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शुक्रवार, 19 मार्च 2010

एक और चर्चा झेलिए …..झाजी चर्चा वाले …..

 

मुझे क्या पता था कि पिछला ट्रेलर आप सबको खूब पसंद आएगा ..हम तो सोच रहे थे कि सब कहेंगे कि अरे कहां फ़ंस गए झाजी ..आप तो बस अपनी टरेन दौडाईये ….धडाधड पटरी बिछा के …और हमको भी ई ससुर लाईव राईटर के स्यापे से मुक्ति मिलेगी …अरे ई इतना स्लो है कि का बताएं यार ..इत्ते में तो हम जैसा ब्लोग्गर ..पचास पोस्ट के पेट में घुस के निकल आए ….मुदा आप लोग तो खूबे न बदमाश हैं जी …मार का का तो बोल के चढा दिए …कि हमको अगला ट्रेलरवा ले कर आना ही पडा । चर्चा झेलिए इसलिए कह दिए हैं ..काहे से कि सुने हैं कि आजकल चर्चा को भी लोग बाग ओतना ही डेडिकेशन से झेल रहे हैं जितना डेडिकेशन से पोस्ट सबको झेलते हैं ….फ़िर ई भी बताना जरूरी हो गया है कि …हम झाजी चर्चा वाले हैं ….नक्कालों से सावधान रहिएगा …..तो झेला जाए जी

 

इन दिनों सरकार के कामकाज की खूबे तारीफ़ हो रही है ..और ब्लोग्गर अपनी पोस्टों से सरकार के कामों की असली समीक्षा कर रही है ….बताईये इस काम के लिए हर साल ई विपक्ष में बैठे लोग संसद में बैठ कर जाने कित्ता पैसा फ़ूंकते हैं और कुछ कहते करते भी नहीं …देखिए आज सुश्री अनु चौधरी क्या ठोक के सरकार की नई शिक्षा नीति का खुलासा कर रही हैं

जनतंत्र पर अनु सिंह चौधरी image

अमीर छात्रों के लिए काम कर रहे हैं अमीर कपिल सिब्बल

लेखक: अनु सिंह चौधरी  |  March 18, 2010  |  हक़ की आवाज़   |  

सरकार ने भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए दरवाज़े खोल दिए हैं। हर सिक्के के दो पहलुओं की तरह इस फैसले के भी दोनों पहलू समझ में आ रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में नए विकल्प खुलेंगे, शिक्षा की गुणवत्ता शायद बेहतर होगी और हो सकता है, देशी-विदेशी विश्वविद्यालयों की इस प्रतिस्पर्द्धा का फायदा उन शिक्षकों को भी मिले जो सालों से कम वेतन का रोना रो रहे हैं।

लेकिन ये तो तय है कि भारत में कैंपस स्थापित करने का सबसे बड़ा फायदा विदेशी विश्वविद्यालयों को ही मिलेगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत दुनिया के सबसे बड़े बाज़ारों में से है। भारत से हर साल तकरीबन 1.20 लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेशों का रूख करते हैं, जिसमें से अधिकांश छात्रों की मंज़िल अमेरिका होती है। मानव संसाधन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी संस्थानों में पढ़ने के लिए छात्र और अभिभावक सालाना 4 बिलियन डॉलर (तकरीबन 180.2 अरब रुपये) खर्च करते हैं। हैरानी नहीं कि अटलांटा की जॉर्जिया टेक यूनिवर्सिटी ने 2008 में ही भारत में कैंपस खोलने के लिए हैदराबाद में 250 एकड़ ज़मीन खरीद ली थी।

 

कुछ घटनाएं इस तरह से घटती है कि वे प्रेरक प्रसंग बन जाती हैं ..और जितनी बार भी उनके बारे में पढा सुना जाए …जाने कितनी हिम्मत मिलती है …तो पढिए आज एक ऐसा ही प्रसंग ….

श्री यू पी सिंह फ़रमाते हैं

फर्श से अर्श तक

लोकोपदेशक प्रसंग


   एक स्कॉटिश लड़का अमेरिका में छोटा-मोटा काम करने के लिए आया. कुछ सालों की मेहनत से उसने तत्कालीन(सन 1870  के आसपास ) विश्व का स्टील का सबसे बड़ा व्यापारिक साम्राज्य खड़ा कर दिखाया.
उसकी गिनती आधुनिक विश्व के उन पहले धनकुबेरों में होती है जिन्होंने फुटपाथ से जिन्दगी की शुरुआत की थी. और    एक समय ऐसा भी था जब एंड्र्यू कार्नेगी के नीचे 43 लखपति कार्मिक काम करते थे. इतिहास के पन्नो में जॉन डी रौकफेलर के बाद इस दुनिया का दूसरा  सबसे धनी आदमी कहलाया.
आज से सौ-सवा सौ  साल पहले एक लाख डॉलर बहुत बड़ी रकम होती थी. आज भी यह बड़ी रकम है. किसी ने एक बार कार्नेगी से पूछा की वे अपने साथ काम करने के लिए सर्वश्रेष्ठ लोगों को कैसे खोज निकालते हैं. कार्नेगी ने कहा – “सबसे अच्छे कार्मिकों का चयन करना सोने की खान से सोना निकालने जैसा काम है. एक तोला सोना प्राप्त करने के लिए टनों मिट्टी को खंगालना पड़ता है लेकिन जब आप खुदाई करते हैं तो आपकी नज़र मिट्टी को नहीं बल्कि सोने को टटोलती हैं.” फर्श से अर्श तक

 

 

कवियत्रि बीना शर्मा जी बडी ही सरलता से कुछ आसान शब्दों में कविता का एक संसार बसा लेती है आज देखिए न फ़िर उनकी कविता का ये अंश….और बांकी की उनकी मर्जी आप उनकी पोस्ट पर बांचिए …..

प्रयास में बीना शर्मा image

Thursday, March 18, 2010

तुम्हारी मर्जी है|

न जाने 

समय की मार 

हमें कहाँ ले जायेगी

और बुदबुदाते हुए हम

गुदगुदाए जाने पर भी

लंबे सोच में बैठे रह जायेगे 

अपनी पीड़ा को ना भूल पायेंगे|

 

अपने कुलवंत भाई ने अपनी फ़ोटो की जगह एक अनजानी से छवि चेप रखी थी …हमही कौन कम थे ..हमने उनका फ़ेसबुक ही उठा लिया …कैसे मजे से खडे हैं देखिए …अरे हां इसके बाद इनकी पोस्ट को पढिए ,और मजे उठाईये …जैसे हमने उठाए

भाई कुलवंत हैप्पी image अपनी खुली खिडकी में कहते हैं

Friday, March 19, 2010

कुछ दिन पहले बठिंडा से मेरे घर अतिथि आए थे, वो मेरे खास अपने ही थे, लेकिन अतिथि इसलिए क्योंकि वो मुझे पहले सूचना दिए बगैर आए थे, और कमबख्त इस शहर में कौएं भी नहीं, जो अतिथि के आने का संदेश मुंढेर पर आकर सुना जाएं। वो आए भी, उस वक्त जब मैं बिस्तर में था, अगर खाना बना रहा होता तो शायद प्रांत (आटा गूँदने का बर्तन) में से आटा तिड़क कर बाहर गिर जाता तो पता चल जाता कोई आने को है। वो कुछ दिन यहाँ रहे, मुझे अच्छा लगा, लगता भी क्यों ना, तीन साल में पहली बार तो कोई बठिंडा से आया था, जो मेरे घर रुका। आने वाले अतिथियों में मेरी मौसी, मौसी की पोती यानी मेरी भतीजी, मौसेरा भाई और उसकी पत्नी। मौसेरा भाई अपना सामान और कुछ अन्य काम निपटाने आया था, और इस दौरान सैर सपाटा तो होना ही था, जो हुआ।

 

जागरण जंक्शन इन दिनों ब्लोग्गिंग के एक तेजी से उभरते मंच के रूप में आगे आ रहा है ,,,,,आखिर हो भी क्यों न ..जागरण मंच ने ब्लोग्गिंग को प्रोत्साहित करने के लिए के खासमखास प्रतियोगिता भी रख दी है ….आप भी फ़टाफ़ट बनाईये ब्लोगअऔर जीतिए ……मगर आज तो देखिए कि वहां मालावती जी पर क्या कौन कह रहा है ?

श्री वी कुमार जी image आऊटर सिगनल पर कहते हैं

माला नहीं, पढ़ें मानसिकता

पोस्टेड ओन: March,19 2010 जनरल डब्बा में

 

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने रैली के तीसरे दिन जब दूसरी बार नोटों की माला पहनी तो बात साफ हो गई कि हजारी नोटों की पहली माला मंत्रियों-विधायकों या कार्यकर्ताओं की ओर से आकस्मिक तुच्छ भेंट नहीं थी। सर्वजन को चौंकाने वाली थी लेकिन योजना के मुताबिक नोट गुंथे गए थे। विपक्ष चिढ़ता है तो और चिढ़े, मनुवादी मीडिया (मायावती के शब्दों में) जितनी आलोचना करेगा वोट बैंक जय बोलेगा। वरिष्ठ मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने दो कदम आगे बढ़कर भविष्य में भी नोटों की माला पहनाने की घोषणा कर डाली, सच मानें, यही है बहुजन हिताय का सारतत्व। बहन जी खुश, मंत्री-विधायक खुश तो प्रदेश की जनता भी खुशहाल।
माला-माल होने के बाद बसपा सुप्रीमो ने प्रदेश में चुनाव की डुगडुगी पीट दी, समय कम है कार्यकर्ता चुनाव में जुट जाएं। झंडा बैनर निकाल लें, आंदोलन करें, जिला मुख्यालयों पर धरना दें, जुलूस निकालें। क्यों, आखिर किसलिए? जनहित में या सरकार के सत्कर्म गिनाने के लिए ? जी नहीं, विपक्ष का पर्दाफाश करने के लिए। सत्ता में तो आप हैं विपक्ष ने क्या गलती कर दी? रैली को असफल बनाने का प्रयास किया, माला की तारीफ के बजाय उसका अपमान किया, जांच की मांग उठा रहे (जो कभी नहीं होने वाली)। फैशन के हिसाब से एक मुद्दा महंगाई भी है लेकिन सत्ता दल और उसके कारिंदे जब महंगाई के विरोध में आंदोलन करें तो जनता किसके द्वार जाएगी। खासतौर से वे पार्जीजन जो माला में हजार-हजार के करेंसी गुंथने की कूबत रखते हों। महंगाई किसकी देन है?

 

कुछ ब्लोग्स की रूपरेखा ..ओह मतलब रंगरूप ही इतना मनमोहक लगता कि बरबस ही मन खिंच जाता है ..ऐसा ही हुआ जब हम रूपम जी के इस ब्लोग पर पहुंचे …बकिया सब और टनाटन हुआ जब उनकी धुन पर मन थिरकने लगा ..आप भी थिरकिए न …

भाई रूपम जी image  प्रेम धुन गाते हुए …

Friday, 19 March 2010

क्षितिज ने पहली बार चादर हटाई है

दिल में अजीब सी उलझन है

पर लगता यूँ है ,कुछ उम्मीद नजर आई है.

सब कुछ भुला देने को मन करता है,

तो ऐसी कौन सी बात याद आई है.

नजरों के सामने भीड़ दिखाई पड़ती है,

पर अन्दर तो दिखती तन्हाई है.

अँधेरा भी है और सन्नाटा भी,

पर देखा तो लगा, कोयल गयी है.

मौसम थमा सा और खुला सा दिखाई देता है,

फिर कहाँ से बिजली कि चमक आई है.

तन में थकन और आँखों में नीद है,

पर होंटों पर जागृत सी मुस्कान उभर आई है.

दिमाग ने मन ही लिया था इसे उदासी,

पर दिल ने कहा खुशी की झलक पाई है.

धरातल भी दिखाई पड़ता है, और आसमां भी,

क्षितिज ने पहली बार चादर हटाई है..........

बहुत कम ही ऐसे ब्लोग्गर हैं आज इस ब्लोगजगत में जो ब्रांड नेम की तरह स्थापित हो चुके हैं उनमें से ही एक हैं हमारे ताऊ जी …इत्ते सारे प्रोजेक्ट ले रखे हैं हाथ में कि कौन सा कब शुरू हो जाए कहा नहीं जा सकता …..कभी पिक्चर , तो कभी ,सम्मेलन ..कभी पहेली तो कभी भजल कीलतन ….तो आज की कीलतन का मजा लिया जाए ….

ताऊ अपने अनेक रूपों में से एक और रूप में भजल कीलतन कलते हुए

image

इस भजल प्रस्तुति के बाद माता रामप्यारीजी ने पधार कर सभी को आशीर्वाद दिया. तत्पश्चात माता रामप्यारी जी के सानिंध्य में भजल कीर्तन का आयोजन हुआ. नीचे उसी अवसर का चित्र और तत्पश्चात भजल कीर्तन.

ऊपर चित्र में कीर्तन करते हुये... बांये से दांये : परमपूज्य माता रामप्यारी जी, तबले पर संगत करती हूई मिस. समीरा टेढी, सिंथेसाईजर पर श्री ललित शर्मा, हारमोनियम पर प्रख्यात भजलगायक ताऊ रामपुरिया, चिमटा बजाते हुये मिस. राजी भाटिया, झांझ बजाते हुये बालक मकरंद, हारमोनियम पर मिस. अजया कुमारी झा और कार्यक्रम के निर्देशन की कमान संभाले हुये श्री खुशदीप सहगल.

 

ललित जी की जितनी बडी मूंछे हैं उतना ही बडा दिल भी है जो चौबीसों घंटे ब्लोगजगत पर हरा होकर टंगा रहता है ..चर्चा के मामले में तो इन्होंने ऐसा कमाल कर दिया है कि सुना है कि चिट्ठाजगत ने एक बंदा एक्स्ट्रा रखा है कि भाई शर्मा जी से पूछ लो आज कित्ते हवाले लगाने हैं …चार सौ या पांच सौ ….मगर आज इनकी तस्वीर ने जाने क्या क्या कह दिया ..

ललित जी मूंछों वाले आज देखिए तो क्या दिखा रहे हैं image

आजादी को छ: दशक बीत चुके हैं, प्रतिवर्ष बजट मे नयी-नयी योजनाओं का आगाज होता है। फ़िर वही नारे लगते हैं गरीबी हटाओ, गरीबी हटाओ। मानवाधिकार की बाते गर्माती हैं वातावरण को 2 रु किलो गेंहुँ-चावल बांटने की योजना का शुभारंभ होता है, कोई भुखा नही मरेगा। सबको रोटी कपड़ा मकान उपलब्ध होगा। कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली मे उग आई हैं स्वयं सेवी संस्थाएं। जिसे NGO कहा जाता है। सेवा के नाम पर नोट बटोरे जा रहे हैं। वृद्धाश्रम भी खोले जा रहे हैं, जहां पर निराश्रित वृद्ध रह कर अपने जीवन के बाकी दिन काट सकें। लेकिन यह सब सेवा कागजों मे ही हो जाती  है। मानव और पशु मे कोई अंतर नही है। इसका एक उदाहरण मैने रायपु्र रेल्वे स्टेशन मे देखा जहाँ एक वृद्ध महिला प्लेटफ़ार्म पे पड़ी थी और गाय उसको चाट रही थी और वह गाय को। लोग भीड़ लगा कर इस दृष्य को देख रहे थे। इन्सान और जानवर मे फ़र्क करना मुस्किल था। यह जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन है।

 

 

बीबीसी हिंदी ब्लोग मंच पर बीबीसी हिंदी रेडियो सेवा के संवेदनशील पत्रकार मित्र सामयिक घटनाओं पर बेबाकी और संजीदगी से अपनी बात रखते हैं आप भी यहां पहुंच कर उन पोस्टों को पढ के न सिर्फ़ उन तक बल्कि पूरी दुनिया तक अपना मत वहां रख सकते हैं …आज भाई जुबैर अहमद कह रहे हैं

मोरा गोरा रंग लइ ले!

ज़ुबैर अहमद ज़ुबैर अहमद | शुक्रवार, 19 मार्च 2010, 10:49 IST

मुंबई में रहने वाले हिंदी भाषी उत्तर भारतीय इन दिनों राहत की सांस ले रहे हैं क्योंकि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के 'देश भक्त' अभियान का निशाना वो नहीं बल्कि बॉलीवुड में काम करने वाले विदेशी कलाकार बन रहे हैं.

बॉलीवुड में लगभग एक हज़ार विदेशी जूनियर कलाकार काम करते हैं. जिनमें से अधिकतर गोरी नस्ल की यूरोपीय लड़कियां होती हैं.

पिछले हफ़्ते राज ठाकरे के अभियान की शुरुआत हुई फ़िल्म क्रूकेड के सेट पर. इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन भी हैं और 136 विदेशी जूनियर अभिनेत्रियाँ और डांसर काम रही हैं.

