नाम पंकज नारायण , इस युवा मित्र से जब पिछले दिनों समीर लाल जी वाले कार्यक्रम में एक छोटी सी मुलाकात हुई तो इस मासूम चेहरे के पीछे एक बेहद शर्मीला दिल भी दिखा मुझे । इन्होंने कहा कि ये अक्सर अपने फ़ेसबुक स्टेटस पर अपनी बातें लिखते हैं । आकर जब फ़ेसबुक टटोला तो क्या मिला देखा ,आप भी देखिए
किसी की बहुत याद आती है, तब रात मेरे साथ मॉर्निंग वॉक पर निकलती है।दिन जब अपना होश खो देता है तब सूरज मेरे साथ उन यादों का पीछा करता है।रात और दिन की इस हरकत से पता चलता है कि ज़िंदगी गोल है, क्योंकि धरती होती यादें साथ घुमती हैं और बना देती है मुझे भी किसी की याद। यादों से जुड़ी हिचकियों के मुहावरे सच होते हैं, इसीलिए मेरी बातों में तारे टूट-टूट कर गिरते हैं और कहीं कोई टूटते तारों को देखकर अपनी मन्नते पूरी करता है।तुम्हारी बातों में दो खूबसूरत आंखें थी, जो रात भर एकटक देखती रहीं मुझे। सच तो यह है कि मेरी आंखों से भी बातें बरसती रही रात भर। एक गीली रात के लिए शुक्रिया... नींद हराम करने के लिए शुक्रिया...हमें जन्म लेना नहीं आता था... फिर भी हम पैदा हुए। हम मरना नहीं चाहते... फिर भी हम मरते हैं। हमारे पास कल भी एक 'आज' था। हमारे पास आज भी एक 'आज' है। हमारे पास कल भी एक 'आज' होगा।तुम्हारी खुली हंसी में मेरी ज़िंदगी चैन की सांस लेती है। आना कभी मेरी मीठी बातों में अपना घर बनाने। मैं खुलता दरवाज़ा और तुम बंद होती खिड़की। पलंग पर सलीके से इंतज़ार करते दो तकीये की तरह हमारा होना। साफ-सुथड़े कमरे के दो कोने को गप्पे लड़ाते सुनने वाली एक खूबसूरत पेंटिंग की तरह शांत होकर महसूस करें एक-दूजे को। वहां जरूर आना, जहां 'तुम' तुम रहो और मैं एक खुला हुआ कमरा।किसी की बहुत याद आती है, तब रात मेरे साथ मॉर्निंग वॉक पर निकलती है। दिन जब अपना होश खो देता है तब सूरज मेरे साथ उन यादों का पीछा करता है। रात और दिन की इस हरकत से पता चलता है कि ज़िंदगी गोल है, क्योंकि धरती होती यादें मेरे साथ घुमती हैं और बना देती है मुझे भी किसी की याद। यादों से जुड़ी हिचकियों की माने तो मेरी बातों में तारे टूट-टूट कर गिरते हैं और कहीं कोई टूटते तारों को देखकर अपनी मन्नते पूरी करता है।हमारी तपती जुबां पर रोटियां सेक कर, हमारी खुलती आंखों पर अचानक से तेज रोशनी मार कर और अपने माथे पर लाल रोशनी घुमा कर चला गया अपने ही बीच से एक आदमी। सफेद कुर्ते, सफेद गाड़ी और काली दुनिया में घुस जाने के बाद भी उसे गांधी की पेंटिंग और गरीब आदमी का पोस्टर अच्छा लगता है। उसे याद है कि हमने कहा था कि दोस्त तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ है। जीतेगा भई जीतेगा...वगैरह वगैरह। एक बिन मांगी दुआ उसे लगी और अचानक से उसके वादों की उमर लंबी होती गई और हम किसी उपन्यास के लास्ट चैप्टर बन गए...ख़्वाबों को पर्यटन स्थल समझने वाले सभी मित्रों को मेरा नमस्कार। जानकारी के लिए बता रहा हूं- अब वह जगह कई सुविधाओं से लैस है, जैसे इतिहासों की नंगी टांगे, वर्तमान के खूबसूरत पांव और भविष्य का जोशीला कदम। अपने ख्वाबों को हक़ीक़त के बाज़ार में सौदा के लिए भेजने से पहले अपनी अंतरात्मा के फ़र्श पर लिटाएं और उसे अपने आप से कुछ पूछने दें। ज़िंदगी का समाचार समाप्त होने से पहले ख्वाबों का ब्रेकिंग न्यूज़ बनना ज़रूरी है।अरे रे रे ..सब यहीं पढ लेंगे तो फ़िर बांकी ....अरे यहां जाईये न उनके फ़ेसबुक प्रोफ़ाईल परपाबला जी के कहे अनुसार जब जांचा तो पाया कि पंकज भाई का ब्लॉग ये है देखिए
अजय कुमार झा जी
जवाब देंहटाएंआपकी इस मुलाकात के साथ हमारी मुलाकात भी अच्छी रही ...शुक्रिया
मुलाकात के साथ-साथ इनकी पोस्ट भी बढ़िया है!
