नन्हीं गोरैया कुकू |
कल शाम तो दिल्ली में बहुत ही तेज़ बारिश हुई , हवा भी उतनी ही तेज़ होने के कारण और ज्यादा मारक साबित हुई | बारिश से हुए जलभराव ने कितना ताण्डव मचाया ये कहने सुनने की जरूरत नहीं | मगर अचानक ही बालकनी में पानी निकालते समय ,अचानक ही इस नन्हीं गोरैया पर पड़ी जो चोटिल होकर बिलकुल मरणासन्न अवस्था में थी |
घर में ढेर सारे खरगोश ,पहाड़ी मूषक ,तोतों ,और उनकी देखभाल करते रहने के कारण बिना देर किये उसे आराम से नर्म रुमाल से उठा कर ,पहले गरमाईश देने की कोशिश शुरू हुई | बुलबुल का हेयर ड्रायर इस समय बहुत काम आया चंद मिनट बाद उसने आँखें खोलीं | मगर पांव में ऊपर से गिरने के कारण ,शायद चोट लग गयी थी | उसकी तीमारदारी में पुत्र आयुष और बुलबुल (जिसने इसका नाम भी रख दिया कुकू ) भी जी जान से लगे हुए थे | अब जब ये नन्ही जान थोड़ी सी और सूख कर होश में आई तो पंख फ़ड़फडाने लगी | फ़ौरन ही इसके लिए रात में एक अस्थायी गर्म घर का इस्तेमाल किया गया और तोतों को दिया जाने वाला आहार और पानी रख दिया गया |
मैं लगभग पूरी रात ही जागता सोता रहा और इस नन्ही जान को देखता रहा | देखा तो आराम से इसी में बैठे बैठे सो गयी | सुबह अपने रंग में आ गयी थी और वही गोरैया वाली फुर्ररर फर्रर्र वाली फुर्ती | अब इसे ऊपर छत पर ले जाकर देखने का समय था | बाहर आते ही फुर्ररर , मगर फिर ठिठक कर बैठ गई | शायद इतनी ऊंची नहीं उड़ी हो ,मगर ये झिझक तोतों की किलकारी सुनते ही दूर ,और कुकू उड़ चली अपनी दुनिया में
जब तक बुलबुल है तब तक गौरैया आयुष्मान है
जवाब देंहटाएंआपका बहुत शुक्रिया मित्र
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमात्मा को धोखा कैसे दोगे ? - ओशो “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबुलेटिन टीम का आभार
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-08-2018) को "सीख सिखाते ज्येष्ठ" (चर्चा अंक-3070) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच का आभार
हटाएंसभी जीव एक समान .. बहुत अच्छा कर्म
जवाब देंहटाएंआपका धन्यवाद मित्र , पढ़ने और प्रतिक्रया देने के लिए
हटाएंसंवेदनशील किस्सा। नन्ही सी जान को उसके हिस्से का आसमान दिलाने में मददगार, प्रिय आयुष्मान।तुम आयुष्मान भव।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया सर
हटाएंवाह!!नन्ही चिडिया को मिल गया उसका आसमान ..
जवाब देंहटाएंजी बिलकुल और हमें मिला सुकून
हटाएंवाह.!!
जवाब देंहटाएंसाधुवाद।
आभार आपका कुसुम जी
हटाएंSuch a great line we are Online publisher India invite all author to publish book with us
जवाब देंहटाएंशुक्रिया और आभार
हटाएंआभार
जवाब देंहटाएंआपका शुक्रिया पोस्ट को मान व् स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबुलबुल को बहुत सारा प्यार।
जवाब देंहटाएंbahut accha kaam kiya . accha laga .
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका