असल में "भारत माता की जय " जिसे यकीनन ही इस देश की धरती से जुड़े हर व्यक्ति ने , अपनी उम्र में , खेल के मैदान में , सरहद की सीमाओं पर , इसरो की प्रयोगशालाओं में, खो खो और कबड्डी के मैदान में , किसी अभिनन्दन और किसी बलिदान पर ...कभी न कभी हर किसी ने "भारत माता की जय" की ही है ..गौर करिएगा मैंने कहा है "भारत माता की जय "की" है , कही न कही ये जुदा बात है और असल में फालतू बात है |
चलिए शुरू से शुरू करते हैं , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वर्तमान प्रमुख स्वयंसेवक श्री मोहन राव भागवत ने अपने एक बौद्धिक में कहा कि , इस देश में सबको भारत माता की जय करना सिखाना होगा ...इसके ठीक पांच दिन बाद भारत में इस्लामिक कट्टरवाद के झंडाबरदार ओवैसी एकदम सिनेमाई अंदाज़ में टीवी कैमरे के सामने आर्तनाद करते हैं कि कोई मेरी गर्दन पर भी तलवार रख देगा तो मैं भारत माता की जय नहीं बोलूँगा , इसके बाद महाराष्ट विधानसभा के दोनों सदस्यों का निलंबन ..फिर अगडम बगडम ..जो कि अब चलता ही जा रहा है ..और अब तो बाकायादा जंग लड़ी जा रही है गोया "भारत माता की जय" न होने के लिए जिहाद छेड़ दिया गया है |
आइये अब मामले को जरा इस दृष्टिकोण से देखते हैं | आज देश में लोगों को यातायात नियमों का पालन करने को सीखने के लिए कहा जा रहा है , ये सिखाया समझाया जा रहा है कि भईया बस करो थोड़े साफ़ सुथरे रहो , स्वच्छ रहो , सेहत स्वास्थ्य का ध्यान रखो , बीमार पड़ने से खुद को बचाओ , और भाई मेरे धरती के जिस टुकड़े पर खड़े होकर इतना सब कुछ सीख रहे हो न , उस धरती से , उस देश से , उस मातृभूमि से थोडा सा प्यार भी कर लो , और थोड़ी सी "जय" तो उसकी भी हो थोड़ी सी इज्ज़त पाने का हक़ तो उसको भी है ही तो यही तो है भारत माता की जय ...या फिर कि बात कुछ ऐसी तो नहीं ..
एक वे जो "भारत" की जय नहीं कर सकते . भारत , हिन्दुस्तान के नाम से ही एलर्जी सी हो उठती है
अगले वे जिन्हें "माता " से घनघोर आपत्ति है , यार अम्मी , आई , मैय्या , दीदी ,भैय्या मान लो , पर अपना समझो यार अपना
और आखिर वाले सबसे अधिक खतरनाक जिन्हें "जय" करने से काफी तकलीफ है , ये भारत माता की ऐसी तैसी भारत माँ की बर्बादी की नारे सीना तान के लगा सकते हैं मगर ये भूल जा रहे हैं कि आज यूं इसी देश की छाती पर बैठ कर निडर ,निर्भीक होकर यदि वे ये धृष्टता कर पा रहे हैं क्योंकि आज देश में विचारों की अभिव्यक्ति की इतनी आज़ादी , जो अब अक्सर उदंडता को लांघ जाती है , माहौल ही अपने आप में "भारत माता की जय" है |
और एक सबसे दिलचस्प तथ्य | फिलहाल दो तरह के कथ्य सामने आ रहे हैं | पहला ये कि जो .........................."भारत माता की जय" ..नहीं करता /नहीं करेगा .....आदि आदि
दूसरा वही हाहाकारी वाला , तोप तलवार रख दो , खंजर रख दो ........... "भारत माता की जय " .........................नहीं बोलूँगा ....
और दोनों ही सन्दर्भों में क्या दोनों ही कह बोल बहसिया रहे हैं "भारत माता की जय " .....
सबसे जरूरी बात , इस नाम तो तो तितमहा तांडव व्याप्त किया जा रहा है देश में उससे नफरत ,द्वेष, फैलाने को आतुर लोगों को बैठे बिठाए काफी कुछ मिल रहा है | ध्यान रहे ये गजब की क्रांतियों का दौर है , ईमानदारी की क्रान्ति , धरनों प्रदर्शनों की क्रान्ति , असहिष्णुता की क्रान्ति , पुरस्कारों के तिरस्कारों की क्रान्ति , जूतों को फेंकने की क्रान्ति ......तो ...कहिये न कहिये ...मगर करिए जरूर और हाँ आप अपनी भी जय करेंगे न तो यकीन मानिए वो भारत माता की जय ही है ......क्या है ,,,,,,,,,,,,,,,,,?????????
सही कहा अजय जी ...
जवाब देंहटाएंऔर कुछ न सही पर नकारने के चक्कर में ही सही जय तो वो भी बोल ही रहे है ....
अपनी मातृभूमि की जय बोलने में भी राजनीति ,मतलब हद है ....
बहुत बहुत शुक्रिया और आभार निवेदी बौउदी
हटाएंसही कहा अजय जी ...
जवाब देंहटाएंऔर कुछ न सही पर नकारने के चक्कर में ही सही जय तो वो भी बोल ही रहे है ....
अपनी मातृभूमि की जय बोलने में भी राजनीति ,मतलब हद है ....
Wah :-)
जवाब देंहटाएं:) :)
हटाएंशर्म की बात है की इस विषय को भी कुछ मीडिया और नेताओं ने बहस का मुद्दा बना दिया है ...
जवाब देंहटाएंजी सच कहा आपने दिगंबर जी सच में ही ये शर्म की बात तो है ही
हटाएंशुक्रिया और आभार आपका
जवाब देंहटाएंBilkul sahi kaha aapne..is baat par bahas ki koi gunjaish hi nahi honi chahiye..ajab hawa chal rahi hai.
जवाब देंहटाएंप्रतिक्रिया के लिए शुर्किया और आभार रश्मि जी
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " जलियाँवाला बाग़ नरसंहार के ९७ वीं बरसी - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम का सादर आभार पोस्ट को मान और स्थान देने के लिए
हटाएंकुछ लोगों की रोजी-रोटी जबरदस्ती के मुद्दे उछालने से ही चलती है, जिस तरह भी हो अपनी रोटी सिकती रहने चाहिए यही फंडा होता है . देशभक्ति दिखावा की चीज थोड़ी है जो कहने से हो जाय ...
जवाब देंहटाएंआपकी रचना अच्छी है। लिखा भी अच्छे से है। पर कुछ प्रोपेगंडा करती हुई प्रतीत हो रही है। हिंदी ब्लॉगिंग में अक्सर खास कर ब्लागस्पाट पर मौजूद ब्लाग्स पर ऐसा कुछ देखने को मिल जाता है। जो खटास पैदा करता हैै।
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