जी हां , अब कल से कोशिश करूंगा कि वही पुराने अंदाज़ में आपको दो लाईनों में पोस्टों तक पहुंचाने का सूत्र पकडाता चलूं ..निरंतर और निर्बाध …
Thursday, November 25, 2010
दुनिया की १० सबसे खतरनाक और जटिल सडकें :-१
आज अपनी हर पोस्ट से अलग हटकर मैं आपके समक्ष लाया हूँ कुछ तस्वीरें, ये तस्वीरें हैं दुनिया की १० सबसे खतरनाक और जटिल सड़कों की, इस पोस्ट को दो भागों में प्रकाशित किया जायेगा | तो आज कोई चिंतन नहीं, कोई काव्य नहीं बस पेश है दुनिया की ५ सबसे खतरनाक और जटिल सडकें |
१. इस सूची में पहले स्थान पर है फ़्रांस में आल्पस पर्वत श्रंखला पर स्थित Col-De-Turini .. ये सड़क समुद्रतल से २० मीटर ऊपर से प्रारंभ होकर १६७० मीटर तक जाती है |
------------------------------------------------------------------------------------------------------------ २... दूसरे स्थान पर है इटली स्थित stelvio-pass , और ये भी आल्पस की पर्वत श्रृंखला पर ही स्थित है |
------------------------------------------------------------------------------------------------------------ ३... तीसरे स्थान पर नाम आता हैभारत का | हिमाचल प्रदेश में लेह-मनाली मार्ग | इस सड़क के खतरनाक होने का मुख्य कारण है यहाँ होने वाली बर्फ़बारी और भूस्खलन | इस सड़क की देखभाल पूरी तरह से भारतीय सेना की जिम्मेदारी है |
दिल्ली में मिले दिल वालों से..१३ नवम्बर, २०१०
इतना सारा स्नेह, इतना सम्मान-ढेरों रिपोर्टिंग.
आनन्द आ गया दिल्ली मिलन समारोह में.
अक्षरम हिंदी संसार और प्रवासी टुडे से जुडे अनिल जोशी जी एवं अविनाश वाचस्पति जी जिस दिन मैं दिल्ली पहुँचा, उसके अगले दिन ही आकर मिले. बहुत देर चर्चा हुई, चाय के दौर चले और तय पाया कि सभी ब्लॉगर मित्र कनाट प्लेस में मुलाकात करेंगे. १३ तारीख को शाम ३ बजे मिलना तय पाया.
१३ तारीख को सतीश सक्सेना जी का फोन आया और उन्होंने मुझे अपने साथ चलने का ऑफर दिया. अंधा क्या चाहे, दो आँख. मैं तुरंत तैयार हो गया मगर जब बाद में पता चला कि वह मुझे लेने नोयडा से दिल्ली विश्व विद्यालय नार्थ कैम्पस तक आये हैं और उसकी दूरी और ट्रेफिक को जाना तो लगा कि काश!! मैं खुद से चला जाता तो उन्हें इतना परेशान न होना पड़ता.
कनाट प्लेस जैन मंदिर सभागर में बहुत बड़ी तादाद में ब्लॉगर मित्र पधारे थे, सभी के नाम आप विभिन्न रिपोर्टों में पढ़ ही चुके हैं उन सबके साथ साथ वहाँ प्रसिद्ध व्यंग्यकार मान. प्रेम जनमजेय जी को पाकर मन प्रफुल्लित हो उठा. फिर पाया कि वहाँ मीडिया रिसर्च स्कॉलर श्री सुधीर जी के साथ अनेक बच्चे मीडिया शिक्षार्थी ब्लॉगिंग के विषय में कुछ जानने समझने आए हैं. बहुत अद्भुत नजारा था सब का मिलना. इन्हीं शिक्षार्थियों में एक छात्रा रिया नागपाल जिसने हिंदी ब्लॉगिंग को ही शोध के विषय के रूप में चुना है, से मुलाकात हुई और उसने मुझे याद दिलाया कि एक बार वह मेरा इसी विषय पर कनाडा से साक्षात्कार ले चुकी है. बहुत अच्छा लगा सबसे मिलकर.
THURSDAY, NOVEMBER 25, 2010
मुझसे भी तो बाटों चाँद
पतला पतला काटों चाँद
मुझसे भी तो बाटों चाँद
ओस बन टपके आंसूं
ऐसे तो ना डाटों चाँद
सिन्दूरी सुबह कजरारी रात
अपना रंग भी छाटों चाँद
करवा चौथ पे तू भी देखे
इस धरती पर कितने चाँद
बरसे जो सिक्को की माफिक
बारातों में लूटो चाँद
लटके लटके थके नहीं तुम
कभी तो नभ से टूटो चाँद
THURSDAY, NOVEMBER 25, 2010
रूल्स जो भारतीय फॉलो करते हैं...खुशदीप
मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं...मेरी मर्ज़ी...क्या हम भारतीयों के अंदर कोई आइडेंटिकल और टिपीकल जींस पाए जाते हैं...पृथ्वी सूरज का चक्कर काटना छोड़ सकती है लेकिन मज़ाल है कि राइट टू मिसरूल के हमारे जींस अपने कर्मपथ से कभी विचलित हों...अब दिल थाम कर इसे पढ़िए और दिल से ही बताइए कि क्या आप इन रूल्स (मिसरुल्स) का पालन नहीं करते...
रूल नंबर 1
अगर मेरी साइड पर ट्रैफिक जैम है तो मैं बिना एक मिनट गंवाए साथ वाली रॉन्ग साइड पकड़ लूंगा...मानो सामने से आने वाली सभी गाड़ियों को बाइपास की तरफ़ डाइवर्ट कर दिया जाएगा...
बीबीसी हिंदी ब्लॉग्स पर देखिए क्या पढा लिखा जा रहा है
बेईमानों के बीच ईमानदार
मैं एक प्रशासनिक अधिकारी को जानता हूँ जिनकी ईमानदारी की लोग मिसालें देते हैं.
वे एक राज्य के मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव थे लेकिन लोकल ट्रेन की यात्रा करके कार्यालय पहुँचते थे. वे मानते थे कि उन्हें पेट्रोल का भत्ता इतना नहीं मिलता जिससे कि वे कार्यालय से अपने घर तक की यात्रा रोज़ अपनी सरकारी कार से कर सकें.
वे ब्रैंडेड कपड़े ख़रीदने की बजाय बाज़ार से सादा कपड़ा ख़रीदकर अपनी कमीज़ें और पैंट सिलवाते थे.
जिन दिनों वे मुख्यमंत्री के सचिव रहे उन दिनों सरकार पर घपले-घोटालों के बहुत आरोप लगे. उनके मंत्रियों पर घोटालों के आरोप लगे. लोकायुक्त की जाँच भी हुई. कई अधिकारियों पर उंगलियाँ उठीं.विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त भी हुई. कहते हैं कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को अच्छा चंदा भी पहुँचता रहा.
लेकिन वे ईमानदार बने रहे. मेरी जानकारी में वे अब भी उतने ही ईमानदार हैं.
उनकी इच्छा नहीं रही होगी लेकिन वे बेईमानी के हर फ़ैसले में मुख्यमंत्री के साथ ज़रुर खड़े थे. भले ही उन्होंने इसकी भनक किसी को लगने नहीं दी लेकिन उनके हर काले-पीले कारनामों की छींटे उनके कपड़ों पर भी आए होंगे.
