ओईसे तो ब्लोग पटरी बिछाने का काम हमारा खूब जम जमा के चल रहा था पर सोचे कि बहुत लोग कह रहे हैं कि का जी ..ई आप लोग सब संगी साथी मिल के खाली लिंक पटक कर कहते रहिएगा कि चर्चा कर दिए हैं । अरे चर्च का मतलब तनिक चर्चियाईये भी …तो हम सोचे कि जब ई गूगल बाबा सबको एक ठो नयका कैमरा थमा दिए हैं ..अपना अपना ब्लोग का थोबडा सुंदर करने के लिए और हमने भी फ़्री सेवा का सुनते ही फ़ौरन उसका लाभ उठाते हुए ..इसका रंग रूप बदला है ..तो काहे नहीं तनिक स्टाईल भी बदला जाए तो लीजीये …बामुलाहिजा …बाअदब …होशियार ..खबरदार ….चर्चा शुरू होती है …
भाई मिथिलेश दूबे को पिछले दिनों ……एक ही विषय पर खूब पेन रगड रगड के लिखने के कारण ….संसद तक से नोटिस आ गया कि …भाई अब तो उनको भी तैंतीस नंबर …यानि पासिंग मार्क्स मिल गया है ,…तो आप काहे नहीं गाडी आगे बढाते हैं ….हमने भी फ़ौरन उन्हें ..ललकारा ..कि चलिए ..अब फ़टाक से कुछ अईसन लिख डालिए कि ..लोग कह उठें ..दूबे दुने चौबे ….लिख रहा है गजबे …..और देखिए कमाल …का लिखे हैं
भाई मिथिलेश दूबे अपनी इस पोस्ट में पूछ रहे हैं कि
'हिन्दू' शब्द मानवता का मर्म सँजोया है। अनगिनत मानवीय भावनाएँ इसमे पिरोयी है। सदियों तक उदारता एवं सहिष्णुता का पर्याय बने रहे इस शब्द को कतिपय अविचारी लोगों नें विवादित कर रखा है। इस शब्द की अभिव्यक्ति 'आर्य' शब्द से होती है। आर्य यानि कि मानवीय श्रेष्ठता का अटल मानदण्ड। या यूँ कहें विविध संसकृतियाँ भारतीय श्रेष्ठता में समाती चली गयीं और श्रेष्ठ मनुष्यों सुसंस्कृत मानवों का निवास स्थान अपना देश अजनामवर्ष, आर्याव्रत, भारतवर्ष कहलाने लगा और यहाँ के निवासी आर्या, भारतीय और हिन्दू कहलाए। पण्डित जवाहर लाल नेहरु अपनी पुस्तक 'डिस्कवरी आफ इण्डिया' मे जब यह कहते है कि हमारे पुराने साहित्य मे तो हि्दू शब्द तो आता ही नहीं है, तो वे हिन्दूत्व में समायी भावनाओं का विरोध नहीं करते। मानवीय श्रेष्ठता के मानक इस शब्द का भला कौन विरोध कर सकता है और कौन करेगा।
इधर हमको लगने लगा है कि कुछ मित्र लोग आभासी दुनिया ..आभासी दुनिया कर के छाती पीट रहे हैं …उतने ही डबल स्पीड से ब्लोग्गर मीट का आयोजन हो रहा है । जबलपुर में भाई महेन्द्र मिश्रा जी ने एक धमाकेदार मीट कर डाली । और सबसे बढिया बात ई रही कि लखनऊ से महफ़ूज़ जी भी बिना टरेन मिस किए ….इस मीट के लिए भर भर के मीट मसाला लेकर पहुंचे ….फ़ोटो शोटो का मजा उठाईये
भाई महेन्द्र मिश्र जी ने जबलपुर ब्लोग्गर मीट की रंगारंग फ़ोटो शूट पेश किया है
ब्लागरो के समक्ष मीडिया ...
