चर्चा की एक चर्चे से ही शुरूआत हो,
इससे अच्छी भला और क्या बात हो।
कभी कभी नई पोस्टों को भी छानिये॥
कोई हर्ज़ नहीं है जी, एक पैग लगाने में ॥
इनका दिल तो प्यार का मारा है दोस्तों,
शब्दों से सजी कविता की सुंदर तस्वीर है॥
जिंदगी में आती हैं कैसी कैसी मुसीबतें ॥
बडा कठिन है भाई , सर्वश्रेष्ठ होना ॥
देख लिये न तो अपनी टिपिया ठेलिये॥
ताऊ की पहेलियों की अनोखी है बात,
यही पता नहीं, कौन अपने , कौन बेगाने हैं॥
अविनाश भाई का पप्पू भी है बडा ही अलबेला ,
प्लीज जेल के सीन को सेंसर न करो,
यदि सबने कर ली कोशिश ऐसी, तो आ जाएगी बाढ॥
ललित जी ने ब्लोग्गिंग की एक नयी खोली है दुकान,
क्या आप जानते हैं बेनामी संपत्ति का राज,
सुंदर पंक्तियां, खूबसूरत चित्र, और इक सुंदर पोस्ट,
छठ पूजा की परंपरा , और जानिये उसका इतिहास,
सम्मेलन पर तो बहुत सारी पढ ली आपने रपटें,
आज इससे ही काम चलाईये ..कल फ़िर ठेलते हैं तनिक बडकी वाली
आज तो मैने सबको पहले से ही पढ लिया है .. शायद इसलिए आपकी चर्चा छोटी लगी .. वैसे इतनी ही मेहनत कहां कर पाते हैं हम .. बहुत मेहनत करते हैं आप !!
जवाब देंहटाएंझा जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा पे चर्चा सजाते चलो,
ब्लॉगरों की गंगा बहाते चलो...
(इलाहाबाद वाली भी...)
जय हिंद...
जी संगीता जी ..चर्चा छोटी इसलिये लगी ..क्योंकि है ही छोटी....कल सारी कसर पूरी कर दूंगा ..धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंछोटी सी चर्चा!
जवाब देंहटाएंदेखन में छोटी लगे… करे गंभीर
बी एस पाबला
छोटी है मगर सटीक है महाराज...
जवाब देंहटाएंपाबला जी से सहमत !
जवाब देंहटाएंझा जी लगे रहे !
चर्चा चाहे छोटी ही सही लेकिन बढिया रही.....
जवाब देंहटाएंवाह झा साहब सब चर्चा करे लेकिन आपके मुकाबले नहीं हो सकती ...धन्यवाद सबको एक ले में प्रस्तुत करने की
जवाब देंहटाएंचिट्ठाचर्चा में बड़ा दम था...
जवाब देंहटाएंदूध,चीनी,पत्ती ज़्यादा
पानी थोड़ा कम था
हम सोचत हैं कि हमहि जागत है
जवाब देंहटाएंईहां तो देखि तो सबहि जागत है
चिट्ठा चर्चा बहुतै बढिया बन रही
गागर मा सागर नित समावत है
जय हो झा जी,
अजय भाई आप नहीं गए थे क्या बिलागर सम्मलेन में ? सूना है बड़ी मजा आयी है
जवाब देंहटाएंजनाब छोटी भले है लेकिन है भरपूर चर्चा
जवाब देंहटाएंअरे ! धन मिरचाई चर्चा सजाये हैं
जवाब देंहटाएंऔर सबको पानी पिलाए हैं
देखिये न सब सी.. सी.. चिल्लाएँ हैं...
अभी तो साली इलाहाबाद वाली साली ही सर से उतर नहीं रही !
जवाब देंहटाएंचर्चा छोटी हुई तो क्या है तो दमदार :)
जवाब देंहटाएंझा जी ...रोचक अंदाज़ में रोचक चर्चा .
जवाब देंहटाएंचिट्ठाजगत को ऐसी ही चर्चा की जरूरत है। बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंबढि़या चर्चा
जवाब देंहटाएंलाईन लाईन ही सही चर्चा तो बनी
अरे आप की चर्चा में आये तो पता चला कि कुछ महत्वपूर्ण चिट्ठे छूट गये थे, अब पढ़ लिये गये हैं, आखिर चर्चा का काम भी तो यही है न।
जवाब देंहटाएंबह रही है टिप्पणियों की गंगा
जवाब देंहटाएंपोस्टें देखकर सारी मन हो गया चंगा
रंगा खुश।
सतसैया के दोहरे ज्यों नाविक के तीर
जवाब देंहटाएंदेखन मे छोते लगे घाव करें गंभीर
अति सुंदर.
रामराम.
भूल सुधार :
जवाब देंहटाएंछोते = छोटे
पढा जाये.
रामराम.
बहुत सार्थक और बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंएक साथ मिल जाते लिंक्स
जवाब देंहटाएंलगता नहीं कुछ इसका दाम,
अच्छे चिट्ठों की चर्चा करना
यही तो जी! झा जी का काम।
बहुत सुंदर चर्चा लगी आज तो निकल ही गई थी हाथ से,
जवाब देंहटाएंअरे वाह.. मस्ती भरा अंदाज़... एकदम जुदा.....
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