WEDNESDAY, NOVEMBER 24, 2010
हिन्दी मे लिखने का प्रथम प्रयास - "भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मेरी लड़ाई"
हिन्दी मे लिखने का प्रथम प्रयास -
विगत काफ़ी समय से श्री विवेक रस्तोगी जी चाह्ते थे कि हमे भी हिन्दी ब्लॉग में शामिल होना चाहिए, सोचाशुरुआत करे। काफ़ी विचार करने के बाद मैंने पहले विषय के रूप में "भ्रष्टाचार" का चयन किया।
भ्रष्टाचार, मैं इसे "नैतिक पतन" कहना ज्यादा उचित समझता हू । यह हमारे-आपके, हम सबके घरो से शुरूहोता है, उदाहरणार्थ अगर हमारा बच्चा नहीं पढ़ रहा है तो हम कहते हैं, अगर आप समय पर अपना काम खत्मकरेगे तो आप को कुछ खिलौना या chocklet मिल सकती है....इस तरह हम उसे जाने अनजाने नैतिक पतन कापाठ सिखा रहे होते है। बच्चा तो यही समझता है कि ये सब सही है....और धीरे धीरे ये उसकी आदत मे आ जाताहै....और जब वह बड़ा होता है तो वो भी यही सब करता है और बाद मै हम इसी भ्रष्टाचार को ले कर परेशान होते है।
THURSDAY, NOVEMBER 25, 2010
हर फिकराकस की एक औक़ात होती है....!!
मसक जातीं हैं,
अस्मतें,
किसी के फ़िकरों
की चुभन से,
बसते हैं मुझमें भी
हया में सिमटे
आदम और हव्वा,
जो है सो है
जब सरकार ही ब्लैकमेलिंग पर उतर आए...
राजेश कालरा Thursday November 25, 2010इस देश में ईमानदारी के तेजी से गिरते मापदंडों के बावजूद, पिछले दिनों देश के उच्चतम न्यायालय और अटॉर्नी जनरल (AG) के बीच सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर (CVC) के तौर पर पी. जे. थॉमस की नियुक्ति पर तीखी बातचीत एकदम अभूतपूर्व है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस तरफ ध्यान खींचा, जो कि सही भी था, कि अगर सीवीसी के खिलाफ ही आपराधिक मामला लंबित पड़ा है, तो उनसे यह कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह राष्ट्र के टॉप विजिलेंस कमिश्नर के तौर पर अपना काम सही ढंग से कर पाएंगे। कोर्ट ने यह कहा: क्या यह सीवीसी के लिए शर्मिंदगी भरा नहीं होगा जब लोग उनसे जांच करने के अधिकार पर ही सवालिया निशान खड़े करेंगे, क्योंकि वह खुद एक आरोपी हैं?
बृहस्पतिवार, २५ नवम्बर २०१०
पुराने स्वेटर
आज
माँ उधेड़ रही है
पुराने स्वेटर
भीगी आँखों से
और एक चलचित्र चल रहा है
उसके भीतर
कैसे माँ बुनती थी
स्वेटर
जाग कर
रात रात भर
सोच सोच कर
खुश हो रही आज
HURSDAY, NOVEMBER 25, 2010
माँ की बाँहों में
माँ - सुबह का अजान
माँ- रात की लोरी
माँ- जब कहीं कोई राह नहीं तो माँ एक हौसला
माँ कितनी भी कमज़ोर हो जाये , ऊँगली नहीं छोडती
हर दिन नज़र से उतार
एक नया दिन दे जाती है.......
दिखे ना दिखे
माँ साथ चलती है ..........