पिछले दिनों श्री रवि रतलामी ने दैनिक जागरण के नए ब्लोग्गिंग प्लेट्फ़ार्म जागरण जंक्शन के बारे में बताया था और हमने भी वहां ब्लोग बकबक के नाम से अकाऊंट खुलवा लिया …..बहुत बढिया मंच है …आज उसी मंच पर भाई संजय जी एक घटना का जिक्र करते हुए देखिए क्या बता रहे हैं
जागरण जंक्शन पर अपने ब्लोग में बता रहे हैं कि आज किस तरह से इंसान, समाज,और दोनों की फ़ितरत बदल गई है
आदमी। फितरत। समाज। तीनों बेहतर हो तो फिर मान लीजिए कि जीवन धन्य हुआ और आप जीवन की जंग जीत गए। लेकिन ऐसा अब शायद ही कहीं होता है। होता भी है कि नहीं यकीन से कोई नहीं कह सकता। मैने देखा है कि जवानी की दहलीज को कैसे बेकरार मुसाफिर पार करते हैं और न जाने कितनी सांसे थम जाती है। यदि किसी कि सांस बची तो जिल्लत भरी। आह भरी। दर्द की याद भरी। उपर से हर उस सफर की निशानी से जूझने की जिद से लहूलुहान जिगर के साथ। यह कैसी सांस और यह कैसा जीवन। बात उस प्यार के सफर की और यार की बेकरारी की जो अचानक से जीने का मतलब ही छीन लेता है। वर्तमान में हम जिस दुनियां में जीते हैं। हर दिन नई चुनौती है। कहीं गरीबी है तो कहीं यारी है। कही चैन है तो कहीं बेकरारी है। इसी बेकरारी से जूझता एक प्रसंग बताता हूं बिहार के पश्चिम चम्पारण जिलान्तर्गत चौतरवा थाना के अधीन है एक गांव कौलाची। गांव में एक बिन ब्याही मां है, जो अपनी लाड़ली को बाप का नाम दिलाने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री तक का दरवाजा खटखटा चुकी है। उसके चेहरे पर बेबसी साफ दिखती है। सीने से अपनी बच्ची को लगाए एक झोपड़े में अपने उस प्यार के बेकरार सफर में खोयी रहती है। कोई बोलता है तो बोलती है वरना खामोशी को ही अब अपना हमसफर मान बैठी है। ऐसा नहीं है कि इस युवती ने अपने प्यार को यूं ही छोड़ दिया। जब यार ने उसे प्यार के सफर से निकाल फेंका तो उसने अबला होने का भ्रम तोड़ा न्यायालय गई। सीएम के दरवाजे गई। यार जेल गया और फिर पुलिस ने कोरम पूरा किया। अर्थात् यह अबला एक बार फिर अबला हो गई और अपनी बच्ची के लिए बस बाप का नाम ढूंढते चल रही है। ऐसे में एक बार फिर आदमी, समाज और उसकी फितरत का घिनौना रुप दिखा है। अब देखना यह है कि कबतक समाज के लोग महिलाओं को अपनी बेकरार सफर का रास्त बनाएंगे।
बीबीसी हिंदी सेवा से हमारा नाता एक श्रोता के रूप में पिछले लगभग बाईस सालों से है ..अब नेट पर भी उनसे बतियाते रहते हैं …बीबीसी ब्लोग के मंच पर बीबीसी संवाददाता राजेश जी हाल ही में पाकिस्तान क्रिकेट खिलाडियों पर गिरी गाज के मामले पर कुछ बता रहे हैं
अच्छी-ख़ासी टीम का यूँ बिखरना....
पंकज प्रियदर्शी | गुरुवार, 11 मार्च 2010, 11:08 IST
पाकिस्तान क्रिकेट में जो भी हो रहा है, उसे आप बवाल कहें, खलबली कहें या फिर सनसनी, एक क्रिकेट प्रेमी होने के नाते मुझे बहुत अफ़सोस है.
अफ़सोस इसलिए नहीं कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के कुछ नामी-गिरामी चेहरे पर पाबंदी लगाई गई है. बल्कि इसलिए क्योंकि क्रिकेट के शीर्ष पर पहुँचने का दम रखने वाली इस टीम का क्या हाल हो गया है.
एक समय घातक तेज़ गेंदबाज़ी और मैदान पर आक्रामकता का दंभ एशियाई देशों में नहीं दिखता था. ये वो दौर था जब मैदान पर घायल होने वाले एशियाई खिलाड़ियों की सूची काफ़ी लंबी थी.
