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सोमवार, 8 जून 2009
ब्लू लाइन बसें सेना में शामिल :सेना के लिए गर्व का दिन
न जाने कितने वर्षों से मैं इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रहा था ..और ब्लॉग्गिंग के अपने शुरुआती दिनों में भी ये बात मैंने अपनी एक पोस्ट में जाहिर की थी..और आखिरकार आज वो दिन आ ही गया...आज ही अपने विश्वस्त ( जिन पर मुझे कभी भी विश्वास नहीं रहा ) सूत्रों से पता चला की ..सेना ने दिल्ली की ब्लू लाइन बसों के लगातार बढ़ते सटीक परिणाम और अचूक मारक क्षमता ...को मानते और समझते हुए ...आखिरकार उसे सेना के इन्फैन्ट्री में शामिल करने का निर्णय ले ही लिया...हालांकि अभी ये तय बहिन हुआ है की ये नयी बसें...जिन्हें नए मारक अस्त्र के रूप में सेना में शामिल किया गया है ..वे बोफोर्स तोप का स्थान लेंगी या नहीं ...मगर इतना तो तय है की आने वाले समय में ब्लू लाइन बसें..लोगों को मारने और कुचलने की अद्भुत क्षमता के बदौलत ...अन्य सभी तोप और अन्य मारक वाहनों को कड़ी टक्कर देगी...
दरअसल सेना का नजर तभी से इस अचूक मारक वाहन पर लगी हुई थी जब से वे देख रहे थे .....की सरकार और पुलिस के इतने पहरे..नियमों और कानूनों के बावजूद ये वाहन लगातार अपनी मारक क्षमता को बढ़ा रहा था .....और तो और उन्हें इस वाहन का ये गुण भी विशेष रूप से पसंद आया था की ये अपने लक्ष्य में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करता....आदमी क्या. स्कूटर कर. कार क्या...सब को एक ही नजर से लक्ष्य बना लेता है....वेतन आयोग के लागु होने के समय जब सेना ने सरकार के सामने अपनी मांगें राखी थी तभी ये भी कहा था की इन बसों को भी सेना में शामिल किया जाए..
मगर जनसँख्या नियंत्रण विभाग ने ये कहते हुए आपत्ति की , की इन बसों ने पिछले दिनों में उनकेअभियान को बड़ी सफलता दिलाई है.......लेकिन आखिरकार उन्हें मना ही लिया गया......
सेना ने इस मौके पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा की पहली बार देश में बने किसी मारक वाहन को अपनी सेना में शामिल करके उन्हें अभूतपूर्व गर्व का एहसास हो रहा है....सेना को हमारी भी शुभकामनायें...
(ऐसी ही एक पोस्ट मैंने अपने शुरआती दिनों में लिखी थी ...मगर आज भी सामयिक लगी सो लिख दी....)
लेबल:
व्यंग्य
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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ब्लू लाइन बसों की मारक क्षमता का तो कोई जबाब नहीं |
जवाब देंहटाएंहमारी मांग है कि इन बसों को जैसलमेर, बाड़मेर, अमृतसर, श्रीनगर, कोलकाता, गोरखपुर आदि से "मुक्त" दिशा में चलाया जाये, अर्थात ये जिधर जाना चाहें… और एक बस को "कवर" करने के लिये उसी के पीछे एक और बस भी जानी चाहिये, ताकि चूक की कोई गुंजाइश न रहे… :)
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य
जवाब देंहटाएंhame to lagata hai ki aap ki kalam me marak kshamta blue line se bhi adhik hai bahut achha vyang hai
जवाब देंहटाएंतीखा व्यंग्य.
जवाब देंहटाएंथल सेना के लिए ये ज्यादा उपयोगी होंगे. जब ये दुश्मन देशों और उनकी फौज की ओर कूच करेंगे तो उनकी सांस रुक जायेगी.
जवाब देंहटाएंबताइये...सेना और ब्लू लाइन दोनों ही इस मसले पर गंभीर हैं और गौरवान्वित भी..एक हम आप हैं जो इसे मजाक समझ रहे हैं...सावधान ब्लू लाइन बदला भी ले सकती है..इस तरह मजाक उडाने का..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लगा! ब्लू लाइन बस की तो सच में कोई जवाब नहीं! हम बिल्कुल मजाक नहीं कर रहे हैं बिल्कुल गंभीरता से कह रहे हैं ! सच में आपके कहने के मुताबिक ब्लू लाइन बस बदला भी ले सकती है! :) :)
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