अगली बार फैलेगा डायनासोर फ्लू
मुझे अच्छी तरह याद है की जब हम छोटे थे तो कई तरह की बीमारियों का नाम सुनते थे, मसलन बुखार, पेचिश, हैजा, छोटी माता, बड़ी माता, और भी न जाने कौन कौन से . इसके काफी दिनों बाद एक और बीमारी ने बड़ी दहशत फैलाई थी, वो थी दिमागी बुखार या गर्दन तोड़ बुखार . मगर पिछले कुछ सालों से जिस तरह की बीमारियों का नाम सुन रहा हूँ उसने तो दिल दिमाग दोनों ही चकरा कर रख दिए हैं. यदि मैं ऐड्स को इसमें न भी शामिल करूँ तो भी , आप ख़ुद ही देखिये न, मैड काऊ (जो गाय का मांस खाने के कारण होती थी ) फ़िर आया बर्ड फ्लू या कहें चिकेन गुनिया और अब ये सूअर फ्लू या कहें की सूअर गुनिया. हलाँकि इनके अलावा हेपातायीतिस और कुछ इसी तरह की नयी बीमारियां भी हमारे जमाने में नहीं सूनी जाती थी, किंतु इन बीमारियों में हमारे इन जीवों का कोई हाथ नहीं था.
एक बात मेरी समझ में नहीं आयी, यदि ये भयंकर बीमारियाँ , गाय, मुर्गी और सुआर जैसे जीव जंतुओं, पशुओं को खाने से ही होती हैं तो लानत है, अमा यही चीजें बची हैं खाने के लिए. अबे ये कोई आदम ज़माना है की शिकार कर के जानवरों का मांस भक्षण करना ही पडेगा, इश्वर की बनायी इस दुनिया में खाने की चीजों की कोई कमी है क्या जो लोग ये सूअर, गाय, भैंस, कीडे मकोडे खाने पर तुले हुए हैं.
भैया अब भी उन सबसे मेरी अपील है की इंसान हो इंसान बन कर रहो, यार ये काम तो जानवर भी कुछ ही करते हैं. मुझे तो कभी कभी लगता है की शुक्र है आज के जमाने में डायनासोर नहीं थे नहीं तो किसी दिन सुनने को मिलता की दुनिया में डायनासोर फ्लू भे फ़ैल रहा है………….
आहा.. डायनासोर कितना टेस्टी रहा होगा ना? :)
जवाब देंहटाएंसुना तो है कि डायनासोर के अंडे की बड़ी डिमांड थी...कल से पालक और लौकी खाया करुँगा.
जवाब देंहटाएं