#बागवानीमंत्र
पिछली पोस्ट में जब मैंने गमलों के बारे में बताया था तो आप सबने जिज्ञासा की थी कि ,बागवानी के लिए मिट्टी ,कैसी हो ,उसे तैयार कैसे किया जाए आदि के बारे में भी कुछ बताऊँ | कुछ भी साझा करने से पहले दो बातें स्पष्ट कर दूँ , मैं कहीं से भी कैसे भी बागवानी का विशेषज्ञ नहीं हूँ , माली भी नहीं हूँ बिलकुल आपके जैसा ही एक नौकरीपेशा व्यक्ति हूँ दूसरी बात ये कि इसलिए ही मैं आपको अपने अनुभव के आधार पर ही जो समझ पाया सीख पाया हूँ वो बताता और साझा करता हूँ |
तो आज बात करते हैं मिट्टी की | मिट्टी के बारे में जानना यूँ तो आज उनके लिए भी जरूरी है जिन्हें बागवानी में की रूचि नहीं क्यूंकि खुद प्रकृति ने बता दिया है कि हे इंसान तू युगों युगों से सिर्फ और सिर्फ मिटटी का बना हुआ था और मिट्टी का ही बना रहेगा | खैर , तो मिट्टी बागवानी का सबसे जरुरी तत्व है | विशेषकर जब आप शहरी क्षेत्रों में और वो भी गमलों में बागवानी करने जा रहे हैं तो |
बागवानी के लिए सर्वथा उपयुक्त मैदानी यानि साधारण काली मिट्टी होती है | साधारण से मेरा आशय है , जो मिटटी, बलुई या रेतीली , कीच , ऊसर , शुष्क , पथरीली ,पीली आदि नहीं है और जिसमें नमी बनाए रखने के लिए कोई अतिरिक्त श्रम न करना पड़े वो ही साधारण मैदानी मिट्टी है जो कि साधारणतया आपने अपने आस पास के पार्क मैदान और खेतों में देखी होगी | इस मिट्टी में पानी न तो बहुत ज्यादा ठहर कर रुक कर कीचड का रूप लेता है न ही तुरंत हवा बन कर हवा हो जाता है और न ही पानी सूखते ही मिट्टी बहुत कड़ी होकर पत्थर जैसी हो जाती है जिससे की जड़ों में श्वास लेने हेतु पर्याप्त गुंजाईश बनी रहती है |
इससे ठीक उलट कीच वाली में , रेतीली मिट्टी में और शुष्क पीली मिटटी में कुछ विशेष पौधों को छोड कर आपको अन्य कोई भी पौधा लगाने उगाने में बहुत अधिक कठिनाई होगी | बागवानी के प्रारम्भिक दिनों में मुझे खुद इस परेशानी का सामना करना पडा था और मेरे बहुत से पौधे उसी पीली मिट्टी में थोड़े थोड़े दिनों बाद अपना दम तोड़ गए | इसके बाद मुझे यमुना के पुश्ते से वो काली उपजाऊ मिट्टी मंगवानी पड़ी |
मुझे मिलने वाली आपकी बहुत सारी जिज्ञासाओं के जवाब में मेरा सबसे पहला जवाब होता है गमले और जड़ की फोटो भेजें तो असल में मैं उनकी मिटटी ही देखना चाहता हूँ | यदि मिटटी में कोई गड़बड़ है तो पहले उसी का निदान किया जाना जरुरी है |
चलिए अब मिट्टी यदि बहुत अच्छी नहीं है तो फिर उसे कम से कम बागवानी के लायक कैसे बनाएं वो जानते हैं | कम गुणवत्ता वाली मिट्टी में , अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी , खाद , कोकोपीट को मिला कर भी उसकी गुणवत्ता को ठीक कर सकते हैं | बस ध्यान रे रखें कि मिट्टी कम से कम उस लायक जरूर बन जाए कि उसमें कम से कम तीन चार घंटे या उससे अधिक नमी जरुर बनी रहे |
यहाँ मिट्टी की उपलब्धता के लिए जो परेशान हो रहे हों उनके लिए एक जानकारी ये है कि आज सब कुछ , पानी को छोड़कर , अंतर्जाल पर उपलब्ध है , जी हाँ मिट्टी भी |
अब एक आखिरी बात , मिट्टी को उपजाऊ बनाने का सबसे सरल उपाय और घरेलू भी | चाय की पत्ती जो आप चाय पीने के बाद छान कर फेंक देते हैं उन्हें रख लें | तेज़ धूप में सुखा लें और फिर उन्हें मिक्सी में बारीक पीस कर मिट्टी में मिला लें | फल सब्जियों के बचे हुए छिलके ,गूदे ,बीज आदि को भी आप सुखा कर और पीस कर उनका उपयोग भी आप मिट्टी को ठीक करने में और खाद की तरह ही इस्तेमाल कर सकते हैं |
मिट्टी की उर्वरा शक्ति को ठीक रखने के लिए गमलों की निराई गुडाई करते रहना बहुत जरूरी है इससे मिट्टी ऊपर नीचे होने से संतुलित रहेगी और साथ ही पौधों की जड़ो तक हवा पानी भी पहुंचता रहेगा |
मिट्टी से अगर आप इश्क कर बैठे तो फिर पौधे तो यूं ही महबूब हो जायेंगे आपके | अपनी जिज्ञासा आप यहाँ रख सकते हैं , मैं यथासंभव उनका निवारण करने का प्रयास करूंगा |
मिट्टी से इश्क करना ही पड़ेगा
जवाब देंहटाएंआपको तो पहले से ही है राजा साहब और हमें आपसे है | स्नेह बनाए रखियेगा सर