जवाब देंहटाएंपंकज से दिल्ली मीट के दौरान मुलाकात हुई थी. आज आपने विस्तार से मुलाकात करा दी-आभार.
जवाब देंहटाएंपरिचय हेतु आभार
जवाब देंहटाएंलेकिन अजय जी, पंकज तो ब्लॉगिंग भी करते हैं! देखिए, इन्हें तो बधाई भी दी गईं हैं जनमदिन पर
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जवाब देंहटाएंरोमाण्टिक जीव लगता है बन्दा।
जवाब देंहटाएंsajib mulakat ke liye sukriya
जवाब देंहटाएंpranam
अच्छा लगा मिलकर।
जवाब देंहटाएंपाबला जी ,
जवाब देंहटाएंआपकी जानकारी के बाद जांचा तो पाया कि पंकज भाई का एक ब्लॉग भी है , पोस्ट अपडेट कर दी है
इसीलिए मेरी बातों में तारे टूट-टूट कर गिरते हैं और कहीं कोई टूटते तारों को देखकर अपनी मन्नते पूरी करता है।-----बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद इन ब्लॉगर से परिचय करवाने के लिए.
छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी बड़ी बातें --बंदे में कुछ तो है ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर एहसास है पंकज भाई के.....
जवाब देंहटाएंअच्छी रही मुलाकात
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह मुलाक़ात...
जवाब देंहटाएंरोमांटिक तो सभी को होना चाहिए
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगिंग को भी रोमांटिक बनाना चाहिए
रोमांस का एक रंग
पोस्टों और टिप्पणियों पर भी बरसना तो चाहिए
इसलिए
आओ बंधु, गोरी के गांव चलें
इतना अच्छा आलेख पढ़वाया। ब्लॉग फीड में पहुँच गया है।
जवाब देंहटाएंअच्छी रही मुलाकात ....बाकि उनके ब्लॉग पर जा के देखते है !
जवाब देंहटाएंहमें जन्म लेना नहीं आता था... फिर भी हम पैदा हुए। हम मरना नहीं चाहते... फिर भी हम मरते हैं। हमारे पास कल भी एक 'आज' था। हमारे पास आज भी एक 'आज' है। हमारे पास कल भी एक 'आज' होगा।
जवाब देंहटाएंवाह ये उम्र और इतना बडा तज़ुर्बा। अभी मिलते हैं इस होनहार से। धन्यवाद।
Badiya Mulaqaat karwa di aapne.....shukriya...
जवाब देंहटाएंबड़ी जानदार लेखन शैली रखते हैं पंकज जी..
जवाब देंहटाएंmulaakaat ka shukriya..
जवाब देंहटाएंmere blog par bhi kabhi aaiye waqt nikal kar..
Lyrics Mantra
bahut achcha likhe hain.
जवाब देंहटाएंपंकज जी से मिलकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंआभार.
पंकज की ये पंक्तियां, कविता मानी जाएं तो कह सकता हूं कि कविताएं पढ़ सकता हूं और मुझे कविताएं भी पसंद आती हैं. आपके माध्यम से ऐसे ही किसी परिचय की उम्मीद थी. आगे का हिसाब तो सीधे पंकज के पेज पर करते हैं.
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