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शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

मुद्दों की कंगाली का दौर, कहिये क्या बतियायें...क्या पढें क्या छोडें जी, कैसे हम चर्चियायें (चिटठी चर्चा )


क्या कहा जी ....चाहे अनचाहे सब उसी दलदल में फ़ंसते जा रहे हैं..जिसमें फ़ंसने के लिये दलदल बनाने वाले नयी नयी तरह से कीचड डाल रहे थे....वैसे मुझे पूरी उम्मीद है कि..यदि इन विषयों पर कुछ दिनों तक चुप्पी साध ली जाय या बिल्कुल निष्क्रिय हो जाया जाये.तो ये उन्हीं पादपों की तरह दम तोड देंगे जिन्हें पोषण के लिये कुछ नहीं मिलता...खैर छोडिये ये सब आप तो चर्चा का मजा लिजीये..चलते चलते यही कह रहा है मन कि...

ये मुद्दों की कंगाली का दौर है, अपनी कलम को संभालो यारों,
दलदल बन रहा है दरिया, अब तो इसे बचालो यारों,
चाहे जिस धर्म जाति भाषा की हो, दो घडी की है जिंदगी,
फ़ैसला तुम्हारा है, रो के या हंस के बितालो यारों,

अदा की हर अदा निराली, क्या किजीये,


पढिये और कैसी लगी, उन्हें टीप कर बतायें


जल्दी ही सैकडा लग गया, नहीं हुई देर,


लहरों के साथ बह के हम भये दंग,


आप भी देखिये न, हमारी है गुजारिश,


कह रहे नेह , किजीये ऐसे धर्म को अलविदा,


आखें हो गयी स्तब्ध, सिले हुए हैं होठ,



ऐसा अद्भुत हमने तो देखा और कहीं न


यदि जानना हो कैसे दिखेंगे , बीस साल के बाद,



बर्तनों पर भी पड गया, इत्ता काला इंपेक्ट..



खुशी के दीप जलाओ, मत घबराओ बच्चा,



सच्चे इंसान का मन , कैसे रो रिया है


आप खुद ही देखिये , होता है क्या असर,



देखिये क्या क्या हो रहा है बिग बौस के घर में



कमाल कर रहे टिप्पू चच्चा, करके टिप्पणी चर्चा...


इन चार में कौन हैं ब्लागर आप जरा बतायें,

अपनी अपनी रचना भेजिये न थोडे तो बनिये चुस्त,


अरे कभी तो खुश हो ले, काहे को रोता है जी,


तो बस आज के लिये इतना ही....अब तो आप लोगन के पास चर्चा के बहुत सारे मंच हो गये हैं...सो मजा लिजीये...

27 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा बढिया रही...सच कहा आपने कि मुद्दों की कंगाली का दौर चल रहा है...हम ना चाहते हुए भी ऐसे मुद्दों में फँसते चले जा रहे हैँ..जहाँ से हमें गुज़रना भी नहीं चाहिए...मैँ कल खुद एक पोस्ट पे कमैंट दर कमैंट कर के गलती कर बैठा हूँ...खैर...देर आए दुरस्त आए...अब तो छाछ को भी हमने फूंक-फूंक कर है पीना

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  2. हमेशा की तरह काव्यात्मक चर्चा इस चर्चा को सबसे अनोखा बनाती है. आपके द्वारा व्यक्त चिंताएं जायज हैं.

    रामराम.

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  3. कीचड़ का एक हल्का सा छीटा यहाँ भी दिखा .लेकिन नीचे साफ सुन्दर जल था हमेशा की तरह । यह दो पंक्तियों मे चिठ्ठे का परिचय दे देना सचमुच मेहनत का काम है । बधाई

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  4. लगे रहो झा जी लगे रहो ,
    हम भी लगे है ताकि आपकी चर्चायो में आ सके !
    कुछ नाम हम भी कमा सके !

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  5. बहुत सुंदर चर्चा लगी ओर आप ने असली मुद्दो पर भी सही ध्यान दिलाया.
    धन्यवाद

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  6. सही कह रहें हैं... मुद्दा तो आजकल एक ही छाया हुआ है... वो भी एक वाहियात मुद्दा.....

    खैर चर्चा बढ़िया रही

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  7. चाहे कभी चर्चा में शामिल न किया हो लेकिन फिर भी "चर्चा बढिया रही" तो कह ही सकते हैं :)

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  8. बेहद खूबसूरत चर्चा । छोटी तो है, पर बेहतर । आभार ।

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  9. यूंही नहीं सब कहते झा जी का अंदाज़ सबसे जुदा है...
    जय हिंद...

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  10. है यहाँ मुद्दों की कंगाली,
    पर आपकी चर्चा सबसे निराली

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  11. इस चर्चा सूत्र संग्रह के लिए शुक्रिया !

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  12. चिट्ठी चर्चा बहुत बढ़िया रही।
    बधाई!

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  13. Mudda vahiyaat hai to ka
    chahrcha mein to aaye hain
    aur jha ji fin ek baar
    du line waala jalwaa dekhaye hain ..
    JAI HIND !!

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  14. मा साब को लग गया निन्यानवे का फ़ेर,
    जल्दी ही सैकडा लग गया, नहीं हुई देर,

    ---------
    माट साब प्राइमरी के हैं पर प्रोफेसरों के कान कुतरने वाली बुद्धि रखते हैं!

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  15. सुंदर चर्चा,. सशक्त चर्चा

    हैपी ब्लॉगिंग

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  16. कमाले करते हैं आप त भैया.. अब चिट्ठो चर्चा को आप उठा के कविते बना दिए.. हम त देखते रह गए.. बहुते बढ़िया काम कर रहे हैं.. करते रहिये..

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  17. सुन्दर संकलन का शुक्रिया। आपने प्रविष्टि भेंज दी क्या?

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  18. इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए

    जिसमें सारे बैर-पूर्वाग्रह मिट जाए

    हिन्दी ब्लाग जगत इतना ऊपर जाए

    सारी दुनिया उसके लिए छोटी पड़ जाए

    चलो आज प्यार से जीने की कसम खाए

    और सारे गिले-शिकवे भूल जाए

    सभी को दीप पर्व की मीठी-मीठी बधाई

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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