रश्मि प्रभा
बुधवार, २४ नवम्बर २०१०
आदमी से छाँव होता जा रहा है
देख कब से धूप से बतिया रहा है,
आदमी से छाँव होता जा रहा है ।
दिल है के उलझा हुआ है मस’अलों में,
इल्म वो मुद्दे सभी सुलझा रहा है ।
खो गया हूँ बारहा बातों में उसकी,
उसके लहज़े में घना कोहरा रहा है ।
है बहुत बेचैन मंजिल पर पहुँच कर,
याद उसको रास्ता अब आ रहा है ।
कब तलक आखिर रहे वो साथ खुद के,
अब वो अपने आप से उकता रहा है ।
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम पर परिचर्चा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, जिसमें जदयू और भाजपा शामिल है, ने बिहार विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत का परचम लहरा दिया है। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में राजग को तीन चौथाई बहुमत मिला है। उसके 206 उम्मीदवार जीत गये हैं। चुनाव आयोग की ओर से घोषित नतीजों के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड 115 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को 91 सीटें मिली हैं। 2005 के विधानसभा चुनाव के हिसाब से सबसे ज्यादा फायदे में भारतीय जनता पार्टी रही। उसे पिछली विधानसभा के 55 सीटों के मुकाबले 36 अतिरिक्त सीटें मिली हैं। पिछली बार के मुकाबले नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने अपनी सीटों में 27 की बढ़ोतरी की। लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल की सीटें 54 से घटकर 22 हो गई हैं। राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 7 सीटों का नुकसान हुआ और वह 10 से 3 पर आ गए। कांग्रेस 9 से 4 पर आ गई जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी अपने दो विधायकों से हाथ धो बैठी. उसे सिर्फ 1 सीट मिली है।
बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम की कुछ विशेष बातें-
-गुजरात के बाद दूसरी बार जनता ने विकास के लिए मतदान किया।
-बिहार चुनाव का संदेश-जो विकास करेगा, वही जीतेगा।
-बिहार के महारोग जातिवाद को ध्वस्त करते हुए जात-पांत से ऊपर उठकर मतदान किया।
एक और व्यंग्य ग़ज़ल----(विनोद कुमार पांडेय)
व्यंग्य ग़ज़लों का सिलसिला जारी रखते हुए अपने सीधे-सादे लहजे में प्रस्तुत करता हूँ एक और ग़ज़ल|आप सब के आशीर्वाद का आपेक्षी हूँ.
चारो ओर मचा है शोर
सब अपनें-अपनों में भोर
बच कर के रहना रे भाई
बना आदमी आदमख़ोर
इंसानों ने सिद्ध कर दिए
रिश्तों की नाज़ुक है डोर
नज़र उठा कर देखो तो
है ग़रीब,सबसे कमजोर
Thursday, November 25, 2010
सबसे युवा कबाड़ी का स्वागत
नीरज बसलियाल सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं. पूना में रहते हैं. उनके ब्लॉग कांव कांव पब्लिकेशन्स लिमिटेड की कुछेक पोस्ट्स ने मेरा ध्यान खींचा था. उन्हें कबाड़ख़ाने का सदस्य बनाने की नीयत से मैंने उन्हें एक मेल लिखी और कल रात टेलीफ़ोन पर कुछ देर बात भी की. थोड़ा सा शर्मीला सा लगने वाला यह नजवान अभी फ़क़त पच्चीस साल का है. कबाड़ख़ाना अपने सबसे युवा साथी का इस्तकबाल करता है और यह उम्मीद भी कि उनके बेबाक और अनूठे गद्य का रसपान करने का हमें यहां भी मौका मिलेगा. फ़िलहाल प्रस्तुत है उनकी नवीनतम पोस्ट उन्हीं के ब्लॉग से:
बृहस्पतिवार, २५ नवम्बर २०१०
जब जुड़ना ही है तो.....ब्रेक के बाद क्यूँ?
चोपडाओं और जोहरों का फिल्म बनाने का अपना तरीका है। इसमें वह दर्शकों को आकर्षित कर पाने में सफल भी होते रहे हैं, इसलिए वह अपनी इस शैली पर खुद ही फ़िदा हैं। अब ये बात दीगर है कि इन फिल्मकारों की इस घिसी पिटी शैली से दर्शक ऊबने लगे हैं। यश चोपड़ा की प्यार इम्पोसिबिल तथा जोहर की वी आर फॅमिली और आइ हेट लव स्टोरीज की असफलता इसका प्रमाण है। कुनाल कोहली भी इसी स्कूल से हैं। इसी लिए उनकी नयी फिल्म ब्रेक के बाद में चोपडाओं और जोहरों की झलक नज़र आती है। अभय गुलाटी और आलिया खान बचपन से साथ पले बढे हैं। अभय आलिया से प्रेम करता है और शायद आलिया भी। पर ना जाने क्यूँ आलिया ब्रेक लेना चाहती है और अभय इसे मान भी लेता है।क्यूँ ? यह कुनाल जाने। आलिया ऑस्ट्रेलिया चली जाती है। अभय भी पीछे पीछे जाता है।
THURSDAY, NOVEMBER 25, 2010
२६/११ की बरसी पर विशेष - एक रि पोस्ट
बताओ करें तो करें क्या ...................??????