इन दिनों फ़िर से संकंलकों के मुख्य पृष्ठों पर धर्म संप्रदाय के चेहरे चमकने लगे हैं और इन बातों पर बहस भी खूब चल रही है । मुझे कोफ़्त तब होती है जब कुछ लोग दूसरों को गलत साबित करने की कीमत पर खुद को सही साबित करने की कोशिश करते हैं । खैर उनका शायद यही रास्ता हो । मगर भाई रत्नेश बहुत सशक्त ढंग से कुछ प्रश्नों के द्वारा सरकार , समाज और सबके सामने कुछ सवाल रख रहे हैं …
अपनी इस पोस्ट में गजब के प्रश्नों को उठा रहे हैं …आप भी देखिए
अफजल गुरू देशभक्त है, भगत सिंह व साध्वी आतंकवादी है।
सिमी, इंडियन मुजाइद्दीन समाज सेवा में लगे संगठन है, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विष्व हिन्दू परिषद आतंकवादी संगठन है।
गोधरा-कांड एक दुघर्टना है, गुजरात दंगे सुनियोजित हैं।
15 प्रतिशत मुसलमान इंसान है, 85 प्रतिशत हिन्दू कूड़ा-कचरा हैं।
मालेगांव धमाके ही सच्चे धमाके हैं, अन्य जगहों पर हुए धमाके दिवाली के पटाखे हैं।
मालेगांव में 5 मुसलमानों की मौत बहुत बड़ी घटना है, दूसरे स्थलों पर सहस्रों की संख्या में मौत के शिकार हिन्दू केकड़े हैं।
मुसलमानों के लिए आरक्षण, हिन्दुओं के लिए धमाके।
हज के लिए करोड़ो रूपये, अमरनाथ यात्रा के लिए फूटी कौड़ाी नहीं।
इस्लामी आतंकवाद का समर्थन धर्मनिरपेक्षता है, भारतीय को मारना देशप्रेम हैं।
बाबरी ढ़ांचे का गिराया जाना एक मुद्दा है, सैकड़ौं हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करना विकास कार्य है।
मुसलमान की मौत मृत्यु है, हिन्दू की मौत नियति हैं।
हिन्दुओं को नियमों का पालन करना चाहिए, मुसलमानों के लिए कोई नियम नहीं।
अल्लाह परमेश्वर है, राम एक काल्पनिक पात्र है।
क्या यह हमारे सपनों का भारत हैं।
वाकई क्या ये हमारे सपनों का भारत है ?
पता नहीं ये इस देश की बदकिस्मती है कि यहां के लोगों की नियति …किसी न किसी वजह से आम अवाम झुलसती ही रहती है , कभी हादसे , कभी दंगे ..तो कभी कुछ और …बरेली इन दिनों अशांत चल रहा है …और उसी के बारे में बात करते हुए अजय सिंह कहते हैं कि
अपने ब्लोग में बरेली में फ़ैली आग पर कुछ कह रहे हैं
बरेली की सूरमई पहचान पिछले 13 दिनों से दंगों की आग में झुलस रही है। इस आग पर काबू पाने के लिए शासन स्तर पर लगातार तमात कवायदें ही जा रही हैं लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वहां का लोकल प्रशासन बेहद कमजोर है या पब्लिक में उसके मंसूबों की गलत छवि घर कई है। पुराने अधिकारी बदल गये और जो नये पहुंचे उनके सामने इन दो अहम सवालों का जवाब ढूढ़ने की चुनौती है। नये अधिकारियों की ओर से लगातार कोशिशें चल रही हैं और शासन के अधिकारी आसमान के जरिये हालात की निगरानी कर रहे हैं। इसके बावजूद हिंसा की चिंगारी रह-रह कर भड़क रही है। इन हालातों में यह जरूरी हो गया है कि दंगे पर काबू करने के प्रयासों के साथ ही नागरिकों के दिलों को जीता जाय। इसके लिए दोनों पक्षों के मानिन्द लोगों के साथ बैठक कर उन्हें अमन और भाईचारा बढ़ाने के लिए आवास से अपील की जाय। हर किसी को इस बात का भान कराया जाय कि प्रशासन और शासन किसी के पक्ष में नहीं बल्कि निष्पक्ष भावना से शांति बहाली के प्रयास में लगा है। इस कार्य में हिन्दू-मुस्लिम, सिख, इसाई सभी धर्र्मो के धर्मगुरुओं को भी आगे आने की जरूरत है। वहीं सभी राजनीतक दलों को एक मंच पर आकर अमन का पैगाम देना चाहिए न कि उन्माद को बढ़ाने के लिए हवा।
कहते हैं कि जब शब्द नहीं बोलते तस्वीर बोलती हैं …कल विवेक भाई के हाथ में नोटों के असंख्य बंडल से भरा हुआ गेराज आ गया था आज बंडल बंडल अमिताभ बच्चन आ गए ….हमारे लिए तो दोनों ही बंडल एक से …भारी भरकम दूर दूर से निहारते रहे …..आप भी अपने नैन जुराईये ..
आजकल खूब फ़ोटो शोटो दिखा रहे हैं ….कल नोटों के बंडल लगाए थे आज अमिताभ बच्चन के बंडल लगा दिए हैं
अपने देश में हुए बम धमाकों की प्रतिक्रिया में तो हमारी कलम खूब चलती है मगर ऐस बहुत कम होता है कि पडोस में हुए किसी ऐसी घटना पर हम कभी कुछ ज्यादा कहते हों …भाई सूर्यकांत गुप्ता जी इसी बात पर गौर फ़रमाने की बात अपनीइस कविता में कह रहे हैं
इस बात पे हम सभी करें गौर
अभी अभी देख रहा था दूरदर्शन समाचार
बताया जा रहा था, पकिस्तान में बम विस्फोट से
तकरीबन 47 लोग मारे गए व कई घायल हो गए
मगर वहाँ के ऊंचे ओहदे वाले कह रहे हैं इसमें भारत का हाथ है
तत्काल मन में विचार घुमड़ा;
इस बात पे हम सभी करें गौर
पनाह लिए हुए हैं "पाक" में ही आतंकवाद के
बड़े बड़े सिरमौर,
यह जानते हुए भी वहाँ के कर्णधार
छोड़ दिए हैं आरोपों का दौर
आगे की कविता उनके ब्लोग पर पढिए ..
आज सुबह से ही संकंलकों के पहले पन्ने पर दर्ज़ इस खबर भी सबकी नज़र जा रही है और हम तो लोट लोट कर मरे जा रहे हैं जबसे पता चला है कि किसी ब्लोग्गर को तीस करोड हिंट भी मिलता है । अब इत्ते बडी जनसंख्या का फ़ायदा आप ओलंपिक में उठा लो कोई गम नहीं …..मगर यार ब्लोग्गिंग में भी …तीस करोड हिंट पाने वाला ब्लोग्गर …..छोडो या र था तो था ..हमें नहीं पता था तो सोच कर फ़ूल रहे थे कि ओह आज तो पोस्ट को पढने वालों की संख्या सौ के पार हो गई ...मगर श्री जगदीश्वर चतुर्वेदी जी ने सारा भ्रम तोड कर रक दिया …..कैसे अरे नीचे पढिए न ?
अपनी पोस्ट में मिलवा रहे हैं देखिए किनसे
विश्व के श्रेष्ठतम ब्लॉगर की चुनौती बोलो चीनी शासको बोलो
(विश्व का श्रेष्ठतम ब्लॉगर हन हन)
अरविंद मिश्रा जी ने टिप्पणी मिटौव्वल के मुद्दे पर एक बहस छेड दी , इसकी शुरूआत तो कल की पोस्ट से हुई थी , मगर कल पंचायत का फ़ैसला नहीं आ सका …आज उसकी प्रति हासिल हो गई है ….सो उन्होंने उसे सबके सामने रख दिया है …लगता है बहस पार्ट टू चालू हो गई है …आप खुदे देखिए ….तब तकले अरविंद जी जरा ई पुस्तक बांच लें ….ई लोकस पर अरविंद जी जाने कित्ते बरस से फ़ोकस किए हुए हैं …पता करते हैं कि …आखिर है का ई मैगजीन में ..???
अपनी पोस्ट में टिप्पणी को सहेजने/मिटाने के मुद्दे को आगे बढाते हुए कहा कि
टिप्पणियाँ चिट्ठाकार को भी नियमित और मर्यादित करने/रखने /रहने की क्षमता रखती हैं -कहीं अंकुश बनती हैं तो कहीं सचेतक भी लगती हैं .नहीं तो कई चिट्ठाकार निरंकुश ही न होते जायं? मेरी दो टिप्पणियाँ ब्लॉग मालिको पर इतनी भारी पड़ गयीं कि उन्हें अपनी पूरी पोस्ट ही डिलीट करनी पड़ गयी -अब पुनः संदर्भ देकर मैं कोई वितंडावाद नहीं शुरू करना चाहता मगर मुझे इस बात का अफ़सोस जरूर हैं कि मेरे पास अब वे ऐतिहासिक टिप्पणियाँ(बात रखने के लिए निर्लज्ज आत्मप्रशंसा ही सही ) सुरक्षित नहीं हैं,याद कर भी उन्हें वापस लाना मुश्किल हैं - गेहूं के साथ घुन बन पिस गयीं वें ! मगर हाँ इसी विमर्श से उन्मुक्त जी द्वारा यह एक साईट सुझा दी गयी है जिसे मैंने अपना भी लिया है और जोरदार सिफारिश है कि जो भी अपनी टिप्पणियों पर जान छिडकते हैं उन्हें इस साईट पर जाकर पंजीकरण करा लेना चाहिए! समीर भाई तो संत हैं! नेकी कर दरिया में डाल और परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर वाली परम्परा के सचमुच !
तो आज के लिए एतना ही तनिक बताया जाए कि ई ट्रायल कैसा रहा ….???????
आगे का पूरा ट्रेवेल ट्रिप उसी पर डिपेंडेड है सो जान लीजीए …….
ट्रायल तो बहुत जोरदार है
जवाब देंहटाएंआगे क्या होगा
झा जी जमकर चर्चा होली
जवाब देंहटाएंबधाई हो-ट्रायल बढिया रहा।
पर टेम्पलेट का रंग बदलिए।
अगली कड़ी का इन्तजार है.
जवाब देंहटाएंअब देखिए तो सर कैसा है ...मेरे ख्याल से अब ठीक लग रहा होगा नहीं तो फ़िर बदल देते हैं
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
अजय जी ,यूं कहिए तो ट्रायल बडा़ ही मजेदार रहा । हम एकही सांस में पढ़ गए । आगे की किश्त का इंतजार .........
जवाब देंहटाएंbadhiya..
जवाब देंहटाएंबहुत एक्सक्लूसिव चर्चा रही है। बहुत दिनों के बाद पढ़ने को मिली ऐसी चर्चा।
जवाब देंहटाएंअति उत्तम, मनमोहक.....
जवाब देंहटाएंएक्सक्लूसिव चर्चा...बहुत जोरदार.
जवाब देंहटाएंवाकई नायाब चर्चा रही जी.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुंदर चर्चा, नया टेमलेट अभी कुछ नखरे दिखा रहा है
जवाब देंहटाएंगजब का ट्रायल ले रहे हैं अजय भैया आप तो, पर रंग अभी भी आँखों को चुभ रहा है।
जवाब देंहटाएंगज़ब झा जी...छा गये...बेहतरीन ट्रायल रहा. वाह वाह!
जवाब देंहटाएंयह भी खूब रही.
जवाब देंहटाएंझा जी अब ठीक है,
जवाब देंहटाएंगरमी का दिन है
ठंडा ठंडा कुल कुल
आंखो को सुहाता है।
ab kaa bataaye bhaiyaa
जवाब देंहटाएंtrail aisaa jhakkaas to series kaise hogee
बढ़िया है यह विभिन्न ब्लॉग मंचों का ट्रायल
जवाब देंहटाएंआगे क्या होगा रामा रे!
झा जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंअरे भाई झा जी कहिन का
कौनो बिशेशन बखान करे के जरूरत है का
उम्दा काम है झा जी का " झकास"
हमहू का तार दिए चर्चा करके
Ati uttam
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा । टेम्पलेट अच्छा लग रहा है । आभार
जवाब देंहटाएंव्यापक निष्पक्ष चर्चा ....!!
जवाब देंहटाएंझा, जी बधाई
जवाब देंहटाएंtrial bahut badhiya raha .
जवाब देंहटाएंmza a gya.
जवाब देंहटाएंblog ka rang aankhon ko chubh raha hai...lekin charcha bahut dinon baad aisee padhne ko milee...
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी के बहाने ही सही, अपना नाम भी दिखा।
जवाब देंहटाएंई ट्रायल तो बढ़िया रहा । बधाई ।
जवाब देंहटाएंभाई जी, मुझे लगता है हमे भारतीय ब्लॉग लेखकों की एक लिस्ट तैयार करनी चाहिए .........
जवाब देंहटाएंक्यूंकि पुरानी लिस्ट बहुत पुरानी हो चुकी है और नयी लिस्ट बिलकुल नयी......
तो क्यूँ न अब से ही तैयार करें.