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बुधवार, 30 दिसंबर 2009

सिर्फ़ दो पंक्तियां ,,,हमेशा की तरह (चिट्ठी चर्चा )

अब तो मुझे यकीन हो गया है कि अभी भी हमारे बीच कुछ मित्र /शत्रु हैं जिनका मकसद यहां लिखने/पढने .......हिंदी की सेवा से इतर भी की उद्देश्यों की पूर्ति में लगे हैं । और न हो तो बस कुछ भी कह सुन कर , अपनी वजह बेवजह की आपत्तियां दर्ज़ करा के माहौल को अशांत करने का प्रयास करते हैं । मैं ये तो नहीं कहूंगा कि आप अपना ये काम छोड दें ......क्योंकि चाहे अनचाहे आप उसे नहीं छोड पाएंगे........आखिरकार वो आपका चरित्र जो ठहरा । मगर ......हां , मगर .......गौर से सुन लें कि ......कहीं ऐसा न हो कि शराफ़त आखिरकार अपनी शराफ़त का आवरण हटा दे .......तो वो दिन , वो पल आपके लिए आखिर होगा ...कम से कम ब्लोग्गिंग के लिए तो अवश्य ही ...।उम्मीद है कि ईशारा काफ़ी होगा ....और विश्वास है कि पहले की तरह आप मानेंगे नहीं ॥


सारी टिप्पणियों की बाजी ये बिल्लन गई है मार,
अब तक के सारे रिकार्ड दिए एक झटके में फ़ाड ॥


कहती हैं अदा, जाने कब से जारी है ये सफ़र ,
अजी आपके जादू का कुछ अलग ही है असर ॥


एक अनूठी शैली, भाषा और अनूठा अंदाज,
आज अजदक दिखा रहे , दिसंबर की सांझ ॥


दूबे जी से जानिए क्यों हुए शर्मा जी परेशान,
इसी बहाने चल रहा हिंदी -इंग्लिश में घमासान ॥


अच्छी पत्नियां कहां मिलती हैं ,पूछ रहे खुशदीप,
मिले तो भी , न मिले तो भी, आप दीजिए टीप ॥


गब्बर ने सांभा को गज़ल सुनाने के लिए दबा दिया है घोडा,
शोले की महफ़िल जमी हुई है, आप भी मजा लिजीये थोडा ॥



राजीव भाई की हास्य की दाल यहां भी गलने लगी है,
अजी दाल तो दाल, रोटियां भी वहां जलने लगी हैं ॥


पान की दुकान पे देखिए आज आई किसकी साली,
अवधिया जी ने चबाते हुए पढवाई कविता एक मतवाली ॥


महेन्द्र भाई ने खास अंदाज में व्यंग्य से किया है वार,
पटक पटक के धोने को ये पोस्ट हुई तैयार ॥



ग्राम प्रवास से पहले किया था यादों के मेले का वादा,
अपने यात्रा संस्मरण पढवाने का पूरा है इरादा ॥


आइडिया बता रहे हैं राहुल कैसे नए लेखक/पाठक लाएं,

आप भी पहुंचें -पढें, और कुछ नए विचार बताएं ॥


प्राची के उस पार से जब भी चलती है कलम,
हर बार पढके देखके, अचंभित होते हैं हम ॥


शास्त्री जी के मार्फ़त फ़िर सागर से मोती मिला है,
क्या खूब कहा उन्होंने, आशा पर संसार टिका है ॥




सब्र की सारी सीमा जब हद से हो गई पार,
डा साहब ने रख दिया सब सामने, खुद देखिए सरकार ॥



आज ज्ञान जी ने अपनी छोडी ऐसी रेल,
हलचल ही हलचल में गाडी जा पहुंची जेल ॥



आईये ब्लोग्गिंग से संबंधित कुछ पढवाते हैं ,

ब्लोग्गर हैं , लिख कर भूल जाते हैं ॥



वर्ष दो हज़ार नौ का निर्मला जी कह रही हैं धन्यवाद,
इसी बहाने कर लिया जाने कितनों को याद ॥



देखिए जब कोई शिल्पकार शिल्प गढता है,
हम जैसा पाठक उसे जरूर पढता है ॥


राज भाई ने इस साल ही बना लिया अनोखा एक रिकार्ड,

बधाई डबल किजीये , दे दीजिएगा बाद में बधाई कार्ड ॥


गोदियाल जी ने आज ऐसा संस्मरण है लिख डाला,
सभी पूछते फ़िर रहे, बांकी का कल तक के लिए क्यों टाला ॥


अवधिया जी ने एक ऐसी कह दी आज कहानी,
जो समझ गया इसको सफ़ल हुई जिंदगानी ॥


हिंदी साहित्य मंच में फ़िर से कविता प्रतियोगिता की तैयारी,
देरी किस बात की है फ़िर, भेजिए न आप भी कोई रचना प्यारी ॥



मन को पंख लगता है तो जाने ऐसे पोस्ट कब बन जाते हैं,
कहती हैं रश्मि, वे जीने का सबब बन जाते हैं ॥



सुरेश जी कर रहे हैं अपने स्टाईल में नए साल को वैलकम,
जाईए लगाईए, ठहाका, पहले थोडा मार लीजिए दम ॥



पढते पढते इस सुंदर पोस्ट पर मेरी पडी नज़र ,
आप भी देखिए, आज की एक्सक्लुसिव खबर ॥



बिल्कुल अलग अंदाज़ की ये कविता भी पढें,
और हां इन्हें अपनी टीप में कहें , कि आगे बढें ॥


