदल दिया जाये...कुछ खास वजह नहीं...बस यूं ही..अरे लिजीये भई..अब कभी कभी यूं भी तो कुछ कर लेना चाहिये..पता नहीं ....किसे आनंद आ जाये..तो लिजीये.....आज की चिट्ठी चर्चा .....


खुशदीप जी भी समझ रहे हैं ब्लोग्गिंग का फ़ंडा,


कौन है ऐसा जिसने , डाक्टर साहब से नहीं सीखा,


जल्दी देखिये, किसको कितना मिला ईनाम,


आप भी जानिये, धीरू जी के साथ..


प्रणय संबंध, विग्यान और कुछ विचार,


आप भी टिप्प्णी, मगर पोस्ट पढ्ने के बाद..


आप खुद ही पढिये , आज किसकी कथा रहे हैं बांच..


उनके लिये फ़ैसला लेने का जिम्मा आपपे छोडा..


अजी शहरों में ही नहीं, गांव का भी बदल रहा है जमाना,


नयी नयी शादी में राजू हो गये परेशान,


अदभुत है पोस्ट और विषय का सेलक्शन,


वक्त एक सिगरेट है , जम के सुलगाइये,


अभी जा के पढ लें, बाद में न कहना, रह गयी..


स्वर्ण से दिन और रजत सी रातें,


चंद पंक्तिय़ो का , गज़ब है असर.......


हम तो मिले उनसे, हमको तो भा गये..


अजी गया जमाना , अब न समझें उनको बेचारियां...


चलिये अब करते हैं कुछ अलग सी बात,
आप भी किजीये, इन नये चिट्ठों से मुलाकात..


आप भी हो आईये, हम तो हो आये....


मनभावन ब्लोग देख, तर गये नयन...


मा साब तो थे ही, अब मास्टरनी-नामा



चलिये जी अब चला जाये....बस इतना ही कि आने वाले समय में...बहुत से परिवर्तन देखेंगे आप...

17 टिप्‍पणियां:

  1. जितनी जल्‍दबाजी की बतला रहे हो बाजी
    उतनी जल्‍दबाजी में शादी नहीं करवाता काजी

    खूब पढ़ते हो फिर लिखते हो लिखे हुए को
    फिर बदलते हो, तुक देखते हो, लिंक जोड़ते हो

    मास्‍टरनीनामा बन रहा है अब तो बेनामा
    जहां जहां जुड़ा है नामा वहां नहीं है नामा

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  2. हमेशा की तरह बढ़िया पोस्ट | लगे रहिये झा जी |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर चर्चा है। जिस तरह आप इसे बुनते हैं वह अच्छा लगता है।

    जवाब देंहटाएं
  4. अरे वाह कमाल का लिखते है भाई, केसे रोज जोड तोड लेते है शव्दो को इस सुंदर रुप मे, बहुत अच्छा लगा.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया ब्लागचर्चा है...
    दिलचस्प अंदाज...

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा की मनःस्थिति ही बदल दी है । लय-तुक वाली इस चर्चा ने मोह लिया है ब्लॉग जगत को ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बदलाव होते रहने चाहिए, कलेवर ठीक है अभी

    नए जुड़े ब्लॉगों को शामिल किया जाना भी प्रशंसनीय

    सच में, बढ़िया लगती है शब्दों की यह बुनावट

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  8. कविता ही कविता में कर दी है चिट्ठों की चर्चा ..बहुत खूब ..!!

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  9. धन्यवाद जी ....हमारे नए ब्लॉग के बारे में चर्चा करने के लिए ....

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढिया रही जी यह चर्चा और नया कलेवर.

    रामराम.

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  11. ब्लाग का नया रंग रूप बहुत ही भाया है
    चिटठा चर्चा चर्चे हैं चर्चों को चर्चाया है !!!!!
    हा हा हा हा हा

    जवाब देंहटाएं
  12. sahi kaha avinash ji,

    chitta charcha katai 'Narad Muni' ho raha hai...

    kai lehh yahan aane se pehle padh liye aur kai aane ke baad.

    tukant chittha charcha hetu badhai.

    जवाब देंहटाएं
  13. अच्छी लगती है इस अंदाज़ में चर्चा...

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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