हटाएंमिट्टी से बिना इश्क किए अच्छी बागवानी की कल्पना की हीं नहीं जा सकती। आपने बड़ी सारगर्भित बातें कहीं है।
जवाब देंहटाएंआभार और शुक्रिया आपका रविन्द्र जी । स्नेह बनाए रखिएगा सर ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (06-05-2020) को "शराब पीयेगा तो ही जीयेगा इंडिया" (चर्चा अंक-3893) पर भी होगी। --
जवाब देंहटाएंसूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार आपका शास्त्री जी ।
हटाएंशुक्रिया और आभार राजीव भाई
जवाब देंहटाएंप्रकृति प्रेम
जवाब देंहटाएंआध्यात्म की झलक
बाग़वानी के मंत्र
क्या नहीं है इस पोस्ट में
प्रणाम स्वीकार कीजियेगा
बहुत बहुत स्नेह प्यारे अनुज। असल में जो कुछ भी है जीवन में वो यही है
हटाएंआपके जितना अनुभव भी नहीं और छत पर आप जैसा बाग़ीचा भी नहीं है अभी....लेकिन धीरे धीरे सीख रहे हैं कोशिश कर रहे हैं
जवाब देंहटाएंमैंने आम की ख़ाली पेटी सब्ज़ी वाले से ली
उसमें दो तीन इंच मिट्टी की परत
फिर सब्ज़ियों के छिलके
उस पर गोबर
फिर मिट्टी....ऐसे करके पूरा भर जाने दिया
बीच बीच में कभी पानी का हल्का छींटा दिया
दो महीने में उलट पलट करके सूखा लिया
बहुत अच्छी खाद बनी
गाय का गोबर आज भी सड़क से उठाकर लाया हूँ
जिन्हें शर्मिंदगी लगे वो भंगी को दस बीस रुपए देकर भी मँगवा सकते हैं
नर्सरी में मिलने वाली जैविक खाद से भी अच्छी बनती है
वाह ये हुई न एक मुकम्मल टिप्पणी इसने पोस्ट की सार्थकता और बढ़ा दी है अनुज। बहुत ही सुन्दर तरीके से बता आपने
हटाएंबढ़िया लेख
जवाब देंहटाएंआभार अरुण जी
हटाएंबहुत बढ़िया. बागवानी से जुड़ी सभी बातें एक एक कर आप बता रहे. लाभान्वित हो रहे हम.
जवाब देंहटाएंइसी बहाने मैं भी बहुत कुछ सीख और समझ रहा हूँ जेन्नी जी। स्नेह बनाए रखियेगा
हटाएंउपयोगी पोस्ट। बाहर रहने के कारण अच्छा लगते हुए भी, हम कुछ नहीं कर पाते। हां, श्रीमती जी को खूब शौक है।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया और आभार जी | स्नेह बनाए रखियेगा |
हटाएंवाह ! बहुत ही अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत शुक्रिया और आभार अनीता जी | स्नेह बनाए रखियेगा |
हटाएंआपने बहुत ही बढ़िया तरीके से मिटटी के बारें में बताया है l
जवाब देंहटाएंhttps://yourszindgi.blogspot.com/
शुक्रिया आपका भरत जी
हटाएंमिट्टी से प्यार
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख
शुक्रिया आपका ज्योति सर
हटाएंहमारे यहां बाग बगिया का शौक सभी को है ,तरह तरह की फल फूल सब्जियों को सीजन के अनुसार लगाया जाता है ,इस lockdown में कई सब्जियां घर से ही मिल जाती है ,और आस पास वाले भी ले जाते है ,इसलिए आपकी पोस्ट को ध्यान से पढ़कर और भी जानकारी प्राप्त कर रही थी ,आपका धन्यवाद ,बहुत लाभकारी पोस्ट ,प्रकृति से मुझे बहुत लगाव है ,वृक्षों से बातें करना उनके साथ गाना सुनना अच्छा लगता है ।
जवाब देंहटाएंलिखने पढ़ने वालो लोग अक्सर संवेदनशील और प्रकृति प्रेमी ही निकलते हैं आज फिर से साबित हुआ आभार और शुक्रिया
हटाएंजानकारी युक्त उपयोगी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंसुंदर, सार्थक।
बहुत शुक्रिया आपका मित्र
हटाएंमिट्टी की उर्वरा शक्ति को ठीक रखने के लिए गमलों की निराई गुडाई करते रहना बहुत जरूरी है इससे मिट्टी ऊपर नीचे होने से संतुलित रहेगी और साथ ही पौधों की जड़ो तक हवा पानी भी पहुंचता रहेगा |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है यही मैं भी कर रहा हूँ ...
वाह क्या बात है महेंद्र भाई। साधुवाद आपको इसके लिए
हटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संजय भाई
हटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंआभार आपका सरिता जी
हटाएंthank you for appreciating buddy
जवाब देंहटाएंAndhra Bank Balance Enquiry
जवाब देंहटाएंSamagra Shiksha Portal 10 best things
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