हाँ हाँ यादो में है अब भी ,
क्या सुरीला वो जहाँ था ,
हमारे हाथो में रंगीन गुब्बारे थे
और दिल में महेकता समां था ..........
वो खवाबो की थी दुनिया ..........
वो किताबो की थी दुनिया ..................
साँसों में थे मचलते ज़लज़ले और
आँखों में 'वो' सुहाना नशा था |
जानिये नये-नये ब्लॉग पते
Posted by जयराम "विप्लव" on November 25, 2010 in ब्लॉग हलचल | 1 Comment
हर रोज नये -नये ब्लॉग अवतरित हो रहे हैं | एक ब्लोगवाणी था जो ब्लॉग पाठकों को इन नवागंतुकों की जानकारी देता रहता था अब थोड़ा बहुत काम चिट्ठाजगत कर रहा है | जनोक्ति पर “ब्लॉग-हलचल” स्तम्भ में हर रोज जानिये नये-नये ब्लॉग पते |
1. ANJANA SAMAJ (http://aanjana.blogspot.com/)
चिट्ठाकार: Sanwal Ram Choudhary
बृहस्पतिवार, २५ नवम्बर २०१०
इंडिया माता
भारत माता की जय के नारे लगाते हुए बचपन से जवान हुए। यह एक ऐसा नारा है जो दिलों में जोश और खून में रवानगी पैदा करता है। भारतमाता की जय बोलते हुए देश का भौगोलिक नक्शा हमारी आँखों के सामने घूम जाता है। जो बताता है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक देश का हर नागरिक विभिन्न जाति धर्म और सम्प्रदाय का होते हुए भी भारत का नागरिक है। भारत जो हमारे दिलों में बसता है। भारत जिसके दर्शन लहलहाते खेतों, खिलखिलाते बच्चो, जिंदगी से हार न मान कर सतत संघर्ष करते लोगों में हमें रोज होते हैं।
एक बंटवारा अंग्रेजों ने किया था। एक बंटवारा हम भारतीयों ने कर डाला। भारत को इंडिया बनाकर। राहुल गांधी की बात माने तो इंडिया प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है, पर भारत कहीं पीछे छूट गया। वो भारत जो गावों में बसता है जो इंडिया के लिए रोटी पैदा करता है, पर उसके भाग्य में अक्सर दो जून की रोटी मयस्सर नहीं होती। यह भारत अक्सर इन तथाकथित इंडियन्स के हाथों दुत्कारा जाता है क्योंकि ये इनके लकदक सफेद कपड़ों और चमचमाती कारों के बीच बदनुमा धब्बे सा घूमता रहता है इसलिए जब विदेशी मेहमान शहर में तफरीफ लाते हैं या कॉमनवेल्थ खेल जैसे समारोह होते हैं तो या तो इनके बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है या इनसे निजात पाने के लिए इन्हें शहर से ही खदेड़ दिया जाता है।
तो आज के लिए इतना ही …
baddhiya links hain..
जवाब देंहटाएंझा जी बहुत बहुत आभार ... अपनी इस चर्चा में आपने मेरी इस खास पोस्ट को शामिल किया !
जवाब देंहटाएंलेह मनाली मार्ग का चित्र कहाँ रह गया?
जवाब देंहटाएंद्विवेदी सर ,
जवाब देंहटाएंलेह मनाली मार्ग का चित्र संबंधित पोस्ट पर मिल जाएगा यहां तो बस कट पेस्ट है झलकियां मात्र
सुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया झलकियाँ ...
जवाब देंहटाएंअति उत्तम झल्कियां!प्रणाम!
जवाब देंहटाएंरामराम.
खूबसूरत चर्चा और अच्छे लिंक देने के लिए आभार भैया !
जवाब देंहटाएंसडकें देख कर ही डर गयी। अच्छी चर्चा। धन्यवाद।
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