एमएनएस के कार्यकर्ता सेट पर गए और विदेशी कलाकारों से भारत में क़ानूनी तौर पर काम करने के दस्तावेज़ दिखने की मांग की. पार्टी का दावा है कि ये विदेशी जूनियर आर्टिस्ट स्थानीय लोगों की नौकरियां छीन रहे हैं इस लिए इन्हें बॉलीवुड में काम करने की इजाज़त नहीं होगी.

 

इन्होंने अपना नाम अपने ब्लोग पर लिखा हुआ है direct from heart …तो हमने भी दिल लगा के पढ लिया और ले आए आपके लिए उनकी ये पोस्ट बांचिए …..

डायरेक्ट दिल से image जी को पढिए …..

उसका आना

वो आये और आ कर रह जाए
तो उसका आना सर आँखों पर
दुनिया की रस्मों को तोड़ कर आये
तो उसके आने की नवाज़िश
वो आये केवल मेरा मन रखने के लिए
तो मैं उसके बिना ही जी लूँगा
वो आये मेरी बन कर रहने के लिए
तो दुनिया भूला दूंगा
वो आये मोहब्बत के एहसास के लिए
तो उसकी चाहत में सब लूटा दूंगा!!!

देखिए जी …ई लाईव राईटरवा एकदम सुस्त है …कम से कम हमारी धुंआधार टाइपिंग को तो नहींये झेल पाता है ..टाईप करते करते बीच बीच में इससे पूछना पडता है …का हो राईटर …स्पीड ठीक है न …बताईये राईटर नाम रखने से कौनो राईटर हो जाता है का ??

23 टिप्‍पणियां:

  1. आज तो बहुत ही विस्तृत चर्चा की. पोस्ट सज्जा बहुत ही अनुपम है. बधाई आपको.

    रामराम.

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  2. वाह!झा जी, कमाल की चर्चा है।
    टेम्पलेटवा भी खुब जम रहा है।

    बहुत ही सुंदर

    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. शैली बढ़िया है किन्तू तकनीकी पक्ष में सुधार की ज़रूरत है

    बी एस पाबला

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत मेहनत की है इस चर्चा के लिये
    ये तो फ़िट भी है और हिट भी

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  5. मैं तो समझता था कि आप बुद्धिमान हैं...
    .आप तो मेहनती भी हैं जी.....
    लड्डू बोलता है .....

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  6. ब्‍लॉग जगत में हो रहा है इतना कुछ .. आपके पोस्‍ट से ही जानकारी मिली .. कमाल की चर्चा हुई .. धन्‍यवाद !!

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  7. जी सर मैं समझ गया तकनीकी पक्षों के लिए थोडे दिन की ट्यूशन क्लास फ़िर से लेनी पडेगी आपसे ...
    लड्डू सर ...शुक्रिया ...मगर सोच रहा हूं कि क्या बुद्धिमान लोग मेहनती नहीं होते :) :) ..हा हा हा ..मगर आजकल तो हर तरफ़ यही शोर है ..लड्डू बोलता है ..सारे राज खोलता है ...शुक्रिया पुन: आपका

    अजय कुमार झा

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  8. बढिया चर्चा...भई ये वाली तो झेल लिए अब अगली चर्चा की तैयारी कीजिए :-)

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  9. गज़ब की चर्चा है भई..आनन्द आ गया झा जी..आप अब फंस गये हैं और लगातार चर्चा करनी पड़ेगी.

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  10. बहुत ही गजब की करते हैं आप चर्चा
    छोड़ते नहीं हैं किसी का भी पर्चा

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  11. मनोरंजक चर्चा , ट्रेलर से भी बढ़िया ! शुभकामनायें अजय भाई !

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  12. बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।

    जवाब देंहटाएं
  13. झा जी की चर्चा का झकास अंदाज़...

    कई अच्छे नए लिंक्स मिले...

    जय हिंद...

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  14. आज तो बहुत गज़ब चर्चा किये हैं भाई।
    बस हमको ही समय नहीं मिल पाया ।

    जवाब देंहटाएं
  15. झा जी आप की ये चर्चा भी खूब रही ।बढ़िया है जी।

    जवाब देंहटाएं

पढ़ लिए न..अब टीपीए....मुदा एगो बात का ध्यान रखियेगा..किसी के प्रति गुस्सा मत निकालिएगा..अरे हमरे लिए नहीं..हमपे हैं .....तो निकालिए न...और दूसरों के लिए.....मगर जानते हैं ..जो काम मीठे बोल और भाषा करते हैं ...कोई और भाषा नहीं कर पाती..आजमा के देखिये..

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