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शनिवार, 2 नवंबर 2013

राजा बेइमान है , अथ मगन लाल जी उवाच


ये मगन लाल जी नहीं हैं , चित्र गूगल के खोज परिणाम से और मूल फ़ोटोग्राफ़र से आभार सहित


हमारे मुहल्ले के करीब वाली सडक पर ही मगनलाल जी अक्सर खडे होते हैं , अपनी केले की रेहडी के साथ । वे हमेशा केले नहीं बेचते हैं , मौसम के अनुसार फ़ल रखते हैं बेचने के लिए । कभी चीकू , कभी सिंहाडे , अमरूद लेकिन ज्यादा साथ केला ही देता है । बकौल मगन लाल जी , गरीब अमीर सबका फ़ल है बाबूजी , दो से लेकर दर्ज़न तक ,बडी ही सहूलियत से खरीदा जाता है और कुदरत ने इस तरह से बनाया है इसको कि बेचने में भी उतनी ही सहूलियत । 


लेकिन मगन लाल जी सिर्फ़ केलों पर ही नहीं कहते । मैं शाम की कसरत के बाद अक्सर जा पहुंचता हूं उनकी रेहडी के पास , मेरे साथ ही दोनों बच्चों को भी बेहद पसंद है केला । और इसी कारण एक जान पहचान सी हो गई है उनसे और उनसे ज्यादा उनकी बातों से ।


" उस सामने खडे कांस्टेबल को देख रहे हैं बाबूजी , राजस्थान का है रहने वाला , ये और इसका एक और साथी दशहरे के बंदोबस्त के पहले से लगे हुए हैं यहां , और उस दिन से आज तक शायद ही कोई दिन बीता हो जब इसने आसपास खडी सभी रेहडियों से , किसी से अंडा , आमलेट , किसी से भल्ले पापडी , किसी से सेब तो किसी से और कुछ , रोज़ाना दो तीन सा सामान न खाया हो और मजाल है जो आज तक किसी से ये भी पूछा हो कि कितना हुआ " " इतना ही नहीं आसपास से गुजरने वाले अपने साथियों को भी बुला लेता है , खिलाने पिलाने के लिए , इनका तो इतना बुरा होना चाहिए न साहब कि क्या कहूं "

" क्यों सिर्फ़ गोरमेंट को ही गालियां पडें , जब हम सब आपस में ही एक दूसरे को लूट रहे हैं साहब , इस पुलिस वाले को क्या ये नहीं पता कि हम गरीब लोग कैसे जी रहे हैं , वो भी इस शहर में "

मैं अवाक सुन रहा था , " हां मगन लाल जी ये एक हकीकत है आज अपने समाज की , लेकिन अब बदल तो रहा ही है धीरे धीरे सबकुछ "

"अरे कुछ नहीं बदल रहा है साब । पचास रुपए की जेब काटने वाले को भी वही जेल की सज़ा और अरबों खरबों रुपए दबा लेने वाले को भी , आज तक किसी घपले घोटाले वाले के पैसे पकडे हैं सरकार ने कोर्ट ने , वो हम गरीबों का ही तो पैसा है साब , और जब राजा ही बेइमान है तो प्रजा से क्या उम्मीद की जा सकती है । एक पते की बात बताऊं साब अगर बडे लोग बेइमान न हों तो मजाल है छोटों की इतना कर सकें । ये कौन सा न्याय हुआ साब कि अरबों खरबों लूट के अपनी सात पुश्तों के लिए रख जाओ और पकडे जाने पर जेल की सज़ा ले लो , वो भी आधा अस्पताल में और आधा कोर्ट में " " इनका तो सारा रुपया पैसा लेकर सरकारी खजाने में रख देना चाहिए , ताकि उसे देश के काम में लगाया जाए " ।


 रेहडी के साथ खडे मगन लाल जी कहते जाते हैं , धारा प्रवाह ..और मेरे कानों में सायं सायं होने लगती है .."हां अगर बडों को ये एहसास हो जाए तो ही स्थिति बदल सकती है .............................सोचते हुए
मैं हाथ में पकडे हुए केलों को स्कूटर की डिक्की में रखता हूं , और किक मार देता हूं ।



अगले दिन मगनलाल जी ने मुझे समझाया कि किस तरह से एमबीए और बीटेक पर भारी पड गई बी.एड ....आप चक्कर लगाते रहिएगा

2 टिप्‍पणियां:

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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