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रविवार, 9 अक्तूबर 2011

चर्चा दो लाइना....इन झाजी इश्टाईल



पुराने थोबडे के साथ पुराने वाले ही चर्चाकार



टीवी मीडिया पर लगेगी लगाम , कैबिनेट ने मुहर लगाई
वो तो ठीक है लेकिन , कैबिनेट पर लगाम कब लगेगी भाई


यहां बता रहे हैं ओकील साहब , कौन सा विवाह करना उचित नहीं है ,
अरे ये दिल्ली के लड्डू हैं . हमरे हिसाब से तो कैसा भी विवाह करना उचित नहीं है

टिप्पणी चेपू ब्लॉगर का परिचय यहां दिया गया है
कैसा होता है ये ब्लॉगर , क्लीयर किया गया है


एक बार फ़िर रावण मारा गया व्यर्थ ,
डा. साहब की पोस्ट , पढ के लगाएं अर्थ


अरे इधर उधर कहां टहल रहे , डालिए एक नज़र इस ओर ,
आज मयंक भाई सिखा रहे , कैसे लगाएं ब्लॉग में Read More


स्वप्निल जी ने फ़िर शब्दों का जादू बिखेरा हुआ है ,
रुबाइयों के कोने में , सवेरा हुआ है ।


आप प्यार में जीते हैं , छि; गलत बात है सर !
सोचालय में मरियम से मिलवा रहे सागर ।


जो लफ़्ज़ों में नहीं बंधता , उसे बांध ,बना दी पोस्ट ,
तुम साथ साथ बह जाओगे , ये पूजा की लहरें हैं दोस्त


देखिए यहां कौन , क्यों , रावण रावण पुकार रहा ,
बेशक जला डाले रावण , मगर जिंदा भ्रष्टाचार रहा


अमित भाई , ले चले ,आज किसी के रुख से रुखसार तक ,
इस दुनिया की एक कहानी , मुहब्बत से प्यार तक



यहां पाइए , आप अपने , राष्ट्रभाषा हिंदी के सुंदर रंग ,
आज मनोज जी ले कर आए , एक प्रेरक प्रसंग ।


बेटियों के प्रति रवैय्या बदलना होगा ,
बहुत गिर चुके नीचे तक , आखिर कभी तो संभलना होगा


रश्मि जी , अपनी यादों में से , एक टुकडा सुना रही हैं ,
क्या हुआ हाय नई दुल्हन का हाल , बता रही हैं ।


कविता जी ने प्रश्न किया .मिट्टी में दिया जिंदा दबा ,वो भी इंसान है ,
कोख कब्र बने ,कभी मिट्टी बेटी की , क्योंकि समाज पुरूष प्रधान है   

लेखनी जब फ़ुर्सत पाती है , वे कहर ढाते हैं ,
जो फ़ुर्सत और ज्यादा हो , प्यार को धोखे से चरस खिलाते हैं


देख प्रभु तेरी दुनिया , अब कैसा कैसा होता है ,
कहते श्यामल आज इसलिए , देख मेरा मन रोता है


शिव जी करा रहे , चंदू की पेरिस हिल्टन से चैट ,
पढिए , घुस के आप भी , बिना किए दिस एंड दैट
नवगीत की पाठशाला में आज दिन खनकता है,
इस बगिया में शब्दों का कोई फ़ूल रोज़ महकता है


कैलाश जी सजा लाए हैं , सूना इक आकाश ,
इनकी पंक्तियों में पाया है , एक अलग एहसास


एक शिक्षक , चुपचाप लीन , कर रहा शब्दों का सृजन ,
जज़्बात में आज जानिए , शब्दों की चुप्पी का गर्जन



एक लाइना बुलेटिन दोपहर में जारी किए जाएंगे

7 टिप्‍पणियां:

  1. एग्रीगेटर से भी ज्यादा बड़ा संकलन नज़र आया ।
    चलिए आपने एक बार फिर फुर्सत तो निकाली ।

    जवाब देंहटाएं
  2. अब आपकी स्टाईल समझनी पड़ेगी। पढ़नी पडेगी, जाननी पड़ेगी। आखिर ई है कौन सी इस्टाईल !

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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