अभी 1 मार्च को विख्यात ब्लॉगर दीदी रेखा श्रीवास्तव जी द्वारा ब्लॉगरों के अधूरे सपनों को शब्दों के ताने बाने में बुनकर पुस्तक के रूप में संकलित कर प्रकाशन किये जाने और उसे पाठकों के लिए उपलब्ध करवाने का अनौपचारिक कार्यक्रम जब भाई राजीव तनेजा (यहाँ बिना संजू भाभी संजू तनेजा जी ,के ज़िक्र के ये बात कभी मुकम्मल नहीं हो सकती ) द्वारा शब्दों की दुनिया के दोस्तों के लिए उपलब्ध कराए गए एक प्लेटफॉर्म पर बना तो बहुत बार मेरे ऐसे किसी कार्यक्रम में शिरकत किये जाने का टाल मटोल भी ख़त्म सा हुआ और ऐसा संयोग बना की मैं देर से ही सही उस कार्यक्रम में अपनी उपस्थति दर्ज़ करवा पाया।
मेरे पहुँचने तक क्या कैसे हो चूका था ये तो मैं नहीं जान पाया हाँ गंतव्य स्थल तक पहुँचने के लिए भाई राजीव तनेजा जी से फोन द्वारा दिशा निर्देश लेते रहने के कारण वे तो अगुवाई करते पहले ही मिल गए। आदतन मैं आजम से सबसे पीछे बैठ कर सारा ज़ायज़ा लेने लगा। दीदी रेखा श्रीवास्तव आज के कार्यक्रम की शो स्टॉपर थीं सो एक एक आने जाने वाले पर उनकी नज़र थी।
पोडियम पर रंजना जी , जिनसे मेरी पहली मुलाक़ात थी ,अपने रेडियो प्रस्तोता होने के कारण बहुत अधिक दक्षता से कार्यक्रम का कुशल संचालन करती दिखीं और वहीँ हमारे सुपर स्टार ब्लॉगर ,डॉ टी एस दराल सर , भाई खुशदीप सहगल जी ,शाहनवाज़ जी ,दिगंबर नासवा जी आदि विराजे हुए थे। नज़रें घूमी तो भाभी संजू तनेजा ,दोस्त ब्लॉगर वंदना गुप्ता ,नीलीमा शर्मा ,मुकेश सिन्हा जैसे सितारे भी अपना नूर बिखेरे हुए थे। दीदी रेखा श्रीवास्तव जी के परिवार व समस्त बन्धुगण भी कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए सबको तसल्ल्ली बक्श सुन रहे थे।
रंजना जी सबको एक एक करके आमंत्रित कर रही थीं और साथी ब्लॉगर अपने ब्लॉगिंग के अनुभवों को साझा करते चलते जा रहे थे। मुझे सालों पहले होने वाली ब्लॉग बैठकों की याद आने लगी थी। भाई खुशदीप सहगल जी ने शुरआती दिनों की ब्लॉगिंग के दिलचस्प किस्सों को साझा करते हुए बहुत से रोचक किस्से सुनाए ,चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी जैसे संकलकों की चर्चा ,उन पर चली खींचतान आदि की बाबत बातें हुईं।
भाई शाहनवाज़ हुसैन जो अभी हमारीवाणी संकलक के संचालन का कार्य देख रहे हैं उन्होंने भी तकनीकी बातों के साथ ब्लॉगजगत के अनुभव साझा किये। दराल से ने अपने हर दिल अज़ीज़ अंदाज़ से सबको गुदगुदा दिया तो वहीँ नासवा जी ने बताया की कैसे उन्होंने कभी भी अपने ब्लॉग पोस्ट की रफ़्तार को थमने नहीं दिया।
मुकेश सिन्हा जी ने अपने ब्लॉग्गिंग के सफर की दास्ताँ सुनाते हुए ,भाई संजय भास्कर जी का उनकी रोचक व नियमति टिप्पणियों का उल्लेख किया तो राजीव तनेजा जी ने बताया की कैसे ब्लॉगिंग ने उनकी साहित्यिक और व्यंग्य लेखन के प्रति उनकी रूचि को अंजाम तक पहुंचाने में मदद की।
