मैं पहले ही ये बात कह चुका था कि न सिर्फ़ सोलह अगस्त से अन्ना हज़ारे को दोबारा अनशन पर बैठना होगा बल्कि अपनी आदत से मजबूर सरकार इस फ़ुंसी को जब तक असाध्य फ़ोडा नहीं बना देखेगी तब तक उसकी समझ में कुछ नहीं आएगा । आंदोलन का रुख क्या होगा और परिणाम क्या ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा लेकिन उससे पहले उस सैलाब का हिस्सा बनकर इस क्रांति को भीतर से महसूसने का आनंद अवर्णनीय है । मैं अपना हिस्से की सारी बातें आपसे धीरे धीरे साझा करूंगा , किंतु फ़िलहाल आप पिछले दो दिनों में खींची गई लगभग एक हज़ार चित्रों में से कुछ देख कर महसूस करिए इस तपिश को
और जाने कितने ही चेहरे मिले , बहुत कुछ कहते हुए , कितने हाथों के तिरंगों ने जाने क्या क्या कह दिया , और अब भी कह रहे हैं , मैं बताता रहूंगा आपको
हमने भी देख लिया आपके माध्यम से।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रों के साथ यह प्रस्तुति आँखों देखा हाल ही बयान कर रही है.
जवाब देंहटाएंश्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आये आपको अरसा हो गया है.
यूँ दिल न तोडिये अजय भाई.
आपको 'सीता मय्या' की कसम.
sahab bhai,
जवाब देंहटाएंapki kami thi......ab sambhaliye apni
sarrata reporting......hum line me hain.....
pranam
इंक़लाब जिंदाबाद ...
जवाब देंहटाएंलगे रहिए...विजय के अक्षी साक्षी बनिए।
जवाब देंहटाएंJay ho anna ki, Vijay ho bharat ki..
जवाब देंहटाएंshubhakamnayen......
बहुत कुछ बयां कर गए चित्र. हमें इंतजार भी था आपकी नजरों से कुछ देखने का.
जवाब देंहटाएंujjawal bhavishya ke liye... achchha hi hai...
जवाब देंहटाएंTabhi to dubake baithe hain apne bilon me desh ke dubowanhar
जवाब देंहटाएंdhanywaad tv dekhnaa ka maukaa nahi miltaa apne chitro ke jariye saara haal bayaan kar diya!!
जवाब देंहटाएंआपको यह सब महसूसने के लिए बधाई ...
जवाब देंहटाएंआपके माध्यम से ,आपके चित्रों के द्वारा बहुत कुछ और भी जानने को मिला ...आभार आपका
जवाब देंहटाएंहमारी भी यात्रा करा दी आपने।
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