खोखले इस समाज की किसी ने फ़िर लिख दी दास्तान,
जा पढ के देख और बोल, चुप क्यों है नादान ॥



अलबेला भाई इस पोस्ट से फ़ैला रहे आलोक,
आप भी प्रकाशमान होईये , कौन रहा है रोक ॥



कौन कहता है वो पोस्ट है , जिसमें शब्द हो भरे,
देखिए कितने कम में कितना कुछ कह जाती हैं खरे ॥





साल के जाते जाते एक और पुण्यात्मा स्वर्ग की ओर चली,
साहित्य के शिल्पी दे रहे हैं, यहां उनको श्रद्धांजलि ॥


तो आज के लिए इतना ही ......बकिया अगली चर्चा में ..............

31 टिप्‍पणियां:

  1. बिना खर्चा किए पढने को मिल जाती है बढिया चिट्ठाचर्चा...
    भय्यी...वाह

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चिट्ठा चर्चा के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  3. एक बार फीर लाजवाब रही आपकी चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  4. अजय जी पहले की तरह से ही फिर एक बार शानदार प्रस्तुति..बढ़िया चिट्ठा चर्चा..धन्यवाद!!!

    जवाब देंहटाएं
  5. क्या ये चिठ्ठा चर्चा है ?
    अगर हाँ ..!
    तो क्या कहूँ ..............

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया!
    रोचक शैली
    जो पढ़ने से छूट गए, वह लिंक मिल गए

    बी एस पाबला

    जवाब देंहटाएं
  7. अपने चिर परिचित अंदाज़ में बढ़िया चर्चा की है...कई अच्छे लिंक्स मिले यहाँ से...(आजकल,आपका बस एक यही ब्लॉग खुल रहा है...आपके ग्राम प्रवास के चित्र और विवरण तो रह ही गए,पढने से)

    जवाब देंहटाएं
  8. कहीं ऐसा न हो कि शराफ़त आखिरकार अपनी शराफ़त का आवरण हटा दे .......तो वो दिन , वो पल आपके लिए आखिर होगा ...कम से कम ब्लोग्गिंग के लिए तो अवश्य ही ...

    यही चीज़ मैं भी कहता हूँ.... और पूर्ण समर्थन करता हूँ इस वक्तव्य का....



    अपने चिर परिचित अंदाज़ में बढ़िया चर्चा की है...कई अच्छे लिंक्स मिले यहाँ से.....बहुत सुंदर चर्चा...

    जवाब देंहटाएं
  9. @प्रकाश गोविंद जी ,

    आपने पूछा क्या ये चिट्ठा चर्चा है ...

    नहीं चिट्ठी चर्चा है

    आपने पूछा ...यदि हां

    नहीं है

    आपने कहा तो क्या कहूं ....

    अरे हुजूर कुछ तो कह ही देते ..मुझे और सस्पेंस में डाल गए ...

    जवाब देंहटाएं
  10. आ गई बढ़िया दू लाईना वाली गाड़ी. बधाई.


    मुझसे किसी ने पूछा
    तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
    तुम्हें क्या मिलता है..
    मैंने हंस कर कहा:
    देना लेना तो व्यापार है..
    जो देकर कुछ न मांगे
    वो ही तो प्यार हैं.


    नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  11. दो-लाइन में बहुत कुछ समा जाता है । बेहतर परिचय प्रविष्टियों का ! आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  12. गांव की ताज़ी हवा और खालिस खुराक का असर चर्चा में साफ़ देखने को मिल रहा है...

    नया साल आप और आपके परिवार के लिए असीम खुशियां लेकर आए...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  13. दो पंक्तियों में इतनी विशाल चर्चा ....
    नव वर्ष की शुभकामनायें ...!!

    जवाब देंहटाएं
  14. बीच बीच में ग़ायब क्यों हो जाते हैं सरकार ?
    पढ़ाकुओं का ध्यान रखा जाय हुजूर ।

    जवाब देंहटाएं
  15. झा जी,
    कल आपसे बतियाने का मन था, फोन लगाया, पर नहीं लगा। लगता है कल दिल नहीं मिल पाए थे। चलो फिर से कोशिश करेंगे तो शायद आज दिल के साथ फोन भी मिल जाए।

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढिया झाजी. नये साल की रामराम.

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत खूब, लाजबाब ! नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !

    जवाब देंहटाएं
  18. अब तो मुझे यकीन हो गया है कि अभी भी हमारे बीच कुछ मित्र /शत्रु हैं जिनका मकसद यहां लिखने/पढने .......हिंदी की सेवा से इतर भी की उद्देश्यों की पूर्ति में लगे हैं ।
    ---------------
    यह क्या है जी? हिन्दी सेवा का भ्रम तो हम नहीं पाले हैं, पर शत्रुता का क्या अर्थ?

    जवाब देंहटाएं
  19. आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  20. सुंदर चिट्ठा चर्चा के लिए आभार ...

    नववर्ष की शुभकामनाएं...!!!

    जवाब देंहटाएं
  21. दो लाइनों का जादू ब्‍लॉग पर चढ़कर बोल रहा है।

    जवाब देंहटाएं
  22. Bahut khubsurati se ap blogs ki charcha kar rahe hain...shubhkamnayen.

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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