हमारी महिला ब्लॉगर में दोस्त वंदना गुप्ता जो अब एक ब्लॉगर से कहीं आगे जाकर विख्यात लेखिका बन चुकी हैं उनहोंने न सिर्फ अपने ब्लॉग लेखन के अनुभव साझा किए बल्कि ब्लॉगिंग में एक सशक्त और नियमित संकलक की जरूरत और उसके लिए कुछ किए जाने की जरूरत की ओर सबका ध्यान दिलाया। उनका साथ सिया नीलीमा शर्मा जी ने और उन्होंने भी अपने ही अंदाज़ में सबके साथ अपने अनुभव साझा किये। विख्यात ब्लॉगर कवियत्री साहित्यकार मित्र सुनीता शानू जी ने भी अपने मुस्कराहट के साथ ब्लॉगिंग के अनुभव को साझा करते हुए पुराने दिनों को याद किया साथ ही ये भी कि बेशक इसकी गति नए प्लेटफॉर्म्स के आने से थोड़ी सी कम हो गई है किन्तु उन्हें विशवास है कि सब कुछ पहले की तरह ही रफ्तार में आ जाएगा।
दीदी रेखा श्रीवास्तव जी ने बताया की कैसे उन्हें ये ब्लॉग जगत एक परिवार की तरह अपने मोह में बांधे रखा कर ये भी कि बहुत से अन्य ब्लॉगर के सपनों को शब्द देकर अधूरे सपनों की कसक का दूसरा भाग भी वे लेकर आएंगी।
मैंने ब्लॉगिंग के शुरआती दिनों , ब्लॉग जगत की बढ़ती हलचल ,ख्याति से न्यू मीडिया का दखल और प्रभाव उसे बाँधने की कोशिशें ,समयांतराल पर उसमें आई मंथरता , एक बेहतरीन संकलक की जरूरत आदि पर अपने विचार रखे। बीच में ताऊ ,उनकी पहलेयाँ ,चिट्ठा चर्चा , बेनामी ,ब्लॉग वकील आदि के रोचक किस्से भी सामने आए
रंजना जी के कुशल मंच संचालन के कायल मुझ सहित वहाँ उपस्थित सभी साथी हुए।
इसके उपरान्त पुस्तक के लोकार्पण ,उसकी चर्चा और गरमा गर्म भोजन के साथ भी आगे का कार्यक्रम बदस्तूर चलता रहा। निःसंदेह ऐसे कार्यक्रम ,ऐसे बहाने ,नई ऊर्जा का संचार कर न सिर्फ ब्लॉगिंग बल्कि हम ब्लोगर्स में भी नई स्फूर्ति का संचार करते हैं।
मुझे उम्मीद थी की पहले की तरह इस ब्लॉग बैठकी की भी रिपोर्ट लिखने के बहाने कुछ नई पोस्टें और बातें हमें और तमाम साथियों को भी मिल जाएंगी ,मगर ऐसा हुआ नहीं , और ये प्रश्न पुनः सर उठाए इधर उधर घूमता फिर रहा है कि -आउटडेटेड हो गई क्या ब्लॉगिंग ?? इसका उत्तर हमें और आपको तलाशना है और करना भी कुछ नहीं है सिर्फ इसके सिवा कि नियमित अनियमति होकर भी ब्लॉग पोस्ट लिखते रहना है और ब्लॉग पोस्ट पढ़ते रहना है।
बेहतरीन रिपोर्टिंग ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया संगीता दीदी । आभार आपका ।
हटाएंनहीं आउट डेटेड नहींं होने दूँगी सबको खींच कर लाऊँगी और सब पूर्ण सहयोग के लिए तैयार हैं। दूसरी ब्लॉगरों पर किताब अगले पुस्तक मेले तक लाऊँगी ।
जवाब देंहटाएंहाँ दीदी इस विधा को यूँ खत्म नहीं होने देंगे हम । इसके लिए जो भी जितना भी कर सकेंगे जरूर करेंगे ।
हटाएंकिताब के लिए अग्रिम बधाई और शुभकामनाएं दीदी । 🙏🙏🙏🙏
अच्छी रिपोर्टिंग की है अजय... अब पढ़ते रहेंगे। वैसे मुझे भी सुना था तुमने शायद भूल गये हो।
