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सोमवार, 18 मई 2020

कोरोना ने दिया नया मकसद





गाँव की एक खुबसूरत भोर 

मैंने अपने जीवन में बहुत पहले ही ये अनुभव कर लिया था कि अपना समाज अक्सर भीड़ बन कर पीछे चलने में ही खुद को सहज महसूस करता है | वक्त ,हालात और परिस्थतियों ने जाने कब मुझे ये विश्वास और ताकत दे दी कि लिखने बोलने कहने और करने में भी मैं पूरी निडरता और से अपना निर्णय लेता गया और अक्सर आगे की पंक्ति या कहूँ की अगुआ बनता गया |


बचपन में ही पड़ी ये आदत बाद में संस्कार में शामिल हो गई | माँ सरस्वती , लक्ष्मी और सबसे अधिक माँ संतोषी की असीम कृपा की त्रिवेणी ने कालान्तर में इसे और भी पुख्ता किया | आज भी कार्यालय तक में अपने सबसे शीर्ष अधिकारियों से मैं पूरी निडरता से वो सब कह जाता हूँ वो कर जाता हूँ जिसकी बाबत बहुत से सहकर्मी सोचने से भी डरते हैं |

पिछले कुछ दिनों में अचानक से शहरों ने मजदूरों के पलायन ने मेरी छठी चेतना को जाग्रत किया और मैंने तुरत फुरत में ग्राम समाज के लिए यहाँ से जो भी जैसे भी संभव था काम करना शुरू कर दिया | सोशल नेट्वर्किंग के जमाने में गाँव में रह रहे बच्चों और युवाओं की मदद और स्नेह से ये बहुत ज्यादा कठिन नहीं था |

गाँव का वो आँगन 
इसका परिणाम ये हुआ है कि पिछले तीन चार दिनों गाँव के विभिन्न क्रियाकलापों से जुड़े समूहों से जुड़ कर बहुत सी जानकारी बातें साझा की बल्कि अपने टोल (गाँव का मुहल्ला ) के लिए खुद ही एक समूह बना कर काम शुरू कर दिया | इस समूह में गाँव के सभी मेरे जैसे प्रवासी बंधु बांधवों को आनन फानन में जोड़ कर हमने एक सूत्र में सबको पिरो दिया।दिल्ली ,कोलकाता ,मुम्बई ,सूरत ,अहमदाबाद आदि तमाम शहरों में रह रहे हम सब एक साथ एक ही समूह में आ गए |


गाँव का तालाब 

गाँव की पुरानी यादों बातों सुख दुःख को साझा करने के अतिरिक्त , तुरंत किये जाने वाले कई महत्वपूर्ण काम और भविष्य में किये जाने वाले कामों की रूप रेखा बनाई जाने लगी | हमारे जनप्रतिनिधियों का भी स्नेह हमसे जुड़ जाने से ये और अधिक सार्थक और उपयोगी साबित हुआ है |

महादेव स्थान 

अब विभिन्न फेसबुक पेज और व्हाट्सएप समूह के माध्यम से न सिर्फ हम पूरी तरह ग्राम समाज के सुख दुख के साझीदार हैं बल्कि कदम दर कदम साथ चल रहे हैं । अगले कुछ वर्षों में गाँव मे बहुत सारे बड़े परिवर्तन के लिए कमर कस कर और प्रति वर्ष एक बड़ी राशि के सहयोग से उसे अमली जामा पहनाने का संकल्प , ने मुझे अब एक नया ही मकसद दे दिया है ज़िन्दगी का ।

महादेव मंदिर में चलता कीर्तन 
                                                                              

मेरे श्रम , अर्थ और समय का बहुत बड़ा हिस्सा अब गाँव को समर्पित होगा । ईश्वर मुझे शक्ति दें ।

29 टिप्‍पणियां:

  1. अजय जी आपने गाँव के लोगो को आपस में जोड़ने का कार्य का जो सुरुआत किया है निश्चित ही एक अच्छा प्रयास किया है

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    1. बहुत जरूरी था भरत जी । शुक्रिया और आभार आपका

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  2. यही है आपदा को अवसर में बदलना। सकारात्मक पहल, इससे लाभ हो सबका, यही शुभकामनाएं

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  3. कितनी सकारात्मकता और सृजनात्मकता भरी है आपके सुंदर लेख में सर।
    काश!आपसे प्रेरित होकर और भी समूह ऐसे बने।
    हमलोग शासन-प्रशासन के कार्यों की समीक्षा करते न्यायाधीश बने गाल बजाने के सिवा और कुछ नहीं करते।
    कुछ बदलने के लिए ऐसे सार्थक प्रयास ही समाज और गाँव की तस्वीर बदलने में कारगर है।
    सादर।

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    1. आपकी टिप्पणी ने मेरा उत्साह बढ़ा दिया है । स्नेह के लिए शुक्रिया

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  4. यह तो बहुत नेक काम की शुरुआत की आपने। यह सच है , दूसरों से उम्मीद करने की बजाय खुद आगे आना चाहिए। बहुत खूब

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    1. जी मेरा भी यही मानना है प्रियदर्शनी जी । शुक्रिया आपका

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  5. गाँव के लोगो को आपस में जोड़ने का एक अच्छा प्रयास किया है आपने भईया

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    1. ये प्रयास सफल हों तो कुछ संतोष मिले । आभार संजय

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  6. संकल्प लेकर जो चलते है , वो सफल जरूर होते हैं ।

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  7. एक अच्छी और सार्थक पहल .. फिर जब आज तकनिकी है तो इसका उपयोग होना चाहिए ... आपका संकल्प उचित और उत्तम है ...

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    1. जी सर मेरा भी यही मानना है कि कुछ तो सार्थक उपयोग भी होना ही चाहिए इनका

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  8. मै भी आपकी ग्रामीण हूं भैया, भूल मत जाइयेगा मुझे

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  9. गांव की याद मुझे भी बहुत आती है

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  10. नेक इरादे से उठाया गया कदम कामयाबी की ओर ले जाता है ,गांव की बात ही कुछ और है ,मिट्टी की खुशबू वहाँ की सादगी मन को छूती है, सराहनीय कार्य ,

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पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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