जवाब देंहटाएंआपको कैसे भूल सकता हूँ सुनीता जी , आप तो प्रेरणा देने वाली मित्र हैं हमेशा से ,हाँ भूलवश आपका वाला हिस्सा इसमें टाइप ही नहीं कर पाया। मैंने भूल सुधार लिया है। उम्मीद है आप अपने दोस्त की ये भूल क्षमा करेंगी ,मिलने पर हम आपके लिए एक पौधा उपहारस्वरूप जरूर लाएंगे दोस्त।
हटाएंआसा का दामन मत छोड़िए।
जवाब देंहटाएंजी बस उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है शास्त्री जी
हटाएंराजीव जी और संजू जी; मृदु भाषी, सरल ह्रदय व बेहतरीन मेजबान ! दो बार मिलने का मौका मिला पर ऐसा ही लगता रहा जैसे वर्षों का परिचय हो ! शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंरही ब्लागिंग की बात, तो लिखते तो बहुतेरे हैं ! वह भी बिना अनियमितता के ! पर दूसरों के लिखे को पढ़ने में निश्चित तौर पर कमी आई है ! दूसरे सोशल मिडिया के अलावा मेरे ख्याल से तो इसका मुख्य कारण जाने-अनजाने लगी हुई ''टिप्पणी मॉडरेशन'' नामक द्वारबंदी का है, जिसमें चाव से किसी के यहां जाने पर दरवाजा बंद मिलता रहा है, एक नवाबी सूचना के साथ और जाने वाला अपमानित सा महसूसता हुआ वापस आता है फिर कभी वहां ना जाने की सोच के साथ ! ! बहुत से ब्लागों से इसके हट जाने के बावजूद नुक्सान तो हो ही चुका है ! इसकी एक कड़वी सच्चाई और भी है पर उसका उल्लेख ना किया जाना ही आज के हालात में बेहतर है।
फिर टिप्पणियां भी मशीनी सी होती जा रही हैं, महज खानापूर्ति ! कभी-कभी तो बिना पढ़े ही चेप दी जाती हैं ! ये कुछ कारण भी हो सकते हैं ब्लागों की ''कुछ-कुछ अलोकप्रियता'' के ! फिर भी आशा यही है की दिन बहुरेंगे !
अभी तो सभी सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें
विस्तार से प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत शुक्रिया सर । स्नेह बनाए रखिएगा सर ।
हटाएंदेख लीजिये उस दिन की गोष्ठी और चर्चा का असर कि आज हम सब एक प्लेटफार्म पर इकट्ठे हो गए हैं तो ब्लॉग पढने भी शुरू हो गए हैं ..........उम्मीद बंध रही है जल्द ही ब्लॉगिंग के सुनहरे दिन लौटेंगे.......बाकी आपने रिपोर्टिंग जोरदार की है :)
जवाब देंहटाएंआप सब साथ हैं तो ये भी हम सब कर दिखाएंगे । यकीनन ही ।
हटाएंपुराने दिन फिर लौट रहे ब्लॉग की बगिया महकने लगी है
जवाब देंहटाएंसबका प्रयास रंग लाने लगा है , स्नेह बनाए रखियेगा
हटाएंबहुत बढ़िया दृश्य वर्णन ,बेहतरीन रिपोर्टिंग,यहां आकर एक और फायदा हुआ तस्वीरे देखने को मिल गई ,रेखा दीदी मुझे भी आने को कही थी ,पर टिकट नही मिला ,सो आना भी नहीं हुआ ,इस तरह इतना अच्छा अवसर हाथ से निकल गया ,लेकिन यहां आने पर पूरी जानकारी हासिल हो गई ।अजय जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
जवाब देंहटाएंये अवसर अब आपको बार बार मिलने वाला है ज्योति जी। हम तो ये बैठकी करते ही रहते हैं। आपका स्नेह हमें और ऊर्जावान कर देगा। शुक्रिया और आभार प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएं